उत्तराखंड

गैरसैंण राजधानी बनाने के दो टूक प्रश्न पर अवाक हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत

भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की फटकार व जनता के आक्रोश में गैरसैंण में शीतकालीन सत्र का आयोजन करने के लिए मजबूर हुए त्रिवेन्द्र सरकार

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत द्वारा गेरसैंण में ग्रीष्म कालीन राजधानी बनाने की बात पर प्यारा उत्तराखण्ड के सम्पादक देवसिंह रावत ने पूछा दो टूक सवाल

नई दिल्ली (प्याउ)। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार 3 नवम्बर को नई दिल्ली में प्रेसवार्ता की। इस प्रेस वार्ता में प्यारा उत्तराखण्ड के सम्पादक देवसिंह रावत ने जैसे ही मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत को गैरसैण्ंा में विधानसभा सत्र कराने की सरकार की मंशा पर बधाई देते हुए दो टूक सवाल पूछा कि सरकार का गैरसैंण पर क्या नजरिया है।

जैसे ही मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने कहा कि उनकी सरकार गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने जा रही है। इसके लिए सरकार अभी आधारभूत ढांचा तैयार कर रही है। मुख्यमंत्री के जवाब को सुन कर प्यारा उत्तराखण्ड के सम्पादक देवसिंह रावत ने कहा कि किसकी मांग पर सरकार गैरसैंण को ग्रीष्म कालीन राजधानी बनाने जा रही है।? गैरसैंण के मुद्दे पर पहले से असहज महसूस करने वाले व गैरसैंण के सवाल को अनसुना करने की कोशिश करने वाले मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत, प्यारा उत्तराखण्ड के सवाल का जवाब दे नहीं पाये।
गौरतलब है कि दिल्ली में मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार प्रेस मिलन पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत गैरसैंण के मुद्दे को हवा में उडाते हुए उपहास करते नजर आ रहे थे। उस समय भी प्यारा उत्तराखण्ड के सम्पादक देवसिंह रावत व वरिष्ठ पत्रकार व्योमेश जुगरान ने गैरसैंण राजधानी बनाने की पुरजोर मांग की थी। उस समय भी प्रदेश सरकार ग्रीष्म कालीन सत्र का आयोजन गैरसैंण में करने से कतराती रही। उसके बाद जब यह मामला प्रधानमंत्री मोदी, अध्यक्ष अमित शाह व संघ के दरवार में पंहुचा तो तब आलाकमान की फटकार के बाद त्रिवेन्द्र सरकार को गैरसैंण की सुध शीतकाल में लेनी पड़ी। इसके बाबजूद अभी भी गैरसैंण राजधानी बनाने के मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री ही नहीं पंचतारा सुविधाओं की लत में घिरे अधिकांश विधायक व नौकरशाह के गले भी गैरसैंण उतर नहीं रहा है। परन्तु उत्तराखण्ड के हितों के लिए समर्पित लोग निरंतर सरकार व भाजपा नेतृत्व पर यह दवाब बनाये हुए है।   
देश की राजधानी दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य अपनी स्थापना के 17 वर्ष पूर्ण कर चुका है। 18 वर्ष की अवस्था युवावस्था होती है। यही समय होता है जब व्यक्ति अपने जीवन लक्ष्यों को मजबूती से स्थापित करते हुए उन्हे प्राप्त करने की दिशा में कदम आगे बढ़ाता है। पिछले 17 वर्षों में उत्तराखण्ड ने बहुत कुछ हासिल किया है परन्तु मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार जन संवाद और जन भागीदारी को प्रोत्साहन देकर नीति निर्माण मंे सभी का योगदान चाहती है। उन्होंने बताया कि उन्होंने स्वयं मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश के दूरस्थ इलाकों मंे वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से लोगों से संवाद शुरू किया है उनकी भावना, सोच को, उनकी अपेक्षाओं को जानने का प्रयास किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य स्थापना समारोह की श्रृंखला में भी सरकार का उद्देश्य जन भागीदारी जन संवाद को प्रोत्साहन देना है। इसी कड़ी में ‘‘रैबार‘‘ कार्यक्रम किया जा रहा है। ‘‘रैबार‘‘ कार्यक्रम में उत्तराखण्ड मूल के विशिष्ट प्रतिष्ठित राष्ट्रीय अन्र्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लोग प्रतिभाग करेंगे। ‘‘रैबार यानी संदेश, यह कार्यक्रम संदेश है उत्तराखण्ड के विकास, खुशहाली के लिए हमें रास्ता बतायें, हमें सुझाव दें, हमारी सहायता करें। उत्तराखण्ड काॅलिंग, उत्तराखण्ड पुकार रहा है। उन्होंने बताया कि ‘‘रैबार‘‘ में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार  अजीत डोभाल, प्रधानमंत्री के सचिव भाष्कर खुल्बे, आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत, कोस्ट गार्ड के डायरेक्टर जनरल राजेन्द्र सिंह, रेलवे बोर्ड के चेयरमेन  अश्विनी लोहानी, प्रसिद्ध गीतकार प्रसून जोशी जैसे विशिष्ट महानुभावों सहित 200 गणमान्य व्यक्ति प्रतिभाग करेंगे। ‘‘रैबार‘‘ कार्यक्रम चार सत्रों मंे आयोजित होगा। एक उद्घाटन सत्र, दो तकनीकि सत्र तथा एक समापन सत्र होगा। उद्घाटन सत्र में ‘उत्तराखण्ड की पुकार, रूके पलायन, मिले रोजगार’ विषय पर चर्चा होगी। प्रथम तकनीकि सत्र में ‘‘उत्तराखण्ड के दो अनमोल रत्न-पर्यटन और पर्यावरण’’ विषय पर चर्चा होगी। दूसरे तकनीकि सत्र में ‘‘इन्वेस्टमेंट, इंडस्ट्री, इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं इन्फाॅर्मेशन के साथ नया उत्तराखण्ड’’ विषय पर चर्चा होगी। अन्तिम सत्र में ‘‘ऐसे बनेगा नया उत्तराखण्ड’’ विषय पर चर्चा होगी।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि ’रैबार’ के साथ ही इस वर्ष हम अपने स्थापना समारोह में दो बड़ी नदियों, रिस्पना और कोसी के पुनर्जीवीकरण का अभियान भी शुरू करेंगे। 6 नवम्बर को देहरादून में जल पुरूष  राजेन्द्र सिंह और वृक्ष मित्र  सच्चिदानंद भारती के साथ रिस्पना नदी को उसके ऋषिपर्णा के मूल रूप में लाने का कार्यक्रम शुरू करेंगे। इसी प्रकार कोसी नदी के लिये अल्मोडा में कार्यक्रम चलायेंगे। उन्होंने बताया कि उन्होंने 06 नवम्बर को देहरादून में तैनात सभी आई.ए.एस. अधिकारियों को सरकारी स्कूलों में जाने के निर्देश दिये है। अधिकारी सरकारी स्कूलों में जायें, बच्चों से सीधा संवाद करें, उनकी समस्याओं एवं अपेक्षाओं को जाने और वापस आकर अनके समाधान और बेहतरी के लिए जुट जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सचिवालय किसी प्रदेश के शासन प्रशासन का नर्वस सिस्टम होता है। यहां से पूरे प्रदेश को कार्य संस्कृति की प्रेरणा मिलती है। सचिवालय में यही कार्य संस्कृति, जनता के प्रति संवेदनशीलता और ईमानदारी एवं पारदर्शिता का संदेश देने के लिए सभी सचिवालय कर्मी 07 नवम्बर को सुबह ‘‘रन फार गुड गवर्नेंस‘‘ में प्रतिभाग करेंगे।
मुख्यमंत्री ने मीडिया को अपने पिछले 7 माह के कार्यकाल की प्राथमिकताएँ बताते हुए कहा कि केन्द्र सरकार की आर्थिक सलाहकार परिषद और नीति आयोग द्वारा तैयार किए गए सूचकांक के अनुसार सामाजिक तरक्की के मामले में उत्तराखण्ड, देश का चैथा शीर्ष राज्य है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दिल्ली में प्रेसवार्ता के दौरान सरकार की पिछले 7 महीनों की मुख्य प्राथमिकताएं बताते हुए कहा कि राज्य सरकार जनता को भ्रष्टाचार मुक्त पारदर्शी शासन देने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही, सरकार के क्रियाकलापों में जनसहभागिता को सुनिश्चित किया जाना भी सरकार की प्राथमिकताओं में है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के वित्तीय बोझ को कम करते हुए राजस्व बढ़ाने के उपाय किए जा रहे हैं। पर्यटन को स्वरोजगार से जोड़ने की पहल शुरू की गई है। जनता से सीधा संवाद किया जा रहा है। कृषि आय दोगुना करना सरकार की प्राथमिकता है। गुड गवर्नेंस के लिए समाधान पोर्टल पर को मजबूत किया गया है। शिकायतों के लिए 1905 टोल फ्री नंबर जारी किया गया है।
उन्होंने कहा कि पलायन रोकने के लिये पलायन आयोग का गठन किया गया है। जिसका मुख्यालय पौड़ी में खोला गया है। साथ ही स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जा रहा है। पिरूल से बायोफ्यूल निकालने की योजना शुरू की जा रही है। होम स्टे योजना को बढ़ावा दिया जा रहा है। आओ अपने गांव की ओर लौटो, गांव के लिए कुछ करो, (घौर आवा, अपणा गौं का वास्ता कुछ करा…) मुहिम शुरू की जा रही है। उन्होंने कहा कि 670 न्याय पंचायतों को ग्रोथ सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है। राज्य सरकार ने स्वच्छता को प्राथमिकता में रखा है। उत्तराखंड ग्रामीण इलाकों में खुले में शौच मुक्त हुआ देश का चैथा राज्य है। उन्होंने कहा कि मार्च 2018 तक शहरी क्षेत्र को भी खुले में शौच मुक्त बनाएंगे। राज्य में 50 हजार से ज्याद टॉयलेट्स का निर्माण कराया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहाड़ और मैदान में संतुलन बनाया जा रहा है। इसके लिए पहाड़ पर कृषि और बागवानी में सुधार लाने हेतु कार्य किया जा रहा है। इसके साथ-साथ मैदान में स्टार्ट अप और उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की तैनाती में पहाड़ों को प्राथमिकता दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैदानी क्षेत्रों में नदियों को पुनर्जीवित करना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि कृषि एवं कृषकों प्रोत्साहित करने हेतु सरकार लगातार प्रयासरत् है। कृषि में चुनौतियां बहुत हैं, 70 फीसदी आबादी खेती पर निर्भर है, लेकिन खेती योग्य भूमि सिमटकर 7.70 लाख हेक्टेयर से घटकर 6.98 लाख हेक्टेयर रह गई। उन्होंन कहा कि राज्य का कुल भूमि का 71 फीसद वन क्षेत्र, 3 लाख हेक्टेयर बंजर भूमि है। पहाड़ों में ज्यादातर भूमि असिंचित है। 2004-05 में राज्य की जीडीपी में कृषि का योगदान 16.04 प्रतिशत था…अब यह घटकर 8.94 प्रतिशत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। किसानों को 2 फीसदी ब्याज पर 1 लाख रु. तक का कर्ज दिया जा रहा है। राज्य में चकबंदी की शुरुआत की जा रही है, यह एक गेमचेंजर फैसला है। राज्य में क्लस्टर बेस्ड फार्मिग के साथ सगंध पौधों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। किसानों को पारंपरिक खेती  के साथ जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। कृषि संबंधित विभागों के एकीकृत किया जा रहा है। राज्य सरकार ने नर्सरी एक्ट लागू करने का फैसला लिया है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि डबल इंजन की सरकार के फायदे बताते हुए कहा कि केदारनाथ धाम में नई केदारपुरी का निर्माण किया जा रहा है। 889 किलोमीटर लंबे ऑल वेदर रोड के प्रोजेक्ट्स के लिए भूमि अधिग्रहण और भू-हस्तातरण का काम तेजी से पूर्ण किया जा रहा है। केंद्र से ऑलवेदर रोड प्रोजेक्ट के लिए गढ़वाल क्षेत्र में 1700 करोड़ रुपए आवंटित किये जा चुके हैं, केंद्र की तरफ से, जल्द ही 4000 करोड़ रुपए की राशि आवंटित कर दी जाएगी। 148 कमी लंबे टनकपुर-पिथौरागढ़ हाइवे के लिए 1557 करोड़ रुपए आवंटित कर दिए गए हैं। 125 किमी लंबे ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन निर्माण की हर पल मोनिटरिंग की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नई केदारपुरी का निर्माण किया जा रहा है। नई केदारपुरी पौराणिकता और आधुनिकता का संगम होगा। नई केदारपुरी मास्टर प्लान के आधार पर बसाई जाएगी। जिसमें श्रद्धालुओं के लिए तमाम तरह की सुविधाएं होंगी। आपदा जैसी स्थिति से सुरक्षित रखने के लिए त्रिस्तरीय रिटेंनिंग वॉल का निर्माण किया जा रहा है। मंदाकिनी एवं सरस्वती नदियों के घाटों पर सुरक्षा दीवारें बनाई जाएंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 13 जिलों में 13 नए पर्यटन स्थल विकसित किए जा रहे हैं। पहाड़ में स्थित पर्यटन क्षेत्रों को रोप-वे से जोड़ने का काम किया जा रहा है। इसके अंतर्गत खरसाली-यमुनोत्री, गोविन्दघाट-घाघरिया, गुच्चुपानी-मसूरी के बीच रोप वे स्थापित किए जा रहे हैं। रोजगार के क्षेत्र में 5 करोड़ तक के ठेके स्थानीय युवाओं को दिए जा रहे हैं। अगले तीन साल में 40 हजार युवाओं को स्किल्ड करने का लक्ष्य रखा गया है। चमोली और पिथौरागढ़ में कौशल विकास केंद्रों की स्थापना की जाएगी। आईटीआई व पॉलिटेक्निक छात्रों को इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग दी जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। करप्शन पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। गड़बड़ियां सामने आने पर उनकी समयबद्ध जांच एसआईटी से करवाई जाएगी। दोषी अफसरों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि भूमि मुआवजा घोटाला और राशन वितरण घोटाला पर एक्शन लिया गया है। सरकार ने ट्रांसफर और पोस्टिंग में पारदर्शी नीति अपनाई है। इसके साथ-साथ खनन माफियाओं पर लगाम कसने के लिए ई-टेंडरिंग की वयवस्था लागू की गई है।

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