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कर्णप्रयाग, पौडी, व उप्र की बालिकाओं के साथ हुई हैवानियत पर ईमानदारी से अंकुश लगाने को तैयार नहीं है सरकार

हैवानों को तो कानून देगा सजा पर, नशे व अश्लीलता की गर्त में देश को बर्बाद करने वाली सरकारों को कौन देगा सजा ?

मोदी सरकार, नाबालिकों को यौन अपराध का शिकार बनाने वाले अपराधियों को फांसी की सजा देने के लिए बनायेगी कानून

हैवानों को फांसी का कानून बनाने के साथ नशा, अपराध व अश्लीलता को बढावा देने की खुद की अपराधिक प्रवृति पर अंकुश लगाये सरकार

प्यारा उतराखण्ड डाट काम
दिसम्बर माह के अंतिम पखवाडे को पौडी, कर्णप्रयाग व उप्र में हुई मानवता को शर्मसार करने वाली जघन्य घटनाओं से पूरा उतराखण्ड व उप्र सहित देश का आम जागरूक आदमी आक्रोशित है। ऐसी ही घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए मोदी सरकार द्वारा 28 दिसम्बर को नाबालिकों को यौन अपराध का शिकार बनाने वाले अपराधियों को फांसी की सजा देने के लिए कानून बनाने की पहल का देश के जनमानस ने स्वागत किया। पर हकीकत यह है कि कठोर कानून बनाने व उस पर अमल किये जाने के बाबजूद भी इस  प्रकार की जघन्य घटनायें थमने का नाम नहीं ले रही है।

ऐसी ही घटनाओं से शांत समझे जाने वाले उतराखण्ड भी शर्मसार है। इसी पखवाडे पौडी में एक स्थानीय हैवान ने एक परीक्षा दे कर लौट रही एक छात्रा को जिंद्दा जला दिया। देवभूमि के लोग इस सदमें से उबर भी नहीं पाये थे कि इसी सप्ताह कर्ण प्रयाग में तीन कुडा बीनने वाले बाहरी हैवानों ने चाकू की नोक पर एक छात्रा से दुष्कर्म करने की घटना ने लोगों स्तब्ध कर दिया। लोग इन हैवानों को तुरंत फांसी की सजा देने की मांग करते हुए प्रदेश भर में धरना प्रदर्शन कर रहे है। कुछ लोग देवभूमि में मांस  मछली,कपडे इत्यादि समान बेचने वाले बाहरी फैरी वालों पर तत्काल रोक लगाने की मांग कर रहे है। इसी जनदवाब में कर्णप्रयाग पुलिस प्रशासन ने वहां पर रहने वाले किरायेदारों का सत्यापन भी कर रही है। ऐसा नहीं कि ऐसे अपराध केवल उतराखण्ड में ही हो रहे है। इसी दिसम्बर माह में उप्र में भी एक लडकी को कुछ अपराधियों ने जला दिया। देश की राजधानी दिल्ली में महिलाओं व बाल योन अपराधों की घटनायें समय समय समय पर देश को शर्मसार करती रहती है।
25 दिसम्बर को कर्णप्रयाग महाविधालय की एक छात्रा के साथ कबाड बीनने वाले तीन लडकों ने चाकू की नोक पर दुष्कर्म किया। 26 दिसम्बर को छात्रा ने कर्णप्रयाग थाने में जैसे ही इसकी शिकायत की तो पूरा उतराखण्ड आक्रोशित से सडकों पर आंदोलित है। पुलिस ने 27 दिसम्बर को इन तीनों हैवानों मनोज, छोटू व रोहित ंको दबोच कर जिला न्यायालय में पेश किया। न्यायालय ने इस तीनों गुनाहगारों को पुरसाड़ी की जेल में भेज दिया। इस काण्ड को तीनो गुनाहगार बाहरी क्षेत्रों के है। इस काण्ड के खिलाफ प्रदेश भर में छात्र-छात्राओं, युवाओं सहित बडी संख्या में समाजसेवियों ने प्रदर्शन कर गुनाहगारों को शीघ्र फांसी की सजा देने की मांग की।
गोपेश्वर में उक्रांद ने मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर महिला अपराधों पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाने की मांग की। कर्णप्रयाग की घटना से गढ़वाल विवि के छात्रों में भारी आक्रोश बना हुआ है। गढ़वाल विविद्यालय के विभिन्न छात्र संगठनों ने श्रीनगर में विरोध स्वरूप आक्रोश रैली निकाल  कर आरोपितों को फांसी की सजा देने की मांग की।

इस घटना से चंद दिन पहले 16 दिसम्बर को उतराखण्ड के पौडी जनपद के विकासखण्ड कलजीखाल (पट्टी कफोलस्यू) पल्ली गांव की बीएससी की छात्रा नेहा नेगी को उसी क्षेत्र के एक 12 साल उम्र में बडे अपराधी मनोज उर्फ बंटी ने बुरी तरह से जलाने की घटना ने न केवल उतराखण्ड की जनता को अपितु देश के सभी संवेदनशील लोगों को स्तब्ध कर दिया। बुरी तरह से जली हुई नेहा नेगी की गंभीर  स्थिति को देख कर उसको पहले श्रीनगर, फिर एम्स  रिषिकेश अस्पताल में ले गये, उसके बाद उसको देश में जले के उपचार के लिए विख्यात सबसे बडे अस्पताल दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में लाया गया। वहां उपचार के दौरान ही पीड़िता की दर्दनाक मोत हो गयी। उतराखण्ड का आम जनमानस इस अपराधी को तुरंत फांसी देने की मांग कर रहा है।
इस घटना से आहत समाजसेवी प्रदीप नौडियाल ने प्यारा उतराखण्ड को बताया कि 16दिसम्बर को यह हैवानियत तब हुई जब लड़की पेपर देकर आ रही थी और वह हैवान अपने साथियों को जंगल मे घात लगा कर बैठा  था। खबर है कि जलाने के बाद खुद उस हैवान ने इसकी सूचना पीड़िता के परिजन को दी। पुलिस ने इस  दरिंदे को गिरफ्तार कर लिया। यह हैवान शादी शुदा है और वह नसेडी व अपराधिक प्रवृति का ड्राइवर है। दो साल पहले जब उसने इस लडकी के साथ छेडखानी व दुरव्यवहार किया तो उस लडकी ने इस अपराधी को सरेआम करारा थप्पड मारा था। अपने अपराध को नजरांदाज कर इस अपराधी ने प्रतिशोध लेने के लिए यह जघन्य हैवानियत कृत्य को अंजाम दिया।

वहीं इन अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए 28 दिसम्बर को दिल्ली में केन्द्रीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बच्चों और किशोरों के साथ यौन शोषण के अपराधियों को सजा-ए-मौत देने से संबंधित संशोधन को मंजूरी दे दी।  पॉक्सो एक्ट, 2012 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसकी जानकारी देते हुए देश के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि बच्चों और किशोरों को यौन अपराधों से बचाने के लिए 2012 में बाल योन अपराध रोक कानून यानी पॉक्सो कानून बनाया गया था। इसमें 18 वर्ष से कम आयु के किशोर और बच्चे के खिलाफ यौन अपराध के दोषी को कड़ी सजा का प्रावधान किया गया था। देश में बच्चों के खिलाफ यौन अपराध की बढ़ती घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए उद्देश्य से यह संशोधन किया गया है। अपराधियों को सख्त सजा देने के लिए पॉक्सो कानून 2012 की धारा 4, 5, 6, 9, 14, 15 और 42 में संशोधन किया गया है। धारा 4, 5 और 6 में संशोधन कर अब यह प्रावधान किया गया है कि यौन शोषण के बर्बर मामलों में अब अपराधी को सजा-ए-मौत भी दी जा सकेगी। कानून की धारा-9 में प्राकृतिक आपदाओं के समय बच्चों के यौन शोषण के अपराधों की सजा को भी सख्त बनाने और बच्चों को सेक्स के लिए परिपक्व बनाने के उद्देश्य से उनके शरीर में हार्मोन या रासायनिक पदार्थ चढ़ाने के दोषियों को भी सजा के दायरे में लाने का प्रावधान प्रस्तावित है। बाल योन अपराध पर अंकुश लगाने के लिए पॉक्सो कानून की धारा 14 और 15 में भी संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। बाल यौन शोषण से संबंधित अश्लील सामाग्री को नहीं हटाने या उसका प्रसार करने पर भी जुर्माना लगाया जाएगा। इसमें जेल की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। बाल योन अश्लील फिल्म/साहित्य के संग्रह करने पर भी अंकुश लगाया जायेगा।

पर  सच्चाई यह है कि दिल्ली की दामिनी प्रकरण पर सरकार द्वारा कडे कानून बनाये जाने के बाद भी इन प्रकार की घटनाओं से आये दिन समाचार पत्र भरे रहते है। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि ऐसी घटनाओं पर अंकुश क्यों नहीं लग रहा है।
लोगों को विश्वास था कि देश को स्तब्ध करने वाली दिल्ली की दामिनी के बाद हैवानों पर कडे अंकुश लगाने वाले कानून बनाने के बाद ऐसी शर्मसार करने वाली घटनाओं पर अंकुश लगेगा। परन्तु इस प्रकार की घटनायें दिन प्रतिदिन देश के विभिन्न भागों में पहले से ज्यादा संख्या में हो रही है।
लोग बेखबर है कि इस प्रकार की प्रवृति का मूल है देश की सरकारों की शराब, अपराध व अश्लीलता को बढावा देने वाली कुनीतियां। सरकार जिस प्रकार से राजस्व बढाने के नाम पर शराब का अंधाधुंध प्रचार कर घर घर शराब पंहुचाने का आत्मघाती कुनीति अपना रही है। उससे देश का सामाजिक तानाबाना पूरी तरह ध्वस्थ सा हो गया है। गांधी जी ने सच ही कहा  था कि शराब सभी बुराईयों की माॅ है। इसके साथ जिस प्रकार से सरकार अपने फिल्म/धारावाहिक /इंटनेटी में अश्लीलता पर अंकुश नहीं लगाया जा रहा है, उससे नौनिहालों में अश्लीलता ने शिकंजा कस लिया है। अवैध सम्बंधों, अश्लीलता व नशे के खिलाफ जब तक सरकार अंकुश लगाने वाली नीति नहीं बनायेगी और शिक्षा में नैतिक शिक्षा का समावेश नहीं करेगी तब तक कितने ही कडे कानून क्यों न बना दिये जाये इस पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता। सरकारों की अपराध व यौन अपराधों पर रोकने की ईमानदारी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राष्ट्रीय राजमार्गों पर शराब की दुकानों पर प्रतिबंध लगाने के आदेश पर पलीता लगाने की हरकतों से पूरी तरह बेनकाब हो चूका है।
सरकारों को हर हाल में राजस्व के लिए शराब व अश्लीलता को प्रसार करने वाली नीतियों पर पहले अंकुश लगाना ही होगा। तभी देश, समाज व बेटियां बचेगी। इसके बिना इस प्रकार की घटनाओं पर मात्र कानून के सहारे अंकुश लगाने की आशा करना एक प्रकार से दीवास्वप्न देखने के समान ही है।

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