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लम्बित राज्य आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण के लिये निकाले गये शासनादेश का भ्रम दूर कर लागू करायें मुख्यमंत्री धामी

हर घर तिरंगा अभियान के अवसर पर उतराखण्ड राज्य गठन आंदोलनकारियों ने मुख्यमंत्री धामी से लगाई गुहार

प्यारा उतराखण्ड डाट काम

उतराखण्ड राज्य गठन के वरिष्ठ व समर्पित आंदोलनकारियों ने  स्वतंत्रता दिवस पर्व के अवसर पर आयोजित हर घर तिरंगा अभियान पर उतराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से पुरजोर मांग की है कि उनकी सरकार द्वारा चिन्हीकरण से वंचित रह गये लम्बित राज्य आंदोलनकारियों के शीघ्र चिन्हीकरण के लिये निकाले गये शासनादेश 73/ग्ग्(8) 23-05(वि.स.आ.)2016दिनांक 10 जुलाई 2023 के प्रति उदासीन बनी नौकरशाही का भ्रम दूर कर  लंबित राज्य आंदोलनकारियों का शीघ्र चिन्हीकरण करायें। सरकार द्वारा 10 जुलाई को निकाले गये शासनादेश को जिला/उपजिलाधिकारी /तहसील में आसीन अधिकारी, शासनादेश की मूल भावना को समझने व इसे क्रियान्वयन करने में विफल रहे। इनके क्षेत्र में लम्बित पडे  आंदोलनकारियों को यहां से कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। नहीं शासन के पास सरकार के शासनादेश की मूल भावना के अनुरूप इस समस्या के निदान करने की कोई सूचना ही शासन ने उजागर की। इससे आंदोलनकारियों में काफी निराशा है। इसी भ्रम व नौकरशाही की अकर्मण्यता को दूर करने के लिये आंदोलनकारियों ने मुख्यमंत्री से यह गुहार लगाई।
उल्लेखनीय है कि इसी पखवाडे 30 जुलाई 2023 की दोपहरी को उतराखण्ड राज्य गठन आंदोलनकारियों ने एक बैठक राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर भी आयोजित की थी।
बैठक में दो प्रस्ताव पारित किये गये। पहले प्रस्ताव में उतराखण्ड राज्य गठन आंदोलनकारियों की सूचि में दिल्ली में उतराखण्ड सरकार द्वारा चयनित 347 राज्य गठन आंदोलन के वरिष्ठ व समर्पित आंदोलनकारियों को प्रदेश सरकार द्वारा अभी तक चिन्हीकरण न किये जाने पर गहरा रोष प्रकट करते हुये प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से 10 जुलाई 2023 को उनकी सरकार द्वारा इस आशय की पूर्ति के लिये निकाले गये शासनादेश के बारे में भ्रमित नौकरशाही को दो टूक आदेश देकर चिन्हीकरण  के लिये लम्बित राज्य आंदोलनकारियों को शीघ्र चिन्हीकरण करने का निर्देश  दें।
राज्य गठन के 23 वर्ष बीत जाने के बाबजूद सरकारों द्वारा राज्य आंदोलनकारियों के सम्मान के अनैक दावे किये गये। पर हकीकत में अभी तक राज्य गठन आंदोलन के समर्पित वरिष्ठ  आंदोलनकारियों को ही चिन्हीकरण करने में सरकारें असफल रही। इससे आंदोलनकारियों में भारी रोष है।  राज्य गठन आंदोलनकारियों लिये चिन्हीकरण के अन्यायपूर्ण  मानक रखकर  आंदोलनकारियों का पुन्नः घोर अपमान करने का कृत्य करने का दो टूक आरोप निरंतर लगाते रहे। परन्तु सरकारें इस समस्या का समाधान करने के बजाय नजरांदाज करती रही।
उतराखण्ड में वर्तमान धामी सरकार से भी आंदोलनकारियों ने इस समस्या के समाधान की गुहार लगाई्र। देहरादून सचिवालय में भी अपने कार्यालय में मुख्यमंत्री धामी ने आंदोलनकारियों से इस आशय की वार्ता की। इसके बाद सरकार ने 10जुलाई 2023 को इस समस्या के समाधान के लिये एक नया  शासनादेश निकाला।  इसमें उतराखण्ड शासन ने प्रदेश के हर जनपद में  चिन्हीकरण हेतु लम्बित उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारियों की सूचना उपलब्ध कराने हेतु  प्रेषित किया। इस पत्र के मिलने के बाद जिलाधिकारी द्वारा अपने जनपद के हर उपजिलाधिकारी को यह पत्र भेजा गया। जनपद पौडी में उप जिलाधिकारी को 24 जुलाई 2023 को भेजा गया।
जिलाधिकारी ने लिखा कि उपरोक्त विषयक अपर सचिव, गृह अनुभाग-8, उतराखण्ड शासन देहरादून के पत्र संख्या  73/ग्ग्(8) 23-05(वि.स.आ.)2016दिनांक 10 जुलाई 2023 के द्वारा अवगत कराया गया है कि समय-सयमयांन्तर पर चिन्हीकरण हेतु तिथि विस्तारित किये जाने के उपरान्त भी राज्य आंदोलनकारी/2011 दिनांक 01/12/2017 के अनुरूप जनपदों में चिन्हीकरण हेतु लंबित राज्य आंदोलनकारियों का पुनः परीक्षण करते हुये सुस्पष्अ सूचना शासन को उपलब्ध कराये जाने के निर्देश दिये गये है। उक्त शासनादेश के अनुसार उतराखण्ड राज्य आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण हेतु निम्नलिखित मानक निर्धारित किये गये हैं-
(क)-एलआईयू की रिपोर्ट। (ख) पुलिस के अन्य अभिलेख यथा डेली डायरी के प्रासंगिक अंश (ग)प्रथम सूचना रिपोर्ट जिस रूप में दर्ज हो।(घ)-चिकित्सालय संबन्धी रिपोर्ट  (च) ऐसे अन्य अभिलेखों पर आधारित सूचनाऐ जिसकी प्रमाणिकता जिलाधिकारियों द्वारा पुष्टि की जाय।  उक्त शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि मात्र समाचार पत्रों की कतरन के आधार पर राज्य आंदोलनकारियों का चिन्हांकन नहीं किया जा सकता है।
अतः आप को शासन के उक्त पत्र/शासनादेश संख्या 1192 दिनांक 01/12/2017 की प्रति इस निर्देश के साथ संलग्न कर प्रेषित की जा रही है कि उक्त शासनादेश के अनुुरूप अपनी अपनी तहसील अंतर्गत चिन्हीत हेतु लम्बित राज्य आंदोलनकारियों को मानको के अनुसार परीक्षण करते हुये सुस्पष्ट आख्या पांच दिन इस कार्यालय को उपलब्ध कराने का कष्ट करें। इसके अतिरिक्त संलग्न सूचि में अंकित आवेदकों के संबंध में भी उक्त शासनादेश के अनुसार परीक्षण करते हुये सुस्पष्ट आख्या  मनतब्य सहित आख्या इस कार्यालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करे।
भवदीय प्रभारी अािकाी कृत जिलाधिकारी गढवाल।

आंदोलनकारियों ने सरकार से निरंतर गुहार लगा रहे हैं कि 3 जनवरी 2017 में उतराखण्ड सरकार द्वारा 2008 के शासनादेश के आधार पर आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण के न्यायोचित मानकों के अनुसार दिल्ली में  जिन 347 आदंोलनकारियों का विधिवत चयन करके उनके उतराखण्ड के स्थानीय गांवों के सत्यापन करने के लिये देहरादून शासन से प्रदेश के संबंधित जनपदों में भेजे गये। परन्तु इसके बाद सरकार के बदलने व सत्तासीन सरकार की उदासीनता से आज कई साल बीत जाने के बाद भी उतराखण्ड राज्य गठन के लिये शासन द्वारा चयनित समर्पित वरिष्ठ आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण नहीं किया गया।
बैठक में सम्मलित प्रमुख आंदोलनकारियों में उत्तराखण्ड राज्य गठन के लिये 6साल (अगस्त 94 से 16 अगस्त 2000) तक सफल ऐतिहासिक आंदोलन धरना दे कर देश की सरकारों को राज्य गठन के लिये मजबूर करने वाले उतराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष देवसिंह रावत, वरिष्ठ आंदोलनकारी नेता खुशहाल सिंह बिष्ट, उत्तराखण्ड संयुक्त संघर्ष समिति के मनमोहन शाह, उत्तराखण्ड महासभा के अनिल पंत, उतराखण्ड पत्रकार संगठन के पूर्व महासचिव दाताराम चमोली, उतराखण्ड जनमोर्चा के दिकर सिंह र्फत्याल, उतराखण्ड महासभा के रामेश्वर गोस्वामी व जगदीश  कुकरेती, उत्तराखण्ड राज्य लोकमंच के पंचम सिंह रावत, उतराखण्ड संयुक्त संघर्ष समिति के शिवसिंह रावत,रणवीर सिंह पुण्डीर, देवेन्द्र पंत, अन्य आंदोलनकारी राजेन्द्र सिंह चैहान, राम सिंह फरस्वाण, जगदीश सिंह रावत, लीलाधर मिश्रा आदि उपस्थित थे।

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