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अमेरिका की खुली धमकियों का जवाब देनेे की हिम्मत न जुटाने वाला चीन , भारत से लडने के लिए क्यों है उतावला

 सिक्किम व लद्दाख के बाद चीन ने हिमाचल के लाहौल स्पीति में भी किया भारतीय सीमा का जबरन उलंघन

 

अपने बजूद व बर्चस्व के खातिर चीन के पर हर हाल में कतरेगा अमेेरिका व उसके मित्र देश

 

देवसिंह रावत
आज की सबसे चैकान्ने वाली खबर आयी कि चीनी हेलीकप्टरों ने 15 किमी भारतीय सीमा के अंदर घुस की भारत को उकसाने की धृष्ठता की। यह घुसपेठ भूल से नहीं अपितु चीन की एक सोची समझी भारत विरोधी  रणनीति का एक हिस्सा है। चीनी सेना के चापरों की इस घुसपेठ से भारतीय सेना सहित देश के सामरिक विशेषज्ञों चैकान्ना हो गये है। यह इकलोती घटना नहीं जिसे सामान्य मानवीय भूल मान कर नजरांदाज किया जाय। जिस प्रकार से इसी माह चीनी सेना ने सिक्किम में भारतीय सीमा का अतिक्रमण करके भारतीय सेनिकों से झडप करने की धृष्ठता की। इस घटना पर दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों ने वहां पर किसी तरह सुलझाया। सिक्किम में चीनी अतिक्रमण का मामला अभी शांत नहीं हुआ था कि चीन ने लद्दाख क्षेत्र में भी भारतीय सीमा का अतिक्रमण करने की धृष्ठता कर दी। लद्दाख क्षेत्र में भारतीय सीमा का उलंघन करने के एक पखवाडे के अंदर ही जिस प्रकार से चीन ने हिमाचल स्थित लाहौल स्पीति सीमावर्ती क्षेत्र में चीनी सेना के चापर हेलीकप्टरों ने भारतीय सीमा के अंदर 15 किमी तक घुसने की धृष्ठता की।भारत सेना ने इसका कड़ा विरोध किया। भारत सरकार ने भी इस मामले को गंभीरता से लेकर चीन से इस मामला उठाया।
भारतीय ही नहीं पूरे विश्व के सामरिक विशेषज्ञ इस बात से हैरान है कि जब चीन पूरे विश्व में कोरोना महामारी फैलाने के खलनायक के रूप में कुख्यात होे कर एक तरह से अलग थलग पडा हुआ है। अमेेरिका, जर्मन, ब्रिटेन, फ्रांस व आस्टेलिया सहित कई देश चीन को कोरोना महामारी फैलाने का खलनायक मानते हुए कडा सबक सिखाने के लिए कमर कस दी है। े बुहान सहित चीन से विश्व की तमाम कंपनिया अपने उद्योग धंधे समेट कर भारत की तरफ रूख करने का मन बना चूके है। अमेरिका सहित उसके मित्र राष्ट्र चीन का पूरी तरह से बहिष्कार करने का मन बना चूका है। यही नहीं भारत ने भी देश में चीनी निवेश पर एक प्रकार से अंकुश सा लगा दिया है। अमेरिका ने अपने युद्ध पौतों से चीन की घेराबंदी कर दी है। अमेेरिका लगातार चीन पर न केवल कोरोना फैलाने का गुनाहगार बताते हुए गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी दे रहा है। इसके साथ अमेरिका चीन के बुहान स्थित जैविक हथियारों की अनुसंधानशालाओं की जांच भी करना चाहता है। इसकी अनुमति चीन देने को तैयार नहीं है। इस महामारी में न केवल चीन के एक लाख के करीब लोग मारे गये है अपितु उसकी अर्थव्यवस्था पर गंभीर नुकसान भी हो गया है। यही हाल यूरोप सहित विश्व के तमाम देशों का है। सभी चीन को सबक सिखाने के लिए मन बना चूके है।

इसी को भांप कर चीन ने अमेरिका व यूरोपीय देशों से उलझने के बजाय अमेेरिका के सबसे करीबी मित्र बने भारत को उकसा कर भारत को 1962 की तरह कडा सबक सिखाने का है। इसीलिए वह पाकिस्तान से भी शह दे कर उसे भारत पर आतंकी व सेना के सीधे हमले करवा रहा है। चीन ने न केवल पाकिस्तान से भारत पर हमला कर रहा है अपितु वह भारत की पाक अधिकृत कश्मीर को वापस लेने की मंशा को रौदने के लिए वह पाक द्वारा काबिज कश्मीर में सडक व बांध बनाने के साथ सैन्य अड्डो का भी विस्तार व निर्माण कर रहा है। इसके साथ वह चाहता है भारत उसके उकसाये में आ कर चीन से उलझने का काम करे। चीन अपने विस्तारवादी मनोवृति ंके कारण अपने डेढ दर्जन से अधिक पडोसी देशों की सीमाओं पर कब्जा करना चाहता है। वह नहीं चाहता कि भारत उसके आर्थिक ढांचे को किसी प्रकार से नुकसान पंहुचाने या उसके देश में कार्यरत कंपनियों को किसी भी सूरत में भारत में पलायन करने की बात भी सहन नहीं कर सकता। परन्तु चीन भूल गया कि भारत अब 1962 का भारत नहीं। भारत आज विश्व की एक बडी सामरिक व आर्थिक ताकत बन चूकी है। न ही भारत का नेतृत्व आज 1962 के नेतृत्व की तरह हिंदी चीनी भाई भाई के झांसे में आने वाला है।
जिस प्रकार से चीन अपने पडोसी देश कोरिया, वियतनाम, ताइवान, जापान, तिब्बत, भारत सहित अन्य पडोसियों को निरंतर परेशान करने की धृष्ठता करता रहता। चीन चाहता है कि भारत या तो उससे उलझे या पाकिस्तान द्वारा काबिज  कश्मीरी क्षेत्र में हमला करेगा तो चीन व पाकिस्तान मिल कर भारत पर हमला करेंगे। भारतीय नीतिकारक चीन व पाक की इस मंशा को भली भांति से समझते है। इसीलिए भारतीय नेतृत्व भी चीन के साथ पाक को भी उसी समय सबक सिखायेगा जब अमेरिका के नेतृत्व में पूरा विश्व चीन को सबक सिखायेगा। अमेरिका भी जानता है कि चीन के खिलाफ भारत ही उसका विश्वसनीय व ताकतवर सहयोगी हो सकता है। यह जरूर है देर सबेर ही सही अमेरिका हर हाल में चीन पर कडा अंकुश लगाते हुए उसे सबक सिखायेगा। यह अमेरिका को अपने अस्तित्व व बर्चस्व बचाने के लिए नितांत जरूरी है। अगर वह आज चीन पर अंकुश लगाने में अंकुश नहीं  लगायेगा तो चीन कुछ ही समय बाद उसके बर्चस्व को जमीदोज कर देगा। इसलिए अमेरिका व उसके मित्र संगठन नाटो के लिए चीन पर अंकुश लगाना नितांत जरूरी हो गया। यह तय है कि जो अमेरिका अपने हितों पर बाल भी बांका होने पर अफगानिस्तान, इराक, मिश्र, सीरिया  व लीबिया आदि देशों को तबाह कर सकता है तो वह अपने लाख नागरिकों की हत्या के जिम्मेदार चीन को कैसे माफ करेगा जिसने उसकी अर्थव्यवस्था की भी चूलें हिला दी। यह तय है चीन पर अंकुश लगाने के लिए अमेरिका व उसके मित्र देश ऐसा कदम उठायेंगे जिससे चीन की चैधराहट समाप्त हो सके। ठीक उसी समय भारत को भी चीन व उसके प्यादे पाक को कडा सबक सिखाना चाहिए।

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