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लगातार पांचवी बार उडिशा के मुख्यमंत्री बने नवीन पटनायक

पश्चिम बंगाल के ज्योति बसु व सिक्किम के पवन चामलिंग के नवीन पटनायक बने देश के लगातार पांच बार मुख्यमंत्री बनने वाले तीसरे व्यक्ति

 

नवीन पटनायक के करिश्माई नेतृत्व के समक्ष मोदी की भाजपा को भी मुंह की खानी पड़ी

देवसिंह रावत

29 मई को उडिशा के राज्यपाल गणेशी लाल ने प्रदेश की राजधानी भुवनेश्वर में एक सार्वजनिक समारोह में नवीन पटनायक को उडिशा के मुख्यमंत्री की शपथ दिलायी। इस शपथ ग्रहण करते ही नवीन पटनायक देश के तीसरे ऐसे मुख्यमंत्री बन गये जिन्होने लगातार पांच बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, पश्चिम बंगाल के ज्योति बसु व सिक्किम के पवन चामलिंग के बाद ऐसे तीसरे व्यक्ति बन गये है जिन्होने लगातार पांच बार किसी प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर आसीन रहे। 29 मई को हुए शपथ ग्रहण समारोह में राज्यपाल गणेशी लाल  ने  नवीन पटनायक के साथ 20 मंत्रियों को भी मंत्रीपद की शपथ दिलायी।
2019 में हुए लोकसभा चुनाव के साथ उडिशा प्रांत की विधानसभा का भी चुनाव सम्पन्न हुए थे। 23 मई को लोकसभा चुनाव परिणाम के साथ उडिशा सहित अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव का परिणाम घोषित किये गये। 146 सदस्यीय उडिसा विधानसभा चुनाव परिणाम के तहत बीजू जनता दल ने भारी बहुमत से 112 सीटे जीत कर प्रदेश में लगातार 5 बार नवीन पटनायक के नेतृत्व में उडिशा में अपना परचम लहराने में सफलता अर्जित की। हालांकि 2019 के चुनावों में उडिशा में भी काबिज होने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने तमाम कोशिश की। परन्तु उडिसा में नवीन पटनायक के करिश्माई नेतृत्व के समक्ष मोदी की भाजपा को भी मुंह की खानी पड़ी। विधानसभा में भाजपा को केवल 23 विधायक ही अर्जित कर पायी। वहीं उडिशा की 21संसदीय सीटों पर बीजू जद-12, भाजपा-8 व कांग्रेस को मात्र 1 सीट मिली। वहीं 146 सदस्यीय उडिशा विधानसभा चुनाव में बीजद-112, भाजपा-23,कांग्रेस-9, माकपा-1 व निर्दलीय-1 सीट मिली।
नवीन पटनायक ने सन् 1997 में जनता दल के नेता और उनके पिता बीजू पटनायक के निधन के बाद ओडिशा की राजनीति में कदम रखा। नवीन पटनायक का नाम ओडिशा के इतिहास में सबसे लम्बे समय तक मुख्यमंत्री बनने का कीर्तिमान है। वो अभी तक अविवाहित हैं।

नवीन पटनायक का जन्म ओडिशा के कटक नगर में 16 अक्टूबर 1946 को हुआ।, उनके पिता ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक तथा माँ ज्ञान पटनायक थे। उनकी शिक्षा दून विद्यालय में हुई और बाद में उन्होंने किरोड़ीमल महाविद्यालय, दिल्ली से कला में स्नातक की शिक्षा पूर्ण की। नवीन पटनायक एक लेखक भी हैं और उन्होंने अपना युवाकाल लगभग रजनीति और ओडिशा से दूर ही व्यतीत किया। वर्ष 1997 में नवीन पटनायक ने उनके पिता का निधन होने के बाद राजनीति में कदम रखा और एक वर्ष बाद ही अपने पिता बीजू पटनायक के नाम पर बीजू जनता दल की स्थापना की। बीजू जनता दल ने उसके बाद विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की और भाजपा के साथ सरकार बनाई जिसमें वे स्वयं मुख्यमंत्री बने। उन्होंने श्भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई और गरीब समर्थक नीतियां अपने ही ढ़ंग से आरम्भ किया। उन्होंने नौकरशाही का ठीक से प्रबन्धन कर राज्य के विकास के अपने पिता के सपने को अपने विकास का आधार बनाया। इसी तरह उन्होंने ओडिशा में लोकप्रियता हासिल की और लगातार 5 बार पूर्ण जनाधार के साथ मुख्यमंत्री बनने में सफल हुये।

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