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समर्पित शासक, सजग-निष्पक्ष तंत्र, व जागरूक नागरिक से ही संविधान जीवंत होता है

संविधान_दिवस पर आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं

देव सिंह रावत

विधान हो या #संविधान, चाहे वह सृष्टि का हो, देश का परिवार का हो या व्यक्ति का वह तभी कारगर हो सकता है जब उसका संचालक पूरी ईमानदारी से उसको संचालित करने के लिए दृढ़ संकल्पित हो तथा  जिन पर संचालित किया जा रहा है वे उसका अनुपालन करने के लिए या तो मन से तत्पर हो या कानून से बाध्य हो। संविधान कल्याणकारी निष्पक्ष वह भविष्य निर्माण दृष्टा के रूप में ही कालजयी होता है।

भारत राष्ट्र के हजारों वर्षों के जीवन यात्रा में अनेक संविधानों व शासकों का साक्षी व धारक रहा है। शासन करने के  विधान को ही प्रायः संविधान कहा जाता है। संविधान के जीवतता निर्धारण करने वाले चार तत्व होते हैं आस पड़ोस के राष्ट्रों की स्थितियां, देश के शासक, जनता व तंत्र की स्थिति। इसमें भी कोई भी महत्वपूर्ण स्तंभ अगर ध्वस्त या विचलित होता है तो तमाम संविधान देश शासक प्राय नष्ट हो जाते हैं।

इसके लिए जरूरी है जनता को राष्ट्र के प्रति सजग करना शिक्षित करना और उनका उचित पोषण करना। और यह सब राष्ट्रीय मूल्यों की राष्ट्रीय शिक्षा देने से ही तथा निष्पक्ष तंत्र व शासक के विद्यमान होने से ही संचालित होते हैं। दुर्भाग्य की बात यह है कि भारत में अंग्रेजों के जाने के बाद आज 75 साल बाद भी भारतीय मूल्यों की भारतीय भाषाओं में शिक्षा ही नहीं दी जाती है यही नहीं इस देश में अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त के बाद भी आज भी बेशर्मी से उन्हे अंग्रेजों की भाषा में शिक्षा, रोजगार, न्याय व शासन प्रधान की आज जाता है। जिससे एक प्रकार से अभी देश में लोकशाही व आजादी का सूर्योदय तक नहीं हुआ। यहां का तंत्र एक प्रकार से अंग्रेजों द्वारा बनाया गया भारतीयों को गुलाम बनाने व भारत को लूटने के तंत्र का ही प्रतिरूप है ।उसको भारतीय तंत्र में जब तक नहीं बदला जाएगा तब तक देश में भारतीय मूल्यों का ह्रास होगा। इसके लिए अंग्रेजी व इंडिया की गुलामी से मुक्ति के साथ-साथ भारतीय भाषाओं में शिक्षा रोजगार न्याय प्रशासन प्रदान करना नितांत आवश्यक है यही देश की जीवंतता का प्राणवायु  है।

समर्पित शासक, सजग-निष्पक्ष तंत्र, व जागरूक नागरिक से ही संविधान जीवंत होता है

#संविधान_दिवस पर आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं

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