उत्तराखंड

गैरसैण राजधानी बनाने व उद्यान को बढ़ावा देने से होगा उत्तराखण्ड का चहुंमुखी विकास, थमेगा पलायन

15 फरवरी को प्रेस क्लब आफ इंडिया दिल्ली में हुई आंदोलनकारियों व उद्यान पण्डितों में गहन चर्चा

नई दिल्ली(प्याउ)। राजधानी गैरसैंण बनाने व उद्यान को बढ़ावा देने से ही होगा उत्तराखण्ड का चहुंमुखी विकास और लगेगा पलायन पर लगाम। दिल्ली के प्रेस क्लब  आफ इंडिया में सांयकाल सात बजे राजधानी गैरसैंण बनाओ अभियान के वरिष्ठ आंदोलनकारियों, पत्रकार व उत्तराखण्ड में फलोद्यान से प्रदेश को दिशा देने वाले उद्यान पण्डितों के बीच चाय पर एक गहन चर्चा हुई। इस चर्चा में जहां उत्तराखण्ड राज्य गठन आंदोलन व राजधानी गैरसैंण बनाओं अभियान से जुडे वरिष्ठ आंदोलनकारी देवसिंह रावत(चमोली), अनिल पंत (पौड़ी )व मोहन जोशी (बागेश्वर)ने भाग लिया। वहीं फलोद्यान से प्रदेश का दशकों से नाम रोशन करने वाले जनपद देहरादून के चकरोता विकासखण्ड के बुलहार गांव के फलोद्यान पण्डित प्रताप सिंह रावत व अल्मोड़ा जनपद के विकासखण्ड ताड़ीखेत के बिल्लेख गांव के युवा फलोद्यान पण्डित गोपाल उप्रेती  के अलावा वरिष्ठ पत्रकार कुशाल जीना ने भाग लिया।
इस चर्चा में भाग लेते हुए दिल्ली में युवा भवन निर्माता गोपाल उप्रेती ने बताया कि 1964 में हिमाचल से सटे चकरोता विकासखण्ड के पूर्व प्रमुख व क्षेत्र के वरिष्ठ समाजसेवी स्व. नैनसिंह रावत ने अपने गांव बुलहार में सेव का विशाल बाग लगाया। उसी बाग से आज भी उनके सपुत्र प्रताप सिंह रावत की वार्षिक आय करीब 30 लाख रूपये हो जाती है। इस चर्चा में भाग लेते हुए प्रताप सिंह रावत ने बताया कि जब तक हमारे गांव में मोटर मार्ग नहीं था तब हमने मेहनत से बाग बगीचे लगा कर एक मुकाम अर्जित किया। श्री प्रताप ने बताया कि अब उनके पिता जी द्वारा लगाये गये सेब के बाग से जहां उनके पूरे क्षेत्र के लोगों ने सेव इत्यादि फलोद्यान अपना कर क्षेत्र को समृद्ध बना दिया। वहीं दिल्ली में गोपाल उप्रेती जैसे भवन निर्माता ने अपने जनपद में सेब का बाग लगाने का ऐसा जनून जगा कि पूरे उत्तराखण्ड का उद्यान विभाग आज उनके विशाल बाग से प्रेरणा लेता है। इस अवसर पर प्रताप सिंह रावत ने बताया कि उनके पूरे क्षेत्र में जनता ने उद्यान को ऐसा आत्मसात किया कि इसी के कारण आज पूरे चकरोता में पलायन न के बराबर है।  श्री रावत ने अपने गांव से पलायन करके दिल्ली, मुम्बई, लखऩऊ, चंडीगढ़ उत्तराखण्ड के देहरादून, नैनीताल सहित देश विदेश में रहने वाले उत्तराखण्डियों को अपने गांव का घर ठीक कर वहां पर हर साल फलो के वृक्ष लगाना चाहिए। इससे पलायन रूकेगा, उत्तराखण्डी समृद्ध होंगे और देश का सीमांत प्रात आबाद होगा।

इस चर्चा में भाग लेते हुए अल्मोड़ा में सेब का विशाल बाग लगा कर पूरे प्रदेश में अपनी छाप छोड़ने वाले गोपाल उप्रेती ने बताया कि प्रदेश गठन के बाद प्रदेश के हुक्मरानों की दिशाहीनता के कारण हिमाचल से कहीं अधिक समृद्ध हो सकने की क्षमता रखने वाले उत्तराखण्डी सोने की खान उत्तराखण्ड को छोड़ कर दो जून के रोजगार के लिए अपना गांव खलिहान छोड़ कर उत्तराखण्ड, देश व विदेश के शहरों में दर दर भटकने के लिए मजबूर हो रहे है। श्री उप्रेती ने बताया कि अगर उत्तराखण्ड मे उद्यान को बढ़ावा दिया तो प्रदेश के समृद्धि की गंगा बहने लग जायेगी। उन्होने कहा इसके लिए चकबंदी की भी जरूरत नहीं। गांव वाले सामुहिक रूप से उद्यान को बढ़ावा दे सकते है। श्री उप्रेती ने बताया कि उन्होने उद्यान विभाग को चूना लगाने वाले आस्तीन के सांपों को बेनकाब किया है।
इस चर्चा में भाग लेते हुए राज्य गठन आंदोलनकारी देवसिंह रावत, अनिल पंत व मोहन जोशी ने जोर दिया कि प्रदेश की राजधानी बनाने के साथ प्रदेश में उद्यान को युद्धस्तर पर बढ़ावा देने से प्रदेश का जहां चहुमुखी विकास होगा, वहीं पलायन रूकेगा और उत्तराखण्ड, हिमाचल की तरह देश का सबसे समृद्ध राज्य बनेगा। राजधानी गैरसैंण  बनाने व उद्यान को बढ़ावा देने लिए देश विदेश व उत्तराखण्ड में व्यापक जनजागरण करके प्रदेश के हुक्मरानोें को शहीदों के सपनो का उत्तराखण्ड बना कर साकार करेंगे।

About the author

pyarauttarakhand5