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भारत व भारतीयों के आराध्यों का घोर अपमान शताब्दियों से करने वाले गुनाहगारों को सजा कब देगी मोदी सरकार?

 

भारत के आगे शेर बनने वाले अरब देश चीन के घोर अत्याचार आगे मेमना क्यों बने है?

किसी भी संप्रदाय के आराध्यों  का अपमान नहीं किया जाना चाहिए।

देव सिंह रावत

आज सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या मोदी सरकार जिसने अरब देशों के दबाव में आकर इस्लाम के तथाकथित अपमान करने वाले अपने दो प्रवक्ताओं को तो दंडित कर दिया, वह शताब्दियों से भारत व भारत व आराध्यों का अपमान करने वाले औरंगजेब आदि आक्रांताओं के गुनाहों का समर्थन करने वाले हैवानों (जिन्होंने काशी में भगवान शिव के ज्ञानवापी मंदिर व भगवान श्री कृष्ण जी की जन्मस्थली मथुरा में भगवानों के पावन पूजा स्थल को निरंतर कब्जा बरकरार कर अपमानित कर रहे हैं) को भी दंडित करने का साहस करेंगी? जो भारत में रहकर हैवानियत के फरमान जारी करते हैं इन पर अंकुश क्यों नहीं लगा रही है सरकार? अभिव्यक्ति के पैरोकार  पत्रकार वह तथाकथित बुद्धिजीवी अब मौन क्यों हैं?
इसके साथ कतर, सऊदी अरब व ईरान आदि अरब जगत को इस सच्चाई से अवगत करा कर उनको भारत के अंदरुनी मामले में दखल देने की कड़ी चेतावनी देखकर भारत के सम्मान बचायेगी? क्या भारत सरकार व न्यायालय सहित लोकतांत्रिक स्तंभों को जो दिखाई नहीं दे रहा है कि किस प्रकार ज्ञानवापी में भगवान शिव शंकर का अपमान निरंतर किया जा रहा है ? क्या यहां अपमान तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों व पत्रकारों की तरह भारतीय जनता पार्टी व मोदी सरकार को भी नहीं दिखाई दे रहा है।

ऐसी ही शर्मनाक हालत मथुरा आदि की भी है। जब तक भारत सरकार मजबूती से इस पक्ष को सामने नहीं रखेगी तब तक देश में छिपे आस्तीन के सांप जो भारत विरोधी तत्वों के टुकड़ों पर पलकर भारत को बदनाम करना चाहते हैं और देश की छवि को पूरे विश्व में धूमिल करते रहेंगे। यह वही ताकते हैं जो कभी भारत एक देश नहीं था ,भगवान राम का क्या अस्तित्व ? देश के संसाधनों में अल्पसंख्यकों का पहला हक, कहने वाले व आतंकवादियों की पैरवी करने वाले लोग अब देश में लोकशाही के ध्वजवाहक बनकर भारत की छवि विश्व में धूमिल होने के नाम पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं।
रही बात खाड़ी देशों की इस मामले में हमारा साथ नजरिया है कि जो देश वह उनका संगठन विश्व इस्लामिक संगठन पहले से ही भारत विरोधी रहा हो। जिनका इस्लाम से कोई दूर-दूर का वास्ता नहीं । ये केवल मोहम्मद साहब का अपमान के नाम पर भारत को धमका कर पाकिस्तान को खुश करने का कृत्य कर रहे हैं।
अगर इन्हें इस्लाम से रत्ती भर भी लगाव रहता तो ये भारत के मुस्लिम समाज से खुली अपील करते कि इस्लाम में दूसरे मजहब के इबादत स्थलों को बलात ध्वस्त करके मस्जिद बनाने की इजाजत कुरान नहीं देती है। इसलिए इन स्थानों पर नमाज व मस्जिद नापाक है इसलिए इंसानों को उनके स्वामियों को सौंप दिया जाय।
भारत सरकार द्वारा सच्चाई न बताए जाने के कारण हो सकता है अरब देशों ने अज्ञानता में भारत का विरोध किया हो। परंतु इस बात से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि अरब देशों की प्राथमिकता इस्लाम नहीं अपितु अपना वर्चस्व है। जिसे वह इस्लामिक देशों के संगठन के दबाव में दूसरे कमजोर देशों पर डालकर अपना उल्लू सीधा करते हैं। अगर इस्लाम से इनका रत्ती भर भी वास्ता रहता तो अरब देश व उनका इस्लामिक संगठन कभी भी विश्व में दूसरे नंबर के अधिक मुस्लिम आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले देश भारत से अपने संबंध यों खराब नहीं करते। जहां तक कतर का प्रश्न है उसने हमेशा भारत के खिलाफ कट्टरपंथियों को शह दी। टर्की का प्रश्न है उसने हमेशा पाकिस्तान के साथ गलबहियां कर भारत के खिलाफ कश्मीर मुद्दे पर विश्व मंच में जहर उगला वही अभी हाल में भारत के गेहूं को खाने अयोग्य बताते हुए उसने विश्व में भारत को संसार करने की नापाक कृत्य किया।
अरब देश को इस्लामिक संगठन को अगर इस्लाम की रत्ती भर चिंता होती तो वे चीन के आगे मैंमना नहीं बनते। जो चीन अपने दो करोड़ से अधिक मुस्लिम आबादी के मानवाधिकार व धार्मिक अधिकार से वंचित किए हुए हैं परंतु क्या मजाल है कि उसका प्यादा बने पाकिस्तान व इस्लामिक संगठन कभी ऐसी ऊंची आवाज में चीन को चेतावनी देने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाया। उल्लेखनीय है कि अमेरिका सहित पश्चिमी देश निरंतर इस बात के लिए चीन की आलोचना कर रहे हैं कि चीन के शिंजियांग प्रांत में एक करोड़ से अधिक वीगर मुस्लिमों पर लंबी दाढ़ी रखने, कुरान रखना, पांच वक्त की नमाज पढ़ने, पर्दा करने पर पाबंदी लगा रखी है। उन मुस्लिमों की जनसंख्या परिवर्तन, व्यापक नरसंहार ,अवैध हिरासत में रखना, नसबंदी, दुराचार व पुनः शिक्षा शिविरों में रखने के साथ अनिश्चित काल तक हिरासत में रखा जाता है। भले ही चीन इन आरोपों को नकारता रहा हो। परंतु इन आरोपों में सच्चाई झलकती है कि 10 लाख से अधिक मुस्लिम चीन की जेलों में इस तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट के भागीदार होने के कारण यंत्रणा खेल रहे हैं। पर चीन के आगे मैंमना बने इस्लामिक देश व उनका इस्लामिक संगठन चीन से इस बात का प्रश्न उठाने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाता है ।क्योंकि चीन में कोई राजनीति तुष्टीकरण के लिए नहीं होती है। वहां चीन के हित सर्वोपरि है। चीन इन खाड़ी देशों का पिछलग्गू भी नही है।खाड़ी देशों को चीन की जरूरत है। क्योंकि अमेरिका द्वारा खाड़ी देशों में व्यापक दमन और शोषण करने से त्रस्त खाड़ी देश अब चीन की तरफ सुरक्षा की दृष्टि से नजर गड़ाए हुए हैं।
हालांकि खाड़ी देशों का भारत से संबंध व्यापारिक व सामाजिक चीन से अधिक है। भारत में ऐसी मजबूत सरकारें नहीं रहे हैं जो खाड़ी देशों को भारतीय लोकशाही का आईना दिखाने की हिम्मत रख सके। इसीलिए अरब देश भारत पर दबाव बनाते हैं। भारत इजरायल की तरह स्वाभिमानी होता तो उस सच्चाई से अरब देशों को रूबरू करता और उनको भारत के अंदरूनी मामलों में दखल न देने की सीख भी देता।

कल भारतीय जनता पार्टी ने अपने दो प्रवक्ताओं नूपुर शर्मा व नवीन जिंदल को खबरिया चैनलों में ज्ञानवापी प्रकरण पर बहस के दौरान धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाने के आरोप में भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से 6 साल के लिए निलंबित कर दिया।
हालांकि नूपुर शर्मा ने तो इस बात के लिए खेद भी प्रकट कर लिया था। अपने स्पष्टीकरण में उन्होंने कहा कि जब हमारे आराध्य भगवान शिव शंकर का अपमान विरोधी पक्ष ने किया तो तब उन्होंने इस प्रकार की बात कही। इस प्रकार की बात से जिस की भी भावनाओं को अगर ठेस पहुंची तो वह माफी मांगती है।
हमारा भी मानना है कि बिना किसी की धार्मिक आशाओं को ठेस पहुंचाए बिना व्यक्ति को सत्य के मार्ग पर वो न्याय के पक्ष में बड़ी मजबूती से खड़ा होना चाहिए।
इस प्रकरण पर जहां राष्ट्रवादी समर्थकों ने भाजपा के इस कदम को आत्मघाती बताते हुए भाजपा को भी कांग्रेस की तरह सत्ता मद में चूर होकर अंध तुष्टिकरण के लिए भारतीय हितों व न्याय को पर वज्रपात करने का आरोप लगाया।
वहीं भारतीय आस्था और न्याय का गला घोटने वाले आक्रांताओं व जिन्ना वादी भारत द्रोहियों के कृत्यों का समर्थन करने वाले स्वयंभू धर्मनिरपेक्ष तबका इसे भारतीय जनता पार्टी का दिखावी कार्य बताते हुए दोनों निलंबित प्रवक्ताओं को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं।
यही नहीं यह तबका यह आरोप भी लगा रहा है कि भारत सरकार ने यह कदम कतर सऊदी अरब ईरान आदि खाड़ी देशों द्वारा भारत के उन देशों में स्थित राजदूत को तलब करके उन्हें भारत में शासक पार्टी के नेताओं द्वारा इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद साहब की बेअदबी करने का आरोप लगाने लगाते हुए अपनी गहरी नाराजगी प्रकट की।
उल्लेखनीय है कि भारत में अयोध्या में राम जन्मभूमि प्रकरण के बाद अब हिंदुओं ने काशी, मथुरा, कुतुब मीनार व ताज महल इत्यादि हिंदुओं के आराध्य स्थानों पर बाबर से लेकर औरंगजेब आदि मुगल आक्रांताओं ने बलात कब्जा करके वहां पर जो मस्जिदें आदि बनाई हैं उन स्थानों पर सनातन धर्मावलंबियों को सौंपने की मांग को लेकर इन स्थानों के स्थानीय न्यायालय में फरियाद की है। इसी के तहत ज्ञानवापी मस्जिद जिसे सनातन धर्मी हजारों वर्षों से ज्ञानवापी मंदिर के नाम से जानते हैं। जब इस स्थान की सच्चाई जानने के लिए न्यायालय ने सर्वे कराया तो हिंदुओं के आरोपों में सच्चाई नजर आई।
इस प्रकरण में मुस्लिम समाज को चाहिए था कि वह देश हित में न्याय व बुद्धिमता का परिचय देते हुए आक्रांता ओं के कृत्यों की निंदा करते हुए अपने हिंदू भाइयों की सदियों से आहत भावना का आदर करते हुए इंडियन सनातन धर्म के इन पावन स्थानों को प्रेम पूर्वक सॉन्ग देना चाहिए। देश के दूसरे बड़ी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने वाले मुस्लिम समाज को इस बात को सदा ध्यान में रखना चाहिए धार्मिक आधार पर पाकिस्तान बनाने की जिन्नावादियों की हैवानियत के बाबजूद देश के बहुसंख्यक समाज हिंदुओं ने मुस्लिम समाज को भारत में रहने की इजाजत दी।
इसलिए मुस्लिम समाज को भी उन तमाम कट्टरपंथ को त्याग देना चाहिए, जिसके कारण जिन्ना वादियो ने भारत के 20,00,000 निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या करके पाकिस्तान बनाया। आम भारतीय विभिन्न धर्मों की भारत में खुले दिल से सम्मान करते हैं परंतु भारत में रहकर जिन्ना वादियों की तरह भारत व भारतीयों के आराध्य व मूल्यों को दिन-रात रोदने का जो कृत्य किसी भी सूरत में भारत में जायज नहीं ठहराया जा सकता। दुर्भाग्य है कि देश की सत्ता में से सत्ता लोलुप नेताओं के हाथ में रही जिन्होंने अपनी सत्ता के लिए जिन्ना वादी ताकतों को संरक्षण देकर अंध तुष्टीकरण कर कर भारत को फिर से विनाश के गर्त में धकेल दिया।
बाबर से लेकर औरंगजेब आदि मुगल आक्रांताओं के साथ अब जिन्ना वादियो ने किया भारतीय मुसलमानों के साथ देश का अमन चैन नष्ट।

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