उत्तराखंड देश

2अक्टूबर को मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के अभियुक्तों को 28 साल बाद भी दण्डित न किये जाने के विरोध में उत्तराखण्डियों ने संसद की चौखट पर मनाया काला दिवस

 

उत्तराखंड में काला दिवस मनाते हुए रखा गया एकदवसीय बंद

प्यारा उत्तराखंड डॉट कॉम

नई दिल्ली। महात्मा गांधी जयंती के दिन 2 अक्टूबर 2022 को, उत्तराखण्डियों ने मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करत हुए इस काण्ड के गुनाहगारों को 28 साल बाद भी( भारत की सर्वोच्च जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो व इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराने की बाबजूद) सजा न दिये जाने के विरोध में संसद की चौखट जंतर मंतर पर काला दिवस के रूप पर मना कर देश व उतराखण्ड के हुक्मरानों को धिक्कारा। उत्तराखंड आंदोलनकारी संगठनों की समन्वय समिति द्वारा आयोजित इस काला दिवस धरना प्रदर्शन का एक ज्ञापन राष्ट्रपति महोदय को भी भैंट किया गया। वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड में मुजफ्फरनगर कांड के अभियुक्तों को सजा न दिए जाने विरोध में व अंकिता भंडारी के गुनाहगारों को कड़ी सजा देने की मांग को लेकर पूरे उत्तराखंड में काला दिवस मनाते हुए बंद का आयोजन किया गया।

आंदोलनकारियों में इस बात से बेहद गुस्सा था कि जिस मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के गुनाहगारों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय व देश की सर्वोच्च जांच ऐजेन्सी सीबीआई द्वारा दोषी ठहराने के बाबजूद इस काण्ड के 28 साल बाद भी देश की व्यवस्था द्वारा इन गुनाहगारों को दण्डित करने के बजाय पद्दोन्नित करके पुरस्कृत किया गया। इसी के विरोध में आक्रोशित उत्तराखण्डी विगत 28 सालों से संसद की चौखट जंतर मंतर पर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए काला दिवस मना कर देश के हुक्मरानों का धिक्कारते हैं।
इस आशय का एक ज्ञापन राष्ट्रपति महोदय को भी भैंट किया गया। ज्ञापन में राष्ट्रपति से देश की व्यवस्था के रक्षकों द्वारा देश के संविधान व मानवता को रौंदने वाले इस जघन्य काण्ड के दोषियों को तत्काल सजा दे कर भारतीय संविधान, संस्कृति व न्याय की रक्षा करने का गुहार की लगाई गयी।
काला दिवस आयोजन समिति के संयोजक देव सिंह रावत ने बताया कि 2 अक्टूबर को उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन के प्रमुख संगठनों व तमाम सामाजिक संगठनो ने उत्तराखण्ड आंदोलनकारी संगठनों की समन्वय समिति के बैनर तले संसद की चैखट जंतर मंतर पर आयोजित इस काला दिवस में उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा, उत्तराखण्ड लोकमंच, उत्तराखण्ड जनमोर्चा, उत्तराखण्ड महासभा, उत्तराखण्ड क्रांतिदल सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की तमाम प्रमुख सामाजिक संगठनों ने भाग लेते हुए मुजफ्फरनगर काण्ड-94 सहित राज्य गठन जनांदोलन के सभी शहीदों को अपनी भावभीनी श्रद्वांजलि अर्पित करते हुए ‘उत्तराखण्ड के शहीद अमर रहे, मुजफ्फरनगर काण्ड के दोषियों को सजा दो, नरेन्द्र मोदी, पुष्कर धामी शर्म करो’ व मुलायम सिंह को फांसी दो आदि गगनभेदी नारे लगाये।

इस अवसर पर आंदोलनकारियों ने उत्तराखण्ड प्रदेश की अब तक की सरकारों को प्रदेश के आत्मसम्मान व जनांकांक्षाओं को रौंदने पर कड़ी भत्र्सना करते हुए उनको राव-मुलायम से बदतर बताया। भाग लेने वाले प्रमुख लोगों में उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के खुशहाल बिष्ट व विनोद नेगी, उत्तराखण्ड महासभा के हरिपाल रावत, जनमोर्चा के डा एस एन बसलियाल व बृज मोहन सेमवाल, उत्तराखण्ड राज्य लोकमंच के अध्यक्ष बृजमोहन उप्रेती, उक्रांद नेता प्रताप शाही, अग्रणी समाजसेवी मोहन जोशी, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता धीरेंद्र प्रताप, आप नेता हरीश अवस्थी, वरिष्ठ पत्रकार व्योमेश जुगरान, खुशहाल जीना,दाता राम चमोली, मनमोहन शाह, श्री नवानी आंदोलनकारी श्याम प्रसाद खंतवाल, उत्तराखंड एकता मंच के सुरेंद्र हालसी, सतेंद्र रावत, किशोर रावत दीपिका नयाल, पृथ्वी सिंह रावत , प्रेमा धोनी, रोशनी चमोली, हरि प्रकाश आर्य, देवेंद्र कैंतूरा, द्वारिका चमोली, रामानंद ढोडियाल, श्री बिष्ट, पदम सिंह बिष्ट, पंचम सिंह रावत, रमेश चंद्र मनोज आर्य, नारायण सिंह गुसाईं, दिनेश ध्यानी, कमल किशोर भट्ट, रविंद्र चौहान, प्रेम गुसाईं,वीरेंद्र सिंह नेगी, रमेश ध्यानी ( पत्रकार), जगत सिंह बिष्ट, देव सिंह बिष्ट ( जन मोर्चा ),एन पी नवानी, राम प्रसाद भदूला, हीरो बिष्ट,देव सिंह बिष्ट , लक्ष्मी नेगी, भाजपा नेता चन्दन सिंह गुसाईं आदिव रिष्ठ आंदोलनकारियों व समाजसेवियों ने भाग लिया।

इस अवसर पर तमाम वक्ताओं ने एक स्वर में इस काण्ड की कडी भत्र्सना करते कहा कि देश की एकता, अखण्डता व विकास के लिए समर्पित रहे ‘उत्त्राखण्ड राज्य गठन जनांदोलन’ में गांधी जयंती की पूर्व संध्या 1 अक्टूबर 1994 को, 2 अक्टूबर 1994 को आहुत लाल किला रेली में भाग लेने आ रहे शांतिप्रिय हजारों उत्तराखण्डियों को, मुजफ्फरनगर स्थित रामपुर तिराहे पर अलोकतांत्रिक ढ़ग से बलात रोक कर जो अमानवीय जुल्म, व्यभिचार व कत्लेआम उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार व केन्द्र में सत्ताासीन नरसिंह राव की कांग्रेसी सरकार ने किये, उससे न केवल भारतीय संस्कृति अपितु मानवता भी शर्मसार हुई। परन्तु सबसे खेद कि बात है कि जिस भारतीय गौरवशाली संस्कृति में नारी को जगत जननी का स्वरूप मानते हुए सदैव वंदनीय रही है वहां पर उससे व्यभिचार करने वाले सरकारी तंत्र में आसीन इस काण्ड के अपराधियों को दण्डित करने के बजाय शर्मनाक ढ़ग से संरक्षण देते हुए पद्दोन्नति दे कर पुरस्कृत किया गया। सबसे हैरानी की बात है कि जिस मुजफ्फरनगर काण्ड-94 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मानवता पर कलंक बताते हुए इसे शासन द्वारा नागरिकों पर किये गये बर्बर नाजी अत्याचारों के समकक्ष रखते हुए इस काण्ड के लिए तत्कालीन मुजफ्फनगर जनपद(उप्र) के जिलाधिकारी अनन्त कुमार सिंह व पुलिस अधिकारियों डीआईजी बुआ सिंह व नसीम इत्यादि को सीधे दोषी ठहराते हुए इनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने का ऐतिहासिक फैसला दिया था। यही नहीं माननीय उच्च न्यायालय ने केन्द्र व राज्य सरकार को उत्तराखण्ड के विकास के प्रति उदासीन भैदभावपूर्ण दुरव्यवहार करने का दोषी मानते हुए दोनों सरकारों को यहां के विकास के लिए त्वरित कार्य करने का फैसला भी दिया था। जिस काण्ड पर देश की सर्वोच्च जांच ऐजेन्सी सीबीआई ने जिन अधिकारियों को दोषी ठहराया था, जिनको महिला आयोग से लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग दोषी मानता हो परन्तु दुर्भाग्य है कि इस देश में जहां सदैव ‘सत्यमेव जयते’ का उदघोष गुंजायमान रहता हो, वहां पर उच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के बाद अपराधियों व उनके आकाओं के हाथ इतने मजबूत रहे कि देश की न्याय व्यवस्था उनको दण्डित करने में आज 20 साल बाद भी अक्षम रही है। इस काण्ड से पीड़ित उत्तराखण्ड की सवा करोड़ जनता को आशा थी कि राज्य गठन के बाद उत्तराखण्ड की राज्य सरकार इस काण्ड के दोषियों को सजा दिलाने को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का काम करेगी। परन्तु हमारा दुर्भाग्य रहा कि वहां पर स्वामी, कोश्यारी, तिवारी, खंडूडी, निशंक,बहुगुणा, रावत त्रिवेन्द्र,तीरथ व धामी जैसे पदलोलुप नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन रहे। इनके शासन में इस काण्ड के अपराधियों को दण्डित करने के बजाय उनको संरक्षण देने की शर्मनाक कृत्य किया गया। वर्तमान में देश, उप्र व उतराखण्ड तीनों सरकारें भाजपा की ही है। उतराखण्ड सरकार क्यों इस काण्ड के गुनाहगारों को सजा दिलाने की मांग केंद्र व उप्र सरकार से क्यों नहीं कर रही है।

 

About the author

pyarauttarakhand5