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2019 के चुनाव में सपा बसपा गठबंधन से अधिक खतरा कांग्रेस को मान रहे है प्रधानमंत्री मोदी

उप्र में भाजपा को मात देने के लिए सपा व बसपा के गठबंधन के साथ रचा है कांग्रेस ने अघोषित चक्रव्यूह  

रामलीला मैदान से भाजपा के गठबंधन कांग्रेस पर निशाना साधते हुए भरी एक एक चोर को नहीं छोड़ने की हुंकार

नई दिल्ली(प्याउ)। भले ही 12 जनवरी को उप्र में हुए मायावती व अखिलेश यादव की सरपरस्ती में बसपा व सपा के गठबंधन को 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी की विजय रथ को रोकने वाला बता कर पूरे देश के सियासी जमात व खबरिया चैनलों में भारी हो हल्ला मचा हुआ है। परन्तु देश के प्रधानमंत्री मोदी सन् 2019 में होने वाले आम चुनाव में देश के 543 लोकसभा सीटों में से उप्र की 80 लोकसभा सीटों पर मोदी की भाजपा को कड़ी टक्कर देने वाले इस बसपा व सपा के गठबंधन से अधिक खतरा कांग्रेस को मान रहे हैं। उस कांग्रेस से जिसके अध्यक्ष राहुल गांधी को मोदी जी सहित पूरी भाजपा एक दशक से पप्पू कह कर उपहास उडाने में लगे है। उप्र में बहु प्रचारित सपा व बसपा के बीच हुए गठबंधन के ठीक एक घण्टे बाद प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित भाजपा के दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद के अधिवेशन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए जिस प्रकार से गठबंधन से कहीं अधिक तीखे प्रहार कांग्रेस पर करके साफ संदेश भाजपाई नेताओं व कार्यकत्र्ताओं को दिया कि 2019 को होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा का मुकाबला कांग्रेस से है।
लोग हैरान व परेशान है कि प्रधानमंत्री मोदी को सपा बसपा के गठबंधन से अधिक कांग्रेस से खतरा क्यों नजर आता। क्यों सपा बसपा के गठबंधन को नजरांदाज कर रहे है। क्यों प्रधानमंत्री को  उप्र, बिहार व बंगाल में हासिये में पंहुच चूकी कांग्रेस से क्यों चुनौती मान रहे है? इस पर राजनैतिक समीक्षक देवसिंह रावत का कहना है कि प्रधानमंत्री को मालुम है कि सपा व बसपा गठबध्ंान का दायरा केवल उप्र तक ही सीमित है। वहां भी कांग्रेस ने चालाकी से सपा बसपा से एक प्रकार का अघोषित गठबंधन कर ही रखा है। कांग्रेस ने यह अघोषित गठबंधन ही नहीं अपितु एक प्रकार का चक्रव्यूह ही रचा है। भाजपा को बाहर रखने के लिए उतर प्रदेश में कांग्रेस चाहती है कि मुस्लिमों का मत भी मोदी के खिलाफ सीधे सपा व बसपा गठबंधन को जाये। उप्र में मुस्लिम मत में बंटवारा न हो, वह भले कांग्रेस को न मिले पर वह भाजपा को मात देने वाला बने। इसके साथ भाजपा का परंपरागत गैर मुस्लिम, जाटव व यादव मतों के अलावा अन्य वर्गो के मतों में अधिक से अधिक विभाजन करने के लिए कांग्रेस ने गठबंधन से अलग  रह कर भाजपा के मतों में सेंघमारी करके उसके विजयरथ को अवरूद्ध करना है। यह एक प्रकार का कांग्रेस, सपा व बसपा का एक अघोषित गठबंधन है।
श्री रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी सहित देश की राजनीतिके विशेषज्ञ जानते है कांग्रेस उप्र,बिहार,बंगाल व तमिलनाडू को छोड कर पूरे देश में भाजपा को कडी टक्कर देगा। कांग्रेस ही देश की एक मात्र राजनैतिक दल है जिसके पास पांच दशकों से अखिल भारतीय स्तर पर मजबूत संगठन है। भाजपा ने यह स्थिति चार पांच साल से  ही अर्जित की। भाजपा द्वारा जिस राहुल गाध्ंाी को पप्पू कह कर देशव्यापी उपहास उडाने का काम किया उसी पप्पू के नेतृत्व में कांग्रेस ने गत माह छत्तीसगढ, राजस्थान व मध्यप्रदेश जैसे भाजपा के मजबूत गढों में मात देने का इतिहास रचा जा चूका है। यही नहीं कांग्रेस ने गुजरात में भाजपा को पसीने छूडा चूका है। इसके साथ जिस प्रखरता से राहुल गाध्ंाी चोकीदार चैर है का आरोप लगा कर देश में सनसनी फैला कर मोदी जी को सीधे चुनौती दे रहे है। उसको देखकर प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 के चुनाव में भाजपा का सबसे निकट मजबूत प्रतिद्धंदी कांग्रेस को माना। लोकसभा चुनाव के लिए आहुत भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रधानमंत्री द्वारा इन 5 सालों के अपने कार्यो से अधिक जोर कांग्रेस पर प्रचण्ड प्रहार किये जाने पर लगाने से साफ हो गया कि प्रधानमंत्री मुख्य प्रतिद्धंदी गठबंधन को नहीं अपितु कांग्रेस को मान रहे है।
गौरतलब है कि देश को रामलीला मैदान में आयोजित भाजपा की दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद के अधिवेशन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह लड़ाई सल्तनत और संविधान में आस्था रखने वाले लोगों के बीच है। एक तरफ वे लोग हैं जिन्हें हर हाल में केवल अपनी सल्तनत बचाए रखनी है और दूसरी तरफ हम लोग हैं, जो बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान को मानते हैं, उसके अनुसार चलते है। कांग्रेस और उसका नामदार परिवार व्यवस्था को कैसे तोड़ता है, इसका उदाहरण है नेशनल हेराल्ड केस। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष व अन्य नेता जमानत पर बाहर हैं। इस केस से पता चलता है कि कांग्रेस के नेता जनता की जमीन एवं धन भी हड़प लेते हैं। कांग्रेस अपने वकीलों के माध्यम से न्याय प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस नहीं चाहती कि अयोध्या विषय का हल निकले। कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग लाने का भी प्रयास किया था, ताकि इस मामले में फैसले में देरी हो।
क्या आप ऐसे सेवक को पसंद करेंगे, जो आपके घर का पैसा चोरी करके अपने परिवार में बांटे? क्या आप चाहते हैं कि वो पड़ोसियों को आपके घर के अंदर की बात बताए? क्या हम ऐसा सेवक पसंद करेंगे, जो परिवार के सदस्यों के कान भरकर लड़ाता हो? उन्होंने पूछा कि क्या आप ऐसा सेवक पसंद करेंगे, जिसे घर की मर्यादा का खयाल नहीं है? क्या आप ऐसा सेवक चाहते हैं कि जब घर में जरूरत हो, तब दो-तीन महीने छुट्टी पर चला जाए और उसका पता नहीं भी न हो?
आपको कांग्रेस का यह रवैया भूलना नहीं है और किसी को भूलने भी नहीं देना है।
क्या हम राष्ट्र को उनके भरोसे छोड़ सकते हैं? जो राजनीतिक दल कांग्रेस के विरोध से ही पैदा हुए, आज वे कांग्रेस के साथ ही गठबंधन कर रहे हैं। ये देश के मतदाताओं को धोखा देने का प्रयास है। खाली बोरी की कीमत हमेशा कम होती है और उसमें गेहूं या चावल भर देने से उसकी कीमत अलग हो जाती है। यह बात कोई कम पढ़ा-लिखा आदमी भी आसानी से समझ सकता है, लेकिन जो समझना ही नहीं चाहता उसे नहीं समझाया जा सकता।
सरकार पहली बार किसी हथियार सौदे के बिचैलिये को पकड़कर देश में लाई है। इस बिचैलिये से पूछताछ में खुलासा हुआ है कि राफेल विमान सौदे में संप्रग सरकार इसलिए देरी कर रही थी कि यह बिचैलिया राफेल की बजाय किसी अन्य कंपनी से लड़ाकू विमान खरीदवाना चाहता था। यह सच अब सामने आ रहा है। इसीलिए कांग्रेस के नेता शोर मचा रहे हैं। सामान्य श्रेणी के गरीब युवाओं को शिक्षा और सरकारी सेवाओं में 10 प्रतिशत आरक्षण नए भारत के आत्मविास को आगे बढ़ाने वाला है। यह सिर्फ आरक्षण नहीं है, बल्कि एक नया आयाम देने की कोशिश है। पहले से जिनको आरक्षण की सुविधा मिल रही थी, उनके हक को छेड़े बिना, छीने बिना भाजपा सरकार द्वारा सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। जब हम किसानों की समस्या के समाधान की बात करते हैं, तो पहले की सच्चाइयों को स्वीकार करना जरूरी है। पहले जिनके पास किसानों की समस्याओं का हल निकालने का जिम्मा था, उन्होंने शॉर्टकट निकाले, उन्होंने किसानों को सिर्फ मतदाता बना रखा। हम अन्नदाता को ऊर्जादाता भी बनाना चाहते हैं।
‘सबका साथ सबका विकास’ के लिए केंद्र में मजबूत सरकार चाहता है। उन्होंने कहा कि देश की जनता को तय करना है कि 2019 के चुनाव में उन्हें सेवाभाव, ईमानदारी एवं समर्पण भाव से काम करने वाला ‘‘प्रधानसेवक’ चाहिए या राजशाही में विास करने वाला, जरूरत के समय 2-3 महीने के लिए छुट्टी पर जाने वाला। उन्होंने यह भी कहा कि चैकीदार रुकने वाला नहीं है, एक-एक चोर को छोड़ने वाला नहीं है।

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