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अमेरिका के विशेष प्रयास व प्रहार के बाद ही मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने को माना चीन

ओसमा की तरह मसूद को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित करने से नहीं रूकेगा आतंक अपितु पाक को आतंकी देश घोषित करे भारत

इस्लामी व नक्सली आतंक से बचने के लिए अमेरिका,रूस, चीन  व इजराइल की तरह ठोस सुरक्षा नीति बनाये भारत

देवसिंह रावत
भारत में इन दिनों  17वीं लोकसभा चुनाव में भारत की सत्ता में आसीन होने के लिए लालायित राजनैतिक दल भीषण गर्मी में भी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने में दिन रात एक किये हुए है। वहीं दूसरी तरफ पहली मई को घटित दो घटनाओं ने देश की सुरक्षा के प्रति उदासीन भारतीय राजनेताओं की सत्तालोलुपता के कारण भारत पर मंडरा रहे भीषण खतरे ने पूरी तरह से बेनकाब कर दिया है। पहली मई को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में नक्सली हमले में सुरक्षा बलों के 15 जवान बारूदी सुरंग के विस्फोट में शहीद होने से पूरा देश स्तब्ध हो गया। लोग इस बात से हैरान हैं कि आखिर देश इस्लामी व नक्सली आतंकियों के दंश को कब तक झेलता रहेगा। आखिर सरकारें इन भारतद्रोही आतंकियों का सफाया क्यों नहीं कर रही है? वहीं दूसरी तरफ खबर आयी कि पुलवामा हमले के मुख्य गुनाहगार आतंकी सरगना मसूद अजहर व उसके आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद को सुरक्षा परिषद ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया।
देश के सामरिक चिंतक इस बात से परेशान है कि दशकों से भारत में पाक आतंकी व नक्सली देश को अपने नापाक हमलों से छलनी कर रहा है। भारत की सरकारों ने अभी तक देश की सुरक्षा की कोई ठोस नीति नहीं बनायी। केवल एकाद कार्यवाही करने के बाद देश के हुक्मरान देश की सुरक्षा के लिए ठोस सुरक्षा नीति बनाने के बजाय सत्तामद में कुंभकर्णी नींद में सौ जाते है। इसी के कारण मसूद जैसे आतंकी संगठन भारत की संसद से लेकर मुम्बई, पठानकोट, उड़ी व पठानकोट जैसे हमला करके भारत की  एकता व अखण्डता को निर्ममता से रोंदे जा रहे है। भारत को चाहिए कि वह इन आतंकियों का सफाया करने के लिए ठोस नीति बना कर उस पर युद्धस्तर पर कार्य करने के बजाय आंख में धूल झोंकने का काम करके अपना कर्तव्य इतिश्री समझते है। इससे देश की सुरक्षा को नक्सली व इस्लामी आतंक से खतरनाक खतरा मंडराने लगा है। देश की राजनैतिक दल देश की सुरक्षा पर एकजूट नीति बनाने के बजाय सत्तामोह में अंध तुष्टिकरण के लिए भारत की एकता व अखण्डता को नजरांदाज करते रहते। सरकार को चाहिए था कि पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करके उसको कडा सबक सिखाते। भारत को अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस बात से बाग बाग नहीं होना चाहिए कि मसूद व जैश पर प्रतिबंध लग गया या उसे अंतराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया। अब सब साफ हो जायेगा। यह हमारी भूल होगी। मसूद या जैश जैसे अनैक संगठन है। उनका अपना अस्तित्व नहीं है। वे सब पाक के प्यादे है। इसलिए पाक पर अंकुश लगाये बिना आतंक पर अंकुश नहीं लगेगा। मसूद की जगह वह अपने दूसरे आतंकी को आगे बढा देगा। भारतीय हुक्मरानों को साफ समझना चाहिए कि जब ओसमा बिन लादेन को भी अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित किये जाने के बाबजूद पाकिस्तान उसे आराम से ऐशगाह उपलब्ध कराते रहा। पाक में वह जेल में बंद रहे या खुला रहे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। भारत को चाहिए कि वह तुरंत मसूद आदि आतंकियों को सौंपने की मांग करे। भारत को अगर ईमानदारी से आतंक पर अंकुश लगाना है तो अमेरिका की तरह समर्पित हो कर ठोस कार्य करे। पाक को आतंकी देश पहले खुद घोषित करके पूरे विश्व से घोषित कराये। इसके साथ  पाक आतंकियों के साथ नक्सलियो का करे सफाया सरकार।  परन्तु अफसोस है कि अभी तक भारत सरकार इस दिशा में ठोस कार्य करते नहीं दिख रहे है। भारतीय हुक्मरानों का पाकिस्तान  के प्रति नजरिया क्या है यह विश्वकप क्रिकेट में पाक के साथ खेलने को तैयार होने से साफ बेनकाब हो गया।
भारत की संसद सहित दर्जनों स्थानों पर आतंकी हमला कराने के मुख्य गुनाहगार मसूद अजहर व उसके आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद  को संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद से अंतराष्ट्रीय आतंकी घोषित करके प्रतिबंद्ध लगाने के एक दशक के अथक प्रयास को 1 मई को  ऐतिहासिक  सफलता मिल ही गयी। नयी सरकार के गठन के लिए भारत में हो रहे आम चुनाव के बीच आयी इस खबर से बाग बाग सत्तारूढ भाजपा जहां इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी की कुटनीति को इसका श्रेय दे रही है। यह भी सही है कि मोदी सरकार ने इसके लिए काफी सराहनीय प्रयास किये। हालांकि यह प्रयास विगत दस साल यानी कांग्रेस गठबंधन की मनमोहनी सरकार के कार्यकाल से ही निरंतर चल रही थी। हकीकत यह है कि 4 बार सुरक्षा परिषद में मसूद को आतंकी घोषित कराने की भारत सरकार की दस सालों से चल रही सतत प्रयासों को तब सफलता मिली जब अमेरिका ने चीन पर निर्णायक दवाब बनाया। इस समय मिली सफलता का असली रहस्य  मसूद अजहर व उसके आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद  को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित कराने में भारत को मिली  सफलता के लिए अमेरिका व उसके मित्र राष्ट्रों (फ्रांस व बिट्रेन)के विशेष प्रयास सबसे असरदार रहा। क्योंकि अमेरिका व उसके मित्र राष्ट्रोें के दवाब में ही मसूद अजहर व उसके आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को सुरक्षा परिषद में  विगत 4 बार बचाने वाले  चीन को अपना  विरोध वापस लेना पड़ा। बार बार मसूद की ढ़ाल बने चीन को इस बार अमेरिका ने दो टूक शब्दों में कह दिया था कि चीन को अब अपना दोहरा मापदण्ड पर खुली बहस करनी होगी। इसके कारण बताने होंगे। अमेरिका ने जिस प्रकार से चीन द्वारा अपने देश में मुसलमानों को आतंकी बता कर कड़ा अंकुश लगाया है वहीं भारत, अफगानिस्तान सहित अनेक देशों में आतंकी गतिविधियों में संलग्न मसूद अजहर को बचा कर आतंक को संरक्षण दे रहा है। अमेरिका द्वारा चीन की दुखती रग पर हाथ रखे जाने के बाद चीन ने मसूद को संरक्षण देने की नीति में बदलाव करते हुए विश्व समुदाय का साथ खडे होने में अपनी भलाई समझी। क्योंकि चीन को इस बात का अहसास हो गया था कि चीन में मुस्लिमों पर लगाये उसके अंकुश को अमेरिका पूरे विश्व में बेनकाब कर देगा। बेवजह अमेरिका चीन को मुस्लिमों व मानवाधिकारों का दुश्मन सहजता से घोषित कर देगा। अभी तक चीन ने मुस्लिमों पर लगाये गये अंकुशों से बचने के लिए पाक को अपना ढाल बना रखा था। इसके साथ मसूद पर अपनी छ़त्रछाया रखकर वह पाक के आतंकियों को अपने विरोध में मुंह खोलने से बचता रहता।  मसूद के खिलाफ एक दशक से भारत निरंतर विश्व समुदाय का ध्यान आकृष्ठ कर रहा है। मुंबई हमले के बाद 2009 में अजहर मसूद के खिलाफ पहली बार तत्कालीन मनमोहन सरकार ने सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पेश किया। 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के बाद मोदी सरकार ने भी यह  प्रस्ताव को सुरक्षा परिषद में पेश किया।  2017 में उड़ी में सेना के कैंप में आतंकी हमले के बाद ये प्रस्ताव तीसरी बार सुरक्षा परिषद में पेश किया गया। चैथी बार पुलवामा हमले के बाद पेश किया गया।  परन्तु चीन हमेशा खलनायक बन कर 25 सालों में 20 से ज्यादा बड़े आतंकी हमले भारत पर करने वाले जेश ए मोहम्मद के सरगना को बचाता रहा।
मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी। संयुक्त राष्ट्र संघ ने जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को विश्व की स्थिरता व शांति के लिए खतरा मानते हुए उसे अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित कर उस पर कडे प्रतिबंध लगा दिये है। हालांकि भारत को इस बात का संतोष है कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा में किये गये भीषण आतंकी हमले के 75 दिन बाद सुरक्षा परिषद ने इस पकिस्तानी आतंकी मसूद अजहर को अन्तराष्ट्रीय आतंकी घोषित किया ।
किसी भी व्यक्ति को वैश्विक आतंकी घोषित करने का फैसला प्रस्ताव 1267 के तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद करती है।

संसार की इस सर्वोच्च सुरक्षा परिषद में अमेरिका, रूस,  फ्रांस, ब्रिटेन और चीन, स्थायी सदस्य हैं। इन 5 स्थाई देशों के अलावा 10 अस्थाई सदस्य हैं। किसी को वैश्विक आतंकी घोषित करने सबसे बडी शर्त यह है कि सभी स्थायी सदस्य इस प्रस्ताव पर  सहमत  हो। एक भी स्थाई सदस्य की आपत्ति से यह प्रस्ताव रूक जाता है।  इस सूची में नाम आने के बाद वह व्यक्ति व संगठन को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित हो जाता है। फिर वह न तो संसार में कहीं यात्रा कर सकता है व उसकी सारी सम्पतियां जब्त की जाती है।
संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद ने मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए केवल पुलवामा हमले को ही आधार नहीं बनाया गया। मसूद पर लगे सुरक्षा परिषद की घोषणा के बाद पाकिस्तान ने ऐलान किया कि अब अजहर पर प्रतिबंध लगेंगे, वह न विदेश यात्रा कर पाएगा और न ही हथियारों की सप्लाई ।

हालांकि  सुरक्षा परिषद ने पुलवामा सहित किसी एक हमले के आधार पर उसे वैश्विक आतंकी घोषित नहीं किया। इससे जुड़े कई सबूत सेंक्शंस कमेटी को सौंपे गए थे। वैश्विक आतंकी घोषित होना किसी आतंकी का बायोडाटा नहीं माना जा सकता। उसके द्वारा की गई सभी आतंकी साजिशें अधिसूचना में सूचीबद्ध होंगी।
मसूद को आतंकी घोषित किये जाने पर अमेरिका ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि  आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान को सतत कार्रवाई करनी होगी और उसे वैश्विक दायित्वों को निभाना होगा।.
वहीं इस प्रस्ताव को लाने वाले अमेरिका व ब्रिटेन के साथ सबसे महत्वपूर्ण देश फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, मसूद पुलवामा हमले के लिए जिम्मेदार था। उल्लेखनीय है कि फ्रांस ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए खुद ही  15 मार्च को ही मसूद पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। एक दशक के सतत प्रयास के बाद मसूद को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित कराने में सफलता के बाद भारत ने पूरे विश्व समुदाय को धन्यवाद दिया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, ‘कि सभी देशों ने मिलकर मसूद को वैश्विक आतंकी करार दिए जाने का फैसला लिया है।
अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित मसूद 2001 में संसद , 2016 में पठानकोट वायुसेना अड्डा, उरी में सेना मुख्यालय व पुलवामा पर किये हमले का दोषी है। जो भारत में गिरफ्तार किया जा चूका था पर एक विमान अपहरण किये जाने पर वाजपेयी सरकार के दौरान इसको छोड़ना पडा। उसके बाद यह निरंतर भारत पर आतंकी हमला करवा रहा है। एक प्रकार से मसूद भी पाकिस्तान का एक बडा आतंकी प्यादा है। भारत को चाहिए कि अब अपना पूरा ध्यान पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित कराने में लगाये। तभी भारत में आतंकी घटनाओं पर अंकुश लगेगा। भारत को इस्लामी आतंक के साथ नक्सली आतंक पर तत्काल अंकुश लगाने के लिए युद्धस्तर पर इजराइल, अमेरिका, रूस व चीन की तरह कदम उठाने होंगे। तभी भारत की एकता व अखण्डता सुरक्षित होगी। शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्रीकृष्णाय् नमो।

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