तकनीक देश

काश वैज्ञानिकों की तरह देश के हुक्मरानों में भी देश की आन मान शान की रक्षा करते

परमाणु क्षमता से लैस  अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण
नई दिल्ली (प्याउ)। भारतीय वैज्ञानिकों ने देश की पहली परमाणु क्षमता युक्त अग्नि-5 मिसाइल का 18 जनवरी  को सफल परीक्षण कर अपना परचम पूरे विश्व में लहरा दिया है। अंतर महाद्वीपीय मिसाइल अग्नि-5 का परीक्षण सुबह ओडिशा तट पर स्थित डा. अब्दुल कलाम द्वीप (व्हीलर द्वीप) से किया गया। इस मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद इसकी जद में पूरा पाकिस्तान और चीन आ गए हैं।
इस परीक्षण से जहां भारत की सामरिक ताकत में इजाफा हुआ वहीं भारत को तबाह करने को तुले चीन व पाक इस मिसाइल की मारक क्षमता में पूरी तरह आ गये है। इस सामरिक शक्ति के परीक्षण के बाद लोगों की जुबान पर एक ही सवाल था कि काश भारत के वैज्ञानिकों की तरह देश के हुक्मरानों के दिलों में भी देश का परचम पूरे विश्व में लहराने का जनून होता तो भारत को तबाह करने में तुले चीन व पाक के नापाक कृत्यों पर देश के हुक्मरान इस प्रकार शर्मनाक कायराना मौन नहीं साधे रखते।
गौरतलब है कि  जमीन से जमीन पर मार करने वाली लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का 18 जनवरी को सफल परीक्षण उड़ान की गयी। परीक्षण उड़ान 9 बजकर 53 मिनट पर ओड़िशा के डॉ अब्दुल कलाम आईलैंड से की गयी। मिसाइल का यह पांचवां परीक्षण था। सभी पांचों अभियान सफल रहे हैं।

लांच आप्रेशन का नेतृत्व अग्नि-5 के परियोजना निदेशक जी रामागुरु और अग्नि के कार्यक्रम निदेशक एम आर एम बाबू ने किया। रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और प्रक्षेपास्त्र एवं सामरिक प्रणालियों के महानिदेशक डॉ जी सतीश रेड्डी ने लांच का अवलोकन किया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की एएसएल, डीआरडीएल, आईटीआर, आरसीआई और टीबीआरएल प्रयोगशालाओं के निदेशकों ने संपूर्ण लांच ऑप्रेशन की समीक्षा की। इस अवसर पर सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। डीआरडीओ के अध्यक्ष एवं डीडीआर एण्ड डी के सचिव डॉ एस क्रिस्टोफर ने अग्नि-5 टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि अग्नि-5 की लगातार पांचवीं सफल परिक्षण उड़ान से देश की रक्षा क्षमता में वृद्धि होगी।

रक्षामंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने चेन्नई में रक्षा उद्योग विकास समागम का उद्घाटन करते हुए अग्नि-5 की सफल परीक्षण उड़ान पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने इस सफलता के लिए डीआरडीओ को बधाई दी। उन्होंने मिसाइल के निर्माण में घरेलू प्रोद्योगिकियों का उपयोग करने के लिए भारतीय उद्योगों की प्रशंसा की।

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