खेल देश

भारतीय कुश्ती महासंघ पर चल रहा दंगल, यौन उत्पीडन का मामला है या संघ पर बर्चस्व  की जंग?

खेल संगठनों में नेताओं व उनके परिजनों का क्या काम, खेल को खिलाडियों के हाथों सोंपे राजनेता

देवसिंह रावत

भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष सांसद बृजभूषण शरण पर महिला पहलवानों के प्रचण्ड आरोपों से बुरी तरह से घिर गये है। हालांकि इन तमाम आरोपों से घिरने के बाबजूद सांसद बृजभूषण शरण अपने पद से इस्तीफा न देने का ऐलान करके अपने विरोधियों को साफ संदेश दे दिया कि वे हार नहीं मानने वाले है। इन्हीं आरोपों से खुद को पाक साफ करने के लिये 22 जनवरी 2023 को  अयोध्या में भारतीय कुश्ती महासंघ की बैठक का आयोजन किया गया है। परंतु खेल मंत्रालय ने इस बैठक पर प्रतिबंध लगा दिया है ।जब तक जांच रिपोर्ट नहीं आती तब तक इस प्रकार की किसी भी बैठक का आयोजन नहीं किया जाएगा। वहीं खेल मंत्रालय ने महासंघ के  अध्यक्ष समर्थक  सहायक सचिव  विनोद तोमर को बर्खास्त कर दिया है।
दूसरी तरफ आंदोलनकारी खिलाडियों के साथ हुई दो दिन की बैठक के बाद भारतीय ओलंपिक संघ ने इन तमाम आरोपों की जांच करने के लिये एक 7 सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है। यह जांच समिति 4 सप्ताह के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंप देगी।
इस कमेटी की रिपोर्ट आने तक भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ने भी खुद को महासंघ से दूर रखने का ऐलान किया। इसके बाद आंदोलनरत खिलाडियों ने अपना जंतर मंतर पर तीन दिन से चल रहा धरना स्थगित कर दिया। खिलाडियों के तमाम आरोपों की जांच करने के लिये भारतीय ओलम्पिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा, संयुक्त सचिव कल्याण चौबे, विश्व विख्यात निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने भाग लिया। उल्लेखनीय है कि  आंदोलनरत पहलवानों ने भारतीय ओलंपिक संघ से भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण के खिलाफ लगाये गये यौन आरोपों की जांच के लिये गुहार लगाई थी। इसी मांग पर भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा गठित 7 सदस्यीय कमेटी में विश्व विख्यात मुक्केबाज एमसी मैरीकाॅम, पहलवान योगेश्वर दत्त,तीरंदाज डोला बनर्जी, भारतीय भारोत्तोलन महासंघ के अध्यक्ष सहदेव यादव होंगे। आंदोलनरत पहलवानों ने महासंघ के अध्यक्ष का हटाने व महासंघ को भंग करके पहलवानों के साथ सलाह मशविरा करके राष्ट्रीय महासंघ के लिये एक नई समिति का गठन करने की भी मांग की। इसके साथ खेल मंत्री ने महासंघ के अध्यक्ष से किसी प्रकार की बयानबाजी से बचने को कहा। इसी के बाद महासंघ के अध्यक्ष सांसद बृजभूषण ने प्रेस कांफ्रेंस नहीं की। उनकी जगह उनके बेटे ने कहा कि महासंघ की महासभा की बैठक 22 जनवरी को अयोध्या में होगी उसी दिन महासंघ के अध्यक्ष सभी आरोपों का जवाब भी देंगे। वहीं महासंघ ने सरकार द्वारा 72 घण्टे के अंदर महिला पहलवानों द्वारा महासंघ के अध्यक्ष पर लगाये गये आरोपों का समय रहते जवाब दिया। अपने जवाब में महासंघ ने तमाम आरोपों को सिरे से नकारते हुये कहा कि महासंघ ने अपने अध्यक्ष बृजभूषण  सिंह के खिलाफ यौन उत्पीडन सहित सभी आरोपों को नकारते हुये कहा कि संघ में तानाशाही, मनमानी व कुप्रबंधन को कोई स्थान नहीं है। संघ   ने पहलवानों को बेहतर से बेहतर माहोल दिया। इसी के चलते कुश्ती में अंतरराष्ट्रीय जगत में खेल व देश की  छवि बढ़ी। इसका सारा श्रेय संघ के अध्यक्ष व संघ की टीम के समर्पण व निष्पक्षता के साथ कुशल प्रबंधन से ही हुआ। जो लोग इसके बाबजूद आरोप लगा रहे हैं वे अपने व्यक्तिगत हितों व किसी के दवाब में यह कार्य कर रहे हैं। वहीं बृजभूषण के समर्थक  तर्क दे रहे हैं कि यह मामला यौन उत्पीडन व कुप्रंबंधन का न हो कर बर्चस्व का है। बृजभूषण ने कुश्ती को अखिल भारतीय स्वरूप दिया। वहीं कुछ लोगों को यह हजम नहीं हो रहा  है। इसलिये यह विवाद हो रहा है। सरकार भी इस मामले में बहुत सावधानी से कार्य कर रही है। अन्यथा मामला सीधा रहता तो अब तक संघ के अध्यक्ष को इस्तीफा देने के लिये सरकार मजबूर भी कर सकती थी।

खेल मंत्रालय ने भी इस विवाद से उबरने के लिये महासंघ से तुरंत अपना पक्ष रखने का फरमान जारी कर दिया है। हालांकि अध्यक्ष सांसद बृजभूषण ने उस पर लगे तमाम आरोपों को सिरे से नक्कार दिया है।  सबसे चैंकाने वाली बात यह है कि कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भी केंद्रीय सरकार में सत्तासीन भाजपा के सांसद है। भले ही उन पर आरोप महिला खिलाडियों के यौन शोषण का लग रहा हों। पर खेल के समीक्षकों का यह विवाद खेल संघों में बर्चस्व की जंग के साथ खेल में राजनेताओं से मुक्ति का खिलाडियों की वर्षों पुरानी जंग का हिस्सा ही लग रहा है। जिस प्रकार से यह मामला उठा उससे पूरे देश विदेश में भारत के खेल संगठन कटघरे में घिर गये है। आम जनता का पहला सवाल यह है कि खेल संगठनों में राजनेताओं व उनके परिजनों का क्या काम है? राजनेता देश प्रदेश की समस्याओं का निदान तो कर नहीं पा रहे हैं। वे खेल संगठनों में लोकप्रियता व अथाह धन सम्पदा पर नजर गाडने की मंशा से इन खेल संगठनों में कुण्डली मार कर बेठ जाते हैं। जिससे खेल का भी राजनीतिकरण कर भट्टा गोल कर देते है। इसी कारण देश में खेल प्रतिभाओं को उचित अवसर, प्रशिक्षण  नहीं मिलता। जिससे संसार की आबादी का सातवें हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाला भारत विश्व  खेल प्रतियोगिताओं में दसवें स्थान पर भी नहीं पंहुच पाता है।
कुश्ती महासंघ ही नहीं देश के अधिकांश खेल संगठन पर राजनेताओं व उनके परिजनों-प्यादों शिकंजे में है। वर्तमान में देश की नजरों में कटघरे में घिरे भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण  शरण सन 2011 से लगातार तीन बार अध्यक्ष है।उप्र के गौंडा जनपद के कैसरगंज सीट से छह बार सांसद है। पहलवानी का शोक रखने वाले बृजभूषण टाडा से जुडे  मामले में जेल यात्री भी रहे। जेल यात्री होने के समय उनकी पत्नी केतकी सिंह उनकी वारिस रही। यही नहीं उनके दो बेटों में एक बेटा प्रतीक भूषण गोंडा से भाजपा के विधायक भी हैं। क्रिकेट हो या हाकी,कुश्ती, बैडमिंटन,रायफल्स, तीरंदाजी, टेबल टेनिस सहित अधिकांश खेलों पर राजनेता कुण्डली मारे बेठे हैं। भारत का सबसे लोकप्रिय व शक्तिशाली खेल  क्रिकेट में इस समय भाजपा के चाणाक्य समझे जाने वाले अमित शाह का बेटा सरताज है। इससे पहले इसमें देश के सबसे रहस्यमय व शक्तिशाली राजनेता शरद पवार, भाजपा के शीर्ष नेता अरूण जेटली, भी रहे। वहीं जगमोहन डालमिया व भारतीय क्रिकेट को विश्व में सबसे शक्तिशाली बनाने वाले ललित मोदी भी है। पत्रकारिता में भले ही कोई कीर्तिमान स्थापित करने में विफल रहे  कांग्रेस के नेता राजीव शुक्ला तो कांग्रेस राज के सूर्यास्त के बाद आज भी क्रिकेट में अपना परचम लहरा रहे है। टेबल टेेनिस में हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चैटाला की पत्नी अध्यक्ष है। रायफल्स में अमरेंद्र परिवार, बेडमिटन में असम के मुख्यमंत्री हिमंता सरमा, तीरंदाजी में भाजपा नेता अर्जुन मुंडा, हाकी में बीजू जद के पूर्व सांसद हाकी खिलाडी दिलीप टिर्की,  वहीं उप्र के राजनेता तो महिला खिलाडी प्रकरण में आकंठ घिरे रहे।

उल्लेखनीय है कि संसद की चैखट जंतर मंतर पर कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों ने दो दिनों से मोर्चा ही खोल दिया। 18 जनवरी को भीड़ कम थी पर 19 फरवरी को दो सो से अधिक देश विदेश के बडे पत्रकार घरानों से जुडे सैकडों पत्रकार व बडी संख्या में खिलाडियों का ऐसा जमघट लगा था जो दामनी आंदोलन व अन्ना आंदोलन का सा मजमा फिर से जंतर मंतर पर लगने लगा। इसमें देश की बडी महिला पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष सांसद बृजभूषण पर महिला पहलवानों को यौन शोषण का आरोप लगाते हुये सरकार से तत्काल भारतीय कुश्ती महासंघ को भंग करने की मांग की।
खिलाडियों की मांग है कि कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष तत्काल इस्तीफा दे। उन्होने एक स्वर में भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पर तानाशाह,खिलाडियों के लिये प्रायोजक, अच्छे प्रशिक्षक,  खेल प्रतियोगिताओं का निर्धार्रण व खिलाडियों में खेल भावना का प्रोत्साहन करने में नितांत असफल रहे।
एशिया प्रतियोगिता की स्वर्ण पदक विजेता अंशु मलिक ने दावा किया कि वे अपने कमरे का दरवाजा खोल कर रखते थे। जबकि फेडरेशन का कोई भी सदस्य खिलाडियों वाले होटलों में नहीं ठहर सकता। जबकि जजूनियर विश्व प्रतियोगिता में होटल के उसी तल में रूके हुये थे जिस पर जूनियर लडकियां रूकी हुई थी। साथ ही वह सामने वाले कमरे में थे। यह महिला खिलाडियों ें को असहज स्थिति होती थी।  अशु मलिक जंतर मंतर पर देश के नामी पहलवानों द्वारा जंतर मंतर पर आयोजित विरोध प्रदर्शन को संबोधित कर रही थी। उल्लेखनीय है कि इस विरोध धरने में ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक, विश्व पदक विजेता अंशु मलिक, सरिता मोर व जूनियर विश्व चैंपियन सोनम मलिक ने इसमें भाग लिया। सभी पहलवान दो दिन से चल रहे इस विरोध प्रदर्शन में भाग  ले रहे थे।
वहीं जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुला ने भारतीय कुश्ती के खिलाडियों की मांग व प्रदर्शन को देखते हुये सरकार को देश की इज्जत बचाने के लिये तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिये। यह प्रकरण हमारे देश की कीर्ति को दागदार बना रहा है।
महासंघ के अध्यक्ष पर विनेश फोगाट ने रोते हुये यह आरोप लगाया कि बृजभूषण ने कई वर्षो से महिला पहलवानों का यौन शोषण किया।  उन्होने दावा किया कि लखनऊ में राष्ट्रीय शिविर में कई कोच ने भी महिला पहलवानों का शोषण किया। उन्होने कहा कि शिविर में कुछ महिलायें है जो महासंघ के अध्यक्ष के कहने पर पहलवानों से संपर्क करती है।
वहीं पहलवानों में धरने का समर्थन करने आयी राष्ट्र मंडल पदक विजेता भाजपा  नेत्री बबीता फोगाट ने भारतीय कुश्ती महासंघ को भंग करने की मांग का समर्थन करते हुये कहा कि मैं इसका हल निकालने की हर संभव कोशिश करूंगी। मैं राजनेता बाद में हॅू पहलवान पहले हूँ।

अब देखना यह है कि भारतीय ओलंपिक ओलंपिक संघ द्वारा बनाई गई जांच कमेटी की रिपोर्ट व भारतीय कुश्ती महासंघ की महासभा की बैठक में क्या गुल खिलाता है?

जिस ढंग से आंदोलनकारी खिलाड़ी कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के इस्तीफे की मांग पर डटे हैं और  कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के साथ पूरा महासंघ एक खड़ा है उसी देखकर नहीं लगता है कि इस मामले में कहीं आर पार वाला फैसला होने वाला है। यह मामला केवल कुश्ती महासंघ तक नहीं जाएगा आपक तो भारत की सभी खेल महासंघ भी इसकी तपन से जरूर प्रभावित होंगे। इसलिए यह मामला जितना सरल नजर आ रहा है इतना सरल और सहज नहीं है ।इस मामले में कहीं ना कहीं वर्चस्व की जंग भी नजर आ रही है । इस समस्या का समाधान होगा या समिति का गठन करके इसकी तपन कम करने का सरकारी एक हथकंडा होगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा। इसी के साथ कि हरियाणा प्रदेश कुश्ती खेल महासंघ के अध्यक्ष ने महा संघ के केंद्रीय अध्यक्ष भूषण शरण का खुला समर्थन करके प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों पर मिथ्या आरोप लगाने की बात कही। इसके साथ महासंघ के अध्यक्ष की तरफ से इस पूरे प्रकरण के लिए हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेसी नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनके बेटे पर निशाना साधा।

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