Pithoragarh

बादल फटने से तबाह हुए टांगा गांव वालों को मैदानी क्षेत्र में 1 एकड खेती की जमीन व मकान बना दे कर बसाये सरकार- सांसद प्रदीप टम्टा

सांसद प्रदीप टम्टा ने किया पीड़ित गांव का दौरा

देवसिंह रावत
सीमांत जनपद पिथोरागढ़ में इस सप्ताह बादल फटने से तबाह हुए गांव टांगा के ग्रामीणों की जीवन रक्षा के लिए मैदानी क्षेत्र में एक एक एकड खेती की जमीन तथा मकान बना कर तत्काल प्रदान करे। प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार से यह मांग राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने पीड़ित गांव की दर्दनाक हालत देखने के बाद कही। सांसद टम्टा ने इस हादसे से पीड़ित गांव के बारे में बताया कि उन्होने टांगा ( तहसील बंगापानी ) जिला पिथौरागढ़ के आपदा से प्रभावित गांव का भ्रमण स्थानीय विधायक व मेरे सहयोगी हरीश धामी , प्रदीप पाल तथा स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ किया । इस त्रासदी के बारे में जानकारी देते हुए सांसद टम्टा ने बताया कि 19 जुलाई की रात्रि में आयी भारी बारिश इस गांव में एक भीषण आपदा लेकर आती जिसमें 11 लोगों की मृत्यु हो गयी तथा जिसमें आज तक 9 मृतकों के शवों को निकाला जा चुका है तथा शेष दो शवों की तलाश जारी है । इस कार्य में एन डी आर एफ , एस डी आर एफ व भारतीय तिब्बत पुलिस के जवान लगे हैं । 19 की रात्रि को आयी आपदा म पिथौरागढ़ जनपद में 14 लोगों ने अपनी जान गंवाई ।
इस आपदा से सिर्फ जन हानि ही नहीं हुई बल्कि ग्रामीणों के जीने के आधार से भी उन्हें वंचित कर दिया है । लगभग 70 से 80: खेती की जमीन तबाह हो गई है । गांव के दोनों छोर से भूस्खलन हो चुका है इस कारण भी सम्पूर्ण गांव दहस्त में है । प्रशासन के अनुरोध पर ग्रामीणों ने बरसात के समय अन्यत्र रहने पर अपनी सहमति तो दे दी लेकिन सबके मन में प्रश्न बना हुआ है कि बरसात के बाद क्या होगा । आपदा के घटित होने के चैथे दिन बाद पहुंचे राज्य के प्रभारी मंत्री के सामने भी उन्होंने यही सवाल रखा व ज्ञापन दिया तथा मुझे भी उन्होंने यही बात रखी ।
ग्रामीणों का मूल प्रश्न है कि यह क्षेत्र सुरक्षित नहीं है जो वास्तव में सही भी है । इसी लिए उनकी मांग है कि उन्हें न्यूनतम 1एकड़ खेती की जमीन तथा मकान बना कर सरकार दे तथा उन्हें यहां से अन्यत्र मैदानी क्षेत्र में बसाया जाय ।
मुझे ग्रामीणों की यह मांग बिल्कुल वाजिब लगती है और क्षेत्र की स्थिति को देखकर इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं दिखता है । सरकार को इस पर गम्भीरता पूर्वक विचार कर इसका समाधान करना चाहिए व जिसका आश्वासन प्रभारी मंत्री ने लोगों को दिया भी है ।
प्रदीप टम्टा व हरीश धामी जागरूक सांसद जनता की दुख दर्द में इसी प्रकार खड़े रहते हैं जो सराहनीय है । इसी सप्ताह पिथोरागढ़ के टांगा व गैला पत्थर कोट गांव में जो अतिवृष्टि यानी बादल फटने से जो त्रासदी हुई उसकी खबर सुनते ही स्थानीय विधायक हरीश धामी  भी पीड़ितों के साथ प्रारंभिक दिन से ही हाथ बटा रहे हैं । उनका साफ कहना है कि परेशानी छोटी या बड़ी नही होती,परेशानी दिक्कतों का पहाड़ होती है और जब तक मेरे लोग परेशानी से निजात नही पायेंगे मैं दिन रात उनकी सेवा में लगा रहूँगा।
सांसद प्रदीप टम्टा भी इस आपदाग्रस्त क्षेत्र में पंहुच कर लोगों के दुख दर्द को करीब से देखा। इस क्षेत्र में कई किमी पैदल जाना पड़ता है।ऐसी त्रासदी पर्वतीय जनपदों में वर्षाकाल में हर साल होती रहती। लोग इन त्रासदी का दंश झेल कर भी पुन्न जीवन यात्रा में जुट जाते है। सांसद प्रदीप टम्टा सहित कई लोगों की मांग ऐसी घटना होने पर मैेदानी क्षेत्रों में पीड़ित गांव को ही बसाने की मांग की जाती है। सरकार जब तक स्थाई समाधान नहीं ढूंढती है तब तक इस प्रकार का निदान किया जा सकता हैे। खतरनाक स्थानों से पीडितों को सुरक्षित स्थानों पर बसाया जा सकता है। पर मेरा मानना है कि इस समस्या का स्थाई निदान ढूंढना होगा। पर्वतीय ही नहीं अपितु मैदानी क्षेत्र भी बादल फटने का दंश झेल हैं। इसी सप्ताह देहरादून में भी बादल फटने की घटना हुई।सरकार को पीड़ितों को उचित मुआवजा देने के साथ दूरस्थ क्षेत्र में यातायात चिकित्सा शिक्षा की तुरंत व्यवस्था करनी चाहिए। देश के विभिन्न भागों में वर्षा ऋतु में बाढ़ और भूस्खलन से जनजीवन अस्त व्यस्त है । जीव का जीवन सृष्टि में हर जगह इसी प्रकार के संकटों से गुजर रहा है। कोई स्थान सुरक्षित नहीं है ।हर जगह लोग आधी व्याधि से त्रस्त हैं। एक बार पुन्न इस त्रासदी में मारे ग्रामीणों को भावभीनी श्रद्धांजलि ।सरकार पीड़ितों को समुचित मुआवजा दे।

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