उत्तर प्रदेश

श्री हंस जी महाराज के जीवन का उददेश्य था मानव कल्याण-माता मंगला जी

नई दिल्ली से वी के त्यागी  
अध्यात्म ज्ञान के द्वारा लोगों में राष्ट्रप्रेम, मानवीय एकता, शांति तथा सदभाव का संचार करने, भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देेने तथा समाज सेवा के प्रति लोगों को जागरूक करने के संकल्प के साथ श्री हंसलोक आश्रम में दो दिन से चल रहा विशाल सत्संग समारोह सम्पन्न हो गया। योगीराज श्री हंस जी महाराज की पावन जयंती के उपलक्ष्य में परमपूज्य श्री भोले जी महाराज एवं माताश्री मंगला जी के सानिध्य में हंस कल्चरल सेंटर द्वारा आयोजित इस समारोह में देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु- एवं संत-महात्मा शामिल हुए।
इस मौके पर आध्यात्मिक विभूति माताश्री मंगलाजी ने कहा कि योगीराज श्री हंसजी महाराज तथा गुरू नानक देव जी दोनों ही अपने-अपने समय के ऐसे महान संत थे जिन्होंने धार्मिक संकीर्णता तथा सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लोगों को जागरूक किया। उन्होंने अज्ञानता के अंधकार में फंसे करोड़ों लोगों को अध्यात्म ज्ञान की दीक्षा देकर उन्हें सत्य, ध्र्म तथा सदाचार के मार्ग पर लगाया। उन्होंने कहा कि श्री हंस जी महाराज तथा गुरू नानक देव दोनों ही महापुरफषों के जीवन का उददेश्य मानव समाज का कल्याण करना था। वे सर्वधर्म सम्भाव में विश्वास रखते थे तथा उनका कहना था कि भगवान की शक्ति एक ही है जो हिन्दू, मुसलमान, सिक्ख, ईसाई, आस्तिक तथा नास्तिक सभी के हृदय में समान रूप से समाई हुई है।  उस शक्ति का ज्ञान समय के सदगुरू महाराज कराते हैं लेकिन उसी मनुष्य को जिसके अंदर श्रद्धा होती है।
माताश्री मंगला जी ने कहा कि अध्यात्म ज्ञान सभी धर्मों तथा धर्मग्रंथों का मूल है। आध्यात्म ज्ञान के प्रचार-प्रसार से ही दुनिया में शांति कायम की जा सकती है। उन्होंने कहा कि श्री हंस जी की कठोर तपस्या, साधना तथा अथक परिश्रम का ही नतीजा है कि आज हम सब उनके द्वारा फैलाये गये अध्यात्म ज्ञान के आलोक से प्रकाशित हो रहे हैं। उन्होंने श्री हंस जी महाराज का भावपूर्ण स्मरण करते हुए उनसे प्रार्थना की कि वे हम सब पर अपनी कृपा दृष्टि तथा आशीर्वाद हमेशा बनाये रखें ताकि उनके ज्ञान प्रचार तथा जनसेवा के कार्यो को आगे बढ़ाया जा सके।
परमपूज्य भोलेजी महाराज ने समारोह में उपस्थित श्रद्धालुओं का आहवान किया कि वे श्री हंस जी महाराज के जीवन से प्रेरणा लें तथा दुनिया के कोने-कोने में जाकर अध्यात्म ज्ञान का प्रचार-प्रसार करें जिससे समाज में व्याप्त बुराइयों पर काबू पाया जा सके। उन्होंने-‘‘श्री हंसजी के नाम का तुम ले लो सहारा’’ तथा ‘‘छोड़कर संसार जब तू जायेगा’’ आदि भजन गाकर श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।
समारोह में महात्मा आत्मसंतोषी बाई, महात्मा हरिप्रिया बाई तथा श्री मंगल जी सहित कई संत-महात्माओं ने भी श्री हंस जी महाराज के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला तथा सत्संग विचारों से जनमानस को लाभान्वित किया। लोक गायिका नेहा खंकरियाल, भजन गायक चंद्रशेखर पंत तथा पूरन पांडेय ने भक्ति, ज्ञान, सत्संग, भगवान शिव, सदगुरू तथा श्री हंसजी महाराज की महिमा से जुड़े भजन प्रस्तुत किये। माता राजेश्वरी करूणा स्कूल देघाट, अल्मोड़ा के बच्चों ने भगवती मां नंदा की आकर्षक झांकी तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर पंडाल में उपस्थित श्रद्धालु-भक्तों का मन मोह लिया।

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