उत्तर प्रदेश

उत्तम प्रवृति व निकृष्ठ प्रवृति के मनुष्यों में मूल भेदः देववाणी

उत्तम प्रवृति के लोग भटक रहे राही को भी सही राह दिखाते हैं परन्तु कुछ संकीर्ण लोग होते हैं जो सही राह चलने व राह से भटके राहियों को जानबुझ कर भटकाने का काम करते है।

उत्तम प्रवृति के लोग दूसरों  के बिगडे  काम को भी सलुझाते है । वहीं   धूर्त,दुष्ट,निहित स्वार्थी व संकीर्ण  प्रवृति के लोग बेबात का बतडंग  बनाकर अपने झूटे अहं की तुष्टि के लिए  परिवार, गांव, समाज, प्रदेश व देश में नफरत फेलाते हैं।

उत्तम प्रवृति के लोग सत् व न्याय के पक्ष में रहकर सबके कल्याण के लिए मन वचन व कर्म से समर्पित रहते हैं। वहीं निकृष्ट प्रवृति के लोग अपने निहित स्वार्थ के लिए व्यक्ति, गांव, समाज, प्रदेश व देश के हितों को रोंदते हैं। बेवजह दूसरों की निंदा करने व दूसरों का अहित करने में ही अपना जीवन नारकीय बना देते है।

उत्तम प्रवृति का इंसान हर मनुष्य को जाति, धर्म, क्षेत्र, लिंग, भाषा के रूप में हैय  या श्रेष्ठ नहीं अपितु परमेश्वर का स्वरूप मानते हुए सम्मान करता है। किसी भी लालच व भय से किसी गलत व्यक्ति का साथ नहीं देता है। किसी का अहित  नहीं करता। वहीं निकृष्ट प्रवृति का व्यक्ति किसी का भी मूल्यांकन उसकी जाति, धर्म, क्षेत्र, लिंग, भाषा के आधार पर श्रेष्ठ व हैय समझता है। निकृष्ठ व्यक्ति खुद को श्रेष्ठ व दूसरों को हेय समझता है। अपने अहं की तुष्टि के लिए दुनिया को बर्बाद करने के साथ लूट खसोट करने के साथ मार काट मचाता है।

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