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आतंकबाद पर इमरान खान की स्वीकारोक्ति ने बेनकाब किया अमेरिका व पाकिस्तान

पाकिस्तान व अमेरिका ने पाकिस्तान में ही तैयार किये आतंकी

कश्मीर व अफगानिस्तान में प्रशिक्षित आतंकियों पर पाकिस्तान ने किये 100 अरब डालर से अधिक खर्च
देवसिंह रावत
आखिरकार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने स्वीकार कर लिया है कि पाकिस्तान 1980 के बाद  भारी संख्या में आतंकियों को तैयार कर रहा है। हालांकि पाक का बचाव करते हुए प्रधानमंत्री इमरान ने कहा कि 1980 में अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ जेहाद के लिए पाकिस्तान व अमेरिका ने तैयार किये थे जो मुजाहिदीन, उनको अब क्यों आतंकी कह रहा है अमेरिका? इसके लिए पाकिस्तान ने 100 करोड़ डालर से अधिक का खर्चा भी किया और इसमें 70 हजार लोगों ने अपनी जान भी दी। एक अनुमान के अनुसार वर्तमान में पाकिस्तान में 30 से 40 हजार से अधिक आतंकी मौजूूद है। ये पाकिस्तानी आतंकी अफगानिस्तान व कश्मीर के अमन चैन पर ग्रहण लगा रहे है। ये इतने मजबूत व बेकाबू हो गये है कि वे पाकिस्तान सरकार को भी आंखें दिखा कर पाकिस्तान में बड़ी बारदात करने से पीछे नहीं रहते। ऐसा भी खुला आरोप है कि पाकिस्तान में सेना ही आतंकियों को बडी संख्या में तैयार करती है और  अपने मिशनों में इन आतंकियों को ही झौंकती है। पाकिस्तान की इस आतंकी मंशा का दंश कश्मीर में दशकों से झेलना पड़ रहा है। पाकिस्तानी आतंकी दंश से कश्मीर की शांत वादियां भी रक्तरंजित हो गयी है।
रूसी चैनल आरटी को दिये एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री इमरान ने कहा कि शीत युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने अमेरिका का साथ देने के लिए अपने जिन मुजाहिदीनों को प्रशिक्षित कर अफगानिस्तान से सोवियत संघ को खदेड़ने के लिए तैयार किया था, उन मुजाहिदीनों को तैयार करने के लिए अमेरिका की खुफिया ऐजेन्सी सीआईए ने भी पूरे संसाधन दिये थे। एक दशक बाद जब अमेरिका अफगानिस्तान में आया और वह वहां पर फतह करने में असफल रहा तो अमेरिका ने इन मुजाहिदीनों को आतंकी कहना शुरू कर दिया। वहीं पाकिस्तान द्वारा अमेरिका का साथ देने से नाराज हो कर इन मुजाहिदीनों ने पाकिस्तान पर भी हमले कर दिये।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान का नजरिया है कि पाकिस्तान को सोवियत संघ व अमेरिका की लड़ाई में तटस्थ रहना चाहिए था। अमेरिका का साथ देने का बडा खमियाजा पाकिस्तान को चूकाना पड़ा।

इससे पहले पाकिस्तान के गृहमंत्री (आंतरिक मामलों के मंत्री) ब्रिगेडियर ऐजाज शाह ने भी स्वीकार किया था कि पाकिस्तान ने आतंकबादी संगठन जमाद उद दावा पर करोड़ों रूपये खर्च किये। अब तक पाकेस्तान, अंतरराष्ट्रीय मंचों से भारत के इसी आरोपों को सिरे से नकारते हुए दावा करता रहा कि पाकिस्तान अमन पसंद देश है। उसकी सरजमी पर एक भी आतंकी संगठन नहीं है, न हीं पाकिस्तान में किसी प्रकार के आतंकी प्रशिक्षण शिविर विद्यमान है। उल्लेखनीय है कि भारत,पाकिस्तान पर निरंतर आरोप लगाता रहा कि पाकिस्तान आतंकवादियों को प्रशिक्षण देकर भारत के अमन चैन को नष्ट कर रहा है। परन्तु पाकिस्तान व उसका आका बना पाकिस्तान इन आरोपों को सिरे से नकारता रहा।
परन्तु अब जैसे ही पाकिस्तान को कश्मीर मामले  में पूरे संसार में समर्थन नहीं मिलने के कारण पूरी तरह से बौखला गया गया है। न तो इस्लामी देश उसका साथ दे रहे है व नहीं उसका पूर्व आका अमेरिका ही उसके साथ पहले की तरह खडा हो रहा है। संसार के अधिकांश देश पाकिस्तान की बात को कान देने के बजाय भारत का साथ दे रहे है। चीन का समर्थन भी उसको कश्मीरी भंवर से नहीं निकाल पा रहा है।
इससे पाकिस्तान की जनता व सेना में भी भारी आक्रोश है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान व सेना प्रमुख बाजवा की बौखलाहट इस कदर बढ़ गयी है कि वे भारत को युद्ध व परमाणु युद्ध की धमकी दे रहे है। यही नहीं पाकिस्तान के कश्मीर में भारत द्वारा मुस्लिमों पर हो रहे भारी अत्याचारों के आरोपों को न तो इस्लामी देश ही समर्थन दे रहे हैं व नहीं भारत के मुस्लिम। सभी ने यह भारत का आंतरिक मामला बता कर भारत का ही समर्थन कर रहे है। इससे पाकिस्तान हताश व निराश है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान व गृहमंत्री ऐजाज अहमद शाह के खुलाशों के बाद पाकिस्तान पूरी तरह बेनकाब हो चूका है। अब उसकी विश्वसनियता पूरे विश्व में जमीदोज हो गयी है। यहां पर अमेरिका को भारत का मित्र मानने वाले भारतीय हुक्मरानों को भी इस बात से सावधान रहना होगा कि पाक के आतंकी मुहिमों को अमेरिका का ही संरक्षण रहा। हालांकि यह जगजाहिर तथ्य रहा कि आतंकियों को पाकिस्तान व अमेरिका ने ही तैयार किया। यह भी सच है कि अमेरिका अपना स्वार्थ सिद्ध होने के बाद इसका सारा टीकरा पाकिस्तान के सर फोड़ रहा है। क्योंकि पाकिस्तान उसके लिए किसी काम का नहीं रहा। इसलिए वह न तो कश्मीरी राग छेड़ रहा है व नहीं उसके लिए अफगानिस्तान किसी काम का रहा। इसलिए अमेरिका पाक से भी तौबा कर रहा है।

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