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देवभूमि से कांग्रेस की सरकार को उखाड् फेंकने की भीष्म प्रतिज्ञा पूरी होने के बाद ही केदारनाथ के दर्शन करने गये मोदी!

खुल गया मोदी के प्रधानमंत्री बनने के तीसरे साल तक  शिव के सर्वोच्च धाम केदारनाथ न जाने का रहस्य

देवसिंह रावत –
केदारनाथ  त्रासदी के समय सन् 2013 में भगवान शिव के धाम केदारनाथ जाने से रोकने वाली कांग्रेस की सरकार को देवभूमि उत्तराखण्ड से उखाड फेक कर अपनी भाजपा की सरकार को आसीन करने की भीष्म प्रतिज्ञा को पूरी करने के बाद ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 3 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खुलने वाले दिन ही भगवान शिव के सर्वोच्च धाम केदारनाथ के श्रीचरणों में नमन किया।
प्रधानमंत्र.ी की इस भीष्म प्रतिज्ञा मै भी अनजान था। परन्तु अभी कुछ देर पहले 3 मई की रात 9 बजे जैसे में इस खबर को बना रहा था तो तभी मेरे मन में इस रहस्य का पर्दा यकायक खुला। मेरे अंतकरण में यह रहस्य अपने आप खुला जो सामने आया, वह मैं पहली पंक्ति में बयान कर चूका हूूॅ कि मोदी जी ने जिस दिन उत्तराखण्ड की कांग्रेस सरकार ने केदारनाथ धाम जाने से रोकने का कृत्य किया। उसी दिन मोदी जी ने भीश्म प्रतिज्ञा कर ली थी कि वे तभी केदारनाथ धाम में पांव रखेंगे जब उनको अपने ईष्ट भगवान शिव के परमधाम के दर्शन करने से रौंकने वाली कांग्रेस की सरकार को वे देवभूमि उत्तराखण्ड से ऊखाड़ फेंके कर अपनी भाजपा की सरकार प्रदेश में आसीन करने के बाद ही केदारनाथ धाम में पांव रखेंगे।
भगवान शिव की परम कृपा से अपनी प्रतिज्ञा कहो या मनोकामना को भगवान शिव द्वारा पूरी किये जाने के बाद केदारनाथ के कपाट खुलते ही प्रधानमंत्री मोदी ने केदारनाथ धाम जा कर भगवान शिव की पूजा अर्चना की। पूजा अर्चना के बाद प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर जो दिव्य शांति थी वह उनकी मनोकामना पूरी होने की है।
भगवान शिव की ऐसी माया रही कि मोदी जी को केदारनाथ धाम के दर्शन से वंचित कराने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा आज भाजपा में सम्मलित होकर उनकी कृपा के याचक बने हुए है। इसीलिए प्रधानमंत्री बनने के तीन साल तक मोदी जी ने केदारनाथ की तरफ रूख नहीं किया। इसका एकमात्र कारण उनकी यह भीष्म प्रतिज्ञा ही रही।

इस रहस्य के उजागर होने से पहले,ं कल तक जब यह खबर आयी कि प्रधानमंत्री 3 मई को केदारनाथ धाम आयेंगे। मै तब लिख रहा था कि चलो देर आय दूरस्थ आय, मोदी जी को केदारनाथ धाम आने की फुर्सत तो मिली। 3 मई को तीन साल की लंबी इंतजारी के बाद आखिरकार प्रधानमंत्री भाजपा के राज में ही भगवान केदारनाथ के दर्शन को आये।
लगता है जब केदारनाथ त्रासदी के समय 2013 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी केदारनाथ धाम जा कर वहां की त्रासदी का जायजा लेकर वहां अपने प्रदेश की तरफ से योगदान देना जाना चाहते थे। परन्तु उस समय तत्कालीन उत्तराखण्ड की कांग्रेसी सरकार के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की सरकार ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को केदारनाथ जाने की इजाजत नहीं दी। इससे लगता है भगवान शिव के परम भक्त नरेन्द्र मोदी ने अपमानित हो कर यह भीष्म प्रतिज्ञा की हो।
उसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में गुजरात के मुख्यमंत्री के पद पर आसीन नरेन्द्र मोदी, पूर्ण बहुमत से देश के प्रधानमंत्री बन गये। तब न केवल केदारघाटी के त्रासदी पीड़ितों को ही नहीं देश विदेश के तमाम हिंन्दु धर्मावलम्बियों को आशा थी कि प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने के तुरंत बाद शिव के अनन्य भक्त नरेन्द्र मोदी त्रासदी से मर्माहित केदारनाथ धाम व केदारघाटी की कुशल क्षेम लेने जायेंगे। परन्तु पूरे विश्व के सनातन धर्मी हैरान थे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नेपाल में पशुपति से लेकर तिरूपति, सोमनाथ, पाकिस्तान, अमेरिका, सहित पूरी दुनिया कई बार घुम आये। परन्तु प्रधानमंत्री उत्तराखण्ड के इन तीन सालों में आसीन कांग्रेस की हरीश रावत सरकार ने कई बार प्रधानमंत्री से केदारनाथ धाम दर्शन करने का गुहार लगायी, परन्तु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केदारनाथ धाम की तरफ रूख भी नहीं किया। हालांकि हरीश रावत ने मुख्यमंत्री रहते हुए केदारनाथ धाम में बहुत ही सराहनीय कार्य किया। कुछ ही माह पहले यानी 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी के बदरीनाथ के समीप भारत तिब्बत सीमा पर माणा गांव में सेना के जवानों के साथ दिवाली मनाने जाने की खबरें उड़ी। इन खबरों में प्रधानमंत्री मोदी के बदरीनाथ धाम भी जाने की अटकलें लगायी जा रही थी। उस समय भी प्यारा उत्तराखण्ड के सम्पादक के रूप में मैने (देवसिंह रावत ने ) बिना केदारनाथ दर्शन किये बदरीनाथ धाम के दर्शन पर इंटरनेटी जगत में प्रमुखता से प्रश्न उठाया था। तब यकायक प्रधानमंत्री ने उत्तराखण्ड जाने के बजाय हिमाचल के सीमान्त जनपद किन्नौर के चीन से लगी सीमा पर सुरक्षा में लगे भारतीय तिब्बत सीमा सुरक्षा बल जवानों के साथ मनायी।
इसके बाद जब उत्तराखण्ड में कांग्रेस की सरकार को चुनाव में हरा कर भाजपा की सरकार आसीन हुई तब प्रधानमंत्री मोदी ने 3 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के दिन भगवान केदारनाथ की पूजा अर्चना करी।
इससे पहले मैं निरंतर प्रधानमंत्री मोदी को प्रधानमंत्री बनने के इन तीन सालों के दौरान केदारनाथ धाम के दर्शन न करने जाने पर निरंतर तीखे लेख लिखता रहा। मुझे यह बात बहुत व्यथित कर रही थी कि विश्व में हिन्दुओं के सर्वोच्च धाम व भगवान शिव के साक्षात धाम में क्यों नहीं जा रहे है। जबकि केदारनाथ धाम के विश्व के किसी भी धार्मिक स्थान में सबसे बड़ी दुर्घटना हुई । करीब हजारों लोग मारे गये। पूरी घाटी तबाह हो गयी। इनकी सुध लेने प्रधानमंत्री क्यों नहीं जा रहे है।
मेरे मन में विचार उठते थे कि मोदी को प्रधानमंत्री बने 3 साल होने को है, कम से कम प्रधानमंत्री बनते ही यहां की सुध ले लेते। कुछ केदारनाथ घाटी के त्रासदी से पीड़ित लोगों के घावों पर मरहम तो लगाते। परन्तु शायद सत्तासीनों के पास सही काम करने का समय नहीं होता।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 3 मई को को बाबा केदारनाथ के दर्शन किये। आज प्रातः 8ः50 बजे कपाट खुलने के करीब 15 मिनट बाद सबसे पहले दर्शन करने पंहुचे प्रधानमंत्री मोदी ने गर्भगृह में भगवान शिव का रुद्राभिषेक भी किया। इसके पश्चात केदारनाथ मन्दिर समिति द्वारा उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। इस अवसर पर उनके साथ राज्यपाल डाॅ0 कृष्ण कान्त पाल तथा मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र सिंह रावत, कबीना मंत्री सतपाल महाराज, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट सहित कई मंत्री ,सांसद  व वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
श्री मोदी देश के ऐेसे तीसरे प्रधानमंत्री हैं जो इस पद पर रहते हुए केदारनाथ पंहुचे हैं। उनसे पहले स्व. इन्दिरा गांधी एवं  वी.पी. सिंह प्रधानमंत्री के तौर पर केदारनाथ दर्शन के लिए आ चुके हैं।
प्रधानमंत्री मोदी 3 मई की  प्रातः 8 बजकर 10 मिनट पर जौलीग्राण्ट एयरपोर्ट पंहुचे। इस अवसर पर उनके स्वागत हेतु राज्यपाल डाॅ0 के. के. पाल, मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र सिंह रावत तथा पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ0 रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ मौजूद रहे।
प्रधानमंत्री मोदी के केदारनाथ न जाने की भीष्म प्रतिज्ञा के रहस्य को जानने के बाद मैं भगवान शिव को नमन् करता हॅू कि जो उन्होने अपने भक्त की प्रतिज्ञा पूरी की। भगवान शिव सदा दयालु है। भगवान बदरी केदार की महिमा अदभूत है। मुझे इस रहस्य से रूबरू करने के लिए कोटी कोटी धन्यवाद। षेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि औम तत्सत्। श्रीकृष्णाय् नमो।

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