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मोदी सरकार पर विपक्ष के तीखे प्रहार को कूंद करने के लिये भाजपा ने राहुल गांधी के बयान को बनाया ढाल, हुई लाल

अडानी मामले में संयुक्त संसदीय जांच समिति के गठन की विपक्षी मांग व सत्तारूढ भाजपा गठबंधन ने ब्रिटेन में राहुल गांधी के बयान को भारत का अपमान बता कर ‘राहुल गांधी माफी मांगो’की पुरजोर मांग से मचे शोर शराबे से चार दिन से संसद हुई ठप्प

राहुल गांधी को पप्पू व महत्वहीन कहने वाली भाजपा ने आखिर क्यों राहुल के बयान पर  मचाया इतना हायतौबा?

देवसिंह रावत
पिछले चार दिनों से (13मार्च 2023 से 16 मार्च 2023 तक) भारत के प्रबुद्ध जन से लेकर आम जनता भी यह देख कर हैरान हो गयी कि जिस राहुल गांधी को विगत डेढ़ दशक से भाजपा के आला नेता से लेकर कार्यकत्र्ता तक पप्पू पप्पू कह कर नजरांदाज करते रहे, आखिर वह राहुल गांधी भाजपा के आला नेताओं व सरकार के लिये इतने महत्वपूर्ण कैसे हो गये कि उनके लंदन में दिये गये भाषण से भाजपा ने संसद में बजट सत्र के दूसरे चरण का निरंतर चार तक दोनों सदनों की कार्यवाही ही भैंट चढ़ा दी। ऐसा आखिर क्या हो गया जो स्वयं प्रधानमंत्री मोदी को राहुल गांधी के भाषण के विरोध की कमान संभालनी पड़ी। जबकि यह ंकार्य भाजपा के तेजतरार प्रवक्ताओं के स्तर का था। हकीकत यह है कि देश की आम जनता भी राहुल गांधी के बयानों को जरा सी भी महत्व नहीं देती है। फिर क्या कारण रहा कि स्वयं ंप्रधानमंत्री मोदी को राहुल गांधी के इस बयान  के विरोध करने के लिये आगे आना पडा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मार्च रविवार को कर्नाटक के हुबली-धारवाड़ में 16000करोड रूपये लागत की कई विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास समारोह में अपने संबोधन में राहुल गांधी व कांग्रेस का नाम न लेते हुये दोनों पर जम कर प्रहार करते हुये कहा कि लंदन से भारत पर टिप्पणी करने वालों का समर्थन न करें. भारत सिर्फ सबसे बड़ा लोकतंत्र नहीं है, यह लोकतंत्र की जननी है. ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि लंदन में भारत के लोकतंत्र पर सवाल … कुछ लोग लगातार भारत के लोकतंत्र पर सवाल उठा रहे हैं. दुनिया की कोई ताकत भारत के लोकतंत्र को नुकसान नहीं पहुंचा सकती. भगवान बसवेश्वर, कर्नाटक के लोगों ऐसे लोगों से दूर रहना चाहिए। एक प्र्रकार से प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा की रणनीति का शंखनाद कर दिया कि वे राहुल गांधी, कांग्रेस सहित विपक्ष को अब मुंहतोड प्रहार करेंगे। प्रधानमंत्री से साफ संकेत मिलते ही भाजपा गठबंधन ने इसको अगलीजामा पहना दिया।  इसके बाद अगले ही दिन 13 मार्च को संसद के सत्र का प्रारम्भ होते ही राहुल गांधी के विरोध की सरकारी पक्ष की कमान राजनाथ सिंह जैसे दिग्गज नेता को संभालनी पड़ी। इससे साफ हो गया कि भाजपा इस मामले पर आरपार की जंग लडनी चाहती है।
बजट सत्र में मोदी सरकार जिस प्रकार से अडानी प्रकरण में बुरी तरह घिर गयी थी, मोदी सरकार पर अडानी के नाम पर हो रहे विपक्ष के चैतरफा प्रहार से स्वयं प्रधानमंत्री मोदी व भाजपा के चाणाक्य अमित शाह भी असहज हो गये। जिस प्रकार से विपक्ष अडाणी मामले में संयुक्त संसदीय समिति के गठन की मांग पुरजोर मांग कर रही थी व सर्वोच्च न्यायालय ने इस अडाणी मामले में एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त कर दी। इससे मोदी सरकार असहज सी हो गयी। आम जनता भी इस मामले में एक सवाल कर रही है कि जब बोफर्स आदि घोटाले के समय भी संयुक्त संसदीय जांच समिति के गठन की मांग भाजपा ने विपक्ष में रहते हुये की। तो अब अडाणी प्रकरण में सरकार क्यों संयुक्त संसदीय समिति के गठन से कतरा रही है, जबकि उस समिति में भी भाजपा गठबंधन का ही बर्चस्व होगा। इस सभी भंवरों में घिरी भाजपा आशंकित थी कि  बजट सत्र के दूसरे चरण में भी विपक्ष फिर से अडाणी मामले व विपक्षी नेताओं पर कार्यवाही के नाम पर आक्रमक  हो कर कहीं भाजपा पर भारी न पडे। इसी से उबरने के लिए मोदी सरकार के लिये भाजपा के संकट मोचकों को राहुल गांधी का लंदन में दिया गया बयान ही तारणहार लगा। भाजपा ने इस बयान को राष्ट्रवाद की चासनी में लपेट कर ऐसा प्रचण्ड विरोध किया कि आम जनमानस को भी लगा कि राहुल गांधी ने बहुत ही देश के खिलाफ काम कर दिया है। जबकि ऐसा बयान सामान्य सा है। विरोधी दल ऐसा आरोप सत्तारूढ दल पर सदा लगाते रहते है। हकीकत यह होता है कि देश की राजनैतिक दलों को देश व आम जनता के हितों के लिये काम करना तो रहा दूर सोचने तक की फुर्सत नहीं होती है। ये देशहित व जनता की बाते केवल अपने विरोधियों पर आरोप लगाते हुये करते है। अगर इनको देश की जनता व लोकशाही के प्रति जरा सा भी प्रेम होता तो अंग्रेजों के जाने के 75 साल बाद भी देश अपने नाम व अपनी भाषाओं के साथ इतिहास से वंचित रहता। देश में आज भी अंग्रेजों द्वारा थोपा नाम इंडिया व उनकी ही भाषा अंग्रेजी का शासन है। यहां मानक शिक्षा, रोजगार, न्याय व शासन सम्मान सब फिरंगी भाषा अंग्रेजी के चरणों में है। देश की आम जनता शिक्षा, चिकित्सा, न्याय व शासन से कोसों दूर है। जनता मंहगाई, बेरोजगारी,भ्रष्टाचार, आतंकवाद व कुशासन से त्रस्त है। देश की सुरक्षा चीन, पाकिस्तान के अलावा नाटों के गूर्गो से पंजाब से कश्मीर के अलावा दिल्ली उतराखण्ड में भी मर्माहित है।  जनता को इन सबसे ध्यान हटाने के लिये सत्तारूढ दल व विपक्ष नूरा कुश्ती कर जनता के जज्वातों से खिलवाड करते है।
मोदी सरकार इस समय अपनी पूरी ताकत 2023 में होने वाले कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में फतह दर्ज करने के साथ 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर ही केंद्रीत है। इसी में विपक्ष को चारों खाने चित करने के लिये भाजपा ने जहां साम दाम दण्ड भेद की चाणाक्य नीति पर अमल करते हुये तमाम मजबूत विरोधी नेताओं की कमजोर नस भ्रष्टाचार पर सीबीआई व प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी का चैतरफा हमला कर दिया है। इन हमलों से कांग्रेस के राहुल, सोनिया पहले से पीडित है। वहीं अब दिल्ली पंजाब मे सत्तारूढ केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के दूसरे नम्बर के बडे नेता व केजरीवाल के सबसे करीबी राजदार मनीष सिसौदिया को तिहाड में बंद कर दिया। जहां पहले से केजरी सरकार के पूर्व जेल मंत्री जैन विराजमान है। मनीष के बाद दिल्ली  में केजरीवाल व संजय सिंह के अलावा पंजाब के कई नेताओं पर गाज गिरने की अटकले लगने से आप में भगदड मचने की आशंका हे। इसके साथ बिहार में भाजपा की राह का सबसे बडा कांटा बने लाल यादव के कुनबे को जिस प्रकार से वर्षो पहले के रेलवे में नोकरी के बदले जमीन हडपने के मामले में प्रचण्ड छापामारी चल रही है। इससे लगता है कि 2024 से पहले ही भाजपा बिहार में अपने राह के सबसे बडे कांटों को कानून के शिकंजे में जकड देगी। यह देख कर उप्र के मुलायम परिवार व माया परिवार भी आशंकित है। तेलांगाना के मुख्यमंत्री की सांसद पुत्री पर भी मनीष की तरह शराब घोटाले के करोड़ों की रिश्वत के मामले का शिकंजा कभी भी कस सकता हे। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे से शिवसेना व सत्ता जिस प्रकार से भाजपा ने छीन ली, उसी से सहम कर राजनीति के मराठा क्षत्रप शरद पवार ने पूर्वोतर में भाजपा गठबंधन को समर्थन दे कर एक प्रकार मित्रता निभाने का संकेत दे दिया। इससे साफ हो गया कि महाराष्ट्र में भी अब आगामी चुनावी राजनीति में भाजपा, पवार के सहयोग से  कांग्रेस व उद्धव के मंसूबों पर पानी फेर देगी। इसके अलावा आंध्र में भी कांग्रेस के एक दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्री को भाजपा कभी भी अपने पाले में ला सकती हे। वह भी पंजाब के अमरेंद्र सिंह व कश्मीर के गुलाम नबी की तर्ज पर कांग्रेस से इस्तीफा दे कर भाजपा के दामन कभी भी थाम सकते हैं। बंगाल में भी भाजपा ने ममता बनर्जी को इसी शर्त पर अभयदान देने का आश्वासन दिया है कि वह कांग्रेस के साथ विपक्षी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी। यही शर्त अन्य दलों के लिये भी रहेगी। इस प्रकार से भाजपा ने अपनी रणनीति बना ली। इसी के तहत जनता की नजरों में कांग्रेस को खलनायक बनाने के लिये भाजपा ने एक बार फिर राहुल गांधी पर प्रहार करने की रणनीति का मोहरा बनाया। जिसमें भाजपा सफल हो रही है। जनता की नजरों में अडाणी, आदि मामले हटाने के लिये राहुल गांधी से बेहतर कोई दूसरा मोहरा हो नहीं सकता। इसी लिये भाजपा ने अब सुरक्षात्मक के बजाय आक्रामक रणनीति अपना कर अचानक राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल कर विपक्ष को चारों खाने चित्त करने का पाशा फैंका।
उल्लेखनीय है कि आज जैसे ही होली के अवकाश के बाद बजट सत्र के दूसरे चरण के प्रथम दिवस की संसद की कार्यवाही प्रारम्भ होते ही जिस प्रकार से सत्तारूढ राजग गठबंधन ने विपक्षी सांसद राहुल गांधी के द्वारा विदेश में दिये भाषणों को भारत की लोकशाही का अपमान करने का निंदनीय कृत्य बताते हुये उनसे सदन में देश से माफी मांगने की पुरजोर मांग की। सत्तारूढ राजग गठबंधन के वरिष्ठ नेता व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व कबीना मंत्री पीयूष गोयल ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को घेरने की जैसे यह कमान संभाली सत्तारूढ भाजपा व उसके गठबंधन के अधिकांश सांसदों ने राहुल गांधी माफी मांगो ,पप्पू को सद्बुद्धि दे के जोरदार नारे लगा कर संसद का माहौल जहां गर्मा दिया वहीं सत्तारूढ दल का नजरिया साफ कर दिया। सत्तापक्ष के  आक्रामक तैवरों को देख कर विपक्ष भी  ‘मोदी अडानी भाई-भाई और वी वांट जेपीसी’ की जवाबी नारेबाजी करने लगे। इससे लोकसभा व राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिये स्थगित कर दी गयी। परन्तु जब 2 बजे सदन की कार्यवाही फिर शुरू फिर सत्तापक्ष व विपक्ष दोनों अपनी बातों पर नारेबाजी करते रहे। यह देख कर दोनों सदन की कार्यवाही 14 मार्च 11 बजे तक के लिये स्थगित कर दी गयी। यह क्रम 16 मार्च की 2 बजे तक जारी है।  देखना यह है कि भाजपा के रणनीति कार राहुल गांधी की सदस्यता रद्द कराने पर जोर देते है या इस विरोध को बजट सत्र तक के लिये प्रतीकात्मक रखते है। 7 फरवरी को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कई आरोप लग…उनके पक्ष में सबूत ना देने के लिए राहुल गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है।
उल्लेखनीय है कि इसी माह कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी ब्रिटेन यात्रा के दौरान एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजग सरकार पर कडे प्रहार किये। अपने भाषण में राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि मोदी के सत्तारूढ होने के बाद भारत में लोकशाही कमजोर हुई। भाजपा व उसकी मातृ संगठन संघ ने देश के लोकतंत्र के महत्वपूर्ण संस्थानों पर अपना शिकंजा कस दिया है। विपक्ष को देश व जनहित की बातों को संसद में भी नहीं रखने दिया जाता। राहुल गांधी ने देश के वर्तमान सरकार को लोकतंत्र पर ग्रहण बताया । कैम्ब्रिज में अपने संबोधन के दौरान दावा किया भारत में बड़ी संख्या में नेताओं के फोन में पेगासस था।राहुल ने कहा कि उनके फोन में भी जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस था। राहुल गांधी के इसी बयान को सत्तारूढ भाजपा देश व लोकशाही का अपमान बता कर राहुल से माफी मांगने की मांग कर रहे है।

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