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12 मई को खुलेंगे पृथ्वी के साक्षात बैकुण्ठ धाम “भगवान बदरीनाथ धाम” के कपाट

मोक्षभूमि व देवभूमि उतराखण्ड की चार धाम यात्रा का श्रद्धालु कर रहे हैं बडी उत्सुकता से इंतजारी
देवसिंह रावत
विश्व में सनातन धर्म के सर्वोच्च धाम के रूप में विख्यात बदरीनाथ धाम के कपाट इस साल 2024 को 12 मई को खुलेंगे।  पृथ्वी पर मोक्ष भूमि व साक्षात बैकुण्ठ धाम के नाम पर विख्यात भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के पावन लग्न निकालने की प्राचीन परंपरा के अनुसार गढवाल के पूर्व शासक के परिजनों की सरपरस्ती में बसंत पंचमी के पावन पर्व पर राजनिवास नरेंद्र नगर टिहरी उतराखण्ड में आज किया गया। गढवाल के पूर्व नरेश के वर्तमान उतराधिकारी महाराज मनुजेंद्र शाह की उपस्थिति में वैदिक विद्धानों ने पूजा अर्चना के बाद विधिवत श्रीबदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के पावन लम्न की घोषणा की। इसके तहत सन् 2024 में शीतकाल के बाद बदरीनाथ धाम के कपाट 12 मई 2024 को खुलेगे। गौरतलब है कि हर साल शीतकाल के छह माह के लिये श्री बदरीनाथ धाम सहित श्री केदारनाथ धाम, गंगोत्री  व यमुनोत्री की चार धाम यात्रा के कपाट बंद हो जाते है। जो शीतकाल के बाद बसंत के आगमन पर हर साल प्रारम्भ होती है। 2023 में शीतकाल हेतु उतराखण्ड में विश्व विख्यात चार धाम यात्रा में गंगोत्री के कपाट 14, केदारनाथ व यमुनोत्री के कपाट 15 और श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 18 नवंबर 2023 को बंद किये गये। सनातनियों के लिये सबसे पवित्र व विकट तीर्थ यात्रा के नाम से विख्यात उतराखण्ड के चार धाम यात्रा के लिये सनातन धर्म के तीर्थयात्री पूरे विश्व के कोने कोने से यहां ंआते है। उल्लेखनीय है कि उतराखण्ड अनादिकाल से पूरी सृष्टि का समाधान खण्ड के साथ पावन तपोभूमि व मोक्षभूमि के रूप में विख्यात रहा है। अनादिकाल से जब भी सृष्टि की तमाम समस्याओं के निदान व कल्याण के लिये जहां रिषि मुनि तपस्या रत रहते हैं वहीं स्वयं श्रीहरि भी नर व नारायण की यहा सृष्टि के कल्याण के लिये तपोभूमि रही है। उतराखण्ड ही  दिव्य सिद्धों का ज्ञान गंज व पांडवों का स्वर्गारोहण की दिव्य स्थली है। यहां कण कण में शंकर व शक्ति पीठों की उपस्थिति श्रद्धालुओं को ही नहीं अपितु सिद्धों को भी युगो युगों से बरबस ही आकृष्ठ करती है। पंच बदरी पंच केदार व पंच प्रयागों की यह पावन धरती  उतराखण्ड में मॉ सती का पावन धाम कनखल, यहीं भगवान नरसिंह का आलौकिक मंदिर, कुबैर की रहस्यमय अलकापुरी, विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी,नंदादेवी, नो बेणी नेणी (दिव्य नाग कन्याओं ), कर्ण की तपोभूमि, रावण की तपस्थली बैराशकुण्ड,चौसठ सिद्धों व  वीर भैरवों की तपोभूमि में रहस्यमय रूपकुण्ड का रहस्य व दिव्यता का बखान व दर्शन बडे भाग्य से श्रद्धालुओं को होते है। इसके साथ विश्व की पावन सनातन संस्कृति की उदमस्थली उतराखण्ड में मॉ भगवती के नवराते जिसे उतराखण्डी नौर्ते ,पांडव नृत्य  सिद्ध, भैरव,  गोरिल्ल (ग्वेल), निरंकार, नाग, कच्या, लमडू, यखुटिया, ऐडी आंछेडी, बहियाल वगड्वाल आदि के पूजन व अवतरण का दर्शन भी लोग बहुत ही श्रद्धा से करते हैं।  उल्लेखनीय है कि हर साल बसंत के आगमन पर विश्व के करोडों श्रद्धालु मोक्षभूमि व देवभूमि उतराखण्ड की चार धाम यात्रा का बडी उत्सुकता से इंतजारी करते हैं।

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