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गरीबों को मेट्रो रेल से दूर रखने का षडयंत्र है मेट्रों के किराये में भारी बढ़ोतरी

 मेट्रो में निरंतर बढ़ रही भीड़ की समस्या से परेशान है तो उसका समाधान मेट्रो की संख्या के साथ साथ अधिक डिब्बों को बढ़ा कर किया जा सकता  है

 

नई दिल्ली(प्याउ)। मेट्रो, दिल्ली की कामकाजी जनता  की पहली पंसद बनी दिल्ली मेट्रो, आम जनता को मेट्रो से दूर करने का षडयंत्र रच रहा हैं। इसके तहत दिल्ली मेट्रो का पुन्न किराया बढ़ाने का ऐलान तक कर दिया। इससे दिल्ली मेट्रों में गरीब जनता पांव रखने का भी साहस तक न कर पाये। इसको केवल पैसे वालों की सुविधा की मेट्रो में तब्दील करना चाहते है।

इसका किराया इतना बढ़ाने का ऐलान दिल्ली मेट्रो ने किया कि जिससे आम गरीब, कामगार आदमी इस मेट्रों में पांव भी न रख सके।  सुत्रों के अनुसार दिल्ली मेट्रो के प्रस्ताव के मुताबिक दिल्ली मेट्रो में किराया न्यूनतम 10 रुपये से लेकर अधिकतम 60 रुपये किया जाएगा जबकि अभी ये न्यूनतम 10 रुपये से अधिकतम 50 रुपये है। इसी साल मई के महीने में ही मेट्रो में किराये बढ़ाये गए थे. ये इस साल की दूसरी बढ़ोतरी है। मई की बढ़ोतरी से पहले मेट्रो में किराया न्यूनतम 8 रुपये से अधिकतम 30 रुपये था, यानी एक तरह से 3 अक्टूबर से जो नए किराए लागू होंगे वो मई से पहले के किराए के मुकाबले दोगुने होंगे।
दिल्ली मेट्रो के अध्यक्ष मंगू सिंह ने मेट्रो के किराया बढ़ाने की मंशा जाहिर की। 28 सितम्बर को दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत के साथ हुई बैठक के बाद मंगू सिंह ने यह ऐलान किया। मंगू सिंह ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि किराया तय करने वाली समिति बीते साल सितंबर में ही बन गई थी और मई महीने में नए किराए का ऐलान हो गया था इसलिए फिलहाल तो किराए बढ़ेंगे.।

हालांकि दिल्ली सरकार ने मेट्रो के किराया बढ़ाने पर अपना विरोध जताया है। देखना है मेट्रो में गरीब आदमी को सफर करने के अधिकार की रक्षा दिल्ली प्रदेश की सरकार कर पाती है या नहीं। पर इतना साफ है कि देश के संसाधनों से चलने वाली मेट्रो को केवल अमीरों के लिए संचालित करना लोकशाही का अपमान है। दिल्ली मेट्रों द्वारा कुछ माह पहले बढ़ाये गये किराये से पहले बड़ी संख्या में आम आदमी सफर करता था। इनमें बड़ी संख्या में कम बेतन लेने वाले कर्मचारी भी सम्मलित थे। अब दिल्ली मेट्रो का किराया इतना हो जायेगा कि उसका कम वेतन उसको मेट्रो से दूर रह कर घण्टों बसों में समय बर्बाद करने के लिए मजबूर होना पडेगा। मेट्रों आज भी लाभप्रद है परन्तु इसका कुप्रबंधन के साथ गरीबों को मेट्रो से दूर करने की मंशा के कारण बार बार किराया बढ़ाया जा रहा है।

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