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आंध्र प्रदेश में भाजपा, कांग्रेस व तेदपा को धूल चटाने वाले आंध्र प्रदेश के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री येदुगुरी संदीप्ति जगनमोहन रेड्डी

पिता की मौत के बाद जगनमोहन रेड्डी ने अपमान व दमन करने वाली कांग्रेस को धूल चटा कर  लिया करारा बदला

प्यारा उतराखण्ड डाट काम
जैसे ही लोकसभा चुनाव-2019 के  साथ आंध्र प्रदेश की विधानसभा चुनाव के परिणाम 30 मई को घोषित हुए तो देश के 130 करोड़ भारतीयों की जुबान पर एक ही शब्द था वाह जगन मोहन रेड़्डी तूने क्या कमाल किया। 36 साल के नौजवान जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने आंध्र प्रदेश में अपने विरोधियों को एक प्रकार से पूरी तरह सफाया कर दिया। जगन ने मोदी के दिग्विजयी रथ को रोकने का काम किया, भाजपा, कांग्रेस व तेदेपा का एक प्रकार से सफाया ही कर दिया। आंध्र प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में से 22 सीटों पर जगन ने  विजय दर्ज की। वहीं 175 सीटों वाली आंध्र प्रदेश की विधानसभा चुनाव में 151विधानसभा सीटें जीत कर आंध्र प्रदेश में ही नहीं पूरे देश में जगन मोहन रेड्डी ने अपना डंका बजा कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हो गये।
30 मई को घोषित परिणामों में जहां पूरे देश में मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा की राजग गठबंधन ने 542 सीटों में से 353 सीटों पर विजय हासिल की तो पूरा देश मोदी मय हो गया। देश, विदेश व  प्रदेश से मोदी को बधाई देने वालों का तांता ही लग या। ऐसा लग रहा था कि मानों मोदी ने पूरा भारत ही जीत लिया। परन्तु इस चुनाव परिणाम में दो ऐसे परिणाम थे जिन्होने पूरे भारत के राजनीतिज्ञों का ध्यान बरबस अपनी तरफ आकृष्ठ कर लिया। पहला उडिशा  के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने जो इस विधानसभा  चुनाव में अपनी पार्टी बीजू जनता दल को ऐतिहासिक विजय दिला कर पांचवी बार उडिशा के मुख्यमंत्री बने। दूसरे जगन मोहन रेड़डी ने, जिन्होने आंध्र प्रदेश में पूरे देश में अपना डंका बजाने वाले प्रधानमंत्री मोदी का दिग्विजयी रथ आंध्र में जमीदोज कर दिया। जगन ने कांग्रेस से अपने अपमान व उपेक्षा करने वाली कांग्रेस पार्टी का खाता ही आंध्र में नहीं खुलने दे कर अपने अपमान का बदला दिया। वहीं जगन ने पूरे देश में प्रधानमंत्री मोदी को दुबारा सत्ता में न आने देने के लिए चुनाव से पहले व चुनाव परिणाम घोषित होने से ठीक पहले तक मजबूत विकल्प बनाने के लिए दिनरात एक करने वाले आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू को आंध्र प्रदेश की सत्ता से न केवल बेदखल किया अपितु मोदी के खिलाफ जुबान तक खोलने की ताकत का हरण तक कर दिया।

जगन रेड्डी का जन्म 21 दिसम्बर 1972 को आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले के पुलिवेंदुला गाँव में पूर्व मुख्यमंत्री  वाईएस राजशेखर  रेड्ड़ी के पुत्र के रूप में हुआ। जगन के पिता राजेश्वर रेड्डी आंध्र के लोकप्रिय राजनेता के साथ  2004 -2009 तक आंध्र प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे। जगन के पिता व दादा दक्षिण भारत चर्च के संचारक व सदस्य रहे।  जगन की एक छोटी बहन, वाई एस शर्मिला भी राजनीति में है। ंजगन ने प्रारंभिक शिक्षा पुलिवेंदुला और हैदराबाद पब्लिक स्कूल से प्राप्त की।अपने पिता के एक दुर्घटना में मृत्यु के बाद कांग्रेस द्वारा अपमानित व उपेक्षा किये जाने के बाद उन्होने अपने पिता के नाम पर वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की स्थापना की। जगन रेड्डी  2014 से 23 मई 2019 तक आंध्र प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता थे। जगन ने सन 2004 में कडप्पा जिले में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार करके अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की, और 2009 के चुनावों में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में कडप्पा निर्वाचन क्षेत्र से संसद सदस्य के रूप में चुना गया।
2009 में अपने पिता की मृत्यु के बाद, जगनमोहन ने अपने पिता द्वारा छोड़ी गई राजनैतिक विरासत को संभालने के लिए अपनी पूरी कोशिश शुरू कर दी। वाईएसआर की मृत्यु के बाद, अधिकांश विधायकों ने जगनमोहन को मुख्यमंत्री बनाए जाने का समर्थन किया। परन्तु कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी को उनके मठाधीशों ने गलत सलाह देकर सोनिया गांधी, जगन रेड्डी को न तो मुख्यमंत्री बनाया  व नहीं आंध्र की कमान ही सोंपी। इससे आहत हो कर उन्होने 29 नवंबर 2010 को, कांग्रेस पार्टी हाईकमान के को इस्तीफा दे दिया।  2010 में  उनकी पार्टी वाईएसआर कडप्पा जिले में चुनाव के लिए गई और लगभग सभी सीटों पर भारी बहुमत से जीत हासिल की।

जगनमोहन ने तेलुगु भाषा के दैनिक समाचार पत्र साक्षी और टेलीविजन चैनल साक्षी टीवी की स्थापना की। वह भारती सीमेंट्स के प्रमुख भी है।
वाईएस जगन पुलिवेंदला (विधानसभा क्षेत्र) के लिए नामांकन करते समय उन्होने अपनी 339,89,43,352 रुपये की चल सम्पति व
वाईएस जगन मोहन रेड्डी – 35,30,76,374 रुपये की अचल सम्पति की भी घोषणा की।

जगन इस भारी बहुमत यानी भारी जनांकांक्षाओं को अपने शासन से केसे साकार करेगे? यह उनकी शासन कुशलता पर ही निर्भर करेगा। अगर जनांकांक्षाओं को साकार करने में असफल रहे तो उनका हस्र भी आसाम के प्रफुल कुमार महंतदिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरह हो सकता है। जगन मोहन रेड्डी के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए उन्हे इस ऐतिहासिक विजय पर हार्दिक बधाई।

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