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प्रधानमंत्री मोदी ने केरल के पावन गुरूवायुर मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की कमल पुष्प से तुलाभरम पूजा अर्चना की

अन्याय का पुरजोर विरोध करना व सत् के पक्ष में सदैव खडे़ रहकरए सर्वभूतहिते रहना ही है भगवान श्रीकृष्ण की सच्ची पूजा मोदी जी!
प्यारा उतराखण्ड डाट काम

17वीं लोकसभा गठन के चुनावों में भारी जनादेश अर्जित करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी अपनी पहली केरल यात्रा पर पंहुचे। 8 जून को प्रधानमंत्री मोदी केरल के प्रसिद्ध गुरूवायुर मंदिर में पूजा अर्चना करने पंहुचे। केरल में गुरूवायुर मंदिर को धरती पर भगवान विष्णु का पावन धाम के रूप में जाना जाता है। यहां भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है। बालगृह में भगवान के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि गुरूवायुर मंदिर का निर्माण स्वयं देवताओं के गुरू बृहस्पति ने या था। ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर 5000 साल पुराना है। 1638 में मंदिर का पुनर्निमाण किया गया।  मंदिर  के गर्भगृह में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति है। इस पावन धरती को द्वारिका के नाम से जाना जाता है। गुरूवायुर आने से शक्ति मिलती है।
उल्लेखनीय है कि इस मंदिर में गैर हिंदूओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है। प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिर की पंरंपरा के अनुसार यहां पर धोती व गमछे में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना की। गुरूवायुर मंदिर में प्रधानमंत्री मोदी ने 112 किलोग्राम कमल के पुष्पों से “तुलाभरम” की विशेष पूजा की। गुरूवायुर मंदिर में प्रधानमंत्री मोदी ने 39421रूपये की पूजा अर्चना की, इस राशि का भुगतान प्रधानमंत्री ने इंटरनेट माध्यम से प्रदान किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा केरल मेरे लिए बनारस की तरह पावन धाम है। प्रधानमंत्री मोदी ने जो जनादेश मिला देश में सरकार बनाने का मै जनता जनार्जन के चरणों में शीष झूका रहा हॅू। कई लोग सोच रहे होंगे कि केरल में भाजपा का खाता भी नहीं खुला है फिर भी मोदी केरल में जनता को धन्यवाद देनेे आये हैंघ् मैं यहां व पूरे देश के 130 करोड़ भारतीयों को धन्यवाद देने के लिए आया हॅू। गुरूवायुर व गुजरात में आत्मीय संबंध है। भगवान कृष्ण के दोनों जगह परम धाम है। यहां से प्रधानमंत्री मालदीप के राजकीय दौरे पर जायेंगे।
प्रधानमंत्री के गुरूवायुर मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना पर प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए श्रीकृष्ण विश्व कल्याण भारती के प्रमुख देवसिंह रावत ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना करना श्रेष्ठकर्म है। परन्तु लोग भगवान श्रीकृष्ण के मर्म को समझ नहीं पाते है वे श्रीकृष्ण को मात्र मूर्तिवत मान कर पूजा अर्चना करते है। परन्तु भगवान श्री कृष्ण की सच्ची पूजा व उनका असली भक्त वही है जो उनके बताये मार्ग पर चले। भगवान श्रीकृष्ण की असली पूजा है “अन्याय का पुरजोर विरोध करना व सत् के पक्ष में सदैव खडे़ रहकर, सर्वभूतहितेरता रहना ही है । एक भारतीय शासक के रूप में अगर सत्तासीनों ने  अगर भगवान श्रीकृष्ण की सच्ची पूजा करनी है तो उन्हें देश में गौ हत्या सहित तमाम निर्दोष जीवों की हत्याओं पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, देश को अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी से मुक्त करना चाहिए देश में बिना जाति, धर्म, क्षेत्र व लिंग का भेद किये सबके विकास, सबके कल्याणए सबको न्याय व सम्मान के लिए सुशासन प्रदान करना चाहिए। इसके साथ देश की सुरक्षा पर ग्रहण लगाने वालों का दमन व सतपथ पर चलने वालों को सम्मानित करना चाहिए।

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