उत्तराखंड

मात्र 3.06 घण्टे में समापन हुआ उतराखण्ड विधानसभा का मानसून सत्र

कांग्रेसी विधायकों द्वारा भारी हंगामा किये जाने के बाबजूद  सरकार तीन घंटे में 19 विधेयक और 10 अध्यादेश पारित करने में सफल

कांग्रेस केवल हंगामा करके जनहितों की राह में रोडा बनी हुई है-मदन कौशिक(संसदीय कार्यमंत्री)

भाजपा सरकार उतराखण्ड में पूरी तरह से विफल रही- देवेंद्र यादव (कांग्रेस के उतराखण्ड प्रभारी )

देहरादून(प्याउ)। कोरोना काल में 23 सितंबर को आहुत उतराखण्ड  विधानसभा  का मानसून सत्र केवल तीन घंटे  छह मिनट में समापन हो गया।  भारत की विधानसभाओं के इतिहास में सबसे कम समय के विधानसभा सत्रों में अपना स्थान बनाने वाले उतराखण्ड विधानसभा का यह सत्र प्रदेश गठन के बाद एक मात्र निर्मित विधानसभा भवन( भराड़ीसैण) गैरसैंण में आयोजित होने के बजाय देहरादून स्थित अस्थाई विधानसभा भवन में ही आयोजित किया गया।

इस संक्षिप्त विधानसभा सत्र में प्रदेश की त्रिवेंद्र रावत  सरकार 19 विधेयक व 10 अध्यादेश पारित करने का कीर्तिमान स्थापित करने में सफल रही। इस सत्र में विधेयक रखते ही इसको पारित करने में सरकार सफल रही। हालांकि हालांकि विपक्ष के शोर शराबे के कारण  सदन 2.09 घण्टे तक सदन की कार्यवाही में व्यवधान ही रहा। इस संक्षिप्त मानसून सत्र में 70विधानसभाई सीट वाली विधानसभा में केवल मुख्यमंत्री 42 ही विधायक सदेह उपस्थित थे। वहीं मंत्री यशपाल आर्य सहित 14 विधायक इंटरनेटी माध्यम से आनलाइन जुडे रहे। कोरोना महामारी के कारण सदन में पर्याप्त दूरी बनाये रखने के नियम का पालन करते हुए 12 विधायकों को पत्रकार दीर्घा में भी बिठाये गये।
कोरोना महामारी से बचाव करते हुए मुख्यमंत्री सहित सभी विधायक व विधानसभा कर्मचारी आदि सभी की विधानसभा भवन में प्रवेश करते ही थर्मल सक्रीनिंग की गयी। इस सबसे संक्षिप्त मानसून सत्र में उतारखण्ड विधानसभा ने कई कीर्तिमान बनाये।बिना विधानसभा अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष दोनो ही कोरोना संक्रमित होने के कारण इस सत्र में सम्मलित नहीं रहे। विधानसभा की कार्यवाही का संचालन उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चैहान ने किया।  इस सत्र की कार्यवाही के दर्शक न तो पत्रकार रहे व न हीं इस सत्र में प्रश्नकाल ही रखा गया। एक ही दिन में विधेयक पेश भी किये गये और उनको पारित भी किया गया। कोरोना से संक्रमित मंत्री व विधायक इस सत्र से दूर ही रहे।  विधानसभा के 20 सालों के इतिहास में पहली बार विधायक वीडियो कांफेंसिंग वर्चुअली  जुडे।
इस सत्र में सबसे महत्वपूर्ण कार्यो में कोरोना महामारी से रोकथाम के लिए विधायकों के वेतन भत्ते में 30 प्रतिशत की कटौती, विधानसभा सदस्यों की उपलब्धियां और पेंशन संशोधन विधेयक पारित करना
इस सत्र के दौरान सरकार सहित सदन का ध्यान आकृष्ठ करने के लिए कई धरना प्रदर्शन का भी आयोजन हुआा।          मोदी सरकार द्वारा किसानों के कल्याण के नाम पर संसद में  पारित विधेयकों को किसान विरोधी बताते हुए कांग्रेस ने जो देशव्यापी आंदोलन छेडा हुआ है। कांग्रेसी विधायक काजी निजामुद्दीन ने पहले ही इस बात का ऐलान किया था कि वे सदन की कार्यवाही में भाग लेने टेक्टर से जायेंगे। इसी ऐलान को मजबूती देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष व विधायक प्रीतम सिंह, आदेश चैहान व मनोज रावत भी काजी के साथ टेक्टर में सवार हो कर   विधानसभा भवन में पंहुचने का प्रयाश किया। परन्तु सरकार के निर्देश पर इन आंदोलनरत विधायको को हरिद्वार वाईपास के पास अवरोधक लगा कर पुलिस ने रोक दिया। पुलिस की कार्यवाही के विरोध में विधायक वहीं सडक पर धरने पर बैठ गये।  इसके बाद विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ चैहान के हस्तक्षेप के बाद कांग्रेसी विधायकों को टेक्टर में सवार हो कर  विधानसभा भवन में जाने दिया।  वहीं सदन में पहंुच कर कांग्रेसी विधायकों ने जमकर हंगामा किया। किसानों की समस्या की तरफ ध्यान आकृष्ठ करने के लिए वे सदन में नियम 58 के तहत कृषि बिल,कोरोना,  बेरोजगारी व कानून व्यवस्था आदि  विषयों पर चर्चा कराने की मांग करते हुए नारेबाजी करते रहे। कांग्रेसी विधायक विधायक प्रीतम सिंह के नेतृत्व में  विधानसभाध्यक्ष की कुर्सी के आगे आ कर नारेबाजी करने लगे। यही नहीं आक्रोशित विधायकों ने  ठीक ऐसा ही हंगामा किया जैसे इसी सप्ताह राज्यसभा में विपक्षी दलों के सांसदो ने किया था। आक्रोशित व आक्रामक    विधायकों को शांत करने के लिए जब मार्शलों ने हस्तक्षेप किया तो मार्शलों से भी उलझ गये। इस हंगामें के कारण कई बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पडी। हालांकि सदन में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल व करण मेहरा भी उपस्थित थे। कांग्रेस द्वारा सदन में हंगामा किये जाने से खिन्न  उतराखण्ड सरकार के संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने गहरी नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि कांग्रेस ने सदन में आम लोगों से जुडे मसलों पर चर्चा नहीं की और हंगामा ही करते रहे। सरकार ने विपक्ष को कार्यस्थगन के रूप में चर्चा का मौका दिया। लेकिन कांग्रेस ने यह समय भी शोर शराबा करने में गंवा दिया।
वहीं कांग्रेसी विधायकों को सदन के बाहर व विधानसभा में सवाल न करने देने पर भाजपा पर कडा प्रहार करते हुए कांग्रेस के उतराखण्ड प्रभारी देवेंद्र यादव ने लोकशाही पर कुठाराघात बताया। श्री यादव ने कहा कि भाजपा सरकार लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखती और अपनी नाकामियों को छुपा कर उतराखण्ड की जनता के साथ छल करती है। श्री यादव ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार कोरोना की रोकथाम करने में पूरी तरह से विफल रही। प्रदेश में कोरोना से 500 से अधिक लोग मौत की नींद सौ चूके है और  संक्रमितों की संख्या 50 हजार से अधिक हो गयी है। सरकार न तो पर्याप्त जांच कर पा रही है व नहीं लोगों को सही मार्गदर्शन ही कर पा रही है। कांग्रेस प्रदेश के जनहितों के प्रति उदासीन भाजपा सरकार के खिलाफ सड़क और सदन दोनो स्थानों पर निरंतर संघर्ष कर रही है।

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