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मुख्यमंत्री धामी ने किया जोशीमठ प्रभावित क्षेत्र का दौरा तथा शंकराचार्य ने सर्वोच्च न्यायालय में लगाई गुहार

जोशीमठ का जायजा ले कर मुख्यमंत्री धामी कहा कि नागरिकों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है,
विस्तापित परिवारों को मुख्यमंत्री राहत कोष से दिया जायेगा 4000रू प्रतिमाह की दर से 6 माह का किराया

शंकराचार्य ने जोशीमठ त्रासदी पर सर्वोच्च न्यायालय ने लगाई गुहार

प्यारा उत्तराखंड डॉट कॉम

आज 7जनवरी को उतराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भू धसाव से पीडित जोशीमठ गये। वहां मुख्यमंत्री धामी ने भू-धसाव क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण कर प्रभावित संकटग्रस्त परिवारों से मुलाकात की। इस दौरान जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों एवं स्थानीय गणमान्य नागरिकों के साथ मौजूदा स्थिति को लेकर गहनता से विचार विमर्श किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्म एवं आध्यात्म के केंद्र जोशीमठ में उत्पन्न हुई इन विषम परिस्थितियों के समय हमारे नागरिकों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। जिसके लिए हम पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहे हैं।
समस्या के समाधान हेतु तात्कालिक तथा दीर्घकालिक कार्य योजना पर गंभीरता से कार्य किया जा रहा है। खतरे की जद में आए पूरे शहर में सुरक्षात्मक कार्य कराए जाएंगे। जिसके लिए विस्तृत प्लान तैयार किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर जोशीमठ में भू धंसाव के कारण विस्थापित परिवारों को मकान किराये के लिए 4 हजार रूपये प्रति माह की दर से 6 माह तक दिये जाने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से राशि स्वीकृत की गई है। जनपद चमोली के तहसील जोशीमठ के नगरपालिका क्षेत्र जोशीमठ के अन्तर्गत विगत दिनों से हो रहे भूधसाव से प्रभावित ऐसे परिवार जिनके मकान क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण अधिवासन योग्य नहीं है अथवा ऐसे परिवार जो बेघर हो गये हैं, परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर किराये के मकान में अस्थायी रूप से विस्थापित करने के लिए रू4000 प्रति परिवार की दर से 6 माह के किराये मद में मुख्यमंत्री राहत कोष से अग्रिम के रूप में व रू1.00 करोड़ (एक करोड मात्र ) स्वीकृत कर जिलाधिकारी चमोली के निवर्तन रखा गया है।
वहीं दूसरी तरफ ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज ने अपने अधिवक्ता परमेश्वर नाथ मिश्रा के द्वारा आज 6 जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय में जोशीमठ में हो रही इस त्रासदी में त्वरित हस्तक्षेप करने के लिये गुहार लगाई। याचिका में कहा गया कि यहां भू धंसाव से 2500 साल पुराना शंकराचार्य का मठ भी प्रभावित हो गया है। इससे पूरे जोशीमठ क्षेत्र के हजारों लोग आशंकित व भयभीत हैं। इस प्रकरण में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज ने इस त्रासदी के लिये सरकारों को कटघरे में खडा करते हुये आरोप लगाया कि सरकारों ने सब देखा लेकिन सीखा नहीं। ग्लेशियर के ऊपर हो रखा है जोशीमठ शहर का निर्माण। बार-बार चेतावनी देने के बाद भी सरकार करती है नजरअंदाज।जोशीमठ चिंता का विषय है। विशेषज्ञों की राय को नजरअंदाज किया गया ।कुछ दिन बाद फिर निर्माण शुरू हो जाएंगे। इससे चार धाम यात्रा पर संकट हो सकता है। पवित्र धाम की जल समाधि। बॉर्डर पर निर्माण जरूरी परंतु सावधानी बरतनी होगी। चीन ने पहाड़ों पर बड़े-बड़े निर्माण किये। हम भी कर सकते हैं। परंतु सावधानी बरतनी जरूरी है। विकास के कार्यों को सही दिशा देने की जरूरत है।
इसके अलावा वरिष्ठ नाम पर्यावरणविद और भू वैज्ञानिक बलवीर सिंह धर्मवान ने कहा कि अगर सरकार सातवें दशक में इस मामले में गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को लागू करती तो आज इस प्रकार की त्रासदी का शिकार जोशीमठ नहीं होता। प्यारा उत्तराखंड समाचार पत्र से विशेष वार्ता में यह बात कही। भूवैज्ञानिक श्री धर्मवान ने कहा कि जोशीमठ क्षेत्र भी भूगर्भ संरचना व भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में आता है। परंतु इस त्रासदी का एकमात्र मुख्य कारण यहां पर बाल जसी परियोजना का निर्माण कार्य नहीं है अपितु यह समस्या इस घाटी में इन परियोजनाओं के निर्माण से पहले सातवें दशक में भी विद्यमान थी। इस समस्या का मुख्य कारण जोशीमठ क्षेत्र में भवन निर्माण, जल निकासी व नदी के कटाव का वैज्ञानिक मानकों को नजरअंदाज करना ही रहा है।
उल्लेखनीय है कि वह वैज्ञानिक श्री धर्मवान जनपद चमोली से लगे हुए उखीमठ क्षेत्र के ही मूल निवासी हैं ।उन्होंने उखीमठ में आई त्रासदी से एक दशक पहले से ही शासन प्रशासन को निरंतर आगाह किया था। परंतु सत्तामद में चूर शासन प्रशासन ने उनकी फरियाद को नजरअंदाज किया। इस कारण उखीमठ त्रासदी मे 2 दर्जन से अधिक लोग मारे गए और सैकड़ों लोग प्रभावित हुए।
जोशीमठ त्रासदी के बारे में वैज्ञानिक धर्मवान का कहना है कि इस त्रासदी से उबरने के लिए प्रशासन को विस्थापन को अंतिम उपाय नहीं मानना चाहिए अपितु यहां पर इस त्रासदी से उबरने का बचाव किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि जोशीमठ क्षेत्र में भू धंसाव के कारण 9 क्षेत्रों के 603 मकानों में दरारें आई हैं। इनमें से 43 परिवारों को वहां से हटाकर सुरक्षित स्थान पर रखा गया है। वहीं प्रशासन ने एनटीपीसी को एचसीसी को प्रभावित लोगों को 2000 फैब्रिकेटड़ क निशुल्क आवास बनाने का निर्देश दिया है।

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