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चुनाव आयोग ने दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022 की बजा दी रणभेरी,   मतदान 4 दिसम्बर  व 7 दिसम्बर को होगी मतगणना,

हिमाचल व गुजरात में जमीन पर वजूद दिखाने में असफल रहने वाली आप बनेगी दिल्ली में भाजपा के लिए खतरा

कांग्रेस हिमाचल व गुजरात में भाजपा के लिए खतरा बनी कांग्रेस दिल्ली में भाजपा

 

4 नवम्बर 2022, नई दिल्ली से प्यारा उतराखण्ड डाट काम

 

आज  दिल्ली के चुनाव आयोग ने आखिरकार दिल्ली नगर निगम के चुनावों की रणभेरी बजा दी।

इस चुनाव में कार्यक्रम के ऐलान के साथ दिल्ली में आचार संहिता लागू हो गई है।  7 नवंबर को चुनाव अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। नामांकन की अंतिम तिथि 14 नवंबर तक है। नाम वापसी की अंतिम तिथि 19 नवंबर है।

दिल्ली नगर निगम के चुनाव का ऐलान आज दिल्ली प्रदेश चुनाव आयोग की आयुक्त विजय देव ने एक संवाददाता सम्मेलन में की। इन चुनावों में प्रत्याशियों को खर्च की सीमा 800000 रू तय की गई है ।जो गत नगर निगम चुनाव में 5.57 लाख रू थी।

नगर निगम के 250 पार्षद के चुनाव के  लिये होंगे। इसमें अनुसूचित जाति के लिए 42 वार्डों की आरक्षित किया गया। इसमें 21 सीटों पर अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए आरक्षित की गई है।शेष 104 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है। इस प्रकार महिलाओं को 50%  सीटों पर आरक्षण दिया गया है। दिल्ली नगर निगम के लिए दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में 1.46करोड़ मतदाता हैं। दिल्ली नगर निगम के चुनाव में मतदान 4 दिसम्बर 2022 को होगा और मतगणना 7 दिसम्बर 2022 को गुजरात व हिमाचल विधानसभा चुनाव परिणामों के 1 दिन पहले ही घोषित किये जायेंगे। दिल्ली नगर निगम के चुनावों को निष्पक्ष व शांतिपूर्ण ढंग से सुचारू कराने के लिए चुनाव आयोग ने 13665मतदाता केंद्र बनाये हैं। इस चुनाव के लिए दिल्ली में 213 मतदाताओं की उम्र 100 साल से अधिक है।

दिल्ली नगर निगम के होने वाले न चुनावों में जहां सत्तारूढ़ भाजपा की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है। उसे दिल्ली नगर निगम में दशकों से चले आ रहे अपने अभेद किले की रक्षा कर सत्ता में पुन्नः वापसी करनी है। दिल्ली नगर निगम के चुनाव में भाजपा का मुख्य मुकाबला दिल्ली प्रदेश की सत्ता में एक दशक से आसीन आम आदमी पार्टी व कई दशक तक देश दिल्ली की सत्ता पर राज करने वाली पार्टी कांग्रेस से है। पर कांग्रेस की पकड अब कमजोर नेतृत्व व संगठन के कारण देश व दिल्ली में धीरे धीरे कम हो गयी हैै।
भले ही दिल्ली प्रदेश की सत्ता में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सत्तासीन है परन्तु देश की राजधानी दिल्ली में होने के कारण दिल्ली सरकार के पास पुलिस, जमीन आदि महत्वपूर्ण विभाग नहीं है। यहां की असली प्रशासनिक शक्ति उप राज्यपाल के नाम पर केन्द्र सरकार के पास है। वहीं दिल्ली सरकार से अधिक ताकतवर व जनसेवा का कार्य शक्ति दिल्ली नगर निगम के पास है। दिल्ली सरकार एक प्रकार से  नाम मात्र की है, यहां पर दिल्ली सरकार से कई गुना अधिक असली ताकत केंद्र सरकार व दिल्ली नगर निगम के पास है। इसीलिए दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल कभी दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग की रट्ट लगाते तो कभी दिल्ली नगर निगम पर आसीन होने के लिए तमाम तिकडम करते नजर आते हैं। क्योंकि केजरीवाल भी जानते हैं कि वह आम आदमी पार्टी के दम पर देश की सत्ता में काबिज होने अभी उसके लिए असंभव कार्य है। इसीलिए वह दिल्ली नगर निगम में काबिज होने के लिए छटपटाहट करते है। परन्तु केजरीवाल की इस मंशा को भांप कर ही केंद्र सरकार में आसीन भाजपा ने दिल्ली नगर निगम का एकीकरण करके केजरीवाल की इस मंशा पर पानी फेर दिया। भले ही चुनाव की विधिवत घोषणा सायंकाल चुनाव आयोग ने की परन्तु भाजपा ने इन चुनाव में पुन्न सत्तासीन होने के लिए आज सुबह पौने बारह बजे ही दिल्ली प्रदेश भाजपा मुख्यालय में दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता की उपस्थिति में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने चुनावी कार्यालय का शुभारंभ भी कर दिया। कल ही प्रधानमंत्री मोदी ने हजारों झुग्गी वासियों को मकान प्रदान करते हुए  उन्हें विश्व महामारी के दौरान महिनों तक निशुल्क राशन प्रदान करने का भी स्मरण कराया था। इन सब उपलब्धियों के बाबजूद दिल्ली नगर निगम चुनाव में भाजपा के लिए चुनावी जंग जीतना कोई आसान खेल नहीं है। देश की आम जनता की तरह दिल्ली की जनता भी मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार व कुशासन से त्रस्त है। आम आदमी पार्टी भले ही गुजरात व हिमाचल में उतराखण्ड व उप्र की तरह अपना वजूद न दिखा पाये परन्तु दिल्ली नगर निगम में वह भाजपा को कड़ी चुनौती देने में कोई कसर नहीं छोडेगी। वहीं कांग्रेस पार्टी भले ही दिल्ली में हिमाचल व गुजरात की तरह भाजपा की फिर से सत्तासीन होने की हसरत पर पानी फेरते नजर न आये परन्तु दिल्ली नगर निगम में वह कई स्थानों पर अपनी मजबूत स्थिति दर्ज कराने में पीछे नहीं रहेगी।
गौरतलब है कि दो दशक पहले भी दिल्ली में एक ही नगर निगम था। परन्तु तत्कालीन सरकार ने जनहित के कार्यों को बेहतरी से करने के लिए दिल्ली में एक के बजाय 3 नगर निगम का गठन किया। इसके बाद केजरीवाल के नेतृत्ववाली आम आदमी पार्टी के दिल्ली विधानसभा चुनाव में सत्तासीन होने के बाद दिल्ली नगर निगम मे लम्बें समय से सत्तासीन भाजपा के बीच छिडे बर्चस्व की जंग का खामियाजा दिल्ली की जनता को झेलना पडा। इस बर्चस्व की जंग में का सीधा असर दिल्ली की स्वच्छता, विकास पर पडा। दिल्ली नगर निगम जनसेवा के बजाय दिल्ली के लिए सफेद हाथी साबित होेे गये। इसे देख कर केंद्र सरकार ने पुन्नः दिल्ली नगर निगम को एकीकृत करने का निर्णय लिया। इसके लिए दिल्ली नगर निगम के 272वार्डों का पुन्नः परिसीमन करके 250 किया गया। इसमें अनुसूचित जाति के लिए 42 वार्डों की आरक्षित किया गया। इसी सप्ताह दिल्ली नगर निगम की परिसीमन समिति ने इस आशय की अपनी रिर्पोट केंद्र सरकार को सौंप दी। जिसको केंद्र सरकार ने अध्ययन करने के बाद इसकी अधिसूचना जारी करने के साथ केंद्र सरकार ने राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दे दिया था। इसके बाद ही चुनाव आयोग ने आज दिल्ली नगर निगम के चुनाव की रणभेरी बजा दी।

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