उत्तराखंड

मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के गुनाहगारों को सजा न दिये जाने से आहत उत्तराखण्डियों ने मनाया 2 अक्टूबर को काला दिवस

मुख्य कार्यक्रम संसद के द्वार पर मनाया काला दिवस, मुख्यमंत्री ने मुजफ्फरनगर स्थित शहीद स्मारक दी श्रद्धांजलि
राष्ट्रपति को दिया मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के गुनाहगारों को सजा न दिये जाने पर रौषयुक्त ज्ञापन
गुनाहगारों को सजा देने के बजाय शर्मनाक संरक्षण देने के लिए उत्तराखण्ड केे सभी मुख्यमंत्रियों के साथ  उप्र व केन्द्र सरकार को दी लानत

 

नई दिल्ली(प्याउ)।  2 अक्टूबर 2017 को महात्मा गांधी जयंती के दिन 23 साल बाद भी मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के गुनाहगारों को सजा न दिये जाने से आक्रोशित उत्तराखण्डियों ने काला दिवस मना कर अपना विरोध प्रकट किया। 2 अक्टूबर को उत्तराखण्ड, दिल्ली सहित देश विदेश में रहने वाले सवा करोड़ उत्तराखण्डियों ने  मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस काण्ड के गुनाहगारों को 23 साल बाद भी सजा न दिये जाने के विरोध में मुख्य कार्यक्रम संसद की चैखट जंतर मंतर दिल्ली पर विगत 23 सालों की तरह ही काला दिवस के रूप पर मना कर देश के हुक्मरानों को धिक्कारा। वहीं मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड ने मुजफ्फरनगर स्थित रामपुर तिराहे पर बने शहीद स्थल पर जा कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। वहीं देहरादून, नैनीताल सहित देश के विभिन्न शहरों में सैकड़ों श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किये गये।
2 अक्टूबर को उत्तराखण्डी समाज व सभी आंदोलनकारी संगठनों के सबसे बड़ा कार्यक्रम संसद की चैखट पर काला दिवस के रूप में मनाया गया। इसका आयोजन सभी आंदोलनकारी संगठनों की समन्वय समिति व दिल्ली राजधानी क्षेत्र की सभी जागरूक सामाजिक संगठनों ने किया। संसद की चैखट पर आयोजित इस कार्यक्रम में  इस आशय का एक रौष युक्त ज्ञापन राष्ट्रपति महोदय को भी भैंट किया गया। ज्ञापन में राष्ट्रपति से देश की व्यवस्था के रक्षकों द्वारा देश के संविधान व मानवता को रौंदने वाले इस जघन्य काण्ड के दोषियों को तत्काल सजा दे कर भारतीय संविधान, संस्कृति व न्याय की रक्षा करने का गुहार की लगाई गयी।

हीं आंदोलनकारियों ने एक स्वर में 1994 से अब तक की उप्र व केन्द्र सरकारों सहित सभी राजनैतिक दलों की इस प्रकरण के दोषियों को सजा न दिलाने के लिए कड़ी भत्र्सना की। वक्ताओं ने देश के सर्वोच्च न्यायालय सहित न्याय व्यवस्था को इन गुनाहगारों को सजा न देने के लिए कडघरे में खड़ा किया। सबसे अधिक उत्तराखण्डी इस बात से आहत थे कि शहीदों के बलिदान व आंदोलनकारियों के संघर्षो से गठित उत्तराखण्ड राज्य की अब तक की कांग्रेस व भाजपा के साथ समर्थन देने वाले दलों की सरकारों ने इस काण्ड के दोषियों को सजा देने के बजाय शर्मनाक संरक्षण देने का काम किया। इसके लिए आंदोलनकारियों ने स्वामी, कोश्यारी, तिवारी, खण्डूडी, निशंक, बहुगुणा व दोनो रावतों को भी उत्तराखण्डियों से किये गये इस विश्वासघात के लिए धिक्कारा । वहीं इस प्रकरण पर सपा, बसपा व कांग्रेस के अलावा इस प्रकरण पर संसद से सड़क पर घडियाली आंसू बहाने वाली भाजपा को भी इस प्रकरण के गुनाहगारों को संरक्षण देने के लिए धिक्कारा।

आंदोलनकारियों में इस बात से बेहद गुस्सा था कि जिस मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के गुनाहगारों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय व देश की सर्वोच्च जांच ऐजेन्सी सीबीआई द्वारा दोषी ठहराने के बाबजूद इस काण्ड के 23 साल बाद भी देश की व्यवस्था द्वारा इन गुनाहगारों को दण्डित करने के बजाय पद्दोन्नित करके पुरस्कृत किया गया। इसी के विरोध में आक्रोशित उत्तराखण्डी विगत 23 सालों से संसद की चैखट जंतर मंतर पर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए काला दिवस मना कर देश के हुक्मरानों का धिक्कारते हैं।
इस अवसर पर तमाम वक्ताओं ने एक स्वर में इस काण्ड की कडी भत्र्सना करते कहा कि देश की एकता, अखण्डता व विकास के लिए समर्पित रहे ‘उत्त्राखण्ड राज्य गठन जनांदोलन’ में गांधी जयंती की पूर्व संध्या 1 अक्टूबर 1994 को, 2 अक्टूबर 1994 को आहुत लाल किला रेली में भाग लेने आ रहे शांतिप्रिय हजारों उत्तराखण्डियों को, मुजफ्फरनगर स्थित रामपुर तिराहे पर अलोकतांत्रिक ढ़ग से बलात रोक कर जो अमानवीय जुल्म, व्यभिचार व कत्लेआम उत्त्र प्रदेश की तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार व केन्द्र में सत्तासीन नरसिंह राव की कांग्रेसी सरकार ने किये, उससे न केवल भारतीय संस्कृति अपितु मानवता भी शर्मसार हुई। परन्तु सबसे खेद कि बात है कि जिस भारतीय गौरवशाली संस्कृति में नारी को जगत जननी का स्वरूप मानते हुए सदैव वंदनीय रही है वहां पर उससे व्यभिचार करने वाले सरकारी तंत्र में आसीन इस काण्ड के अपराधियों को दण्डित करने के बजाय शर्मनाक ढ़ग से संरक्षण देते हुए पद्दोन्नति दे कर पुरस्कृत किया गया। सबसे हैरानी की बात है कि जिस मुजफ्फरनगर काण्ड-94 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मानवता पर कलंक बताते हुए इसे शासन द्वारा नागरिकों पर किये गये बर्बर नाजी अत्याचारों के समकक्ष रखते हुए इस काण्ड के लिए तत्कालीन मुजफ्फनगर जनपद(उप्र) के जिलाधिकारी अनन्त कुमार सिंह व पुलिस अधिकारियों डीआईजी बुआ सिंह व नसीम इत्यादि को सीधे दोषी ठहराते हुए इनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने का ऐतिहासिक फैसला दिया था। यही नहीं माननीय उच्च न्यायालय ने केन्द्र व राज्य सरकार को उत्तराखण्ड के विकास के प्रति उदासीन भैदभावपूर्ण दुरव्यवहार करने का दोषी मानते हुए दोनों सरकारों को यहां के विकास के लिए त्वरित कार्य करने का फैसला भी दिया था। जिस काण्ड पर देश की सर्वोच्च जांच ऐजेन्सी सीबीआई ने जिन अधिकारियों को दोषी ठहराया था, जिनको महिला आयोग से लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग दोषी मानता हो परन्तु दुर्भाग्य है कि इस देश में जहां सदैव ‘सत्यमेव जयते’ का उदघोष गुंजायमान रहता हो, वहां पर उच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के बाद अपराधियों व उनके आकाओं के हाथ इतने मजबूत रहे कि देश की न्याय व्यवस्था उनको दण्डित करने में आज 23 साल बाद भी अक्षम रही है।
काला दिवस रूपि श्रद्धांजलि समारोह में सबसे पहले मुजफ्फरनगर काण्ड सहित राज्य गठन आदंोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ गत वर्ष दिवंगत हुए राज्य गठन आंदोलन के वरिष्ठ आंदोलनकारी साथी जगदीश नेगी, कमला रावत व राजेन्द्र धस्माना के सम्मान में दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि सभा का शुभारंभ किया गया। काला दिवस कार्यक्रम का संचालन देवसिंह रावत ने किया। इसमें सभी आंदोलनकारियों ने मुजफ्फरनगर काण्ड के गुनाहगारों को 23 साल बाद भी सजा न दिये जाने के विरोध में काला फीता पहन कर अपना विरोध प्रकट किया।
काला दिवस श्रद्धांजलि सभा के संयोजक देवसिंह रावत ने बताया कि 2 अक्टूबर को उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन के प्रमुख संगठनों व तमाम सामाजिक संगठनो ने उत्त्राखण्ड आंदोलनकारी संगठनों की समन्वय समिति के बैनर तले संसद की चैखट जंतर मंतर पर आयोजित इस काला दिवस में उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा, उत्तराखण्ड लोकमंच, उत्तराखण्ड जनमोर्चा, उत्तराखण्ड महासभा, उत्तराखण्ड क्रांतिदल सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की उत्तराखण्ड एकता मंच सहित तमाम प्रमुख सामाजिक संगठनों ने भाग लेते हुए मुजफ्फरनगर काण्ड-94 सहित राज्य गठन जनांदोलन के सभी शहीदों को अपनी भावभीनी श्रद्वांजलि अर्पित करते हुए ‘उत्तराखण्ड के शहीद अमर रहे, मुजफ्फरनगर काण्ड के दोषियों को सजा दो, नरेन्द्र मोदी, त्रिवेन्द्र रावत शर्म करो’ व मुलायम सिंह को फांसी दो आदि गगनभेदी नारे लगाये। इस अवसर पर आंदोलनकारियों ने उत्तराखण्ड प्रदेश की अब तक की सरकारों को प्रदेश के आत्मसम्मान व जनांकांक्षाओं को रौंदने पर कड़ी भत्र्सना करते हुए उनको राव-मुलायम से बदतर बताया। भाग लेने वाले प्रमुख लोगों में उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के देवसिंह रावत, खुशहाल बिष्ट, उत्तराखण्ड महासभा के हरिपाल रावत व अनिल पंत, जनमोर्चा के संरक्षक रवीन्द्र बिष्ट व उत्तराखण्ड राज्य लोकमंच के अध्यक्ष बृजमोहन उप्रेती व मनोरथ प्रसाद नवनी, उक्रांद के वरिष्ठ नेता प्रताप शाही, भाजपा के वरिष्ठ नेता जगदीश प्रसाद मंमगांई समाजसेवी सुरेन्द्र हालसी,शशिमोहन कोटनाला, दिगमोहन नेगी, संजय नौडियाल, उमेश रावत,वरिष्ठ भाजपा नेता जगदीश मंमगांई, कांग्रेसी नेता धीरेंद्र प्रताप,आप नेता दीवान सिंह नयाल, उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के प्रेम सुन्दरियाल , आप नेता बचन सिंह धनोला, शंकर रावत,जगदीश भट्ट , हर्षबर्धन खण्डूडी, रणजीत सिंह नेगी, स्वामी नारायण दास, रघुनाथ सिंह रावत, कृपालसिंह रावत, प्रताप सिंह रावत, लोकपाल चैहान, द्वारिका प्रसाद भट्ट,  हीरो बिष्ट,नैैैना जगमोहन रावत, एस के जैन, देव सौटियाल , मनोज आर्य, श्रीमती उमा जोशी, देवकी शर्मा, प्रेमा धोनी, मीना पटियाल, बीना बहुुगुणा बछेती, रेखा आर्य, जसोदा, अम्बी, सोनिया, मधु, गुरूदेव सिंह गुसांई, श्याम प्रसाद खंतवाल,  गोपाल शर्मा, देवेन्द्र सिंह कैंतुरा, देविन्दर सिंह नेगी, सुषमा नेगी, मेघा, देवसिंह फोनिया,  सागर, रामेश्वर गौस्वामी, दिनेश गोस्वामी, वीएस बिष्ट, नरेश उप्रेती, दीपक नेगी, अर्जुन, कन्हैया पसबोला, मीनाक्षी गुप्ता,  महेश प्रकाश, पदम सिंह बिष्ट, कीर्ति बल्लभ, प्रदीप नौडियाल,  मनमोहन शाह, रमेश चंद, पिंकी रावत, पत्रकार सुषमा जुगरान ध्यानी, निलांम्बर दत्त थपलियाल, राजेश राणा, जोगेन्द्रा राणा, सूरवीर सिंह बत्र्वाल, देवेन्द्र सिंह नेगी, मनमोहन सिंह नेगी, अजेन्द्र नेगी, अजय ढौडियाल,  बीएस नेगी,लक्ष्मण कुमार आर्य, उदय पंत, प्रवीण राणा, दीवान सिंह, गोवर्धन सिंह रावत,प्रदीप पुरोहित, जयदीप नेगी, पंचम सिंह रावत, गुमान सिंह पंवार, कुलदीप सिंह रावत, जयेन्द्र सिंह भण्डारी, अरूण रावत,लक्ष्मण सिंह बिष्ट, हंसादत्त बवारी, हरीश रावत, जोगेन्दर रावत, रविन्दर सिंह चैहान,  वीपी भट्ट, शिवसिंह रावत, राकेश नेगरी, विपिन महर, देवेन्दर सिंह बिष्ट, प्रताप थलवाल,  जे एस सजवान, ध्यान सिंह रावत,  राहुल सत्ती, मनवर रावत, देवेन्द्र बिष्ट,उदय मंमगांई राठी, कवि पृथ्वीसिंह केदारखण्डी, पूरन कांडपाल, रमेश हितेषी, गिरीश चंद भावुक, ओमप्रकाश आर्य, हितैषिणी सभा के पूर्व अध्यक्ष गंभीरसिंह नेगी,हरीश प्रकाश आर्य, भैरव दत्त भट्ट,आशा भारारा, खेम राज कोठारी,  दिनेश चंद्र, भूपाल सिंह सतपोला, मोहन सिंह बिष्ट, प्रमोद रावत,  बाली मनराल, राहुल सत्ती, वीरेंद्र बुटोला पत्रकार योगेश भट्ट,सतेन्द्र रावत, चंदन अधिकारी, हरीश मंमगांई, अनामिका चैहान, धीरेन्द्र उनियाल, खीमसिंह रावत, आनंद जोशी, द्वारिका प्रसाद चमोली, नरेश देवरानी, सुनील नेगी, चंद्रमोहन केमनी, अशोक अनपढ़, बिलाल हुसैन, रिषि कुकरेती, एस एस रावत, राजकुमार पाण्डे, नंदन सिंह बिष्ट, इंदु मनकोटी, मेघा मनकोटी, लीला, राजेन्द्र प्रसाद, उमेश सिंह रावत, खुशाल डिमरी, गजेन्द्र चैहान, नारायण सिंह गुसांई, मोहन चंद जोशी,  किशोर रावत, नितिन रावत, सुरज रावत, अजय रावत,  राजकिशोर भदोला, महेश चंद्र कसौनी, दाताराम चमोली , इन्द्रचंद्र रजवार, आदि सम्मलित रहे।

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