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हिमाचल के जन नायक व शिल्पी वीरभद्र के निधन से शोक में डूबा हिमाचल

 

परमार के बाद हिमाचल को राष्ट्र का अग्रणी राज्य बनाने वाले शिल्पी वीरभद्र, 6 बार मुख्यमंत्री 9 बार विधायक वह 5 वर्ष सांसद रहे

देव सिंह रावत

आज जुलाई 2021 को जैसे ही यह दुखद खबर आई कि परमार के बाद हिमाचल को राष्ट्र का अग्रणी राज्य बनाने वाले शिल्पी व जन नायक 87 वर्षीय वीरभद्र ने शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में बुधवार तड़के 3.40 मिनट में अंतिम सांस ली। पूर्वा हिमाचल शोक में डूब गया।

हिमाचल प्रदेश के छह बार के मुख्यमंत्री रहे और कांग्रेस के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह का शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में उपचार किया जा रहा था।
हिमाचल के शिल्पी व जननेता वीरभद्र सिंह 6 बार मुख्यमंत्री 9 बार विधायक 5 बार सांसद रहे।
हिमाचल की जन नेता वीरभद्र के निधन पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, हिमाचल के मुख्यमंत्री ठाकुर जयराम व हरियाणा व उत्तराखंड की पूर्व मुख्यमंत्री, राजस्थान व पंजाब की मुख्यमंत्री सहित देश के असंख्य गणमान्य लोगों ने अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित उनके निधन को हिमाचल के लिए गहरा क्षति बता कर उनके उल्लेखनीय योगदान को स्मरण किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह जी के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है।

अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा है, “श्री वीरभद्र सिंह जी का लंबा राजनीतिक जीवन रहा। उन्हें प्रशासनिक और विधायी कामों का अपार अनुभव था। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के लोगों की सेवा करने में अहम भूमिका निभाई थी। मैं उनके निधन से दु:खी हूं। उनके परिजनों और समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनायें। ओम् शांति।”

पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र के निधन पर गहरा दुख जताते हुए हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ने कहा कि ‘देवभूमि हिमाचल के 6 बार मुख्यमंत्री रहे हिमाचल के वरिष्ठ नेता आदरणीय वीरभद्र सिंह जी के निधन का समाचार हम सबके लिए बेहद दुःख देने वाला है। हिमाचल के लिए यह एक अपूर्णीय क्षति है, जिसकी भरपाई कभी नहीं होगी। हिमाचल प्रदेश के विकास के लिए उनका योगदान अनुकरणीय है, जिसे कभी भुलाया नहीं जाएगा.’
उन्होंने आगे कहा कि ‘श्री वीरभद्र सिंह जी का मजबूत मनोबल, दृढ़ संकल्प और उत्कृष्ट कार्य हम सबके लिए सदैव प्रेरणादायक रहेगा। भगवान उनकी पुण्य आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें तथा शोकग्रस्त परिवार एवं प्रशंसकों को इस कठिन समय में संबल प्रदान करें।’

पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन पर हिमाचल में 3 दिन का राजकीय शोक का ऐलान, पैतृक गांव में होगा अंतिम संस्कार। उनके शोकाकुल परिवार में उनकी धर्मपत्नी प्रतिभा सिंह व बच्चे अपराजिता सिंह और विक्रमादित्य सिंह है।

पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र ने बीए (ऑनर्स), एमए, बिशप कॉटन स्कूल, शिमला और सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली से ग्रहण किया। वीरभद्र राजनीति में आने की जगह दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बनना चाहते थे।

उनका पार्थिक शरीर जनता के दर्शन के लिए उनके निवास शिमला हॉलीलॉज लाया गया।
यहां पर दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। संस्कार 10 जुलाई,शनिवार को उनके पैतृक शहर रामपुर बुशहर में किया जाएगा। जहां के राज परिवार के वे सदस्य थे। शुक्रवार को शिमला के रिज मैदान के अलावा, सुबह 9 बजे से 12 बजे तक कांग्रेस कार्यालय में अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर रखा जाएगा।
हिमाचल को एक बड़ी क्षति पहुंची है और राजनीति का सूरज अस्त हो गया है।
25 साल की उम्र में ही सांसद बन चुके वीरभद्र सिंह 1976 और 1977 तक सीएम वीरभद्र ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में पर्यटन और नागरिक उड्डयन के लिए उपमंत्री का राष्ट्रीय कार्यालय संभाला। इसके बाद उन्होंने 1980 से लेकर 1983 के बीच उद्योग मंत्री रहे और उसके बाद मई 2009 से जनवरी 2011 तक उन्हें केंद्रीय इस्पात मंत्री कार्यभार सौंप दिया गया।
आगे चलकर उन्हें जून 2012 में माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज की जिम्मेदारी सौंपी गई. साल 1976 में वीरभद्र सिंह यूनाइटेड नेशन्स की जनरल असेंम्बली के लिए भारतीय डेलीगेशन के सदस्य भी रहे।

वीरभद्र सिंह १९८३ से १९९० तक, १९९३ से १९९८ तक और २००३ से २००७ तक हिमाचल प्रदेश राज्य के भी छ बार मुख्यमंत्री रहे हैं। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य हैं।
वे 9 बार विधायक, 6 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री और 5 बार लोकसभा में बतौर सांसद रह चुके हैं और पिछले आधे दशक में वे कोई चुनाव नहीं हारे। वीरभद्र सिंह १९६२. १९६७, १९७२, १९८० और २००९ में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। इसके अलावा वे १९८३, १९८५, १९९०, १९९३, १९९८, २००३, २००७ तथा २०१२ में विधायक रहे। १९८३,१९८५, १९९३, १९९८, २००३ और २०१२ में उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। अपने ४७ वर्षों के राजनैतिक सफ़र के दौरान उन्होंने १३ चुनाव लड़े और सभी जीते। वह हिमाचल कांग्रेस के चार बार अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
वरिष्ठता के क्रम और हिमाचल प्रदेश के अकेले सांसद होने के कारण २२ मई २००९ को मनमोहन सिंह के नेतृत्व में बनने वाली केंद्र सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। वो इस्पाल मंत्रालय बनाए गये थे। इससे पहले भी वीरभद्र सिंह १९७६ से १९७७ तक केंद्र में नागरिक उड्डयन तथा पर्यटन राज्यमंत्री और १९८२ से १९८३ तक केंद्र में उद्योग राज्यमंत्री रहे हैं।
राजनीतिक जीवन की अंतिम काल में वीरभद्र सिंह भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे गए। वीरभद्र इसे राजनीतिक षड्यंत्र बताते रहे।वीरभद्र पर आरोप है कि उन्होने एक परियोजना के लिए एक निजी बिजली कंपनी को विस्तार देने के एवज में ‘रिश्वत’ ली है।

87 वर्षीय वीरभद्र के निधन से हिमाचल में एक राजनीतिक का सूर्यास्त हो गया। हिमाचल के विकास के प्रति श्रद्धा समर्पित रहे।उन्होंने हिमाचल को परमार की सपनों को साकार करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शासन प्रशासन को बिकासोनुमुख बनाया। वे प्रदेश के हित हक़ हितों के साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं करते। इसी कारण राजनीतिक विरोधी भी उनका सम्मान करते थे और जनता उन्हें जननायक के रूप में स्वीकार करती थी। आज हिमाचल की जनता अपने जननायक को अश्रुपूर्ण विदाई दे रही है।
नेताओं की महा समुद्र में वे वर्तमान समय की चंद ऐसे जन नेता हैं जो जनता की खुशहाली के लिए सदा समर्पित रहे। प्रदेश को कैसे खुशहाल बनाया जा सकता है इसकी सीख वर्तमान राजनेताओं को वीरभद्र सिंह लेनी चाहिए।

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