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गहलोत की जादूगरी में बुरे फंसे पायलट, एक तरफ कांग्रेसी कुआं तो दूसरी तरफ भाजपाई खाई,

राजस्थान सरकार में विद्रोह करने वाले उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित दो मंत्री को किया गहलोत सरकार से बर्खास्त

राजस्थान सरकार को गिराने के भाजपाई षडयंत्र में सहभागी बने थे सचिन पायलट-गहलोत
 
देवसिंह रावत
राजस्थान सरकार में हुए सचिन पायलट के विद्रोह के बाद आखिरकार कांग्रेस ने 14 जुलाई को सचिन पायलट व उनके दो समर्थक मंत्रियों को भाजपा द्वारा प्रदेश सरकार को गिराने के षडयंत्र में सम्मलित होने के लिए मंत्रीमंडल से बर्खास्त कर दिया। इसके साथ सचिन पायलट को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से भी हटा दिया। पायलट को बर्खास्त किये जाने के बाद भाजपा ने दो टूक शब्दों में कहा कि गहलोत भी ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहनवाज हुसैन ने आरोप लगाया कि गांधी परिवार के राहुल व प्रियंका को उभारने के लिए सचिन जैसे प्रतिभावान जमीनी नेताओं को उपेक्षा कर बर्खास्त किया जाता है।
वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि पिछले 6 महिनों से भाजपा उनकी सरकार को गिराने में लगी थी, दुर्भाग्य से हमारे उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी जाने अनजाने सहभागी बने।
कांग्रेस द्वारा राजस्थान सरकार से बर्खास्त किये जाने के बाद सचिन पायलट ने अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया कि सत्य को परेशान किया जा सकता है पराजित नहीं।
इस तेजी से बदलते हुए राजनैतिक घटनाक्रमों में कायश लगाये जा रहे हैं कि सचिन पायलट अब भाजपा में सम्मलित होंगे या अपनी नई पार्टी बनायेंगे। सुत्रों के अनुसार वह भाजपा में मुख्यमंत्री पद का आश्वासन मिलने पर ही सम्मलित होंगे। परन्तु भाजपा उन्हें उप मुख्यमंत्री सहित बडे मंत्रालय देने के लिए तैयार है। वहीं कांग्रेस द्वारा भाजपा पर अपनी राजस्थान सरकार को गिराने का षडयंत्र करने व विधायकों को प्रलोभन आििद देने वाले आरोपों पर टिप्पणी करते हुए भाजपा ने कांग्रेस पर विधायकों को बंधक बनाने व प्रलोभन देने का आरोप मंढ दिया। वहीं भाजपा ने सेाफ कहा कि गहलोत सरकार अल्पमत में आ गयी है उसे सदन में बहुमत साबित करना चाहिए या इस्तीफा देना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि इस सप्ताह राजस्थान कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सरकार गठन के दिन से चल रहा सत्ता संघर्ष का शीत संघर्ष खुल कर उस समय जग जाहिर हो गया जब सचिन पायलट ने अपने समर्थक विधायकों को लेकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में असंतुष्ट हो कर डेरा डाल दिया। सचिन पायलट के इस विद्रोह से प्रदेश राजस्थान में हडकंप मच गया। कांग्रेस आला नेतृत्व व केंद्रीय नेताओं की विद्रोही सचिन पायलट को मनाने की हर संभव मेहनत विफल रही। वे भी सचिन पायलट व उनके समर्थकों को राजस्थान में 13 व 14 जुलाई को होने वाली विधायक मण्डल की बैठक में सम्मलित नहीं कर पाये।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता  रणदीप सुरजेवाला ने विधाायक मण्डल की बैठक के बाद संवाददाता संम्मेलन को संबोधित करते हुए इस पूरे प्रकरण के लिए भाजपा को खलनायक बताया। भाजपा को राजस्थान की जनता के जनादेश को धनबल व सत्तामद में चूर हो कर रौंदने का साजिश कर रही है। भाजपा के इस साजिश के तहत प्रदेश की सरकार को गिराने के तहत कुछ कांग्रेसी विधायकों को गुरग्राम की एक होटल में कैद कर रखा है। कांग्रेस नेतृत्व ने भाजपा के इस षडयंत्र के प्रति सचेत करते हुए सचिन पायलट व उनके समर्थकों से वापस आने का कई बार अनुरोध किया। कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल सहित कई नेताओं ने सचिन पायलट से कई दौर की बात की। परन्तु बार बार किये गये अनुरोध को जब अनसुना किया गया तो कांग्रेस की राजस्थान सरकार ने उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित तीन विद्रोही मंत्रियों को बर्खास्त करने का विश्वेन्द्रसिंह व रमेश मीणा को सचिन के साथ बर्खास्त किया गया। इसके साथ कांग्रेस ने राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से सचिन पायलट को हटा कर  गोविंद सिंह डोटासरा को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। प्रदेश कांग्रेस के युवा व सेवादल का भी प्रदेश अध्यक्ष नया नियुक्त किया गया। इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्यपाल के पास इस निर्णय से अवगत करा दिया है।
उल्लेखनीय है सचिन समर्थकों के इस विद्रोह को देखते हुए आनन फानन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस विधानमण्डल की बैठक 13 जुलाई को बुलाई। परन्तु इस बैठक में उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट व उनके समर्थक सम्मलित नहीं हुए। कांग्रेस नेतृत्व की तमाम कोशिशों पर पानी फैरते हुए सचिन पायलट ने बेठक में सम्मलित न हो कर अपने इरादे जग जाहिर कर दिया। कांग्रेस विधायक दल की इस बैठक में जहां कांग्रेस 109 विधायकों के सम्मलित होने का दावा कर रही है तो वहीं पायलट गुट 22 विधायकों का समर्थन खुद के पास बता रहा है। यह देख कर इस पूरे प्रकरण पर नजर गढाये हुई भाजपा को गहरी निराशा हाथ लगी। भाजपा को आशा थी कि पायलट कम से कम 30 विधायकों का समर्थन तो जुटायेंगे। परन्तु सचिन पायलट 22 विधायकों को साथ रख पाये।

200  सदस्य वाली राजस्थान विधानसभा में बहुमत के लिए 101 विधायक चाहिए। सत्तासीन गहलोत सरकार के पास 125 विधायकों का पूर्ण बहुमत था। वहीं सचिन पायलट के विद्रोह करने के बाद कांग्रेस का दावा है कि  गहलोत के साथ 109 विधायकों का पूर्ण बहुमत है उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है।
राजस्थान विधानसभा में 200 सदस्यों की विधानसभा में कांग्रेस के 107 और भाजपा के 72 विधायक हैं।सीपीआईएम -2, भारतीय ट्राइबल पार्टी -2, राष्ट्रीय लोक दल -1 और 13 निर्दलीय विधायक शामिल हैं। साथ ही 3 विधायकों वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी भी विपक्ष में ही है।

गहलोत सरकार को गिराने के लिए पायलट के पास कम से कम 30 विधायक होने चाहिए था। जिनका इस्तीफा कराकर भाजपा राजस्थान में सरकार बनाने का काम करती। परन्तु पायलट गुट में करीब 22विधायक हैं। इस लिए अभी यह तय है कि भाजपा को गहलोत सरकार गिराने के लिए कुछ समय और इंतजार करना पडेगा।
दूसरी तरफ भाजपा जो अब तब इस मामले से खुद को तटस्थ बता कर इसे कांग्रेस का अंदुरनी मामला बता रही थी। अब इस घटनाक्रम के बाद राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओम माथुर ने सचिन पायलट को भाजपा में आने का प्रस्ताव देते हुए कहा कि पायलट के लिए भाजपा के दरवाजे खुले है। कांग्रेस में उनका अपमान हो रहा है। भाजपा में उनको पूरा सम्मान मिलेगा। पर इसके साथ भाजपा अपनी तरफ से पायलट के विद्रोह प्रकरण के बाबजूद विधानसभा में शक्ति परीक्षण की मांग नहीं रख रही है। हाॅ केवल इतना कहा कि गहलोत अपना बहुमत सदन में साबित करें।
अब देखना यह है कि पायलट कांग्रेस के इस कदम के बाद भाजपा में सम्मलित होते हैं या अपनी कोई नया दल बनाते है। भाजपा में जाने से उनके साथ जुटे समर्थकों को एकजूट रखना भी आसान नहीं होगा। वहीं भाजपा में उन्हें कांग्रेस की तरह सम्मान मिल पायेगा यह तय नहीं है। खासकर मध्य प्रदेश में जिस प्रकार से ज्योतिराज सिंधिया भाजपा में सम्मलित होने के बाद उनकी स्थिति देख कर पायलट को यह निर्णय भी लेना सहज नहीं होगा। देखना है कि भाजपा अपने कांग्रेस मुक्त भारत के अपने मिशन के तहत कब तक मध्य प्रदेश की तरह राजस्थान में भाजपा की सरकार सत्तासीन कर पाती है। पायलट का विद्रोह सिंधिया के विद्रोह की तरह रंग लायेगा या नहीं। यह तो समय ही बतायेगा। परन्तु राजस्थान में भाजपा में सरकार बनती है तो वसुंधरा को शिवराज की तरह कमान दी जायेगी या किसी अन्य को सौंपने की तैयारी की गयी।

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