Chamoli उत्तराखंड

मौत ही बदरी केदार मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष थपलियाल जी को कर्णप्रयाग से जोशीमठ की तरफ ले गई

 

काश बदरी केदार मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष थपलियाल जी, शास्त्री जी के अनुरोध पर उस दिन कर्ण प्रयाग में ही रहते

देव सिंह रावत
आज सुबह जैसे ही मैंने खबरों पर नजर डाली तो एक खबर को पढ़कर मैं स्तब्ध रह गया। खबर थी कि बदरी केदार मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल व जिला चमोली भाजपा पिछड़ा वर्ग के अध्यक्ष कुलदीप चौहान की दर्दनाक मौत हो गई ।
खबरों के अनुसार 10 अक्टूबर शनिवार शाम 7:30 बजे
उनकी कार बद्रीनाथ राजमार्ग पर सीमांत जनपद चमोली में पीपलकोटी के समीप दुर्घटनाग्रस्त होकर नीचे बह रही अलकनंदा में समा गई।
खबर पर मुझे विश्वास नहीं हुआ मेरे मानस पटल पर थपलियाल जी से 2019 के दिसंबर के पहले पखवाड़े में दिल्ली के उत्तराखंड सदन में हुई संक्षिप्त मुलाकात सामने आने लगी।
यह मुलाकात मेरे मित्र बालसखा भाजपा जनपद चमोली भाजपा के वरिष्ठ नेता पुरुषोत्तम शास्त्री ने करायी। शास्त्री जी व बदरी केदार मंदिर समिति के तत्कालीन अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल जी दोनों उत्तराखंड सदन में ठहरे हुए थे । वे कबीना मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से मिलने दिल्ली आये थे ।उस समय श्री थपलियाल जी ने बहुत ही अपनत्व से मुझसे मिले थे। इस मुलाकात में बदरीनाथ क्षेत्र के विधायक भट्ट जी के साथ थे।
उन यादों का स्मरण करते ही मैंने अपने मित्र पुरुषोत्तम शास्त्री को फोन कर खबर की सत्यता जानी चाहिए।
शास्त्री जी ने इस दुर्घटना में थपलियाल जी के आकस्मिक निधन होने पर गहरा दुख प्रकट करते हुए कहा कि
थपलियाल जी से मैं 10 अक्टूबर को करणप्रयाग में जनपद चमोली भाजपा की बैठक में मिला था दिनभर हम बैठक में साथ ही थे। थपलियाल जी मेरे आग्रह पर एक बार 10 अक्टूबर को कर्णप्रयाग में ही रात्रि निवास करने का मन बना चुके थे।थपलियाल जी थराली विधानसभा के भी सरपरस्त हैं। वह शास्त्री जी से काफी अपनत्व रखते थे।

परंतु कुछ देर बाद उनका उन्होंने मुझे भी जोशीमठ चलने का आग्रह करते हुए कहा कि मुझे आज ही जोशीमठ निकलना होगा, वहां कुछ जरूरी काम भी है ।इस पर श्री शास्त्री जी ने कहा कि वह जोशीमठ नहीं आ सकते हैं फिर कभी चलेंगे शास्त्री के अनुसार विधि का विधान अटल होता है आज इस दुर्घटना की खबर सुनने के बाद मुझे लगता है कि मौत ही उन्हें उस दिन कर्णप्रयाग में ठहरने के बजाय जोशीमठ चलने की प्रेरणा दे रही थी।
मैं इस बात की आशंका से भी भयाक्रांत होता हूँ कि भगवान का लाख शुक्र है कि शास्त्री जी जोशीमठ नहीं गए। काश थपलियाल जी भी शास्त्री जी की बात मान लेते तो थपलियाल जी हमारे बीच में होते परन्तु होनी को कौन टाल सकता है।
आज थपलियाल जी व चौहान जी  हमारे बीच में नहीं है। उनकी स्मृतियाँ हमारे जेहन में है भगवान उनको अपने श्री चरणों में स्थान दे। भगवान उनके परिजनों को इस त्रासदी को सहने की शक्ति प्रदान करे।
ओम शांति ओम

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