उत्तर प्रदेश देश

चंद्रा स्वामी, मै व काला बाबा

(चर्चा व विवादों में घिरे रहने वाले त्रांत्रिक चंद्रा स्वामी का निधन की खबर सुनते ही जीवंत हो गयी प्रभा किरण द्वारा करायी गयी चंद्रा स्वामी वह एक मुलाकात)

-देवसिंह रावत

23 मई को जैसे ही सांयकाल साढे आठ बजे में घर वापस आ कर कम्प्यूटर खोल कर आज दिन के समाचारों पर एक नजर डाल रहा था तो मेरी नजर यकायक चंद्रा स्वामी के निधन वाली खबर पर गयी। खबर पढ़ते ही मेरे मन मस्तिष्क में वे क्षण सजीव हो गये, जब चमोली जनपद की कर्णप्रयाग के निकट उमटा की समाजसेविका प्रभा डिमरी (जिन्हे दिल्ली के लोग प्रभा किरण के नाम से या माता प्रभा किरण के नाम से जानते है) ने मेरी मुलाकात दिल्ली के कुतुब इंस्टीटयूशनल क्षेत्र में स्थित विश्वा धर्मायतन संस्थान में करायी थी।
प्रभा किरण भले ही मेरे जनपद चमोली की हैं पर उनसे मेरे मुलाकात अल्मोड़ा जनपद के सराईखेत क्षेत्र के एनजीओं में कार्यरत प्रताप नेगी ने कराई। उन दिनों प्रभा किरण कालका जी क्षेत्र की एक कोठी में निवास करती थी। जब उनको पता लगा कि मै भी उनके जनपद व गांव के नजदीक का हूॅ तो उनसे बातचीत हुई। प्रभा किरण अध्यापन की सेवा छोड़ कर दिल्ली में धारावाहिक इत्यादि बनाने लगी। प्रभा किरण चंद्रा स्वामी को गुरू मानती है। उनके करीबी रही। विश्वा धर्मायतन में भी रही। उनका बेटा भी चंद्रा स्वामी के सानिध्य में रहा। ंबाद में प्रभा किरण कालका जी में रहने लगी। वहां उन्होने बातों बातों में मुझे कहा रावत जी आप स्वामी जी से मिलना चाहेंगे। भले ही मेरी चंद्रा स्वामी के प्रति कोई श्रद्धा नहीं रही परन्तु विवादों में घिरे रहने वाले चंद्रा स्वामी से मिलने की इच्छा मेरे मन में थी। वहां से मैं व प्रताप  एक कार से प्रभा किरण की अगुवाई में विश्वा धर्मायतन में पंहुचे। वहां प्रभा किरण के प्रभाव से सीधे उस कमरे में पंहुचे जहां पर चंद्रा स्वामी विशिष्ट जनों से भैंट करते थे। वहां पर दो ही कुर्सी लगी थी। एक बड़ी थी व एक सामान्य सी। प्रभा किरण व प्रताप कुर्सी के समीप नीचे बैठ गये। परन्तु चंद्रा स्वामी पर मेरी श्रृद्धा न होने के कारण मै वहां पर लगायी गयी दूसरी कुर्सी पर आसीन हो गया। कुछ ही पल में चंद्रा स्वामी आये। प्रभा किरण व प्रताप नेगी ने स्वामी जी का चरण स्पर्श किया। पर मैने केवल हाथ जोड़े। प्रभा किरण ने मेरा परिचय मेरा अखबार देते हुए यह दिया कि ये राज्य गठन आंदोलनकारी व पत्रकार है। जिस चैनल बनाने की बात मैं आपसे कर रही थी वह चैनल प्यारा उत्तराखण्ड के नाम से ही बनेगा। प्रभा किरण से बाते करने के बाद चंद्रा स्वामी ने मंद मद मुस्कराते हुए मुझसे पूछा तिवारी जी के क्या हाल हैं। उस समय उत्तराखण्ड में तिवारी जी मुख्यमंत्री थे। मैने भी हंसते हुए जवाब दिया।
मुझे मालुम था कि चंद्रा स्वामी, नरसिंह राव के गुरू थे। नरसिंह राव व तिवारी जी का 36 का आंकडा रहा। उसके कुछ देर बाद हम चंद्रा स्वामी से विदा लेकर वापस लोट आये।
चंद्रा स्वामी के बारे में मेरे मन में विश्वविख्यात रहस्यमय शक्तियों के स्वामी काला बाबा के कथन बार बार याद आता था जो बार बार मुझे कहते थे अरे देवी चंद्रा ….कोई तांत्रिक नहीं है। वह हथियारों आदि का सौदागर है। काला बाबा इंदिरा गांधी, हेमवती नंदन बहुगुणा, नरसिंह राव का करीबी रहे। बाबा के आर्शीवाद को लेने वालों में उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, किशोर उपाध्याय व एक बडे धर्मगुरू भी है। हरियाणा के भजन लाल हो या अरूणाचल के जिझिंग अपांग सहित अनैक नेता काला बाबा के करीबी रहे। सुना है बाबा एक बार पूर्व सांसद संकटा प्रसाद के  संसद में चिकित्साधिकारी रहे सुपुत्र डा जयप्रकाश के साथ चंद्रा स्वामी के पास उन्हीं के निमंत्रण पर गये थे। कहते हैं चंद्रा स्वामी ने बाबा से निवेदन किया कि बाबा आपने नरसिंह राव को प्रधानमंत्री बनाया अब आप चंद्रशेखर को पुन्न प्रधानमंत्री बना दो। इस पर बाबा ने चंद्रा स्वामी से कहा कि चंद्रा तुमसे किसी ने झूठ बोला मैने नहीं बनाया नरसिंह राव को प्रधानमंत्री। मै तो हथियारों को दलाल हूॅ…………सहित अनैक कारनामों के बारे में बताया। बाबा को चंद्रस्वामी के आश्रम में जाने के एक महीने के अंदर चंद्रा स्वामी को जेल जाना पडा। बाबा के बारे में यह विख्यात था कि जहां पांव रखा वहां जरूर कुछ होगा……………। मेरे से कई बार बाबा कहते थे।
उसके बाद मैं कभी चंद्रा स्वामी से तो नहीं मिला। परन्तु यदाकदा प्रभा किरण जरूर मिल जाती है। वर्तमान में फेसबुक में ही उनको टिप्पणी के साथ देखता हॅू। काला बाबा कितना रहस्यमय थे, यह तो इंदिरा जी तो नहीं रही अब आर के धवन बता सकते है। जामा मस्जिद के ईमाम अहमद बुखारी के साढू भाई सीवान के मोहम्मद रिजवान बता सकते है। पांच बार सांसद रहे उप्र के स्व. सांसद संकटा प्रसाद के संसद के चिकित्सा अधिकारी रहे डा जयप्रकाश ही बता सकते है। भाजपा सांसद जगदम्बिकापाल हो या हरीश रावत या किशोर उपाध्याय। इनको भी बाबा की कुछ ही विषय में कुछ मालुम होगा। कांग्रेस सेवा दल के उपाध्यक्ष उमेद सिंह राठी हो या विश्व जाट संगठन के पूर्व उपाध्यक्ष केहर सिंह भी उनके करीबियों में था। यहां बाबा का हल्का वर्णन ही करूंगा। पूरा विवरण फिर कभी।
चंद्रा स्वामी को पूरा भारत तांत्रिक व विवादस्थ गुरू के नाम से जानता है। भले ही आज के दिन युवा लोग चंद्रा स्वामी के नाम से  अनजान हो पर 1991 से एक दशक तक भारत सहित कई देशों के सत्ता के गलियारों में अपनी पकड़ व धमक के कारण चर्चा व विवादों में घिरे रहने वाले तांत्रिक  चंद्रास्वामी का लम्बी बीमारी  से जुझने के बाद  23 मई को 66 साल की उम्र में  निधन हो गया। 1991 में प्रधानमंत्री बने पीवी नरसिम्हाराव के गुरू तांत्रिक चंद्रा स्वामी का जलवा देखते ही बनता था। देश के ताकतवर मंत्री तक उनके दरवार में हाजरी लगाते थे। उनके करीबी रहे चंद्रशेखर, नटवर सिंह, हॉलीवुड एक्ट्रेस एलिजाबेथ टेलर, बरुनेई के सुल्तान, बहरीन के शेख ईसा बिन सलमान अल खलीफा, हथियारों को विश्वविख्यात सौदागर अदनान खाशोगी, दाऊद इब्राहिम सहित सेकडों नेता चंद्रा स्वामी के आशीर्वाद के चकोर रहे। तांत्रिक  चंद्रा स्वामी के दरवार में हाजिरी लगाने वाले नेताओं व नौकरशाहों की अंतहीन श्रृखला थी।
राजीव गांधी की हत्या के षडयंत्रकारियों में चंद्रा स्वामी पर भी संदेह व्यक्त किया गया था। उन पर चंद्रशेखर को देश का प्रधानमंत्री बनाने के लिए यह काम करने का आरोप लगाया गया। इन्हीं आरोपों के चलते आयकर विभाग ने चंद्रास्वामी के आश्रम पर छापा मारा, जिसमें विश्वविख्यात हथियारों के सौदागर  अदनान खाशोगी से 11 मिलियन डॉलर करीब 77 करोड़ रुपए के भुगतान के कागजात मिलने का दावा किया गया।
जैन कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि चंद्रास्वामी राजीव गांधी की हत्या के षडयंत्र में संलिप्त थे। इन्फोर्समेंट डिपार्टमेंट चंद्रास्वामी के राजीव मर्डर केस के फाइनेंसर होने की जांच करता रहा। सर्वोच्च न्यायालय ने इन आरोपों के चलते चंद्रास्वामी के विदेश जाने पर रोक लगा दी थी,लेकिन बाद में यह प्रतिबंध हटा लिया गया था।
लंदन के एक व्यापारी ने चंद्रा स्वामी पर 1 लाख डॉलर करीब 64 लाख डॉलर की धोखाधड़ी का आरोप लगाया था।
1948 में जन्मे चंद्रास्वामी के पिता बहरोड़ राजस्थान के रहने वाले थे, जो बाद में हैदराबाद आ गए थे। उस वक्त चंद्रास्वामी छोटे थे। कम उम्र से ही चंद्रास्वामी ने तंत्र की साधना शुरू कर दी थी। इसके बाद वो उपाध्यार अमर मुनि और तांत्रिक पंडित गोपीनाथ कविराज के शिष्य बन गए। बिहार के जंगलों में भी चंद्रास्वामी ने तंत्र साधना की। वो धर्म से जैन थे, लेकिन देवी काली में विश्वास करते थे। नैमी चरण जैन के नाम के जैन समाज से जुडे चंद्रा स्वामी के नाम से विख्यात युवक का बचपन से ही तंत्र साधना की तरफ आकर्षित रहे। काली के साधक रहे चंद्रा स्वामी ने अपना ऐसा जाल पूरे विश्व में फेलाया कि दुनिया उनकी पकड़ का लोहा मानने लगे।
चंद्रास्वामी देश के विवादित तांत्रिक थे और पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के करीबी माने जाते थे। ब्रिटेन की पूर्व पीएम मार्ग्रेट थैचर के बारे में की थी भविष्यवाणी…। पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने अपनी किताब ‘वॉकिंग विद लॉयन्स- टेल्स फ्रॉम अ डिप्लोमैटिक पास्ट’ में पूर्व ब्रिटिश पीएम माग्रेट थैचर और चंद्रास्वामी की मुलाकात का जिक्र किया है।
खबरों के अनुसार नटवर सिंह ने अपनी किताब में लिखा, जब मैं 1975 में लंदन में भारत का डिप्टी हाईकमिश्नर था, जब चंद्रास्वामी वहां आए और तब की कंजर्वेटिव पार्टी की लीडर माग्रेट थैचर से मिलने की इच्छा जताई। मुलाकात के दौरान चंद्रास्वामी से थैचर ने कई सवाल किए, कुछ सवाल उनके पीएम बनने के बारे में थे। चंद्रास्वामी ने भविष्यवाणी की थी कि थैचर 9, 11 या 13 साल के लिए प्रधानमंत्री बनेंगी। मार्गेट थेचर के बारे में की गयी चंद्रा स्वामी की भविष्यवाणी आखिरकार सच साबित हुई और थैचर 11 साल तक ब्रिटेन की प्रधानमंत्री रही।
आज चंद्रा स्वामी के निधन से एक युग का अंत हो गया। जब किसी तांत्रिक की किसी देश के प्रमुख के द्वार पर सीधे प्रवेश था। हालांकि ऐसा ही प्रवेश इंदिरा गांधी के समय धीरेन्द्र ब्रह्मचारी को भी था। परन्तु चंद्रा स्वामी का न केवल भारत में अपितु इस्लामी देशों में जहां तंत्र मंत्र को कुफ्र समझा जाता है नापाक समझा जाता है वहां भी चंद्रा स्वामी का डंका बजता था। यहां पर मैं चंद्रा स्वामी की अच्छाई या बुराई का स्मरण नहीं अपितु इस दुनिया से जाने पर अपनी स्मृतियों के साकार होने को कलमबद्ध कर रहा हॅू।

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