उत्तराखंड

आधा बजट सत्र नहीं अपितु गैरसैंण राजधानी चाहती है प्रदेश की जनता

उत्तराखण्ड का आधा बजट सत्र देहरादून व आधा गैरसैंण में किया जायेगा।
 देहरादून में 20 से 23 फरवरी को, गैरसैंण में 14 से 28 मार्च होगा बजट सत्र

रंग ला रहा है गैरसैंण राजधानी बनाओं आंदोलन का असर,
अब और नौटंकी नहीं गैरसैंण को राजधानी घोषित करों आंदोलनकारियों ने दी बजट सत्र में गैरसैंण को राजधानी घोषित करने की चेतावनी

देवसिंह रावत

उत्तराखण्ड सरकार बनने के बाद पहली बार प्रदेश सरकार का बजट सत्र को आधा देहरादून व आधा गैरसैंण में किया जायेगा। 30 दिसम्बर को प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने इसका ऐलान विधानसभाध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने किया। उनके अनुसार विधानसभा का सत्र का प्रथम भाग 20 फरवरी से 23 फरवरी को देहरादून में तथा दूसरा भाग 14 मार्च से 28 मार्च को गैरसैंण स्थित भराड़ीसेण विधानसभा में आयोजित किया जायेगा। विधानसभाध्यक्ष के अनुसार कुछ दिनों ने इसकी अधिसूचना जारी की जायेगी।
गौरतलब है कि कई महिनों ने राजधानी गैरसैंण बनानेे के लिए प्रदेश के पर्वतीय जनपदों में निरंतर आंदोलन चल रहा है। आंदोलनकारियों के ही दवाब में ग्रीष्मकाल में गैरसैंण में विधानसभा सत्र न कराने वाली त्रिवेन्द्र सरकार, शीतकालीन सत्र कराने के लिए तत्पर रही। अब जब प्रदेश के आंदोलनकारियों ने सरकार को बजट सत्र में गैरसैंण राजधानी घोषित करो या गद्दी छोड़ो की चेतावनी के साथ देहरादून में विशाल जनांदोलन करने की दो टूक चेतावनी दी है। सरकार की खुपिया ऐजेन्सियों ने सरकार को आगाह कर दिया है कि इस बार प्रदेश में राज्य गठन आंदोलन की तर्ज पर राजधानी गैरसैंण आंदोलन छिड सकता है। जो प्रदेश सरकार के लिए गले की हड़ी बन सकता है। इसका असर 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तराखण्ड सहित देश की 35 लोकसभा सीटों में सीधे पडने की आशंका से मोदी के रणनीतिकाारों ने प्रदेश सरकार को गैरसैंण को नजरांदाज न करने की दो टूक चेतावनी के बाद ही प्रदेश सरकार ने आनन फानन में शीतकालीन सत्र गैरसैंण में कराया। अब  प्रदेश का आधा बजट  सत्र गैरसैंण में ही कराने का ऐलान कर चूकी है।
सरकार के इस ऐलान से पहले ही राज्य गठन आंदोलन की तर्ज पर गैरसैंण राजधानी बनाने के लिए निरंतर आंदोलन को जनांदोलन में तब्दील करने में जुटे है। इसके साथ देहरादून, रूद्रप्रयाग, श्रीनगर, पौड़ी, चमोली, गैरसैंण, बागेश्वर, अल्मोड़ा व दिल्ली सहित अनेक स्थानों पर गैरसैंण की निरंतर अलख जगायी हुई है। दिल्ली के प्रेस क्लब से लेकर देहरादून के गांधी मैदान, रूद्र प्रयाग से लेकर गैरसैंण में निरंतर गैरसैंण आंदोलन की चिंगारी ज्वाला बनने को धधक रही है।
इसी 17 फरवरी को देहरादून में आंदोलनकारी बड़ी संख्या में मशाल जलूस में जनता को उतारने में जुटे है। इन दिनों महिला, छात्र, पूर्व सैनिक, सामाजिक संगठन व गैरसैंण समर्थक राजनेतिक दलों ने इस आंदोलन को एकजूट हो कर आंदोलन छेडने की रणनीति को अमलीजामा पहना रहे है। इसका एक नमुना 17 फरवरी को देहरादून में दिखाई देगा। भले ही प्रदेश में गैरसैंण आंदोलन को चलाने वाले संगठनों ने अभी बड़ा व्यापक प्रदेश व्यापी संगठन नहीं बना है। परन्प्तु जिस तरह से दिल्ली के प्रेस क्लब में तमाम गैरसैंण समर्थक राजनैतिक दलों, गैरसैंण आंदोलन को संचालित करने वाले प्रमुख आंदोलनकारी व राज्य गठन के समर्पित आंदोलनकारी एकजूट हुए उससे प्रशासन के कान खडे हो गये। इस बात का प्रशासन संतोष कर  सकते है कि देश में सबसे अधिक 30 लाख की संख्या में रहने वाले उत्तराखण्डियों को एकजूट कर रामलीला मैदान में युवाओं को उतारने वाला ‘ उत्तराखण्ड  एकता मंच अपने ध्वजवाहकों की अदूरदर्शिता की भैंट चढ़ गया। नहीं तो सितम्बर 2016 में संसद भवन से मुजफ्फरनगर रामपुर तिराहे शहीद स्थल से होते हुए कोटरद्वार, सतपुली, पौड़ी, श्रीनगर, रूद्रप्रयाग, गोचर, कर्णप्रयाग, सिमली, आदिबदरी, विधानसभा भवन भराड़ीसैण, गैरसैंण, चैखुटिया, द्वाराहाट, रानीखेत,, बेतालघाट, रामनगर होते हुए संसद की चैखट पर गैैरसैंण राजधानी बनाओ तीन दिवसीय यात्रा निकाल कर उत्तराखण्ड के कुम्भकर्णी राजनेताओं की नींद उडा दी थी। उसके बाद रामलीला मैदान में भी राज्य गठन आंदोलन के बाद उत्तराखण्डियों का पहला विशाल सम्मेलन रामलीला मैदान में किया। उसमें भी गैरसैंण राजधानी बनाने की पुरजोर मांग की गयी।
अब जनता इस मामले में और इंतजार करने के पक्ष में नहीं है। जब गैरसैंण मे ही प्रदेश का एकमात्र विधानसभा भवन बन चूका है। प्रदेश का शीतकाल व ग्रीष्मकालीन दोनों सत्र हो चूके है। अब सबसे महत्वपूर्ण बजट सत्र का आयोजन भी गैरसैंण में हो रहा है फिर किस मुह से प्रदेश की सरकारें गैरसैंण को राजधानी घोषित करने से कतरा रही है। जनता अब आरपार का संघर्ष करके शहीदों के सपनों की राजधानी गैरसैंण हासिल करने का मन बना चूकी है।

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