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देश में पहली बार लागू हुआ गरीब अनारक्षित आरक्षण

विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही सरकार ने जारी की अधिसूचना
यह सवर्ण आरक्षण नहीं  अपितु अनारक्षित आरक्षण है
नई दिल्ली(प्याउ)। देश में पहली बार सरकारी सेवाओं व शिक्षा संस्थाओं में अनारक्षित वर्ग को भी 10 प्रतिशत का आरक्षण लागू हो गया। 12 जनवरी को राष्ट्रपति ने इसी सप्ताह संसद द्वारा पारित 124वां संविधान संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी देने के बाद देर सांय भारत सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय ने राजपत्रित अधिसूचना जारी करने से यह देश में कानून बन कर   विधिवत लागू हो गया। हालांकि इस अधिसूचना में आर्थिक स्थिति को लेकर कोई सीमा तय नहीं है, बल्कि इसकी जिम्मेदारी सरकार पर छोड़ी गई है। सरकार ही समय-समय पर निर्धारण करेगी।

हालांंिक इस आरक्षण के बारे में ऐसा प्रचार किया जा रहा है कि यह केवल सवर्णो को आरक्षण दिया गया। सवर्ण केवल हिंदू धर्म के लिए देश में जातिवादी नजरिये से प्रयोग में प्रचलित है। जबकि हकीकत यह है यह आरक्षण पहली बार जाति व धर्म से उपर उठ कर उन सभी गरीबों को दिया गया जो अब तक दिये जाने वाले आरक्षित वर्ग से अलावा है। यानी समस्त अनारक्षित वर्ग को। इसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, क्रिश्चन, बौध आदि सभी धर्मों के लोगों को दिया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि देश की आजादी के 72 साल तक आरक्षण केवल जातीय आधार पर आरक्षण दिया गया। इसमें अजा/अजजा व अन्य पिछडा वर्ग आदि आरक्षण लागू है। अभी तक 50 से कम प्रतिशत आरक्षण देश में लागू है। पर मोदी सरकार ने अब तक आरक्षण देने के नाम पर गरीब अनारक्षित वर्ग को वंचित रखने की ऐतिहासिक भूल को दूर करने के लिए संसद में 124वां संविधान संशोधन विधेयक 2019 ला कर इस वंचित वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का बडा काम किया। मोदी सरकार की इस ऐतिहासिक पहल से लोकसभा में 8 जनवरी व 9 जनवरी को राज्यसभा में पारित कराया।
लोकसभा ने इस विधेयक को 8 जनवरी को 323/3 व  राज्यसभा ने 9 जनवरी को 165/7 के भारी बहुमत से पारित करके सरकार ने देश में आरक्षण मामले को अब जाति,धर्म  के संकीर्ण दायरे से उपर उठ कर हर पहले से आरक्षित अजा/अजजा व अन्य पिछडा वर्ग के अलावा हर धर्म हर जाति व हर क्षेत्र के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण से लाभान्वित होंगे। भले ही कांग्रेस सहित तमाम विरोधी दलों ने मोदी सरकार व भाजपा पर आगामी लोकसभा चुनाव में अनारक्षित वर्गों की लुभाने के लिए यह आरक्षण का झुनझूना मोदी सरकार पकडा रही है। विरोधी दलों का मोदी सरकार पर यह भी आरोप है कि एक तरफ  सरकारी नोकरियां निरंतर घटा रही है। देश के विभिन्न विभागों में लाखों की संख्या में रिक्त पदों को भर नहीं रही है। निजी क्षेत्र को बढावा दे रही है। ऐसे में आरक्षण का लाभ कहा ंसे लोगों को मिलेगा। यह सरकारी सेवाओं के अलावा जेईई, नीट, संघ लोकसेवा आयोग आदि की प्रतिष्ठित परीक्षाओं में भी यह आरक्षण लागू किया जाएगा।
इस विरोध के बाबजूद इस विधेयक के विरोध में राजद, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, अन्ना द्रमुक सदस्यों के अलावा पूरे विपक्ष ने अनारक्षित वर्ग के विरोध का नजला लोकसभा चुनाव में न झेलने पडे के इसी भय से इस विधेयक का अंततः समर्थन कर इसे पारित किया। अब यह विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बनेगा। अधिसूचना जारी होने के बाद यह कानून केंद्र सरकार की नौकरियों एवं केंद्रीय संस्थानों में होने वाले एडमिशन में मान्य होगा।
इस 10 प्रतिशत आरक्षण में सरकार द्वारा किये गये आरक्षण प्रावधानों को जल्दी से जल्दी अधिसूचित करेगी ताकि नई नौकरियों, प्रतियोगी परीक्षाओं में आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को आरक्षण दिया जा सके। जिनकी वार्षिक आय 8 लाख से कम है। पांच एकड़ से कम जमीन है, शहर में एक हजार वर्ग फीट से छोटा घर है, सौ गज से छोटा प्लाट है और गैर अधिसूचित क्षेत्र में 200 गज से छोटा प्लाट है, उन्हें इस कानून के तहत आरक्षण मिलेगा।.
यह आरक्षण का लाभ केन्द्र सरकार की नौकरियों के अलावा उन निजी संस्थान केंद्रीय शिक्षण संस्थानों से संबद्ध हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग या केन्द्र सरकार से सहायता प्राप्त है। वहां भी यह आरक्षण लागू होगा।
राज्य सेवाओं पर यह 10 प्रतिशत आरक्षण तभी लागू होगा जब राज्य इसके लिए अपने अपने प्रांतों में यह आरक्षण देने का कानून पारित कर लागू न कर दें।
गौरतलब है कि देश में वर्तमान में अभी तक आरक्षण केवल अजा/अजजा-22.2 प्रतिशत व  अन्य पिछडे वर्ग को 27 प्रतिशत 49.2 प्रतिशत है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी किसी भी हालत में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। इस संवैधानिक लक्ष्मण रेखा को देखते हुए मोदी सरकार ने संविधान में संशोधन करने के लिए 124वां संविधान संशोधन विधेयक 2019 को पारित कर अब तक हुई ऐतिहासिक भूल सुधारने का सराहनीय कार्य किया।

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