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भारी मतों से विजय हुई द्रौपदी मुर्मू 25 जुलाई 2022 को लेंगी राष्ट्रपति पद की शपथ

देवसिंह रावत

ओडिशा प्रदेश के मयूरभंज जिले के ऊपरबेडा गांव (डूंगरीशाही. बड़ाशाही) के विरंचि नारायण टुडु के घर में पुत्री रत्न के रूप में 20 जून 1958 को जन्मी द्रौपदी मुर्मू भारत की 16वीं राष्ट्रपति निर्वाचित हुई। नव निर्वाचित राष्ट्रपति 25 जुलाई 2022 को शपथ ग्रहण करेंगी। 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए हुए मतदान की मतगणना आज 21 जुलाई को दिल्ली के संसद भवन में सम्पन्न हुई। मतगणना के परिणाम के अनुसार सत्तारूढ राजग गठबंधन की प्रत्याशी द्रोपदी मुर्मू ने अपने निकटतम प्रतिद्धंदी  संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिंहा को भारी मतो के अंतर से पराजित किया।

21 जुलाई को संसद भवन में प्रातः 11 बजे से रात 8:30 बजे तक हुई मतगणना के रूझान प्रारम्भ से ही द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में रहे।  सांसदों के मतों के परिणाम से ही उनकी जीत का डंका बज गया। सांसदों के कुल पड़े 748 वोट में मुर्मू को 540 वोट मिले हैं. जबकि यशवंत सिन्हा को 208 वोट मिले हैं. 15 सांसदों के मत निरस्त  हो गए।

चुनाव अधिकारी के अनुसार राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान करने वाले  4754 मतदाताओं में से 4701 के मत वैध पाए गए तथा 53 निरस्त किए गए। राष्ट्रपति की विजई प्रत्याशी के लिए 528491 मेत मूल्य जरूरी हैं।अंतिम चुनाव परिणाम की घोषणा करते हुए चुनाव अधिकारी के अनुसार राजद प्रत्याशी द्रोपदी  मुर्मू को 2824मत मिले उनका मत मूल्य  676803  रहा। पराजित विपक्षी प्रत्याशी यशवंत सिन्हा को 1877 मत मिले।

चुनाव परिणाम के बाद पराजित प्रत्याशी यशवंत सिन्हा ने विजयी प्रत्याशी द्रोपदी मुर्मू को विजय की हार्दिक बधाई देते हुए सभी समर्थक दलों को भी अपना धन्यवाद प्रकट किया।

भले ही उनके पिता व दादा अपने गाव के प्रधान रहे हो पर उनके कुल व देश प्रदेश को गौरवांन्वित करने वाली द्रौपदी अब देश की प्रधान यानी सर्वोच्च पद पर आसीन हो चूकी है। इस विजय के साथ ही संथाल आदिवासी परिवार में जन्मी द्रौपदी मुर्म देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बन गयी है। हालांकि आज भाी उनके गांव में बिजली जैसी मूलभूत सुविधा तक पंहुचाने में सरकार नकाम रही। अब उनके राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी बनने पर राज्य सरकार उनके पैतृक गांव में बिजली पंहुचाने का कार्य युद्ध स्तर पर कर रही है। द्रौपदी मुर्म के राष्ट्रपति चुनाव में विजय होने से पहले ही आज दिन भर 3500 की आबादी वाले उनके गांव में 20000 से अधिक लड्डुओं का वितरण कर गांव वालों ने अपनी खुशी का इजहार किया। वहीं मतगणना से पहले ही राजग उनकी जीत के लिए आश्वस्त था। राष्ट्रपति के पद की चुनावी जंग जीतने के बाद अब राजग उप राष्ट्रपति पद के चुनावी समर में भारी विजय के लिए कमर कस चुका है।

आज भले ही उनके भाग्य का सितारा पूरे देश में दमक रहा है। परन्तु उनका निजी जीवन बहुत ही त्रासदी भरा रहा। उनका विवाह श्याम चरण मुर्मू से उनके दो बेटे और एक बेटी हुए। दुर्भाग्यवश दोनों बेटों और उनके पति तीनों की अलग-अलग समय पर अकाल मृत्यु हो गयी। उनकी पुत्री इतिश्री विवाहिता हैं और भुवनेश्वर में रहतीं हैं। उनके दो भाई गांव में ही रहते है।

द्रौपदी मुर्मू ने एक अध्यापिका के रूप में अपना व्यावसायिक जीवन आरम्भ किया। उसके बाद धीरे-धीरे राजनीति में  प्रदेश सरकार में मंत्री व राज्यपाल के पद पर भी आसीन रही। अब  राष्ट्रपति को हर 5 लाख रुपये वेतन के अलावा राष्ट्रपति को निशुल्क विशाल व भव्य राष्ट्रपति भवन, चिकित्सा, टेलीफोन बिल, बिजली सहित कई सारे भत्ते भी मिलते हैं.।

उल्लेखनीय है कि 2022 का राष्ट्रपतिय निर्वाचन भारत गणराज्य में होने वाला सोलहवाँ राष्ट्रपति निर्वाचन होगा। भारत के संविधान के अनुच्छेद 56(1) में प्रावधान है कि भारत का राष्ट्रपति पाँच वर्ष की अवधि के लिए पद पर बना रहेगा। राष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति के परिणामस्वरूप, कार्यालय में नियुक्त के लिए एक चुनाव मतदान 18 जुलाई 2022 को होने वाला है, और मतगणना 21 जुलाई 2022 को होगी। नामांकन की अन्तिम तिथि जून 29 है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 58 में उन योग्यताओं का उल्लेख है जो राष्ट्रपति के पद के लिए पात्र होने के लिए पूरी होनी चाहिए। अनुच्छेद 58 निम्न प्रकार से है –

राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए अर्हताएँ

(१) कोई व्यक्ति राष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र तभी होगा जब वह कृ

(क) भारत का नागरिक है,

(ख) पैंतीस वर्ष की आयु पूरी कर चुका है, और

(ग) लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए अर्हित है।

(२) कोई व्यक्ति, जो भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन अथवा उक्त सरकारों में से किसी के नियंत्रण में किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, वह राष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र नहीं होगा।

(स्पष्टीकरण -इस अनुच्छेद के प्रयोजनों के लिए, कोई व्यक्ति केवल इस कारण कोई लाभ का पद धारण करने वाला नहीं समझा जाएगा कि वह संघ का राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या किसी राज्य का राज्यपाल है अथवा संघ का या किसी राज्य का मंत्री है।)

भले ही द्रौपदी मुर्म के चुनाव में विजय के प्रति किसी को भी शंका नहीं थी। प्रधानमंत्री मोदी की पसंद व अमित शाह की रणनीति को देखते हुए यह चुनाव केवल रस्म अदायगी के तौर पर माना जा रहा था। लोगों की दिलचस्पी केवल इतनी थी कि द्रौपदी के पक्ष में कितने विरोधी मतदान करते हैं। परन्तु चुनावी विशेषज्ञ केवल यह तुलना करने में दिलचस्पी लगा रहे थे कि द्रौपदी को निर्वतमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की तुलना कितने मत मिलते है।
गौरतलब है कि 2017 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में राजग गठबंधन ने बिहार के तत्कालीन राज्यपाल और दलित चेहरे रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया। जिसका जवाब में संयुक्त विपक्ष ने  देश के बडे दलित नेता जगजीवन राम की पूर्व लोकसभाध्यक्ष रही मीरा कुमार को चुनावी दंगल में उतारा। राष्ट्रपति चुनाव में 10,98,903 मूल्य के वोटों में से रामनाथ कोविंद को 66 प्रतिशत यानि 7,02,044 मत हासिल हुए।े वहीं उनकी प्रतिद्धदी मीरा कुमार को 34 प्रतिशत यानि 3,67,314 वोट मिले।  इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में राजग प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को 5.26 लाख मत वाले राजग का साथ है। उनके समर्थन में भाजपा के साथ जेडीयू, एआईएडीएमके, अपना दल (एस), एलजेपी, एनपीपी, निषाद पार्टी,  शिवसेना, जदयू विजू ,अकाली, एनपीएफ और एमएनएफ सहित अनैक छोटे दल शामिल हैं।वहीं उनको  विपक्षी खेमें से भी समर्थन मिलना तय माना जा रहा था, वह सच भी साबित हुआ। इसके साथ प्रधानमंत्री मोदी ने दलित के बाद आदिवासी को भी देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति पद पर आसीन कराकर विपक्ष को पूरी तरह धराशाही कर दिया है। वहीं उप राष्ट्रपति पद पर किसान पुत्र जगदीप धनकड़ को प्रत्याशी बना कर मोदी ने विरोधियों का किसान विरोधी दाव भी कूंद कर दिया है। राष्ट्रपति की तरह उपराष्ट्रपति पद पर मोदी के पंसीदा उम्मीदवार जगदीप धनकड का जीतना तय माना जा रहा है।

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