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महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से इस्तीफा देने वाले भगत सिंह कोश्यारी बन सकते हैं उत्तराखंड भाजपा के खेवनहार !

 

रमेश बैस महाराष्ट्र, न्यायमूर्ति नजीर आंध्र प्रदेश व गुलाबचंद कटारिया को असम सहित अनेक राज्यपालों की गई नवनियुक्ति

देवसिंह रावत

आज जैसे ही भारत के राष्ट्रपति ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का इस्तीफा स्वीकार किया वैसे ही उत्तराखंड व देश के राजनीतिक हलकों में इन चर्चाओं को पंख लग गया कि 2024 लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड में भी भाजपा को प्रचंड बहुमत दिलाने के लिए भगत सिंह कोश्यारी कहीं फिर भाजपा के खेवनहार बना सकते हैं। उत्तराखंड में भाजपा की दिन-प्रतिदिन हो रही दयनीय स्थिति को देखते हुए भगत सिंह कोश्यारी को मोदी की उम्र की लक्ष्मण रेखा में छूट दी जा सकती है।

भारत छोड़ो आंदोलन के साल 1942 में अल्मोड़ा उत्तराखंड में जन्मे भगत सिंह कोश्यारी जहां संघ के समर्पित प्रचारक रहे वहीं उत्तराखंड के टिकट भाजपा नेता होने के साथ 30 अक्टूबर 2001 – 1 मार्च 2002 तक भाजपा के तारणहार के रूप में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का दायित्व भी निर्वाह कर चुके हैं। हालांकि 2002 की विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सफलता नहीं मिली क्योंकि उत्तराखंड का जनमानस भाजपा आला नेतृत्व द्वारा थोपे गए नित्यानंद स्वामी को दिल से स्वीकार नहीं कर पाया था। उसे यह भाजपा की हिमालई भूल व अपने साथ छल लग रहा था, आहत जनता की जन भावनाओं पर अल्पकाल के लिए मुख्यमंत्री बने भगत सिंह कोश्यारी भी मरहम नहीं लगा पाये। उसके बाद भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली नेतृत्व में उत्तराखंड की सभी जन नेतृत्व को नकारते हुए पुनः धूप साईं चलाई जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी राज्य गठन के बावजूद उत्तराखंड में आशातीत सफलता अर्जित नहीं कर पाई। हालांकि उत्तराखंड में सरकार बनाने में भाजपा सफल रही परंतु खंडूरी निशंक जैसे मुख्यमंत्री थोपने के कारण उत्तराखंड की जनता ने कांग्रेस को भी समय-समय पर यहां सत्तासीन किया परंतु कांग्रेस की औलाद नेतृत्व ने भी भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की तरह भूल कर के यहां जनादेश व जन आकांक्षाओं को निर्ममता से रौंदा। यह छल आज तक भी निरंतर भाजपा और कांग्रेस के द्वारा किया जा रहा है। वर्तमान मुख्यमंत्री धामी भी मोदी के नाम से प्रचंड बहुमत मिलने के बावजूद उत्तराखंड की जन भावनाओं व जन आकांक्षाओं पर मरहम लगाने में असफल रहे। राजधानी गैरसैंण का मामला हो या भू कानून मूल निवास, मुजफ्फरनगर कांड जनसंख्या पर आधारित विधानसभा परिसीमन, युवाओं को रोजगार प्रदेश की सरकारी नौकरियों में धांधली व बंदरबांट, हल्द्वानी देहरादून सहित प्रदेश में अवैध घुसपैठ व बसावट, अंकिता भंडारी हत्याकांड व देहरादून में बेरोजगार युवाओं पर पुलिसिया दमन प्रदेश भाजपा सरकार की विफलता की कहानियां लोगों के दिल और दिमाग में फूल की तरह चुभ रही है। लोग भाजपा के आला नेतृत्व मोदी से केवल यही सवाल कर रहे हैं क्या यही डबल इंजन की सरकार है क्या इसी के लिए भारतीय जनता पार्टी और मोदी को लोगों ने जनादेश दिया? भारत में चुनावी राजनीति में महारत हासिल करने वाली भाजपा व रणनीतिकार अमित शाह भले ही राजनीतिक तिकड़म से सुनाओ जीतने की हुंकार भरे, परंतु बार-बार छले गया उत्तराखंड का जनमानस हिमाचल की तर्ज पर 2024 में उत्तराखंड के साथ देश की विभिन्न 3 दर्जन से अधिक लोकसभा सीटों पर भाजपा को सबक सिखा सकता है। इसी आशंका को देखते हुए भाजपा के रणनीतिकार उत्तराखंड में ना चाहते हुए भी नेतृत्व परिवर्तन करने के लिए मजबूर हैं। क्योंकि उनके पास इस आपात स्थिति में भगत सिंह कोश्यारी व महाराज के अलावा अन्य कोई अनुभवी व बेदाग नेता नहीं है। भगत सिंह कोश्यारी महाराष्ट्र की तरह उत्तराखंड में भी भाजपा को इस चुनावी आकाश की तारणहार बन सकते हैं।
गत माही भगत सिंह कोश्यारी द्वारा राज्यपाल के पद से मुक्त करने की जैसे ही केंद्रीय नेतृत्व से गुहार लगाई तभी से इस इन अटकलों को पंख लग गया था।
उल्लेखनीय है कि आज 12 फरवरी 2023 को प्रातः काल राष्ट्रपति ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का इस्तीफा मंजूर करने के साथ अनेक राज्यों में नए राज्यपालों की नियुक्ति की और अनेक राज्यपालों का इस्तीफा मंजूर किया। श्री कोश्यारी 5 सितंबर 2019 से महाराष्ट्र के राज्यपाल पद पर आसीन रहे। उनके कार्यकाल के दौरान महाराष्ट्र में राजनीतिक जगत में भारी उठापटक भी हुई व अनेक बयानों से विवादों में घिरे रहे। भगत सिंह कोश्यारी अपनी सादगी व संघ समर्पित होने के कारण आलाकमान और जनता में लोकप्रिय है।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति मुर्मू ने महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में भगत सिंह कोश्यारी का इस्तीफा स्वीकार कर रमेश बैस को महाराष्ट्र का नया राज्यपाल नियुक्त किया। इसके साथ नए राज्यपालों की नियुक्ति व पुराने राज्यपालों की इस्तीफा स्वीकार किया किया। इसके तहत न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एस अब्दुल नज़ीर को आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया। आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल नियुक्त किया गया। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके को मणिपुर का राज्यपाल नियुक्त किया गया।

मणिपुर के राज्यपाल ला गणेशन को नागालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। बिहार के राज्यपाल फागू चौहान को मेघालय का राज्यपाल नियुक्त किया गया। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया।
राष्ट्रपति मुर्मू ने लद्दाख के उपराज्यपाल के रूप में राधा कृष्णन माथुर का इस्तीफा स्वीकार किया, ब्रिगेडियर। (डॉ.) बीडी मिश्रा (सेवानिवृत्त), अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल को लद्दाख का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया।

लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिविक्रम परनाइक को अरुणाचल प्रदेश का राज्यपाल, लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को सिक्किम का राज्यपाल, सीपी राधाकृष्णन को झारखंड का राज्यपाल, गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल और शिव प्रताप शुक्ला को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है।

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