उत्तर प्रदेश

जीवन में कल्याण का सर्वोच्च मूलमंत्र है सर्वभूतहितेरता और वासुदेव सर्वम्

देवसिंह रावत 
जीवन में कल्याण का सर्वोच्च मूलमंत्र है सर्वभूतहितेरता और वासुदेव सर्वम्। जब इंसान सबमें परमात्मा स्वरूप देखेगा तो वह किसी से धृणा, राग द्वेष, द्रोह कर ही नहीं सकता। वह किसी के अमंगल की कामना कर नहीं सकता। वह सबके कल्याण की कामना करेगा और सबकी भलाई में हरपल रत रहेगा। छल, प्रपंच, लूट, खसोट, शोषण व दमन करना तो रहा दूर ऐसे विचार तक मन में उत्पन्न हो ही नहीं सकता।
इसी मूल मंत्र को आत्मसात करने वाले समर्थ गुरू रामकृष्ण परमंहंस ने सत् की खोज में दर दर भटक रहे युवा नरेन्द्र को विवेकानंद नामदान कर व  जगत जननी माॅ भगवती के काली रूप का साधक बना कर पूरे विश्व में भारतीयता का परचम लहरवाया।
इस मूल मंत्र को आत्मसात किये बिना दुनिया की तमाम उपलब्धी, पद, दोलत, सम्मान साधना, तप, जप, सिद्धि सब व्यर्थ है। यह मूल मंत्र को आत्मसात करना ही जीवन का सर्वोच्च साधना व उपलब्धी है। यही जीवन की सफलता है। परन्तु यह मूल मंत्र कहने व पढ़ने को जीतना सहज व सरल लगता, वह आत्मसात करना बेहद विकट है। बडे बडे तपस्वी, साधक, विद्धान भी इस सहज दिखने वाले मूल मंत्र को आत्मसात् नहीं कर पाते है। वे सांसारिक उपलब्धियों व संसाधनों की चकाचैध में सत् से विमुख हो कर अहं रूपि पतन के गर्त में बर्बाद हो जाता है।वहीं दूसरी तरफ जो भी प्राणी इस मूल मंत्र को आत्मसात करता है वह दिव्य कल्याण के महासागर का अमृतपान कर अपना जीवन धन्य करता है।

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