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मोदी जी, उतराखण्ड की विकराल समस्याओं को निदान  जनांकांक्षाओं का समाधान करने से होगा न की भयदोहन व समितियों का गठन करके होगा

उतराखण्ड में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिये गठित विशेषज्ञ समिति द्वारा संसद के समीप कांस्टीटयूशन क्लब में 14 जून 2023 को उतराखण्डी प्रबुद्धजनों के साथ आयोजित बैठक

धर्मांतरण, लव जेहाद, घुसपेठ आदि पर अंकुश लगाने के लिये समान नागरिक संहिता से कहीं अधिक कारगर साबित होगा राजधानी गैरसैंण, भू कानून, मूल निवास आदि राज्य गठन जनांकांक्षाओं को साकार करना

प्यारा उतराखण्ड डाट काम

कल 14 जून 2023 को देश की राजधानी दिल्ली में संसद भवन के समीप ऐतिहासिक काॅस्टीटयूशन क्लब में उतराखण्ड में समान नागरिक संहिता लागू करने के प्रदेश सरकार के संकल्प को साकार करने लिये,समान नागरिक संहिता के परीक्षण एवं क्रियान्वयन हेतु गठित विशेषज्ञ समिति द्वारा दिल्लीवासी उत्तराखण्डीें प्रबुद्धजनों, समाजसेवियों एवं पत्रकारों के साथ जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान समिति जनसंवाद के माध्यम से लोगों के विचार एवं मंतव्य से भी अवगत हुई। इस सरकारी आयोजन में भले ही स्वतंत्र चिंतक व राज्य गठन के अग्रणी ध्वजवाहक उपस्थित नहीं थे। आम सरकारी समितियों के आयोजनों की तरह यह आयोजन भी अपने समर्थकों की उपस्थिति में खानापूर्ति करने में सफल रहा।  इस सरकारी आयोजन पर अपनी तीब्र प्रतिक्रिया प्रकट करते हुये उतराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन के शीर्ष राज्य गठन आंदोलनकारी संगठन ‘ उतराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा ’ के अध्यक्ष, पत्रकार, भारतीय संस्कृति के अंतराष्ट्रीय चिंतक व  जनांदोलनों के पुरोधा देवसिंह रावत ने कहा कि  मोदी जी उतराखण्ड की विकराल समस्याओं को समाधान जनांकांक्षाओं का समाधान करने से होगा न की भयदोहन व समितियों का गठन करके ही होगा। श्री रावत ने कहा कि उतराखण्ड राज्य गठन को 23 साल हो गये, इसके साथ गठित झारखण्ड व छत्तीसगढ में सरकारें जनांकांक्षाओं को साकार कर विकास की कुचालें भर रही है। वहीं उतराखण्ड का पडोसी राज्य हिमाचल जो कई दशक पहले पृथक राज्य का दर्जा अर्जित कर व सुदूर दक्षिण भारत को तेलांगना राज्य जो उतराखण्ड गठन के कई साल बाद गठित हो कर विकास के राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। वहीं प्रतिभाओं व प्राकृतिक संसाधनों की दृष्टि से सम्पन्न उतराखण्ड यहां पर आसीन सरकारों की दिशाहीनता व पदलोलुपता के कारण बदहाली व निराशा के दंश से मर्माहित है। यहां  की सरकारों ने राज्य गठन की जनांकांक्षाओं (राजधानी गैरसैंण बनाना, मुजफ्फरनगर काण्ड’94 के गुनाहगारों को सजा देना,हिमाचल की तर्ज पर भू कानून व हिमालयी राज्यों की तर्ज पर मूल निवास कानून बनाना, पलायन के दंश से मुक्त करने के लिये स्थानीय लोगों को रोजगार में प्राथमिकता देने,जनसंख्या पर आधारित विधानसभा परिसीमन पर अंकुश लगाना, घुसपेठियों व भ्रष्टाचारियों पर अंकुश लगाकर सुशासन स्थापित करना आदि)को साकार करने के विकासोनुमुख सुशासन स्थापित करने के बजाय अपने दलीय आकाओं के चम्पु बन कर अपनी अंध पदलोलुपता के लिये उतराखण्ड को अपराधियों, भ्रष्टाचारियों,घुसपैठियों, धर्मातरण व लव जेहाद करके राष्ट्रातरणं करने वाले तत्वों के शिंकजे में जकड कर बर्बादी के गर्त में धकेल दिया है।
श्री रावत ने कहा कि इस आयोजन में सम्मलित होने के लिये मुझे भी आमंत्रित किया गया था। प्रेस आमंत्रण के अलावा दिल्ली स्थित उतराखण्ड सूचना कार्यालय के विशेषाधिकारी के अलावा उतराखण्ड सरकार के पूर्व दर्जाधारी मंत्री पूरणचंद नैनवाल ने भी इसका आमंत्रण दिया था। सरकार के मंतव्य व समितियों की रस्म अदायगी बैठकों की हकीकत को भांपते हुये मुझे इस वैठक में सम्मलित होने के बजाय रूडकी में अपने परिवार के एक आयोजन में सम्मलित होना श्रेयकर समझा। मुझे मालुम है कि सरकारें जनसंवाद का नाटक तो मात्र रस्म अदायगी के लिये करती है। सरकारे ऐसे आयोजन से पहले ही अपना मन बना चूकी होती है। वह ईमानदारी से जनता के विचारों व मंतब्य को कोई प्राथमिकता नहीं देती। केवल अपनी कार्यवाही व निर्णयों को लोकतांत्रिक मुखौटा पहनाने के लिये ऐसे आयोजन करके दस्तावेजी मजबूती करती है।
श्री रावत ने उतराखण्ड में सत्तारूढ भाजपा सरकार के आलाकमान  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस आयोजन के संदर्भ में दो टूक बात कही कि मोदी जी समान नागरिक संहिता मात्र एक राज्य उतराखण्ड में लागू करने से कोई सकारात्मक परिणाम देश में नहीं मिलेंगे। यह कानून 1947 के आसपास ही फिरंगियों से मुक्त होने के बाद ही पूरे देश में लागू किया जाना चाहिये था। आज उतराखण्ड में समान नागरिक संहिता के बात सरकार तब कर रही है, जब सरकारों के दिशाहीनता,कर्तव्यविमुखता   व पदलोलुपता के कारण राज्य गठन की जनांकांक्षाओं (राजधानी गैरसैंण बनाना, मुजफ्फरनगर काण्ड’94 के गुनाहगारों को सजा देना,हिमाचल की तर्ज पर भू कानून व हिमालयी राज्यों की तर्ज पर मूल निवास कानून बनाना, पलायन के दंश से मुक्त करने के लिये स्थानीय लोगों को रोजगार में प्राथमिकता देने,जनसंख्या पर आधारित विधानसभा परिसीमन पर अंकुश लगाना, घुसपेठियों व भ्रष्टाचारियों पर अंकुश लगाकर सुशासन स्थापित करना आदि)को साकार करने के विकासोनुमुख सुशासन स्थापित करने के बजाय अपने दलीय आकाओं के चम्पु बन कर अपनी अंध पदलोलुपता के लिये उतराखण्ड को अपराधियों, भ्रष्टाचारियों,घुसपैठियों, धर्मातरण व लव जेहाद करके राष्ट्रातरणं करने वाले तत्वों के शिंकजे में जकड कर बर्बादी के गर्त में धकेल दिया है।  इससे जहां हल्द्वानी, देहरादून, पुरोला व हरिद्वार जैसे विकट समस्या सर उठा रही है।वहीं सरकारों की कर्तव्य विमुखता व दिशाहीनता के कारण जोशीमठ, अंकिता भण्डारी, अब तक के मुख्यमंत्रियों व विधानसभाध्यक्षों द्वारा प्रदेश के बेरोजगारों को रोजगार देने के बजाय अपने प्यादों को सरकारी नौकरी की बंदरबांट करने जैसे समस्याओं से घिर कर पूरा उतराखण्ड अब तक की सरकारों को विश्वासघात से स्तब्ध व निराश है। प्रदेश की समस्याओं के निदान के लिये गठित समितियों की दयनीय हकीकत से प्रदेश का जागरूक जन विज्ञ है। राजधानी चयन आयोग आयोग हो या अन्य सभी सरकारी समितियां इनका प्रदेश के जनसमस्याओं व वहां की जमीनी हकीकत से कहीं दूर दूर तक नाता नहीं होता है। ये समितियां केवल सरकार की मंशा की पूर्ति के लिये गठित कर अपने चेहतों को सबल बनाने के लिये की जाती है।
श्री रावत ने जोर देकर कहा कि अगर उतराखण्ड की अब तक की कोई भी सरकार प्रदेश व देश के हितों के प्रति रत्तीभर भी जागरूक रहती तो वह तुरंत इस सीमांत व हिमालयी प्रांत उतराखण्ड की रक्षा व विकास के लिये हिमाचल व पूर्वोतर सहित हिमालयी राज्यों की
तरह सशक्त भू व मूल निवास कानून बनाती। इससे अवैध धुसपेठ, हल्द्वानी, देहरादून, पुरोला आदि प्रकरणों पर स्वतः ही अंकुश लग जाता। प्रदेश की इस बिकराल स्थिति के लिये वे लोग जिम्मेदार है जिन्होने कुम्भ क्षेत्र के अतिरिक्त पूरा हरिद्वार जनपद उतराखण्ड में थोपा, जिन्होने प्रदेश में भू व मूल निवास कानून जनांकांक्षाओं के अनरूप लागू नहीं किया। जिन्होने प्रदेश की एकमात्र निर्मित विधानसभा भवन गैरसैंण को राजधानी घोषित न करके देहरादून में कुण्डली मार के बैठे। जिन्होने अपनी अज्ञानता व आलाकमान के चम्पू बनते हुये प्रदेश में जनसंख्या पर आधारित विधानसभा परिसीमन को जनता के पुरजोर विरोध के बाबजूद थोपवाने का कृत्य किया। इसके साथ वे आला कमान जिन्होने प्रदेश में सदचरित्र,उतराखण्ड के प्रति समर्पित  व समाजसेवक अनुभवी जनप्रतिनिधियों को प्रदेश की सत्ता की कमान सौंपने के बचाय अपने दिशाहीन प्यादों को सत्तासीन कर प्रदेश को पतन की गर्त में धकेल दिया।
श्री रावत ने कहा कि प्रदेश की राजनैतिक दलों व उनके आकाओं के साथ प्रदेश के विकास पर दीमक सा लगे नाकरशाहों को यह बात गांठ बांधनी चाहिये कि उतराखण्ड राज्य का गठन लखनवी मानसिकता के उतराखण्ड विरोधी नेताओं व नौकरशाहों के दंश से बचाकर उतराखण्ड के सम्मान व हक हकूकों की रक्षा के लिये किया गया था। जिसके समाधान की राह राजधानी गैरसैंण, भू-मूल निवास, मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के गुनाहगारों को सजा देने व पलायन के दंश से प्रदेश को मुक्त करने से होती। परन्तु उतराखण्ड के दिशाहीन सरकारों ने उपरोक्त जनांकांक्षाओं को रौंद कर अपने आकाओं व अपनी पंचतारा सुविधाओं के मोह में धृतराष्ट्र बन कर उतराखण्ड को बर्बादी के गर्त में धकेल दिया है। इसलिये उतराखण्ड को उबारने के लिये सरकार के अब तक के तमाम टोटके विफल रहे। सरकार को चाहिये कि अगर वह ईमानदारी से उतराखण्ड व देश का हित में कार्य करना चाहती है तो अपने दिशाहीन सत्तासीनों को उतराखण्ड की जनांकांक्षाओं को साकार करने का निर्देश दें। इन सत्तासीनों की इतनी मतिभ्रंम है कि वे जनांकांक्षाओ को साकार करना तो रहा दूर वे जनांकांक्षाओं को अपना स्वर तक देने का साहस नहीं बटोर पाते हैं। प्रदेश के हुक्मरानों को भान होना चाहिये कि धर्मांतरण, लव जेहाद, घुसपेठ आदि पर अंकुश लगाने के लिये समान नागरिक संहिता से कहीं अधिक कारगर साबित होगा राजधानी गैरसैंण, भू कानून, मूल निवास आदि राज्य गठन जनांकांक्षाओं को साकार करना। सरकारों की देहरादूनी दिशाहीन मानसिकता के कारण चीन से लगे सीमान्त क्षेत्रों से हजारों गांवों के पलायन से देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।

14 जून 2023 को उत्तराखण्ड समान नागरिक संहिता के परीक्षण एवं क्रियान्वयन हेतु गठित विशेषज्ञ समिति द्वारा नई दिल्ली, कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित कार्यक्रम के बारे में प्रदेश सूचना कार्यालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति प्यारा उतराखण्ड समाचार पत्र सहित सभी को जारी किया। इसके अनुसार समिति ने इस आयोजन कर प्रवासी उत्तराखण्डियों प्रबुद्धजनों, समाजसेवियों एवं पत्रकारों के साथ जनसंवाद  किया। इस दौरान समिति जनसंवाद के माध्यम से लोगों के विचार एवं मंतव्य से अवगत हुई।

सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार   प्रवासी उत्तराखंडियों, प्रबुद्धजनों, समाजसेवी एवं पत्रकारों ने यू0सी0सी0 पर मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी के निर्णय की प्रशंसा की और इसके शीघ्र कार्यान्वयन का आग्रह किया। उत्तराखण्ड राज्य में समान नागरिक संहिता के सभी हितधारकों से चर्चा की जा चुकी है, यू0सी0सी0 की उप समितियों ने विभिन्न धर्मों, समुदायों, प्रदेश की सभी जनजातियों समूह, हितधारकों तथा वर्गों से इस संबंध में विचार विमर्श कर सुझाव प्राप्त किये।

उत्तराखण्ड के राज्य स्तरीय आयोगों के अध्यक्ष/सदस्यों एवं सभी राजनीतिक दलों के साथ भी इस संबंध में बैठक कर ली गई है, तथा उनके बहुमूल्य सुझाव प्राप्त कर लिए गए हैं। विशेषज्ञ समिति द्वारा अभी तक कुल 51 बैठक, राज्य के 13 जनपदों में 37 जिला स्तरीय बैठक एवं 03 विशाल जनसंवाद कार्यक्रम नैनीताल, देहरादून, दिल्ली में आयोजित किये गये है। जिसमें 2 लाख से अधिक सुझाव/मन्तव्य प्राप्त हुये।

उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड राज्य, देश का पहला राज्य है जो कि समान नागरिक संहिता का लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

इस अवसर पर उत्तराखंड राज्य में समान नागरिक संहिता (यू0सी0सी0) लागू करने हेतु उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित कमेटी की अध्यक्ष  न्यायाधीश(सेवानिवृत्त) श्रीमती रंजना प्रकाश देसाई, विशेषज्ञ समिति के सदस्य न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) प्रमोद कोहली, शत्रुघन सिंह, आईएएस (सेवानिवृत्त), सुरेखा डंगवाल, कुलपति दून विश्वविद्यालय, मनु गौड, सामाजिक कार्यकर्ता एवं सचिव अजय मिश्रा व पूर्व दर्जाधारी मंत्री पूरणचंद नैनवाल सहित अनैक लोग उपस्थित थे।

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