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भारत के परमाणु जनक डा होमी भाभा की हत्या करने के लिए माफी मांगे अमेरिका

अमेरिकी जासूस ने किया अमेरिका के इस जघन्य कृत्य का खुलाशा
 
तथाकथित मित्र अमेरिका से माफी मांगने की मांग का साहस कर पायेगा भारतीय नेतृत्व

देवसिंह रावत-
सीआईए के पूर्व जासूस रोबर्ट टी क्रोअली ने खोला राज भारत के परमाणु कार्यक्रम के जनक समझे जाने वाले विश्व विख्यात परमाणु वैज्ञानिक होमी भाभा की जहाज का दुर्घटना करके निर्मम हत्या की। इस विमान में 117 निर्दोष यात्रियों की भी निर्मम हत्या की। 1948 में भारत के परमाणु आयोग की स्थापना कर  उसे महत्वपूर्ण दिशा देने वाले परमाणु वैज्ञानिक होमी भाभा की अमेरिका ने 24 जनवरी 1966 में निर्मम हत्या की। डा भाभा को अमेंरिका ने केवल इस डर के मारे मारा कि भारत परमाणु बम बनाने के करीब था। उसे आशंका थी कि इस परमाणु बम का प्रयोग भारत अमेरिका व पाकिस्तान के खिलाफ करेगा।
डा भाभा ही नहीं भारत के कितने परमाणु व अन्य वैज्ञानिकों की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के पीछे ऐसी ही ताकतों का हाथ है। परन्तु भारत के हुक्मरानों को देश के हितों की चिंता कहां जो धर्मातरण व घुसपेटियों पर अंकुश लगाने के बजाय इस्लामिक बैक को पहले गैर इस्लामिक देश में कालिन बिछाते है। अमेरिका की एफबीआई के लिए लाल कालीन बिछाते है।

अमेरिका के दवाब में संसद, मुम्बई, कश्मीर, कारगिल, सेना व वायुसेना अड़डो पर हमला करने के गुनाहगार पाक को सबक नहीं सिखाते। आतंक से भारत को तबाह करने वाले पाक को आतंकी देश घोषित करने के बजाय उसको मित्र राष्ट्र का दर्जा बेशर्मी से दिये हुए है। यही नहीं मुम्बई हमले के मुख्य गुनाहगार अमेरिकी आतंकी ऐजेन्ट हेडली को अमेरिका से मांगने की हिम्मत नहीं जुटा पाते है। अमेरिका के दवाब में कश्मीर में आतंकियों द्वारा भगाये गये लाखों कश्मीरियों को कश्मीर में बसाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। भारत की सीमा पर अतिक्रमण कर रहे चीन के पाक अधिकृत कश्मीर में दखल व कार्य करने पर चीन को चेतावनी देने की हिम्मत नहीं। जबकि चीन भारत को निरंतर युद्ध की धमकी दे रहा है। परन्तु भारतीय हुक्मरान पाक चीन से मित्रता के राग में इतने डूबे हुए है कि उनको न तो देश के सम्मान की चिंता है व नहीं देश के हितों की। वे मात्र अपनी कुर्सी व अपनी छवि चमकाने में लगे है।
अमेरिका भले ही विश्व की बदलती परिस्थितियों भारत को मित्र होने का ढोंग रच रहा है। हकीकत यह है अमेरिका द्वारा पोषित इस्लामिक आतंक व चीन की बढ़ती ताकत के कारण उसको भारत के साथ की नितांत जरूरत है। परन्तु अगर वह हकीकत में भारत से दोस्ती चाहता है तो उसे अपने भारत को तबाह करने वाले तमाम गुनाहों की माफी मांगनी चाहिए। अमेरिका को एक बात समझ लेनी चाहिए कि मित्रता में विश्वासघात व षडयंत्र के लिए कोई स्थान नहीं होता है। भारत के साथ मित्रता तभी हो सकती जब अमेरिका अपने गुनाहों की माफी मांगते हुए अपने भारत विरोधी तमाम षडयंत्रों को बंद करने के लिए अपने आस्तीन के सांप पाकिस्तान को आत्मघाती संरक्षण बंद करे। पाकिस्तान सहित विश्व में तमाम आतंकियों को संरक्षण देना बंद ंकरे। तभी भारत से मित्रता हो सकती है। अन्यथा यह केवल भारत से ही नहीं खुद अमेरिकी हितों के साथ आत्मघाती खिलवाड होगा।

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