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आम आदमी की सरकार में कोरोना काल में बसों की कमी से त्रस्त हैं दिल्ली की आम जनता

जागो केजरीवाल सुनो जनता की दर्द भरी पुकार

 देव सिंह रावत

मैं अभी चाणक्यपुरी से दिल्ली परिवहन निगम की बस से लक्ष्मी नगर पहुंचा। बहुत मुश्किल से मुझे चाणक्यपुरी से कोई बस में बैठने का अवसर मिला ।

जाते समय मैं अपने साथी  मोहन जोशी  के साथ स्कूटर से चाणक्यपुरी गया । परंतु वापसी  बस से करनी थी। मेरी तरह अनेक यात्री बस स्टैंड में बेबस खडे थे। उन्हें बस नहीं मिल रही थी। अधिकांश हमारी तरह कामगार लोग थे। धन ना होने के कारण लोग बसों का इंतजार करने के लिए मजबूर थे। यह दिल्ली के मुख्य मार्ग का नजारा था। तो दिल्ली के दूरस्थ क्षेत्रों में कैसा नजारा होता होगा? सायंकाल स्थिति और भी दयनीय हो जाती है। ऐसा नहीं की दिल्ली की सड़कों पर दिल्ली परिवहन निगम या उसके अंतर्गत चलने वाली बसें नहीं चल रही है। बसें चल रही है परंतु करना काल में जो नए फरमान जारी हुई उसके आधार पर जितनी सीटें बस में है केवल उसके आधा सवारी को ही बसों में सफर करने की इजाजत दी गई है ।
इस कारण अधिकांश बसें सड़क पर फराटेदार दौड़ लगाते हुए दिखती है और आम गरीब आदमी विवश होकर बसों को ताकता नजर आता है ।उसके घंटों इन्हीं बसों की इंतजारी कट जाते हैं ।आम आदमी अपनी बेबसी व परिवहन निगम की व्यवस्था को कोस कर रह जाता है।
भले ही दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार हो, परंतु दिल्ली में आम आदमी कोरोना काल में बसों की कमी के कारण बेहद त्रस्त है।
इसका भान न आम आदमी से एक खास आदमी बने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को है, न कार्यकारी मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया व नई दिल्ली प्रदेश की बागडोर संभालने वाले गोपाल राय को है।
कोरोना काल दूरी बनाए रखने के उद्देश्य से दिल्ली परिवहन निगम की बसों में जितनी सीटें हैं उसके आधा ही सवारियों को बैठने की इजाजत सरकार ने दी है।
इस फरमान का सबसे बुरा असर दिल्ली के आम कामगार मजदूर जनता पर हुआ। क्योंकि दिल्ली परिवहन निगम की बसें पहले से ही अपर्याप्त थी। दिल्ली की डेढ़ करोड़ जनता को परिवहन सुविधाएं देने के लिए दिल्ली सरकार की तरफ से बसों का पूरा प्रबंध नहीं किया गया था ।लोग मेट्रो रेलवे की सुविधा होने के बावजूद बसों के लिए तरसते देखे जाते हैं। इसके साथ दिल्ली में परिवहन सुविधा की व्यवस्था का उचित प्रबंधन न होने के कारण उपलब्ध बसों का भी सही सच प्रयोग नहीं किया जाता था।
आम जनता है इससे त्रस्त थी परंतु न इस तरफ खबरिया चैनलों व अखबारी पत्रकारों का ध्यान जाता था नहीं परिवहन निगम के कर्मचारी व अधिकारी तथा मंत्री इस समस्या का समाधान करने की अपने दायित्व को निर्वहन करते थे। दिल्ली की आम गरीब जनता जो प्रायः बसों से ही सफर करती थी। वह मजबूरी में धक्का खाते हुए किसी भी प्रकार से अपने कार्यस्थल और अपने आवास पहुंचती थी। परंतु कोरोना काल के बाहर इस दूरी बनाए रखने के जो फरमान दिल्ली परिवहन निगम की बसों में भी लागू किया गया, उसका सबसे बड़ा दंश दिल्ली की आम जनता को भोगना पड़ रहा है ।लोग बहुत मुश्किल से ही अपने घर व कार्य स्थल पर पहुंच पाते हैं महिलाएं बुजुर्ग बच्चों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आम गरीब जनता के पास इतना धन नहीं होता है कि वे थ्री व्हीलर व टैक्सी या अन्य सुविधा को वहन कर सके।
इस कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना उठाना पड़ रहा है। इसकी तरफ न खबरिया चैनलों का, न अखबारों का नहीं परिवहन विभाग के अधिकारियों का। न दिल्ली सरकार का ध्यान आकृष्ट हो पा रहा है।
बुराड़ी से  बस में सफर करने वाले यात्री  मोहन सिंह रावत का कहना है कि दिल्ली सरकार को चाहिए तुरंत आम जनता के हित में परिवहन निगम की बसों की बढ़ोतरी करें या नियमों में कुछ सावधानीपूर्वक सुधार करें आम जनता इस व्यथा से बेहद परेशान हैं।

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