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मानवता की रक्षा के लिए कोरोनास्त्र से विश्व पर काबिज होने के चीन के नापाक मंसूबों पर अंकुश लगाना जरूरी

विश्व कोरोना से त्रस्त पर कोरोना महामारी फैलाने के आरोपी चीन परमाणु परीक्षण करने व टैंक युद्धाभ्यास करने में मस्त

 

देवसिंह रावत

जहां एक तरफ पूरा विश्व कोर नाम महामारी से त्रस्त है। वहीं इस संकट काल में भी जिस चीन पर इस कोरोना महामारी को फैलाने का अमेरिका सहित दुनिया के कई देश गंभीर आरोप लगा रहे हैं, हैरानी है कि वही चीन पूरे विश्व में आई विपत्ति को नजरांदाज करके जहां एक तरफ सेनाओं को टैंक  से रात्रि का विशेष युद्धाभ्यास में झौंक कर अपने  पड़ोसी ताइवान और जापान को भयभीत कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ चीन पूरी दुनिया की आंखों में धूल झोंक कर  विश्व विपदाकाल में भी बेशर्मी से परमाणु हथियार का जमीन के तले परीक्षण कर विश्व शांति भंग कर रहा है।
चीन पर यह  आरोप कोई जापान या भारत या ताइवान आदि देश नहीं लगा रहे हैं अभी तो यह आरोप विश्व की सबसे बड़ी महाशक्ति अमेरिका लगा रही है।
भले ही परमाणु हथियार की परीक्षण का कोई पुख्ता दस्तावेज सामने नहीं  आया हो, परंतु चीनी सेना द्वारा कोरोना महामारी के संकट काल में भी वियतनाम और जापान से लगे सीमा वर्ती क्षेत्र में रात को भीषण युद्ध अभ्यास करने की खबर हवाई नहीं है। मार्च 2020 में  चीन के इस उन्मादी कार्यवाही से ताइवान और जापान को भी अपनी सेनाएं सतर्क और तैनात करनी पड़ी । ताइवान में तो टैंक सड़कों पर उतरे यह देखकर पूरी ताइवान की जनता स्तब्ध है
पूरा विश्व स्तब्ध है चीन के इन क्रियाकलापों को देखकर । 18 अप्रैल को कोरोना महामारी से विश्व में 154422 लोग काल कल वित्त हो गए हैं । 22 लाख 59705 लोग इस कोरोना महामारी से पीड़ित है । अमेरिका में 37 हजार 175,  इटली में 22745, स्पेन में 20000, ब्रिट्रेन में 14576, फ्रांस में 18681, जर्मनी में 4352 व चीन में 4632 लोग इस बीमारी से मारे गए हैं ।वहीं भारत में 14425 लोग इस बीमारी से संक्रमित हैं और 488 लोग काल कलवित्त हो चुके हैं। कोरोना महामारी से संसार के 210 देश इस के शिकंजे में जकड़ चुके हैं। कोरोना के बाद हंता विषाणु के चीन में फैलने से दूनिया भयभीत है। पूरी दुनिया इस बात से आशंकित है कि कहींे चीन विश्व में अपना बर्चस्व बनाने के लिए इन तमाम जैविक हथियारों से विश्व मानवता को जमीदोज करने की धृष्ठता न कर दे। कोरोना के प्रकोप से  एक देश से दूसरे देश में आवागमन तो रहा दूर, एक राज्य से दूसरे राज्य या एक जिले से दूसरे जिले तक जाने पर भी  प्रतिबंध है । लोग इस संक्रामक बीमारी से सहमे हुए हैं।
पूरी दुनिया इस बात के लिए चीन को कोस रही है कि उसने समय पर कोरोना महामारी के बारे में विश्व को अवगत या सचेत नहीं कराया।
अमेरिका सहित विश्व के अनेक देशों का आरोप है कि जब दिसंबर 2019 में सिंह के सबसे बड़े औद्योगिक और जैविक हथियारों की प्रयोगशाला के लिए  कुख्यात शहर बुहान में कोरोना महामारी ने पांव पसारना शुरू किया था तो चीन ने उस समय या तो इसको गंभीरता से नहीं लिया या जानबुझ कर उसने पूरे विश्व में इसको फैलने दिया। यही नहीं  अभी तक  विश्व समुदाय को भी इससे की जानकारी से वंचित रखा, यही नहीं चीन ने जिस चिकित्सक ली ने  इस बीमारी को संक्रामक बताया और  मानवता के लिए गंभीर खतरा बताया,  उस चिकित्सक को भी रहस्यमय ढंग से मौत का सामना करना पड़ा। वह भी सरकारी शिकंजे में दम तोड़ने के लिए मजबूर हुए।  यही नहीं चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के वर्तमान प्रमुख को भी अपने प्रभाव में ले कर इस बीमारी के बारे में विश्व को सजग नहीं होने दिया।  इसके बाद चीन ने अपने कोरोना प्रभावितत बुहान क्षेत्र में भले ही उसकी नाकेबंदी करके उस बीमारी को वहीं तक सीमित कर दिया परंतु जिस प्रकार चीन ने इस बीमारी के बारे में सजग नहीं किया और अपने अंतरराष्ट्रीय वायु सेवाएं जारी रखी। इससे यह बीमारी पूरे विश्व में फैल गई। इसी के कारण आज यूरोप व अमेरिका इस बीमारी से इतने प्रभावित हो चुके हैं कि उनको भारी समस्या के साथ हजारों की संख्या में जन हानि  का सामना करना पड़ रहा है ।ऐसी समस्या है ना प्रथम युद्ध में न द्वितीय विश्व युद्ध में इन देशों को झेलनी पड़ी।
भले ही आज चीन इस बात का कड़ा प्रतिवाद करता है कि इस कोरोना महामारी के विषाणु का चीन से कोई संबंध नहीं है या चीन के वुहान शहर से इसको ना जोड़ा जाए क्योंकि अमेरिका द्वारा बार-बार दुहान और चीनी वायरस कहने पर चीन ने इसका कड़ा प्रतिवाद किया
। पर हकीकत तो यह है कि चीन के वुहान प्रांत में ही सब प्रथम सामने आया और वहां बुहान प्रांत में इतने भारी विनाश किया लेकिन इसके आंकड़े तीन चार हजार तक ही सीमित रखें । परंतु दुनिया जानती है और वहां की जो रहस्यमय स्थिति है उसमें हजारों हजार मोबाइल उपभोक्ताओं के स्विच बंद हो रखें ।इससे चीन अपने आप ही कटघरे में आ गया।
भले ही चीनी इन तमाम आरोपों का कडे प्रतिवाद कर रहा हों परंतु जो पूरी गतिविधि है , उससे चीन खुद ही संदेह के घेरे में घिर जाता है ।क्योंकि जिस समय दिसंबर 2019 को बुहान शहर में यह बीमारी उजागर हुई और फैलने लगी उसके बाद चीनी सरकार ने बुहान शहर की नाकेबंदी की और जनवरी 2020 में चीन सरकार ने विश्व में फैले चीनी मूल के लोगों से चीन की इस बीमारी से उबरने के लिए मास्क, चिकित्सा उपकरण सहित अन्य मेडिकल किट वहां भेजने की खुला अनुरोध किया ।
बुहान शहर में फैली कोरोना महामारी से उबरने के लिए चीन सरकार के अनुरोध पर पूरे विश्व में फैले चीनी समुदाय ने जो चिकित्सा उपकरण आदि चीन भेजे वह 2.4 6 अरब शिपिंग कार्टून  यानी 1.158 अरब डालर मूल्य के थे । उल्लेखनीय है कि चीन विश्व की कुल मास्क निर्माण का 50प्रतिशत मास्क का उत्पादन करता है। चीन के आवाहन पर 2 अरब मास्क सहित भारी संख्या में अन्य चिकित्सा वितरण चीन में जमा हो गए।
इसी दौरान यह बीमारी धीरे-धीरे पूरे विश्व में फैल गई और संसार के अधिकांश देशों के पास न तो मास्क रहे व नहीं अन्य जरूरी चिकित्सा उपकरण। चीन ने पूरे विश्व में इन मास्क व जरूरी उपकरणों को मुंह मांगे दामों पर बेचा। चीन द्वारा भेजे गए इस माल से फिनलैंड, नीदरलैंड्स स्पेन, पाकिस्तान क्रोशिया व ं तुर्की सहित अनैक देशों ने चीन द्वारा भेजे गए इन मास्क और अन्य चिकित्सा उपकरणों पर की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्न उठाए।
इससे यह साफ हो गया कि चीन ने एक सोची-समझी रणनीति की तरह यह गंभीर बीमारी को अपनी ढाल बनाकर पूरे विश्व का आर्थिक दोहन किया। इसके साथ जिस प्रकार से चीन अपनी सामरिक शक्ति को बढ़ाकर अन्य देशों को में दहशत फैला रहा है उससे उसके नापाक इरादे जगजाहिर हो रहे हैं।
अब पूरे विश्व के जागरूक देश जिस प्रकार से चीन पर कोरोना महामारी के विषाणु को बुहान की प्रयोगशाला में पैदा करने व इसके प्रसार करने का जो आरोप लग रहे हैं उनमें भी सच्चाई नजर आने लगी है। चीन की तमाम रहस्यमय गतिविधियां व कृत्य चीन को ही कटघरे में रख रही है और ऐसा प्रतीत होता है चीन ने सोची-समझी रणनीति के तहत बुहान में अपने जैविक हथियारों की प्रयोगशाला में इस विषाणु को पैदा करके इसका परीक्षण किया और इसे पूरे विश्व में फैलाया ।  इसके रोकथाम के लिए जो इलाज चीन ने सुझाए उसी के तहत वह पूरी दुनिया से अरबों खरबों डालर कमाना चाहता है और इसके साथ पूरी दुनिया में शिकंजा रखना चाहता है और पूरी दुनिया चीन की इस कुचक्र में फंस गई अब वह धीरे-धीरे चीन पूरे विश्व पर शिकंजा कसने के लिए परमाणु परीक्षण के साथ-साथ टैंकों का युद्ध अभ्यास करके अपने नापाक इरादों को खुद ही बेनकाब कर रहा है।

दुनिया की इस बात से भी हैरान है कि कैसे चीन के बुहान में यह कोरोना 11859किमी दूर अमेरिका, 8659 किमी दूर इटली, 9084 किमी दूर फ्रांस, 8777किमी दूर ब्रिटेन व 3695 किमी दूर भारत में  तो भीषण कहर ढाता है पर वह चीन में ही मात्र 690 किमी दूरी पर स्थित शंघाई व 1052 किमी दूरी पर स्थित चीन की राजधानी बिजिंग में कोई प्रभाव नहीं डाल पाता है? चीन में उत्पन्न कोरोना बुहान को छोड कर चीन के अन्य किसी पडोसी शहर में भी कैसे प्रभावित नहीं कर पाया। यह रहस्य खुद ही चीन को कटघरे में खडा करता है कि दाल में कुछ काला नही  अपित दाल पूरी ही काली है।
ऐसे में विश्व समुदाय को एकजूट हो कर ऐसे कठोर अंकुश लगाने होंगे जिससे भविष्य में कोई भी देश चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो वह चीन की तरह विश्व को इतना लाचार व जमीदोज न कर पाये। इस प्रकरण में जिस प्रकार से विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका भी कम संदेहास्पद नहीं रही। उसको देखते हुए इन संस्थाओं को जवाबदेह बनाना होगा। ऐसा विश्व समुदाय को पहल करनी चाहिए कि भविष्य में कोई भी देश जैविक हथियारों से दुनिया को इस तरह घुटनो के बल टिकाने के लिए मजबूर करने की हिम्मत न जुटा पाये। इसके लिए अगर चीन इसके लिए सचमुच में दोषी है तो चीन पर कडे प्रतिबंद्ध लगा कर उसको हर हाल में  मानवता का सबक सिखाया जाय।

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