उत्तराखंड

न्याय की देवी के घर पर बालिका पर हुए अन्याय से लगा लोगों के न्याय पर विश्वास को गहरा झटका

देवभूमि के हरिद्वार में न्याय की देवी के घर में बंधुआ मजदूर बनायी गयी 14 वर्षीया बालिका को मिली मुक्ति

हरि(प्याउ)। ’जब बाड़ ही खेत की फसल को खाने लगे तो किस पर विश्वास करेन्याय की देवी ही अन्याय करने लगे तो फरियाद कहां करे।’ यह कथन हर उस संवेदनशील इंसान की जुबान पर तब निकला जब खबरिया चैनलों के माध्यम से देश के लोगों ने 29 जनवरी को यह खबर सुनी की कि हरिद्वार में एक महिला जज के घर प्रशासन ने छापा मार कर एक 14 साल की नाबालिक बालिका को मुक्त कराया। उसे महिला जज के घर पर काम करने के लिए रखा गया था परन्तु न तो उसे भरपेट खाना दिया जाता था और नहीं उसे घर से बाहर आने दिया जाता। उसे बात बात पर मारा पीटा जाता था।
इसकी भनक जब उसके नैनीताल निवासी परिजनों ने उच्च न्यायालय में महिला जज के यंहा बंधक बनायी गयी बच्ची को मुक्त करने की गुहार लगायी तो उच्च न्यायालय भी हैरान रह गया कि न्याय के मंदिर में न्याय की देवी के घर में ऐसा अन्याय हो रहा है। यह कृत्य पूरी न्याय पालिका की छवि पर भी कुठारा घात है। इस शिकायत को मिलते ही उच्च न्यायालय ने इसकी जांच के लिए जिला जज हरिद्वार को निर्देश दिये। जिला जज राजेन्द्र सिंह चैहान के नेतृत्व में जिला पुलिस अधीक्षक एएसपी रचिता जुयाल बाल कल्याण कमेटी के सदस्यों ने महिला जज की रोशनाबाद कालोनी स्थित महिला जज के आवास पर छापा मार कर बंधक बनायी गयी बालिका को मुक्त किया। उसका चिकित्सा जांच की गयी। बालिका के शरीर पर चोट के निशान लगे थे। जैसे ही यह मामला खबरिया चैनलों से पूरे देश के लोगों तक पंहुचा तो लोग सन्न रह गये कि देवभूमि में भगवान हरि व हर के द्वार में न्याय की देवी के यहां एक नाबालिक के साथ ऐसा अन्याय। लोग हैरान थे कि जिनके सामने लोग न्याय की फरियाद करते वे खुद अन्याय करने लगे तो किस पर विश्वास करे। इस मामले से उच्च न्यायालय भी हैरान है। दोषी महिला जज को भले ही दण्ड देकर न्यायपालिका अपना न्याय करेगी परन्तु इस घटना को सुन कर लोगों का न्याय के प्रति विश्वास को गहरा धक्का लगा। पर लोग उच्च न्यायालय की उचित कार्यवाही को खुल दिल से सराहा।

हैरानी की बात  हैं भी। क्योंकि  पाप से मुक्ति के लिए लोग देवभूमि के हरिद्वार में देश विदेश से आते है । यही नहीं अन्याय से बचने के लिए न्याय की फरियाद जिन न्याय के मंदिर स्वरूप न्यायालय में करते है। वहां पर स्थित न्याय की देवी जब ऐसा अन्याय ढाये तो लोग फरियाद व विश्वास किससे करेंगे।

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