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धर्मांतरण पर रोक लगाना सराहनीय पर राजधानी गैरसैण, भू कानून व आंदोलनकारियों को रौंदकर उत्तराखंड से क्यों विश्वासघात कर रही है धामी सरकार

उत्तराखंड विधानसभा शीतकालीन सत्र में

*- महिलाओं को सरकारी नौकरियों के क्षैतिज आरक्षण का बना कानून*

*- प्रदेश में धर्मान्तरण पर रोक सम्बंधित कानून बना*

प्यारा उत्तराखंड डॉट कॉम व उत्तराखंड सूचना केंद्र

भले ही उत्तराखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र प्रदेश के एकमात्र निर्मित विधानसभा गैरसैंण में ठंड के बहाना बना कर देहरादून में ही कराने को अपनी सफलता मान रही हो परंतु देहरादून में भी घोषित मानसून सत्र को पूरे समय तक संचालित न करके प्रदेश की जन समस्याओं का निदान करने के बजाय आनन-फानन में दो ही दिन में सत्रावसान कराने को भी धामी सरकार अपनी उपलब्धि बता रही हो। 2 दिन में ही विधानसभा क्षेत्र समापन करने का जो बेसिरा तर्क धामी सरकार,  उसके सरपरस्त व प्रवक्ता दे रहे हैं उससे उनकी बुद्धि पर ही तरस आ रहा है।

प्रदेश के  मुख्यमंत्रियों, विधानसभा अध्यक्षों व रोजगार संस्थानों द्वारा सरकारी नौकरियों की जो अंधेर बंदरबांट की गई उनका ठोस समाधान करने से सरकार कतराई। यही नहीं प्रदेश भाजपा सरकार के मुंह पर लगा अंकिता भंडारी प्रकरण का दाग सहित तमाम जन समस्याओं को दरकिनार करते हुए सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के नाम पर जहां धामी सरकार ने प्रदेश में धर्मांतरण पर कानून बनाने व महिलाओं को रोजगार में 30% आरक्षण  करने का विधेयक विधानसभा से पारित कर इन्हें ही अपनी ऐतिहासिक उपलब्धि खुद ही बता रही हो। उत्तराखंड राज्य गठन से संबंधित आंदोलनकारी एवं प्रबुद्ध जन सरकार द्वारा 22 सालों से जिस प्रकार से प्रदेश की मूल समस्याओं राजधानी गैरसैण मुजफ्फरनगर कांड, कानून मूल निवास, जनसंख्या पर आधारित विधानसभा परिसीमन, युवाओं को रोजगार प्रदान कर पलायन पर अंकुश लगाना, अपराधियों, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए सुशासन प्रदान करना आदि समस्याओं को नजरअंदाज करने  से बेहद नाखुश है।

सरकार की उपलब्धियों पर  प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शीर्ष आंदोलनकारी व वरिष्ठ पत्रकार देव सिंह रावत ने कहा कि धर्मांतरण पर रोक लगाना सराहनीय है। पर राजधानी गैरसैण, भू कानून व आंदोलनकारियों को रौंदकर उत्तराखंड से क्यों विश्वासघात कर रही है धामी सरकार? उत्तराखंड सरकार को प्रदेश के  मुख्यमंत्रियों, विधानसभा अध्यक्षों व रोजगार संस्थानों द्वारा सरकारी नौकरियों की जो अंधेर बंदरबांट तथा अंकिता भंडारी प्रकरण के  असली गुनाहगार को बेनकाब करके उनको कड़ी सजा दिलाने का कार्य करने में भी धामी सरकार पूरी तरह से विफल रही। प्रदेश सरकार ने जिस प्रकार से राज्य गठन के समर्पित आंदोलनकारियों को सम्मान करने के बजाय उन्हें चिन्हिकरण न करके अपमानित कर रही है उससे प्रदेश सरकार की सभी दावों की हवा निकाल दी है

श्री रावत ने कहा कि बेहतर होता है कि सरकार अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न  न बनाकर करोड़ों रुपए खर्च करके उत्तराखंड आंदोलन की जन आकांक्षाओं को साकार करने के लिए बनाई गई विधानसभा गैरसैण में ही विधानसभा सत्र करके उसे प्रदेश की स्थाई राजधानी घोषित करके शहीदों की शहादत का सम्मान करती। इससे प्रदेश के सभी जन आकांक्षाएं साकार करने तथा चहुमुखी विकास की  राहें राहे खुल जाती।

उत्तराखंड सूचना केंद्र द्वारा जारी उत्तराखंड की शीतकालीन विधानसभा सत्र की उपलब्धियों पर प्रकाश डालने वाली प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार उत्तराखंड में विधानसभा अनुपूरक बजट सत्र के दूसरे दिन दो महत्वपूर्ण विधेयक विधानसभा में ध्वनिमत से पास हो गए हैं। उत्तराखण्ड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2022 के पास होने के बाद प्रदेश में धर्मान्तरण को लेकर कठोर कानून की प्रविधान हो गया है। इसके अलावा उत्तराखण्ड लोकसेवा (महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण) विधेयक 2022 से प्रदेश में महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था एकबार फिर से लागू हो जाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार की यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। कुछ दिन पूर्व राज्य सरकार ने इन दोनों विधेयकों को कैबिनेट से मंजूरी दी थी। बुधवार को विधानसभा में इन विधेयकों के पास होने से प्रदेश में इसे लागू करने की जल्द अधिसूचना जारी हो जाएगी।

*मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड देवभमि है यहां पर धर्मान्तरण जैसी चीजें हमारे लिए बहुत घातक है इसलिए सरकार ने यह निर्णय लिया था कि प्रदेश में धर्मान्तरण पर रोक के लिए कठोर से कठोर कानून बने। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि इस कानून को पूरी दृढ़ता से प्रदेश में लागू किया जाएगा। वहीं उत्तराखण्ड में महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण विधेयक को लेकर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड निर्माण में मातृशक्ति का बहुत बड़ा योगदान है और सरकार ने यह पहले ही तय किया था कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले इस प्रदेश में मातृशक्ति का सम्मान करते हुए उन्हें इस क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिले।महिलाओं के लिए राज्याधीन सेवाओं में क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था देने करने यह अधिनियम मातृ शक्ति को समर्पित है

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