दुनिया देश

विश्व के महान कृर्षि वैज्ञानिक व भारतीय हरित क्रांति के जनक मन. संबा॰ स्वामीनाथन का महाप्रयाण

 

देवसिंह रावत

विश्व के महान कृर्षि वैज्ञानिक व भारतीय हरित क्रांति के जनक 98वर्षीय #एम_एस_स्वामीनाथन के निधन पर 140करोड़ भारतीयों सहित विश्व के प्रबुद्ध लोगों ने उनकी पावन स्मृति को शत-शत नमन कर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
7 अगस्त 1925 को 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंबकोनाम में जन्मे 98 वर्षीय मनकोम्बु संबासिवन स्वामिनाथन का निधन 28 सितंबर 2023को 98वर्ष की उम्र में हुआ।
वे भारत के विश्व विख्यात आनुवांशिक-विज्ञानी (आनुवंशिक वैज्ञानिक) थे। जिन्हें भारत की हरित क्रांति का जनक माना जाता है। उन्होंने 1966 में मैक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकिसित किए। उन्हें विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1972 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

कृषि वैज्ञानिक के रूप में विश्व विख्यात एम एस स्वामीनाथन
के नाम ने
उच्च उत्पादन वाले गेंहू की प्रजाति का विकास किया।
‘हरित क्रांति’ कार्यक्रम के तहत इस ज़्यादा उपज देने वाले गेहूं और चावल के बीज ग़रीब किसानों के खेतों में लगाए गए थे। इस क्रांति ने भारत को दुनिया में खाद्यान्न की सर्वाधिक कमी वाले देश के कलंक से उबारकर 25 वर्ष से कम समय में आत्मनिर्भर बन गया । उस समय से भारत के कृषि पुनर्जागरण ने स्वामीनाथन को ‘कृषि क्रांति आंदोलन’ के वैज्ञानिक नेता के रूप में ख्याति दिलाई। उनके द्वारा सदाबाहर क्रांति की ओर उन्मुख अवलंबनीय कृषि की वकालत ने उन्हें अवलंबनीय खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में विश्व नेता का दर्जा दिलाया। एम. एस. स्वामीनाथन को ‘विज्ञान एवं अभियांत्रिकी’ के क्षेत्र में ‘भारत सरकार’ द्वारा सन 1967 में ‘पद्म श्री’, 1972 में ‘पद्म भूषण’ और 1989 में ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया था। महान कृषि वैज्ञानिक इनका निधन 98 वर्ष की अवस्था में बीमारी के कारण अपने आवास चेन्नई में हुआ।

देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने क्या वैज्ञानिक मीनाथन की निधन पर गहरा शोक प्रकट किया। राष्ट्रपति ने उन्हें भारत का सच्चा सपू ओटी और देश को खतियानों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने वाले महान क्रांतिकारी वैज्ञानिक बताया ।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्रतिष्ठित कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन के निधन पर हार्दिक संवेदना और गहरा दुख व्यक्त किया है।

उपराष्ट्रपति ने अपने शोक संदेश में श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि

“भारत की हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथनजी के निधन से गहरा दुख हुआ। भारतीय कृषि में उनके अभूतपूर्व योगदान ने लाखों किसानों की समृद्धि में योगदान करते हुए देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की। इस कठिन समय में उनके परिवार, मित्रों और शुभचिंतकों के प्रति हार्दिक संवेदना।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनके “कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और हमारे देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की, के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।”

ट्विटर पर शोक संदेश में प्रधानमंत्री ने अपनी गहरी संवेदना प्रकट करते हुए लिखा कि

“डॉ. एमएस स्वामीनाथन जी के निधन से गहरा दुख हुआ। हमारे देश के इतिहास में एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय में, कृषि में उनके अभूतपूर्व काम ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और हमारे देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।

कृषि में अपने क्रांतिकारी योगदान के अलावा, डॉ. स्वामीनाथन नवप्रवर्तन के पावरहाउस और कई लोगों के लिए एक प्रेरक गुरु थे। अनुसंधान और परामर्श के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने अनगिनत वैज्ञानिकों और नवप्रवर्तकों पर एक अमिट छाप छोड़ी है।

मैं डॉ. स्वामीनाथन के साथ अपनी बातचीत को हमेशा याद रखूंगा। भारत को प्रगति करते देखने का उनका जुनून अनुकरणीय था।

उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। शांति।”

विश्व विख्यात कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथ के निधन पर कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष अलंकार राहुल गांधी सहित अनेक नेताओं ने अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। विख्यात कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हरीश रावत ने अपने श्रद्धांजलि संदेश में लिखा कि स्वावलंबी भारत, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में हरित क्रांति एक महान कदम था। स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी जी के नेतृत्व में जिस महानतम् कृषि वैज्ञानिक ने इस हरित क्रांति का मार्ग दर्शन किया और इसे संभव बनाया विश्व विख्यात वैज्ञानिक स्वामीनाथन ने, का निधन भारत और कृषि जगत की अपूरणीय क्षति है।

***

About the author

pyarauttarakhand5