उत्तराखंड देश

मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के अभियुक्तों को 28साल बाद भी दण्डित न किये जाने के विरोध में उत्तराखण्डियों ने संसद की चौखट पर 02अक्टूबर को मनाया काला दिवस

 

नई दिल्ली। महात्मा गांधी जयंती के दिन 2 अक्टूबर 2023 को, उत्तराखण्डियों ने मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए इस काण्ड के गुनाहगारों को 28 साल बाद भी सजा न दिये जाने के विरोध में संसद की चौखट जंतर मंतर पर काला दिवस के रूप पर मना कर देश व उतराखण्ड के हुक्मरानों को धिक्कारा। इस आशय का एक ज्ञापन राष्ट्रपति को प्रेषित किया।
इस कार्यक्रम का मुख्य आयोजन संसद की चौखट जंतर पर पर विगत 28 सालों की तरह बडे स्तर मनाते रही । परन्तु दिल्ली पुलिस ने इस साल अंतिम समय पर
अचानक सुरक्षा बंदोबस्त आदि के कारण 02 अक्टूबर 2023 को जंतर मंतर पर होने वाले सभी आयोजनों की स्वीकृति प्रदान नहीं कर रही थी। पुलिस के रवैये की भनक लगते ही इस आयोजन समिति के संयोजक देवसिंह रावत व उतराखण्ड समाज के वरिष्ठ समाजसेवी डा विनोद बछेती ने नई दिल्ली पुलिस उपायुक्त कार्यालय में वार्ता की। वहां पुलिस के उच्चाधिकारियों ने अनौपचारिक वार्ता में बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा नई दिल्ली संसद क्षेत्र में एक कार्यक्रम में भागीदारी निभाने के कार्यक्रम को देखते हुये पुलिस ने राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर होने वाले अधिकांश कार्यक्रमों की अनुमति रद्द कर दी। इसके बाद उतराखण्ड के वरिष्ठ समर्पित आंदोलनकारियों ने जंतर मंतर पंहुच कर मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के बलिदानियोें व आंदोलनकारियों की पावन स्मृति को नमन किया। इसके साथ इस काण्ड के गुनाहगारों को सजा न दिला पाने वाले उतराखण्ड सरकार व केंद्र सरकार को धिक्कार लगाया। इस अवसर पर
आंदोलनकारियों में इस बात से बेहद गुस्सा है कि जिस मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के गुनाहगारों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय व देश की सर्वोच्च जांच ऐजेन्सी सीबीआई द्वारा दोषी ठहराने के बाबजूद इस काण्ड के 28साल बाद भी देश की व्यवस्था द्वारा इन गुनाहगारों को दण्डित करने के बजाय पद्दोन्नित करके पुरस्कृत किया गया। इसी के विरोध में आक्रोशित उत्तराखण्डी विगत 28 सालों से संसद की चौखट जंतर मंतर पर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए काला दिवस मना कर देश के हुक्मरानों का धिक्कारते हैं।
इस आशय का एक ज्ञापन राष्ट्रपति महोदय को भी भैंट किया गया। ज्ञापन में राष्ट्रपति से देश की व्यवस्था के रक्षकों द्वारा देश के संविधान व मानवता को रौंदने वाले इस जघन्य काण्ड के दोषियों को तत्काल सजा दे कर भारतीय संविधान, संस्कृति व न्याय की रक्षा करने का गुहार की लगाई गयी।
काला दिवस आयोजन समिति के संयोजक देवसिंह रावत ने बताया कि 2 अक्टूबर को उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन के प्रमुख संगठनों व तमाम सामाजिक संगठनो ने उत्तराखण्ड आंदोलनकारी संगठनों की समन्वय समिति के बैनर तले संसद की चौखट जंतर मंतर पर आयोजित इस काला दिवस में उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा, उत्तराखण्ड लोकमंच, उत्तराखण्ड जनमोर्चा, उत्तराखण्ड महासभा, उत्तराखण्ड क्रांतिदल सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के तमाम प्रमुख सामाजिक संगठन भाग ले कर मुजफ्फरनगर काण्ड-94 सहित राज्य गठन जनांदोलन के सभी शहीदों को अपनी भावभीनी श्रद्वांजलि अर्पित करते है। इस अवसर पर ‘उत्तराखण्ड के शहीद अमर रहे, मुजफ्फरनगर काण्ड के दोषियों को सजा दो, नरेन्द्र मोदी, पुष्कर धामी शर्म करो’ व मुलायम सिंह को सम्मानित करने वालो शर्म करो आदि गगनभेदी नारे लगाये। इस अवसर पर आंदोलनकारियों ने उत्तराखण्ड प्रदेश की अब तक की सरकारों को प्रदेश के आत्मसम्मान व जनांकांक्षाओं को रौंदने पर कड़ी भत्र्सना करते हुए उनको राव-मुलायम से बदतर बताया।
काला दिवस आयोजन में भाग लेने वाले प्रमुख लोगों में संयोजक देवसिंह रावत के अलावा उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के खुशहाल बिष्ट, उत्तराखण्ड महासभा के हरिपाल रावत, जनमोर्चा के डा एस एन बसलियाल, उत्तराखण्ड राज्य लोकमंच के शिव प्रसाद बलूनी व पंचम सिंह रावत,उक्रांद के वरिष्ठ नेता यशपाल रावत, संयुक्त संघर्ष समिति के धीरेन्द्र प्रताप व मनमोहन, भाजपा नेता जगदीश मंमगांई,डा विनोद बछेती,
सतेन्द्र सिंह रावत, उत्तराखंड एकता मंच के सुरेंद्र हालसी, महिला नेत्री भावना पाण्डे,श्याम प्रसाद खंतवाल, देवेन्द्र कोरंगा, अजय रावत,गुसाईं , प्रताप थलवाल, लक्ष्मण कड़ाकोटी, दिनेश चन्द्र, पदम सिंह बिष्ट,एस‌एन‌ जोशी,भीम सिंह बिष्ट, रघुनाथ रावत, देवेन्द्र बिष्ट, लखपत पंवार , पत्रकार दाताराम चमोली, हीरो बिष्ट, बृजमोहन सेमवाल, हुकमसिंह कंडारी, रविन्द्र चौहान, महेश चन्द्र पाण्डेय, आलोक शुक्ला, हरि प्रकाश आर्य, किशोर रावत,उदय मंमगांई ,संसार चंद, अनिल ध्यानी,दीप सिलोडी, हीरा सिंह,  महिपाल, सुखदेव गुसाईं,अनुज कौशिक, चंद्र वीर,खीम सिंह रावत, संसार चंद,भुवन गोस्वामी,  धीरेन्द्र गुसाईं,अजय , देवेन्द्र सिंह नेगी,मुरार कंडारी, रविन्द्र वर्तवाल, शिवसिंह रावत पत्रकार कुशाल जीना

सहित तमाम वरिष्ठ आंदोलनकारियों व समाजसेवियों ने भाग लिया।
इस अवसर पर तमाम वक्ताओं ने एक स्वर में इस काण्ड की कडी भत्र्सना करते कहा कि देश की एकता, अखण्डता व विकास के लिए समर्पित रहे ‘उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन’ में गांधी जयंती की पूर्व संध्या 1 अक्टूबर 1994 को, 2 अक्टूबर 1994 को आहुत लाल किला रेली में भाग लेने आ रहे शांतिप्रिय हजारों उत्तराखण्डियों को, मुजफ्फरनगर स्थित रामपुर तिराहे पर अलोकतांत्रिक ढ़ग से बलात रोक कर जो अमानवीय जुल्म, व्यभिचार व कत्लेआम उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार व केन्द्र में सत्तासीन नरसिंह राव की कांग्रेसी सरकार ने किये, उससे न केवल भारतीय संस्कृति अपितु मानवता भी शर्मसार हुई। परन्तु सबसे खेद कि बात है कि व्यभिचार व संविधान का गलाघोंटने वाले सरकारी तंत्र में आसीन इस काण्ड के अपराधियों को दण्डित करने के बजाय शर्मनाक ढ़ग से संरक्षण देते हुए पद्दोन्नति दे कर पुरस्कृत किया गया। इससे हैरानी की बात है कि जिस मुजफ्फरनगर काण्ड-94 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मानवता पर कलंक बताते हुए इसे शासन द्वारा नागरिकों पर किये गये बर्बर नाजी अत्याचारों के समकक्ष रखते हुए इस काण्ड के लिए तत्कालीन मुजफ्फनगर जनपद(उप्र) के जिलाधिकारी अनन्त कुमार सिंह व पुलिस अधिकारियों डीआईजी बुआ सिंह व नसीम इत्यादि को सीधे दोषी ठहराते हुए इनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने का ऐतिहासिक फरमान दिया था। देश की सर्वोच्च जांच ऐजेन्सी सीबीआई ने जिन अधिकारियों को दोषी ठहराया था, जिनको महिला आयोग से लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग दोषी मानता हो परन्तु दुर्भाग्य है कि इस देश में उच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के बाद अपराधियों व उनके आकाओं के हाथ इतने मजबूत रहे कि देश की न्याय व्यवस्था उनको दण्डित करने में आज 28 साल बाद भी अक्षम रही है।
इस काण्ड से पीड़ित उत्तराखण्ड की सवा करोड़ जनता को आशा थी कि राज्य गठन के बाद उत्तराखण्ड की राज्य सरकार इस काण्ड के दोषियों को सजा दिलाने को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का काम करेगी। परन्तु हमारा दुर्भाग्य रहा कि वहां पर स्वामी, कोश्यारी, तिवारी, खंडूडी, निशंक,बहुगुणा, रावत, त्रिवेन्द्र,तीरथ व धामी जैसे पदलोलुप नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन रहे। इनके शासन में इस काण्ड के अपराधियों को दण्डित करने के बजाय उनको संरक्षण देने की शर्मनाक कृत्य किया गया। वर्तमान में देश, उप्र व उतराखण्ड तीनों सरकारें भाजपा की ही है। उतराखण्ड सरकार क्यों इस काण्ड के गुनाहगारों को सजा दिलाने की मांग केंद्र व उप्र सरकार से क्यों नहीं कर रही है।

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