दुनिया देश व्यापार

अमूल जेसे ही प्रयासों की वजह से हम, आज दुनिया के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक देश हैं:-प्रधानमंत्री मोदी

 

(जीसीएमएमएफ, अमूल फेडरेशन के स्वर्ण जयंती समारोह में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ)

22फरवरी 2023, दिल्ली से पसूकाभास

भारत माता की – जय !

भारत माता की – जय !

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी, गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी पुरुषोत्तम रुपाला जी, संसद में मेरे साथी सीआर पाटिल, अमूल चेयरमैन श्री श्यामल भाई, और यहां इतनी बड़ी संख्या में पधारे मेरे भाइयों और बहनों !

गुजरात के गांवों ने मिलकर 50 वर्ष पहले जो पौधा लगाया था, वो आज विशाल वटवृक्ष बन गया है। और इस विशाल वटवृक्ष की शाखाएं आज देश-विदेश तक फैल चुकी हैं। गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन की स्वर्ण जयंति पर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। गुजरात की दूध समितियों से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति का, हर पुरुष, हर महिला का भी मैं अभिनंदन करता हूं। और इसके साथ हमारे एक और साथी हैं, जो डेयरी सेक्टर के सबसे बड़े स्टेकहोल्डर हैं…मैं उन्हें भी प्रणाम करता हूं। ये स्टेकहोल्डर, ये साझीदार हैं- हमारा पशुधन। मैं आज इस यात्रा को सफल् बनाने में पशुधन के contribution को भी सम्‍मानित करता हूं। उनके प्रति आदर व्‍यक्‍त करता हूं। इनके बिना डेयरी सेक्टर की कल्पना भी नहीं हो सकती। इसलिए मेरा देश के पशुधन को भी प्रणाम है।

भाइयों और बहनों,

भारत की आजादी के बाद, देश में बहुत से ब्रैंड बने लेकिन अमूल जैसा कोई नहीं। आज अमूल भारत के पशुपालकों के सामर्थ्य की पहचान बन चुका है। अमूल यानि विश्वास। अमूल यानि विकास। अमूल यानि जनभागीदारी। अमूल यानि किसानों का सशक्तिकरण। अमूल यानि समय के साथ आधुनिकता का समावेश, अमूल यानि आत्मनिर्भर भारत की प्रेरणा, अमूल यानि बड़े सपने, बड़े संकल्प, और उससे भी बडी सिद्धियां। आज दुनिया के 50 से ज्यादा देशों में अमूल के प्रॉडक्ट को निर्यात किया जाता है। 18 हजार से ज्यादा दुग्ध सहकारी मंडली, 36 लाख किसानों का नेटवर्क, हर दिन साढ़े तीन करोड़ लीटर से ज्यादा दूध का संग्रहण, हर रोज पशुपालकों को 200 करोड़ रुपए से अधिक का ऑनलाइन पेमेंट, ये आसान नहीं है। छोटे-छोटे पशुपालकों की ये संस्था, आज जिस बड़े पैमाने पर काम कर रही है, वही तो संगठन की शक्ति है, सहकार की शक्ति है।

भाइयों और बहनों,

दूरगामी सोच के साथ लिए गए फैसले कई बार आने वाली पीढ़ियों का भाग्य कैसे बदल देते हैं, अमूल इसका भी एक उदाहरण है। आज के अमूल की नींव, सरदार वल्‍लभ भाई पटेल जी के मार्गदर्शन में खेड़ा मिल्क यूनियन के रूप में रखी गई थी। समय़ के साथ डेयरी सहकारिता गुजरात में और व्यापक होती गई और फिर गुजरात मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन बनी। आज भी ये सरकार और सहकार के तालमेल का बेहतरीन मॉडल है। ऐसे ही प्रयासों की वजह से हम, आज दुनिया के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक देश हैं। भारत के डेयरी सेक्टर में 8 करोड़ लोग सीधे जुड़े हुए हैं। अगर मैं पिछले 10 साल की बात करूं तो, भारत में दूध उत्पादन में करीब 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले 10 वर्षों में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता भी करीब 40 प्रतिशत बढ़ी है। दुनिया में डेयरी सेक्टर सिर्फ 2 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रहा है, जबकि भारत में डेयरी सेक्टर 6 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रहा है।

साथियों,

भारत के डेयरी सेक्टर की एक सबसे बड़ी विशेषता है, जिसकी उतनी चर्चा नहीं होती। आज इस ऐतिहासिक अवसर पर मैं इस विषय पर भी विस्तार से चर्चा करना चाहता हूं। भारत में 10 लाख करोड़ रुपए के टर्नओवर वाले डेयरी सेक्टर की मुख्य कर्ताधर्ता देश की नारीशक्ति है। हमारी माताएं हैं, हमारी बहनें हैं, हमारी बेटियां हैं। आज देश में धान, गेहूं और गन्ने को भी मिला दें, तो भी इन फसलों का टर्नओवर 10 लाख करोड़ रुपए नहीं होता। जबकि 10 लाख करोड़ टर्नओवर वाले डेयरी सेक्टर में 70 प्रतिशत काम करने वाली हमारी माताएं-बहनें-बेटियां ही हैं। भारत के डेयरी सेक्टर की असली रीढ़, असली बैकबोन, यही महिलाशक्ति है। आज अमूल सफलता की जिस ऊंचाई पर है, वो सिर्फ और सिर्फ महिलाशक्ति की वजह से है। आज जब भारत Women Led Development के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है, तो भारत के डेयरी सेक्टर की ये सफलता, उसके लिए एक बहुत बड़ी प्रेरणा है। मैं मानता हूं कि भारत को विकसित बनाने के लिए, भारत की प्रत्येक महिला की आर्थिक शक्ति बढ़नी उतनी ही आवश्यक है। इसलिए हमारी सरकार आज महिलाओं की आर्थिक शक्ति बढ़ाने के लिए भी चौतरफा काम कर रही है। मुद्रा योजना के तहत सरकार ने जो 30 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की मदद दी है, उसकी करीब 70 प्रतिशत लाभार्थी बहनें-बेटियां ही हैं। सरकार के प्रयास से पिछले 10 साल में महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिलाओं की संख्या 10 करोड़ को पार कर गई है। पिछले 10 साल में भाजपा सरकार ने इन्हें 6 लाख करोड़ रुपए से अधिक की आर्थिक मदद दी है। सरकार ने पीएम आवास योजना के तहत देश में जो 4 करोड़ से ज्यादा घर दिए हैं, उनमें से ज्यादातर घर भी महिलाओं के नाम हैं। ऐसी अनेक योजनाओं की वजह से आज समाज में महिलाओं की आर्थिक भागीदारी बढ़ी है। आपने नमो ड्रोन दीदी अभियान के बारे में जरूर सुना होगा। इस अभियान के तहत अभी शुरुआत में गांव के स्वयं सहायता समूहों को 15 हजार आधुनिक ड्रोन दिए जा रहे हैं। ये आधुनिक ड्रोन उड़ाने के लिए नमो ड्रोन दीदियों को ट्रेनिंग भी दी जा रही है। वो दिन दूर नहीं जब गांव-गांव में नमो ड्रोन दीदियां, कीटनाशक छिड़कने से लेकर खाद छिड़कने में भी सबसे आगे रहेंगी।

साथियों,

मुझे खुशी है कि यहां गुजरात में भी हमारी डेयरी सहकारी समितियों में महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। मुझे याद है, जब मैं गुजरात में था, तो हमने डेयरी सेक्टर से जुड़ी महिलाओं के लिए एक और बड़ा काम किया था। हमने ये सुनिश्चित किया कि डेयरी का पैसा हमारी बहनों-बेटियों के बैंक खातों सीधे जमा हो। मैं आज इस भावना को विस्तार देने के लिए भी अमूल की प्रशंसा करुंगा। हर गांव में माइक्रो ATM लगने से पशु-पालकों को पैसा निकालने के लिए बहुत दूर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। आने वाले समय में पशुपालकों को रुपे क्रेडिट कार्ड देने की भी योजना है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पंचमहल और बनासकांठा में इसकी शुरुआत भी हो चुकी है।

भाइयों और बहनों,

गांधी जी कहते थे कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। विकसित भारत के निर्माण के लिए भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सशक्त होना जरूरी है। पहले केंद्र में जो सरकारें रहीं, वो ग्रामीण अर्थव्यवस्था की जरूरतों को टुकड़ों में देखती थीं। हम गांव के हर पहलू को प्राथमिकता देते हुए काम को आगे रहे हैं। हमारा फोकस है- छोटे किसान का जीवन कैसे बेहतर हो। हमारा फोकस है- पशुपालन का दायरा कैसे बढ़े। हमारा फोकस है- पशुओं का स्वास्थ्य कैसे बेहतर हो। हमारा फोकस है- गांव में पशुपालन के साथ ही मछलीपालन और मधुमक्खी पालन को कैसे प्रोत्साहित किया जाए। इसी सोच के साथ, हमने पहली बार पशुपालकों और मछलीपालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा दी है। हमने किसानों को ऐसे आधुनिक बीज दिए हैं, जो जलवायु परिवर्तन का मुकाबला कर सकें। भाजपा सरकार, राष्ट्रीय गोकुल मिशन जैसे अभियानों के माध्यम से दुधारू पशुओं की नस्ल सुधारने का भी काम कर रही है। लंबे समय तक फुट एंड माउथ डिजीज़- मुंहपका और खुरपका, हमारे पशुओं के लिए बहुत बड़े संकट का कारण रही है। इस बीमारी के कारण हर साल हज़ारों करोड़ रुपए का नुकसान आप सभी पशुपालकों को होता है। इसकी रोकथाम के लिए केंद्र सरकार ने पूरे देश में एक मुफ्त टीकाकरण अभियान चलाया है। इस अभियान पर 15 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जा रहे हैं। इसके तहत 60 करोड़ टीके लगाये जा चुके है। हम 2030 तक फुट एंड माउथ डिजीज़ को जड़ से खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं।

साथियों,

पशुधन की समृद्धि के लिए कल हमारी कैबिनेट की मीटिंग थी, कल जरा कैबिनेट मीटिंग देर रात की थी और कल भाजपा सरकार ने कैबिनेट में बड़े महत्‍वपूर्ण निर्णय लिए हैं। नेशनल लाइवस्टॉक मिशन में संशोधन करके देसी नस्ल की प्रजातियों को बचाने के लिए नए उपायों की घोषणा हुई है। बंजर जमीन को चारागाह की तरह उपयोग में लाने के लिए भी आर्थिक मदद देने का निर्णय़ लिया गया है। सरकार ने पशुधन का बीमा कराने में किसान का कम से कम खर्च हो, इसके लिए प्रीमियम की राशि को भी कम करने का फैसला लिया है। ये फैसले पशुओं की संख्या बढ़ाने, पशुपालकों की आय बढ़ाने में और मददगार साबित होंगे।

साथियों,

हम गुजरात के लोग जानते हैं कि पानी का संकट क्या होता है। सौराष्ट्र में, कच्छ में, उत्‍तर गुजरात में हमने अकाल के दिनों में हजारों पशुओं को एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान पर मीलों-मीलों चलते जाते देखा है। हमने मरते पशुओं के ढेर, उसकी तस्‍वीरें भी देखी हैं। नर्मदा जल पहुंचने के बाद ऐसे क्षेत्रों का भाग्य बदल गया है। हम प्रयास कर रहे हैं कि भविष्य में ऐसी चुनौती से ना जूझना पड़े। सरकार ने जो 60 हजार से ज्यादा अमृत सरोवर बनाए हैं, वो भी देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बहुत मदद करने वाले हैं। हमारा प्रयास है कि गांव में छोटे किसान को आधुनिक टेक्नॉलॉजी से भी जोड़ें। गुजरात में आपने देखा है कि बीते वर्षों में माइक्रोइरीगेशन का दायरा, टपक सिंचाई का दायरा कई गुणा बढ़ गया है। टपक सिंचाई के लिए किसानों को मदद दी जा रही है। हमने लाखों किसान समृद्धि केंद्र स्थापित किए हैं, ताकि किसानों को गांव के निकट ही वैज्ञानिक समाधान मिल सकें। जैविक खाद बनाने में किसानों को मदद मिले, इसके लिए भी व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं।

साथियों,

हमारी सरकार का जोर, अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने के साथ ही उर्वरकदाता बनाने पर भी है। हम किसानों को सोलर पंप दे रहे हैं, खेत की मेड पर ही छोटे-छोटे सोलर प्लांट लगाने के लिए मदद दे रहे है। इसके अलावा, गोबरधन योजना के तहत पशुपालकों से गोबर भी खरीदने की व्यवस्था बनाई जा रही है। गोबर से जो हमारे डेयरी प्लांट हैं, वहां बिजली पैदा की जा रही है। बदले में जो जैविक खाद बनती है वो वापस किसानों को बहुत कम कीमत में उपलब्ध हो रही है। इससे किसान और पशु, दोनों को तो लाभ होगा ही, खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य भी बेहतर होगा। अमूल ने बनासकांठा में जो गोबर गैस प्लांट लगाया है, वो इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।

साथियों,

हम ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सहकारिता का दायरा बहुत अधिक बढ़ा रहे हैं। इसके लिए पहली बार हमने केंद्र में अलग से सहकारिता मंत्रालय बनाया है। आज देश के 2 लाख से अधिक गांवों में सहकारी समितियों का निर्माण किया जा रहा है। खेती हो, पशुपालन हो, मछलीपालन हो, इन सभी सेक्टर्स में ये समितियां बनाई जा रही हैं। हम तो मेड इन इंडिया यानि मैन्युफेक्चरिंग में भी सहकारी समितियों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। उनके लिए टैक्स को भी बहुत कम किया गया है। देश में 10 हज़ार किसान उत्पादक संघ यानि FPO बनाए जा रहे हैं। जिनमें से लगभग 8 हज़ार बन भी चुके हैं। ये छोटे किसानों के बड़े संगठन हैं। ये छोटे किसान को उत्पादक के साथ-साथ कृषि उद्यमी और निर्यातक बनाने का मिशन है। आज भाजपा सरकार, पैक्स को, FPO को, दूसरी सहकारी समितियों को करोड़ों रुपए की मदद दे रही है। हमने गांव में खेती से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 1 लाख करोड़ रुपए का फंड भी बनाया है। इस योजना का लाभ भी किसानों के सहकारी संगठनों को ही हो रहा है।

साथियों,

हमारी सरकार, पशुपालन से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने पर भी रिकॉर्ड निवेश कर रही है। इसके लिए 30 हज़ार करोड़ रुपए का एक स्पेशल फंड बनाया गया है। इसमें डेयरी सहकारी संस्थाओं को ब्याज पर पहले से अधिक छूट का प्रावधान किया गया है। सरकार, मिल्क प्लांट्स के आधुनिकीकरण पर भी हजारों करोड़ रुपए खर्च कर रही है। इसी योजना के तहत आज साबरकांठा मिल्क यूनियन के दो बड़े प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन हुआ है। इसमें प्रतिदिन 800 टन पशुओं का चारा बनाने वाला आधुनिक प्लांट भी शामिल है।

भाइयों और बहनों,

मैं जब विकसित भारत की बात करता हूं, तो मेरा विश्वास सबका प्रयास, इस बात पर है। भारत ने अपनी आजादी के सौवें वर्ष यानि 2047 तक विकसित भारत होने का संकल्प लिया है। एक संस्था के तौर पर अमूल के भी तब 75 साल होने वाले होंगे। आपको भी आज यहां से नए संकल्प लेकर जाना है। तेजी से बढ़ती हुई आबादी में पौष्टिकता को पूरा करने में आप सबकी बड़ी भूमिका है। मुझे ये जानकर खुशी हुई कि अगले पांच साल में आप लोगों ने अपने प्लांट्स की प्रोसेसिंग क्षमता को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। आज अमूल दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी डेयरी कंपनी है। आपको इसे जल्द से जल्द दुनिया की सबसे बड़ी डेयरी कंपनी बनाना है। सरकार हर तरह से आपके साथ खड़ी है। और ये मोदी की गारंटी है। एक बार फिर आप सभी को 50 वर्ष के इस पड़ाव पर पहुंचने की बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं !

बहुत-बहुत धन्यवाद !

***

DS/VJ/NS/AK

(

प्रधानमंत्री कार्यालय

जीसीएमएमएफ, अमूल फेडरेशन के स्वर्ण जयंती समारोह में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ
Posted On: 22 FEB 2024 1:26PM by PIB Delhi
भारत माता की – जय !

भारत माता की – जय !

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी, गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी पुरुषोत्तम रुपाला जी, संसद में मेरे साथी सीआर पाटिल, अमूल चेयरमैन श्री श्यामल भाई, और यहां इतनी बड़ी संख्या में पधारे मेरे भाइयों और बहनों !

गुजरात के गांवों ने मिलकर 50 वर्ष पहले जो पौधा लगाया था, वो आज विशाल वटवृक्ष बन गया है। और इस विशाल वटवृक्ष की शाखाएं आज देश-विदेश तक फैल चुकी हैं। गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन की स्वर्ण जयंति पर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। गुजरात की दूध समितियों से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति का, हर पुरुष, हर महिला का भी मैं अभिनंदन करता हूं। और इसके साथ हमारे एक और साथी हैं, जो डेयरी सेक्टर के सबसे बड़े स्टेकहोल्डर हैं…मैं उन्हें भी प्रणाम करता हूं। ये स्टेकहोल्डर, ये साझीदार हैं- हमारा पशुधन। मैं आज इस यात्रा को सफल् बनाने में पशुधन के contribution को भी सम्‍मानित करता हूं। उनके प्रति आदर व्‍यक्‍त करता हूं। इनके बिना डेयरी सेक्टर की कल्पना भी नहीं हो सकती। इसलिए मेरा देश के पशुधन को भी प्रणाम है।

भाइयों और बहनों,

भारत की आजादी के बाद, देश में बहुत से ब्रैंड बने लेकिन अमूल जैसा कोई नहीं। आज अमूल भारत के पशुपालकों के सामर्थ्य की पहचान बन चुका है। अमूल यानि विश्वास। अमूल यानि विकास। अमूल यानि जनभागीदारी। अमूल यानि किसानों का सशक्तिकरण। अमूल यानि समय के साथ आधुनिकता का समावेश, अमूल यानि आत्मनिर्भर भारत की प्रेरणा, अमूल यानि बड़े सपने, बड़े संकल्प, और उससे भी बडी सिद्धियां। आज दुनिया के 50 से ज्यादा देशों में अमूल के प्रॉडक्ट को निर्यात किया जाता है। 18 हजार से ज्यादा दुग्ध सहकारी मंडली, 36 लाख किसानों का नेटवर्क, हर दिन साढ़े तीन करोड़ लीटर से ज्यादा दूध का संग्रहण, हर रोज पशुपालकों को 200 करोड़ रुपए से अधिक का ऑनलाइन पेमेंट, ये आसान नहीं है। छोटे-छोटे पशुपालकों की ये संस्था, आज जिस बड़े पैमाने पर काम कर रही है, वही तो संगठन की शक्ति है, सहकार की शक्ति है।

भाइयों और बहनों,

दूरगामी सोच के साथ लिए गए फैसले कई बार आने वाली पीढ़ियों का भाग्य कैसे बदल देते हैं, अमूल इसका भी एक उदाहरण है। आज के अमूल की नींव, सरदार वल्‍लभ भाई पटेल जी के मार्गदर्शन में खेड़ा मिल्क यूनियन के रूप में रखी गई थी। समय़ के साथ डेयरी सहकारिता गुजरात में और व्यापक होती गई और फिर गुजरात मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन बनी। आज भी ये सरकार और सहकार के तालमेल का बेहतरीन मॉडल है। ऐसे ही प्रयासों की वजह से हम, आज दुनिया के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक देश हैं। भारत के डेयरी सेक्टर में 8 करोड़ लोग सीधे जुड़े हुए हैं। अगर मैं पिछले 10 साल की बात करूं तो, भारत में दूध उत्पादन में करीब 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले 10 वर्षों में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता भी करीब 40 प्रतिशत बढ़ी है। दुनिया में डेयरी सेक्टर सिर्फ 2 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रहा है, जबकि भारत में डेयरी सेक्टर 6 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रहा है।

साथियों,

भारत के डेयरी सेक्टर की एक सबसे बड़ी विशेषता है, जिसकी उतनी चर्चा नहीं होती। आज इस ऐतिहासिक अवसर पर मैं इस विषय पर भी विस्तार से चर्चा करना चाहता हूं। भारत में 10 लाख करोड़ रुपए के टर्नओवर वाले डेयरी सेक्टर की मुख्य कर्ताधर्ता देश की नारीशक्ति है। हमारी माताएं हैं, हमारी बहनें हैं, हमारी बेटियां हैं। आज देश में धान, गेहूं और गन्ने को भी मिला दें, तो भी इन फसलों का टर्नओवर 10 लाख करोड़ रुपए नहीं होता। जबकि 10 लाख करोड़ टर्नओवर वाले डेयरी सेक्टर में 70 प्रतिशत काम करने वाली हमारी माताएं-बहनें-बेटियां ही हैं। भारत के डेयरी सेक्टर की असली रीढ़, असली बैकबोन, यही महिलाशक्ति है। आज अमूल सफलता की जिस ऊंचाई पर है, वो सिर्फ और सिर्फ महिलाशक्ति की वजह से है। आज जब भारत Women Led Development के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है, तो भारत के डेयरी सेक्टर की ये सफलता, उसके लिए एक बहुत बड़ी प्रेरणा है। मैं मानता हूं कि भारत को विकसित बनाने के लिए, भारत की प्रत्येक महिला की आर्थिक शक्ति बढ़नी उतनी ही आवश्यक है। इसलिए हमारी सरकार आज महिलाओं की आर्थिक शक्ति बढ़ाने के लिए भी चौतरफा काम कर रही है। मुद्रा योजना के तहत सरकार ने जो 30 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की मदद दी है, उसकी करीब 70 प्रतिशत लाभार्थी बहनें-बेटियां ही हैं। सरकार के प्रयास से पिछले 10 साल में महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिलाओं की संख्या 10 करोड़ को पार कर गई है। पिछले 10 साल में भाजपा सरकार ने इन्हें 6 लाख करोड़ रुपए से अधिक की आर्थिक मदद दी है। सरकार ने पीएम आवास योजना के तहत देश में जो 4 करोड़ से ज्यादा घर दिए हैं, उनमें से ज्यादातर घर भी महिलाओं के नाम हैं। ऐसी अनेक योजनाओं की वजह से आज समाज में महिलाओं की आर्थिक भागीदारी बढ़ी है। आपने नमो ड्रोन दीदी अभियान के बारे में जरूर सुना होगा। इस अभियान के तहत अभी शुरुआत में गांव के स्वयं सहायता समूहों को 15 हजार आधुनिक ड्रोन दिए जा रहे हैं। ये आधुनिक ड्रोन उड़ाने के लिए नमो ड्रोन दीदियों को ट्रेनिंग भी दी जा रही है। वो दिन दूर नहीं जब गांव-गांव में नमो ड्रोन दीदियां, कीटनाशक छिड़कने से लेकर खाद छिड़कने में भी सबसे आगे रहेंगी।

साथियों,

मुझे खुशी है कि यहां गुजरात में भी हमारी डेयरी सहकारी समितियों में महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। मुझे याद है, जब मैं गुजरात में था, तो हमने डेयरी सेक्टर से जुड़ी महिलाओं के लिए एक और बड़ा काम किया था। हमने ये सुनिश्चित किया कि डेयरी का पैसा हमारी बहनों-बेटियों के बैंक खातों सीधे जमा हो। मैं आज इस भावना को विस्तार देने के लिए भी अमूल की प्रशंसा करुंगा। हर गांव में माइक्रो ATM लगने से पशु-पालकों को पैसा निकालने के लिए बहुत दूर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। आने वाले समय में पशुपालकों को रुपे क्रेडिट कार्ड देने की भी योजना है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पंचमहल और बनासकांठा में इसकी शुरुआत भी हो चुकी है।

भाइयों और बहनों,

गांधी जी कहते थे कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। विकसित भारत के निर्माण के लिए भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सशक्त होना जरूरी है। पहले केंद्र में जो सरकारें रहीं, वो ग्रामीण अर्थव्यवस्था की जरूरतों को टुकड़ों में देखती थीं। हम गांव के हर पहलू को प्राथमिकता देते हुए काम को आगे रहे हैं। हमारा फोकस है- छोटे किसान का जीवन कैसे बेहतर हो। हमारा फोकस है- पशुपालन का दायरा कैसे बढ़े। हमारा फोकस है- पशुओं का स्वास्थ्य कैसे बेहतर हो। हमारा फोकस है- गांव में पशुपालन के साथ ही मछलीपालन और मधुमक्खी पालन को कैसे प्रोत्साहित किया जाए। इसी सोच के साथ, हमने पहली बार पशुपालकों और मछलीपालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा दी है। हमने किसानों को ऐसे आधुनिक बीज दिए हैं, जो जलवायु परिवर्तन का मुकाबला कर सकें। भाजपा सरकार, राष्ट्रीय गोकुल मिशन जैसे अभियानों के माध्यम से दुधारू पशुओं की नस्ल सुधारने का भी काम कर रही है। लंबे समय तक फुट एंड माउथ डिजीज़- मुंहपका और खुरपका, हमारे पशुओं के लिए बहुत बड़े संकट का कारण रही है। इस बीमारी के कारण हर साल हज़ारों करोड़ रुपए का नुकसान आप सभी पशुपालकों को होता है। इसकी रोकथाम के लिए केंद्र सरकार ने पूरे देश में एक मुफ्त टीकाकरण अभियान चलाया है। इस अभियान पर 15 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जा रहे हैं। इसके तहत 60 करोड़ टीके लगाये जा चुके है। हम 2030 तक फुट एंड माउथ डिजीज़ को जड़ से खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं।

साथियों,

पशुधन की समृद्धि के लिए कल हमारी कैबिनेट की मीटिंग थी, कल जरा कैबिनेट मीटिंग देर रात की थी और कल भाजपा सरकार ने कैबिनेट में बड़े महत्‍वपूर्ण निर्णय लिए हैं। नेशनल लाइवस्टॉक मिशन में संशोधन करके देसी नस्ल की प्रजातियों को बचाने के लिए नए उपायों की घोषणा हुई है। बंजर जमीन को चारागाह की तरह उपयोग में लाने के लिए भी आर्थिक मदद देने का निर्णय़ लिया गया है। सरकार ने पशुधन का बीमा कराने में किसान का कम से कम खर्च हो, इसके लिए प्रीमियम की राशि को भी कम करने का फैसला लिया है। ये फैसले पशुओं की संख्या बढ़ाने, पशुपालकों की आय बढ़ाने में और मददगार साबित होंगे।

साथियों,

हम गुजरात के लोग जानते हैं कि पानी का संकट क्या होता है। सौराष्ट्र में, कच्छ में, उत्‍तर गुजरात में हमने अकाल के दिनों में हजारों पशुओं को एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान पर मीलों-मीलों चलते जाते देखा है। हमने मरते पशुओं के ढेर, उसकी तस्‍वीरें भी देखी हैं। नर्मदा जल पहुंचने के बाद ऐसे क्षेत्रों का भाग्य बदल गया है। हम प्रयास कर रहे हैं कि भविष्य में ऐसी चुनौती से ना जूझना पड़े। सरकार ने जो 60 हजार से ज्यादा अमृत सरोवर बनाए हैं, वो भी देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बहुत मदद करने वाले हैं। हमारा प्रयास है कि गांव में छोटे किसान को आधुनिक टेक्नॉलॉजी से भी जोड़ें। गुजरात में आपने देखा है कि बीते वर्षों में माइक्रोइरीगेशन का दायरा, टपक सिंचाई का दायरा कई गुणा बढ़ गया है। टपक सिंचाई के लिए किसानों को मदद दी जा रही है। हमने लाखों किसान समृद्धि केंद्र स्थापित किए हैं, ताकि किसानों को गांव के निकट ही वैज्ञानिक समाधान मिल सकें। जैविक खाद बनाने में किसानों को मदद मिले, इसके लिए भी व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं।

साथियों,

हमारी सरकार का जोर, अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने के साथ ही उर्वरकदाता बनाने पर भी है। हम किसानों को सोलर पंप दे रहे हैं, खेत की मेड पर ही छोटे-छोटे सोलर प्लांट लगाने के लिए मदद दे रहे है। इसके अलावा, गोबरधन योजना के तहत पशुपालकों से गोबर भी खरीदने की व्यवस्था बनाई जा रही है। गोबर से जो हमारे डेयरी प्लांट हैं, वहां बिजली पैदा की जा रही है। बदले में जो जैविक खाद बनती है वो वापस किसानों को बहुत कम कीमत में उपलब्ध हो रही है। इससे किसान और पशु, दोनों को तो लाभ होगा ही, खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य भी बेहतर होगा। अमूल ने बनासकांठा में जो गोबर गैस प्लांट लगाया है, वो इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।

साथियों,

हम ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सहकारिता का दायरा बहुत अधिक बढ़ा रहे हैं। इसके लिए पहली बार हमने केंद्र में अलग से सहकारिता मंत्रालय बनाया है। आज देश के 2 लाख से अधिक गांवों में सहकारी समितियों का निर्माण किया जा रहा है। खेती हो, पशुपालन हो, मछलीपालन हो, इन सभी सेक्टर्स में ये समितियां बनाई जा रही हैं। हम तो मेड इन इंडिया यानि मैन्युफेक्चरिंग में भी सहकारी समितियों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। उनके लिए टैक्स को भी बहुत कम किया गया है। देश में 10 हज़ार किसान उत्पादक संघ यानि FPO बनाए जा रहे हैं। जिनमें से लगभग 8 हज़ार बन भी चुके हैं। ये छोटे किसानों के बड़े संगठन हैं। ये छोटे किसान को उत्पादक के साथ-साथ कृषि उद्यमी और निर्यातक बनाने का मिशन है। आज भाजपा सरकार, पैक्स को, FPO को, दूसरी सहकारी समितियों को करोड़ों रुपए की मदद दे रही है। हमने गांव में खेती से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 1 लाख करोड़ रुपए का फंड भी बनाया है। इस योजना का लाभ भी किसानों के सहकारी संगठनों को ही हो रहा है।

साथियों,

हमारी सरकार, पशुपालन से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने पर भी रिकॉर्ड निवेश कर रही है। इसके लिए 30 हज़ार करोड़ रुपए का एक स्पेशल फंड बनाया गया है। इसमें डेयरी सहकारी संस्थाओं को ब्याज पर पहले से अधिक छूट का प्रावधान किया गया है। सरकार, मिल्क प्लांट्स के आधुनिकीकरण पर भी हजारों करोड़ रुपए खर्च कर रही है। इसी योजना के तहत आज साबरकांठा मिल्क यूनियन के दो बड़े प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन हुआ है। इसमें प्रतिदिन 800 टन पशुओं का चारा बनाने वाला आधुनिक प्लांट भी शामिल है।

भाइयों और बहनों,

मैं जब विकसित भारत की बात करता हूं, तो मेरा विश्वास सबका प्रयास, इस बात पर है। भारत ने अपनी आजादी के सौवें वर्ष यानि 2047 तक विकसित भारत होने का संकल्प लिया है। एक संस्था के तौर पर अमूल के भी तब 75 साल होने वाले होंगे। आपको भी आज यहां से नए संकल्प लेकर जाना है। तेजी से बढ़ती हुई आबादी में पौष्टिकता को पूरा करने में आप सबकी बड़ी भूमिका है। मुझे ये जानकर खुशी हुई कि अगले पांच साल में आप लोगों ने अपने प्लांट्स की प्रोसेसिंग क्षमता को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। आज अमूल दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी डेयरी कंपनी है। आपको इसे जल्द से जल्द दुनिया की सबसे बड़ी डेयरी कंपनी बनाना है। सरकार हर तरह से आपके साथ खड़ी है। और ये मोदी की गारंटी है। एक बार फिर आप सभी को 50 वर्ष के इस पड़ाव पर पहुंचने की बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं !

बहुत-बहुत धन्यवाद !

***

DS/VJ/NS/AK

(Release ID: 2007985) Visitor Counter : 106

Read this release in: English , Urdu , Gujarati

प्रधानमंत्री कार्यालय

जीसीएमएमएफ, अमूल फेडरेशन के स्वर्ण जयंती समारोह में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ
Posted On: 22 FEB 2024 1:26PM by PIB Delhi
भारत माता की – जय !

भारत माता की – जय !

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी, गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी पुरुषोत्तम रुपाला जी, संसद में मेरे साथी सीआर पाटिल, अमूल चेयरमैन श्री श्यामल भाई, और यहां इतनी बड़ी संख्या में पधारे मेरे भाइयों और बहनों !

गुजरात के गांवों ने मिलकर 50 वर्ष पहले जो पौधा लगाया था, वो आज विशाल वटवृक्ष बन गया है। और इस विशाल वटवृक्ष की शाखाएं आज देश-विदेश तक फैल चुकी हैं। गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन की स्वर्ण जयंति पर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। गुजरात की दूध समितियों से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति का, हर पुरुष, हर महिला का भी मैं अभिनंदन करता हूं। और इसके साथ हमारे एक और साथी हैं, जो डेयरी सेक्टर के सबसे बड़े स्टेकहोल्डर हैं…मैं उन्हें भी प्रणाम करता हूं। ये स्टेकहोल्डर, ये साझीदार हैं- हमारा पशुधन। मैं आज इस यात्रा को सफल् बनाने में पशुधन के contribution को भी सम्‍मानित करता हूं। उनके प्रति आदर व्‍यक्‍त करता हूं। इनके बिना डेयरी सेक्टर की कल्पना भी नहीं हो सकती। इसलिए मेरा देश के पशुधन को भी प्रणाम है।

भाइयों और बहनों,

भारत की आजादी के बाद, देश में बहुत से ब्रैंड बने लेकिन अमूल जैसा कोई नहीं। आज अमूल भारत के पशुपालकों के सामर्थ्य की पहचान बन चुका है। अमूल यानि विश्वास। अमूल यानि विकास। अमूल यानि जनभागीदारी। अमूल यानि किसानों का सशक्तिकरण। अमूल यानि समय के साथ आधुनिकता का समावेश, अमूल यानि आत्मनिर्भर भारत की प्रेरणा, अमूल यानि बड़े सपने, बड़े संकल्प, और उससे भी बडी सिद्धियां। आज दुनिया के 50 से ज्यादा देशों में अमूल के प्रॉडक्ट को निर्यात किया जाता है। 18 हजार से ज्यादा दुग्ध सहकारी मंडली, 36 लाख किसानों का नेटवर्क, हर दिन साढ़े तीन करोड़ लीटर से ज्यादा दूध का संग्रहण, हर रोज पशुपालकों को 200 करोड़ रुपए से अधिक का ऑनलाइन पेमेंट, ये आसान नहीं है। छोटे-छोटे पशुपालकों की ये संस्था, आज जिस बड़े पैमाने पर काम कर रही है, वही तो संगठन की शक्ति है, सहकार की शक्ति है।

भाइयों और बहनों,

दूरगामी सोच के साथ लिए गए फैसले कई बार आने वाली पीढ़ियों का भाग्य कैसे बदल देते हैं, अमूल इसका भी एक उदाहरण है। आज के अमूल की नींव, सरदार वल्‍लभ भाई पटेल जी के मार्गदर्शन में खेड़ा मिल्क यूनियन के रूप में रखी गई थी। समय़ के साथ डेयरी सहकारिता गुजरात में और व्यापक होती गई और फिर गुजरात मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन बनी। आज भी ये सरकार और सहकार के तालमेल का बेहतरीन मॉडल है। ऐसे ही प्रयासों की वजह से हम, आज दुनिया के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक देश हैं। भारत के डेयरी सेक्टर में 8 करोड़ लोग सीधे जुड़े हुए हैं। अगर मैं पिछले 10 साल की बात करूं तो, भारत में दूध उत्पादन में करीब 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले 10 वर्षों में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता भी करीब 40 प्रतिशत बढ़ी है। दुनिया में डेयरी सेक्टर सिर्फ 2 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रहा है, जबकि भारत में डेयरी सेक्टर 6 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रहा है।

साथियों,

भारत के डेयरी सेक्टर की एक सबसे बड़ी विशेषता है, जिसकी उतनी चर्चा नहीं होती। आज इस ऐतिहासिक अवसर पर मैं इस विषय पर भी विस्तार से चर्चा करना चाहता हूं। भारत में 10 लाख करोड़ रुपए के टर्नओवर वाले डेयरी सेक्टर की मुख्य कर्ताधर्ता देश की नारीशक्ति है। हमारी माताएं हैं, हमारी बहनें हैं, हमारी बेटियां हैं। आज देश में धान, गेहूं और गन्ने को भी मिला दें, तो भी इन फसलों का टर्नओवर 10 लाख करोड़ रुपए नहीं होता। जबकि 10 लाख करोड़ टर्नओवर वाले डेयरी सेक्टर में 70 प्रतिशत काम करने वाली हमारी माताएं-बहनें-बेटियां ही हैं। भारत के डेयरी सेक्टर की असली रीढ़, असली बैकबोन, यही महिलाशक्ति है। आज अमूल सफलता की जिस ऊंचाई पर है, वो सिर्फ और सिर्फ महिलाशक्ति की वजह से है। आज जब भारत Women Led Development के मंत्र के साथ आगे

प्रधानमंत्री कार्यालय

जीसीएमएमएफ, अमूल फेडरेशन के स्वर्ण जयंती समारोह में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ
Posted On: 22 FEB 2024 1:26PM by PIB Delhi
भारत माता की – जय !

भारत माता की – जय !

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी, गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी पुरुषोत्तम रुपाला जी, संसद में मेरे साथी सीआर पाटिल, अमूल चेयरमैन श्री श्यामल भाई, और यहां इतनी बड़ी संख्या में पधारे मेरे भाइयों और बहनों !

गुजरात के गांवों ने मिलकर 50 वर्ष पहले जो पौधा लगाया था, वो आज विशाल वटवृक्ष बन गया है। और इस विशाल वटवृक्ष की शाखाएं आज देश-विदेश तक फैल चुकी हैं। गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन की स्वर्ण जयंति पर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। गुजरात की दूध समितियों से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति का, हर पुरुष, हर महिला का भी मैं अभिनंदन करता हूं। और इसके साथ हमारे एक और साथी हैं, जो डेयरी सेक्टर के सबसे बड़े स्टेकहोल्डर हैं…मैं उन्हें भी प्रणाम करता हूं। ये स्टेकहोल्डर, ये साझीदार हैं- हमारा पशुधन। मैं आज इस यात्रा को सफल् बनाने में पशुधन के contribution को भी सम्‍मानित करता हूं। उनके प्रति आदर व्‍यक्‍त करता हूं। इनके बिना डेयरी सेक्टर की कल्पना भी नहीं हो सकती। इसलिए मेरा देश के पशुधन को भी प्रणाम है।

भाइयों और बहनों,

भारत की आजादी के बाद, देश में बहुत से ब्रैंड बने लेकिन अमूल जैसा कोई नहीं। आज अमूल भारत के पशुपालकों के सामर्थ्य की पहचान बन चुका है। अमूल यानि विश्वास। अमूल यानि विकास। अमूल यानि जनभागीदारी। अमूल यानि किसानों का सशक्तिकरण। अमूल यानि समय के साथ आधुनिकता का समावेश, अमूल यानि आत्मनिर्भर भारत की प्रेरणा, अमूल यानि बड़े सपने, बड़े संकल्प, और उससे भी बडी सिद्धियां। आज दुनिया के 50 से ज्यादा देशों में अमूल के प्रॉडक्ट को निर्यात किया जाता है। 18 हजार से ज्यादा दुग्ध सहकारी मंडली, 36 लाख किसानों का नेटवर्क, हर दिन साढ़े तीन करोड़ लीटर से ज्यादा दूध का संग्रहण, हर रोज पशुपालकों को 200 करोड़ रुपए से अधिक का ऑनलाइन पेमेंट, ये आसान नहीं है। छोटे-छोटे पशुपालकों की ये संस्था, आज जिस बड़े पैमाने पर काम कर रही है, वही तो संगठन की शक्ति है, सहकार की शक्ति है।

भाइयों और बहनों,

दूरगामी सोच के साथ लिए गए फैसले कई बार आने वाली पीढ़ियों का भाग्य कैसे बदल देते हैं, अमूल इसका भी एक उदाहरण है। आज के अमूल की नींव, सरदार वल्‍लभ भाई पटेल जी के मार्गदर्शन में खेड़ा मिल्क यूनियन के रूप में रखी गई थी। समय़ के साथ डेयरी सहकारिता गुजरात में और व्यापक होती गई और फिर गुजरात मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन बनी। आज भी ये सरकार और सहकार के तालमेल का बेहतरीन मॉडल है। ऐसे ही प्रयासों की वजह से हम, आज दुनिया के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक देश हैं। भारत के डेयरी सेक्टर में 8 करोड़ लोग सीधे जुड़े हुए हैं। अगर मैं पिछले 10 साल की बात करूं तो, भारत में दूध उत्पादन में करीब 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले 10 वर्षों में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता भी करीब 40 प्रतिशत बढ़ी है। दुनिया में डेयरी सेक्टर सिर्फ 2 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रहा है, जबकि भारत में डेयरी सेक्टर 6 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रहा है।

साथियों,

भारत के डेयरी सेक्टर की एक सबसे बड़ी विशेषता है, जिसकी उतनी चर्चा नहीं होती। आज इस ऐतिहासिक अवसर पर मैं इस विषय पर भी विस्तार से चर्चा करना चाहता हूं। भारत में 10 लाख करोड़ रुपए के टर्नओवर वाले डेयरी सेक्टर की मुख्य कर्ताधर्ता देश की नारीशक्ति है। हमारी माताएं हैं, हमारी बहनें हैं, हमारी बेटियां हैं। आज देश में धान, गेहूं और गन्ने को भी मिला दें, तो भी इन फसलों का टर्नओवर 10 लाख करोड़ रुपए नहीं होता। जबकि 10 लाख करोड़ टर्नओवर वाले डेयरी सेक्टर में 70 प्रतिशत काम करने वाली हमारी माताएं-बहनें-बेटियां ही हैं। भारत के डेयरी सेक्टर की असली रीढ़, असली बैकबोन, यही महिलाशक्ति है। आज अमूल सफलता की जिस ऊंचाई पर है, वो सिर्फ और सिर्फ महिलाशक्ति की वजह से है। आज जब भारत Women Led Development के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है, तो भारत के डेयरी सेक्टर की ये सफलता, उसके लिए एक बहुत बड़ी प्रेरणा है। मैं मानता हूं कि भारत को विकसित बनाने के लिए, भारत की प्रत्येक महिला की आर्थिक शक्ति बढ़नी उतनी ही आवश्यक है। इसलिए हमारी सरकार आज महिलाओं की आर्थिक शक्ति बढ़ाने के लिए भी चौतरफा काम कर रही है। मुद्रा योजना के तहत सरकार ने जो 30 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की मदद दी है, उसकी करीब 70 प्रतिशत लाभार्थी बहनें-बेटियां ही हैं। सरकार के प्रयास से पिछले 10 साल में महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिलाओं की संख्या 10 करोड़ को पार कर गई है। पिछले 10 साल में भाजपा सरकार ने इन्हें 6 लाख करोड़ रुपए से अधिक की आर्थिक मदद दी है। सरकार ने पीएम आवास योजना के तहत देश में जो 4 करोड़ से ज्यादा घर दिए हैं, उनमें से ज्यादातर घर भी महिलाओं के नाम हैं। ऐसी अनेक योजनाओं की वजह से आज समाज में महिलाओं की आर्थिक भागीदारी बढ़ी है। आपने नमो ड्रोन दीदी अभियान के बारे में जरूर सुना होगा। इस अभियान के तहत अभी शुरुआत में गांव के स्वयं सहायता समूहों को 15 हजार आधुनिक ड्रोन दिए जा रहे हैं। ये आधुनिक ड्रोन उड़ाने के लिए नमो ड्रोन दीदियों को ट्रेनिंग भी दी जा रही है। वो दिन दूर नहीं जब गांव-गांव में नमो ड्रोन दीदियां, कीटनाशक छिड़कने से लेकर खाद छिड़कने में भी सबसे आगे रहेंगी।

साथियों,

मुझे खुशी है कि यहां गुजरात में भी हमारी डेयरी सहकारी समितियों में महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। मुझे याद है, जब मैं गुजरात में था, तो हमने डेयरी सेक्टर से जुड़ी महिलाओं के लिए एक और बड़ा काम किया था। हमने ये सुनिश्चित किया कि डेयरी का पैसा हमारी बहनों-बेटियों के बैंक खातों सीधे जमा हो। मैं आज इस भावना को विस्तार देने के लिए भी अमूल की प्रशंसा करुंगा। हर गांव में माइक्रो ATM लगने से पशु-पालकों को पैसा निकालने के लिए बहुत दूर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। आने वाले समय में पशुपालकों को रुपे क्रेडिट कार्ड देने की भी योजना है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पंचमहल और बनासकांठा में इसकी शुरुआत भी हो चुकी है।

भाइयों और बहनों,

गांधी जी कहते थे कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। विकसित भारत के निर्माण के लिए भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सशक्त होना जरूरी है। पहले केंद्र में जो सरकारें रहीं, वो ग्रामीण अर्थव्यवस्था की जरूरतों को टुकड़ों में देखती थीं। हम गांव के हर पहलू को प्राथमिकता देते हुए काम को आगे रहे हैं। हमारा फोकस है- छोटे किसान का जीवन कैसे बेहतर हो। हमारा फोकस है- पशुपालन का दायरा कैसे बढ़े। हमारा फोकस है- पशुओं का स्वास्थ्य कैसे बेहतर हो। हमारा फोकस है- गांव में पशुपालन के साथ ही मछलीपालन और मधुमक्खी पालन को कैसे प्रोत्साहित किया जाए। इसी सोच के साथ, हमने पहली बार पशुपालकों और मछलीपालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा दी है। हमने किसानों को ऐसे आधुनिक बीज दिए हैं, जो जलवायु परिवर्तन का मुकाबला कर सकें। भाजपा सरकार, राष्ट्रीय गोकुल मिशन जैसे अभियानों के माध्यम से दुधारू पशुओं की नस्ल सुधारने का भी काम कर रही है। लंबे समय तक फुट एंड माउथ डिजीज़- मुंहपका और खुरपका, हमारे पशुओं के लिए बहुत बड़े संकट का कारण रही है। इस बीमारी के कारण हर साल हज़ारों करोड़ रुपए का नुकसान आप सभी पशुपालकों को होता है। इसकी रोकथाम के लिए केंद्र सरकार ने पूरे देश में एक मुफ्त टीकाकरण अभियान चलाया है। इस अभियान पर 15 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जा रहे हैं। इसके तहत 60 करोड़ टीके लगाये जा चुके है। हम 2030 तक फुट एंड माउथ डिजीज़ को जड़ से खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं।

साथियों,

पशुधन की समृद्धि के लिए कल हमारी कैबिनेट की मीटिंग थी, कल जरा कैबिनेट मीटिंग देर रात की थी और कल भाजपा सरकार ने कैबिनेट में बड़े महत्‍वपूर्ण निर्णय लिए हैं। नेशनल लाइवस्टॉक मिशन में संशोधन करके देसी नस्ल की प्रजातियों को बचाने के लिए नए उपायों की घोषणा हुई है। बंजर जमीन को चारागाह की तरह उपयोग में लाने के लिए भी आर्थिक मदद देने का निर्णय़ लिया गया है। सरकार ने पशुधन का बीमा कराने में किसान का कम से कम खर्च हो, इसके लिए प्रीमियम की राशि को भी कम करने का फैसला लिया है। ये फैसले पशुओं की संख्या बढ़ाने, पशुपालकों की आय बढ़ाने में और मददगार साबित होंगे।

साथियों,

हम गुजरात के लोग जानते हैं कि पानी का संकट क्या होता है। सौराष्ट्र में, कच्छ में, उत्‍तर गुजरात में हमने अकाल के दिनों में हजारों पशुओं को एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान पर मीलों-मीलों चलते जाते देखा है। हमने मरते पशुओं के ढेर, उसकी तस्‍वीरें भी देखी हैं। नर्मदा जल पहुंचने के बाद ऐसे क्षेत्रों का भाग्य बदल गया है। हम प्रयास कर रहे हैं कि भविष्य में ऐसी चुनौती से ना जूझना पड़े। सरकार ने जो 60 हजार से ज्यादा अमृत सरोवर बनाए हैं, वो भी देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बहुत मदद करने वाले हैं। हमारा प्रयास है कि गांव में छोटे किसान को आधुनिक टेक्नॉलॉजी से भी जोड़ें। गुजरात में आपने देखा है कि बीते वर्षों में माइक्रोइरीगेशन का दायरा, टपक सिंचाई का दायरा कई गुणा बढ़ गया है। टपक सिंचाई के लिए किसानों को मदद दी जा रही है। हमने लाखों किसान समृद्धि केंद्र स्थापित किए हैं, ताकि किसानों को गांव के निकट ही वैज्ञानिक समाधान मिल सकें। जैविक खाद बनाने में किसानों को मदद मिले, इसके लिए भी व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं।

साथियों,

हमारी सरकार का जोर, अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने के साथ ही उर्वरकदाता बनाने पर भी है। हम किसानों को सोलर पंप दे रहे हैं, खेत की मेड पर ही छोटे-छोटे सोलर प्लांट लगाने के लिए मदद दे रहे है। इसके अलावा, गोबरधन योजना के तहत पशुपालकों से गोबर भी खरीदने की व्यवस्था बनाई जा रही है। गोबर से जो हमारे डेयरी प्लांट हैं, वहां बिजली पैदा की जा रही है। बदले में जो जैविक खाद बनती है वो वापस किसानों को बहुत कम कीमत में उपलब्ध हो रही है। इससे किसान और पशु, दोनों को तो लाभ होगा ही, खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य भी बेहतर होगा। अमूल ने बनासकांठा में जो गोबर गैस प्लांट लगाया है, वो इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।

साथियों,

हम ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सहकारिता का दायरा बहुत अधिक बढ़ा रहे हैं। इसके लिए पहली बार हमने केंद्र में अलग से सहकारिता मंत्रालय बनाया है। आज देश के 2 लाख से अधिक गांवों में सहकारी समितियों का निर्माण किया जा रहा है। खेती हो, पशुपालन हो, मछलीपालन हो, इन सभी सेक्टर्स में ये समितियां बनाई जा रही हैं। हम तो मेड इन इंडिया यानि मैन्युफेक्चरिंग में भी सहकारी समितियों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। उनके लिए टैक्स को भी बहुत कम किया गया है। देश में 10 हज़ार किसान उत्पादक संघ यानि FPO बनाए जा रहे हैं। जिनमें से लगभग 8 हज़ार बन भी चुके हैं। ये छोटे किसानों के बड़े संगठन हैं। ये छोटे किसान को उत्पादक के साथ-साथ कृषि उद्यमी और निर्यातक बनाने का मिशन है। आज भाजपा सरकार, पैक्स को, FPO को, दूसरी सहकारी समितियों को करोड़ों रुपए की मदद दे रही है। हमने गांव में खेती से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 1 लाख करोड़ रुपए का फंड भी बनाया है। इस योजना का लाभ भी किसानों के सहकारी संगठनों को ही हो रहा है।

साथियों,

हमारी सरकार, पशुपालन से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने पर भी रिकॉर्ड निवेश कर रही है। इसके लिए 30 हज़ार करोड़ रुपए का एक स्पेशल फंड बनाया गया है। इसमें डेयरी सहकारी संस्थाओं को ब्याज पर पहले से अधिक छूट का प्रावधान किया गया है। सरकार, मिल्क प्लांट्स के आधुनिकीकरण पर भी हजारों करोड़ रुपए खर्च कर रही है। इसी योजना के तहत आज साबरकांठा मिल्क यूनियन के दो बड़े प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन हुआ है। इसमें प्रतिदिन 800 टन पशुओं का चारा बनाने वाला आधुनिक प्लांट भी शामिल है।

भाइयों और बहनों,

मैं जब विकसित भारत की बात करता हूं, तो मेरा विश्वास सबका प्रयास, इस बात पर है। भारत ने अपनी आजादी के सौवें वर्ष यानि 2047 तक विकसित भारत होने का संकल्प लिया है। एक संस्था के तौर पर अमूल के भी तब 75 साल होने वाले होंगे। आपको भी आज यहां से नए संकल्प लेकर जाना है। तेजी से बढ़ती हुई आबादी में पौष्टिकता को पूरा करने में आप सबकी बड़ी भूमिका है। मुझे ये जानकर खुशी हुई कि अगले पांच साल में आप लोगों ने अपने प्लांट्स की प्रोसेसिंग क्षमता को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। आज अमूल दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी डेयरी कंपनी है। आपको इसे जल्द से जल्द दुनिया की सबसे बड़ी डेयरी कंपनी बनाना है। सरकार हर तरह से आपके साथ खड़ी है। और ये मोदी की गारंटी है। एक बार फिर आप सभी को 50 वर्ष के इस पड़ाव पर पहुंचने की बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं !

बहुत-बहुत धन्यवाद !

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DS/VJ/NS/AK

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बढ़ रहा है, तो भारत के डेयरी सेक्टर की ये सफलता, उसके लिए एक बहुत बड़ी प्रेरणा है। मैं मानता हूं कि भारत को विकसित बनाने के लिए, भारत की प्रत्येक महिला की आर्थिक शक्ति बढ़नी उतनी ही आवश्यक है। इसलिए हमारी सरकार आज महिलाओं की आर्थिक शक्ति बढ़ाने के लिए भी चौतरफा काम कर रही है। मुद्रा योजना के तहत सरकार ने जो 30 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की मदद दी है, उसकी करीब 70 प्रतिशत लाभार्थी बहनें-बेटियां ही हैं। सरकार के प्रयास से पिछले 10 साल में महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिलाओं की संख्या 10 करोड़ को पार कर गई है। पिछले 10 साल में भाजपा सरकार ने इन्हें 6 लाख करोड़ रुपए से अधिक की आर्थिक मदद दी है। सरकार ने पीएम आवास योजना के तहत देश में जो 4 करोड़ से ज्यादा घर दिए हैं, उनमें से ज्यादातर घर भी महिलाओं के नाम हैं। ऐसी अनेक योजनाओं की वजह से आज समाज में महिलाओं की आर्थिक भागीदारी बढ़ी है। आपने नमो ड्रोन दीदी अभियान के बारे में जरूर सुना होगा। इस अभियान के तहत अभी शुरुआत में गांव के स्वयं सहायता समूहों को 15 हजार आधुनिक ड्रोन दिए जा रहे हैं। ये आधुनिक ड्रोन उड़ाने के लिए नमो ड्रोन दीदियों को ट्रेनिंग भी दी जा रही है। वो दिन दूर नहीं जब गांव-गांव में नमो ड्रोन दीदियां, कीटनाशक छिड़कने से लेकर खाद छिड़कने में भी सबसे आगे रहेंगी।

साथियों,

मुझे खुशी है कि यहां गुजरात में भी हमारी डेयरी सहकारी समितियों में महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। मुझे याद है, जब मैं गुजरात में था, तो हमने डेयरी सेक्टर से जुड़ी महिलाओं के लिए एक और बड़ा काम किया था। हमने ये सुनिश्चित किया कि डेयरी का पैसा हमारी बहनों-बेटियों के बैंक खातों सीधे जमा हो। मैं आज इस भावना को विस्तार देने के लिए भी अमूल की प्रशंसा करुंगा। हर गांव में माइक्रो ATM लगने से पशु-पालकों को पैसा निकालने के लिए बहुत दूर जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। आने वाले समय में पशुपालकों को रुपे क्रेडिट कार्ड देने की भी योजना है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पंचमहल और बनासकांठा में इसकी शुरुआत भी हो चुकी है।

भाइयों और बहनों,

गांधी जी कहते थे कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। विकसित भारत के निर्माण के लिए भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सशक्त होना जरूरी है। पहले केंद्र में जो सरकारें रहीं, वो ग्रामीण अर्थव्यवस्था की जरूरतों को टुकड़ों में देखती थीं। हम गांव के हर पहलू को प्राथमिकता देते हुए काम को आगे रहे हैं। हमारा फोकस है- छोटे किसान का जीवन कैसे बेहतर हो। हमारा फोकस है- पशुपालन का दायरा कैसे बढ़े। हमारा फोकस है- पशुओं का स्वास्थ्य कैसे बेहतर हो। हमारा फोकस है- गांव में पशुपालन के साथ ही मछलीपालन और मधुमक्खी पालन को कैसे प्रोत्साहित किया जाए। इसी सोच के साथ, हमने पहली बार पशुपालकों और मछलीपालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा दी है। हमने किसानों को ऐसे आधुनिक बीज दिए हैं, जो जलवायु परिवर्तन का मुकाबला कर सकें। भाजपा सरकार, राष्ट्रीय गोकुल मिशन जैसे अभियानों के माध्यम से दुधारू पशुओं की नस्ल सुधारने का भी काम कर रही है। लंबे समय तक फुट एंड माउथ डिजीज़- मुंहपका और खुरपका, हमारे पशुओं के लिए बहुत बड़े संकट का कारण रही है। इस बीमारी के कारण हर साल हज़ारों करोड़ रुपए का नुकसान आप सभी पशुपालकों को होता है। इसकी रोकथाम के लिए केंद्र सरकार ने पूरे देश में एक मुफ्त टीकाकरण अभियान चलाया है। इस अभियान पर 15 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए जा रहे हैं। इसके तहत 60 करोड़ टीके लगाये जा चुके है। हम 2030 तक फुट एंड माउथ डिजीज़ को जड़ से खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं।

साथियों,

पशुधन की समृद्धि के लिए कल हमारी कैबिनेट की मीटिंग थी, कल जरा कैबिनेट मीटिंग देर रात की थी और कल भाजपा सरकार ने कैबिनेट में बड़े महत्‍वपूर्ण निर्णय लिए हैं। नेशनल लाइवस्टॉक मिशन में संशोधन करके देसी नस्ल की प्रजातियों को बचाने के लिए नए उपायों की घोषणा हुई है। बंजर जमीन को चारागाह की तरह उपयोग में लाने के लिए भी आर्थिक मदद देने का निर्णय़ लिया गया है। सरकार ने पशुधन का बीमा कराने में किसान का कम से कम खर्च हो, इसके लिए प्रीमियम की राशि को भी कम करने का फैसला लिया है। ये फैसले पशुओं की संख्या बढ़ाने, पशुपालकों की आय बढ़ाने में और मददगार साबित होंगे।

साथियों,

हम गुजरात के लोग जानते हैं कि पानी का संकट क्या होता है। सौराष्ट्र में, कच्छ में, उत्‍तर गुजरात में हमने अकाल के दिनों में हजारों पशुओं को एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान पर मीलों-मीलों चलते जाते देखा है। हमने मरते पशुओं के ढेर, उसकी तस्‍वीरें भी देखी हैं। नर्मदा जल पहुंचने के बाद ऐसे क्षेत्रों का भाग्य बदल गया है। हम प्रयास कर रहे हैं कि भविष्य में ऐसी चुनौती से ना जूझना पड़े। सरकार ने जो 60 हजार से ज्यादा अमृत सरोवर बनाए हैं, वो भी देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बहुत मदद करने वाले हैं। हमारा प्रयास है कि गांव में छोटे किसान को आधुनिक टेक्नॉलॉजी से भी जोड़ें। गुजरात में आपने देखा है कि बीते वर्षों में माइक्रोइरीगेशन का दायरा, टपक सिंचाई का दायरा कई गुणा बढ़ गया है। टपक सिंचाई के लिए किसानों को मदद दी जा रही है। हमने लाखों किसान समृद्धि केंद्र स्थापित किए हैं, ताकि किसानों को गांव के निकट ही वैज्ञानिक समाधान मिल सकें। जैविक खाद बनाने में किसानों को मदद मिले, इसके लिए भी व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं।

साथियों,

हमारी सरकार का जोर, अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने के साथ ही उर्वरकदाता बनाने पर भी है। हम किसानों को सोलर पंप दे रहे हैं, खेत की मेड पर ही छोटे-छोटे सोलर प्लांट लगाने के लिए मदद दे रहे है। इसके अलावा, गोबरधन योजना के तहत पशुपालकों से गोबर भी खरीदने की व्यवस्था बनाई जा रही है। गोबर से जो हमारे डेयरी प्लांट हैं, वहां बिजली पैदा की जा रही है। बदले में जो जैविक खाद बनती है वो वापस किसानों को बहुत कम कीमत में उपलब्ध हो रही है। इससे किसान और पशु, दोनों को तो लाभ होगा ही, खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य भी बेहतर होगा। अमूल ने बनासकांठा में जो गोबर गैस प्लांट लगाया है, वो इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।

साथियों,

हम ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सहकारिता का दायरा बहुत अधिक बढ़ा रहे हैं। इसके लिए पहली बार हमने केंद्र में अलग से सहकारिता मंत्रालय बनाया है। आज देश के 2 लाख से अधिक गांवों में सहकारी समितियों का निर्माण किया जा रहा है। खेती हो, पशुपालन हो, मछलीपालन हो, इन सभी सेक्टर्स में ये समितियां बनाई जा रही हैं। हम तो मेड इन इंडिया यानि मैन्युफेक्चरिंग में भी सहकारी समितियों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। उनके लिए टैक्स को भी बहुत कम किया गया है। देश में 10 हज़ार किसान उत्पादक संघ यानि FPO बनाए जा रहे हैं। जिनमें से लगभग 8 हज़ार बन भी चुके हैं। ये छोटे किसानों के बड़े संगठन हैं। ये छोटे किसान को उत्पादक के साथ-साथ कृषि उद्यमी और निर्यातक बनाने का मिशन है। आज भाजपा सरकार, पैक्स को, FPO को, दूसरी सहकारी समितियों को करोड़ों रुपए की मदद दे रही है। हमने गांव में खेती से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 1 लाख करोड़ रुपए का फंड भी बनाया है। इस योजना का लाभ भी किसानों के सहकारी संगठनों को ही हो रहा है।

साथियों,

हमारी सरकार, पशुपालन से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने पर भी रिकॉर्ड निवेश कर रही है। इसके लिए 30 हज़ार करोड़ रुपए का एक स्पेशल फंड बनाया गया है। इसमें डेयरी सहकारी संस्थाओं को ब्याज पर पहले से अधिक छूट का प्रावधान किया गया है। सरकार, मिल्क प्लांट्स के आधुनिकीकरण पर भी हजारों करोड़ रुपए खर्च कर रही है। इसी योजना के तहत आज साबरकांठा मिल्क यूनियन के दो बड़े प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन हुआ है। इसमें प्रतिदिन 800 टन पशुओं का चारा बनाने वाला आधुनिक प्लांट भी शामिल है।

भाइयों और बहनों,

मैं जब विकसित भारत की बात करता हूं, तो मेरा विश्वास सबका प्रयास, इस बात पर है। भारत ने अपनी आजादी के सौवें वर्ष यानि 2047 तक विकसित भारत होने का संकल्प लिया है। एक संस्था के तौर पर अमूल के भी तब 75 साल होने वाले होंगे। आपको भी आज यहां से नए संकल्प लेकर जाना है। तेजी से बढ़ती हुई आबादी में पौष्टिकता को पूरा करने में आप सबकी बड़ी भूमिका है। मुझे ये जानकर खुशी हुई कि अगले पांच साल में आप लोगों ने अपने प्लांट्स की प्रोसेसिंग क्षमता को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। आज अमूल दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी डेयरी कंपनी है। आपको इसे जल्द से जल्द दुनिया की सबसे बड़ी डेयरी कंपनी बनाना है। सरकार हर तरह से आपके साथ खड़ी है। और ये मोदी की गारंटी है। एक बार फिर आप सभी को 50 वर्ष के इस पड़ाव पर पहुंचने की बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं !

बहुत-बहुत धन्यवाद !

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DS/VJ/NS/AK

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