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हैदराबाद मुक्ति के लिए बलिदान देने वाले जांबाजो को श्रद्धांजलि देने के लिए भारत सरकार ने दी ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ के सालभर चलने वाले स्मृति उत्सव को मंजूरी

 17 सितंबर2022 को हैदराबाद में होने वाले उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 

3 सितंबर2022,नई दिल्ली से पसूकाभास

संस्कृति मंत्रालय 17 सितंबर 2022 को हैदराबाद मुक्ति दिवस के सालभर चलने वाले स्मरण उत्सव के उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन करेगा। भारत सरकार ने 17 सितंबर, 2022 से 17 सितंबर, 2023 तक चलने वाले ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ के सालभर लंबे स्मृति उत्सव को मंजूरी दी है।

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह हैदराबाद के परेड ग्राउंड में आयोजित होने वाले उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगे। संस्कृति मंत्रालय ने हैदराबाद में उद्घाटन कार्यक्रम में भाग लेने के लिए तेलंगाना, कर्नाटक और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों को भी आमंत्रित किया है।

सालभर चलने वाले इस स्मृति उत्सव का उद्देश्य उन सभी को श्रद्धांजलि देना है, जिन्होंने संस्थान की मुक्ति और भारत में इसके विलय के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी।

भारत को अंग्रेजों से आजादी मिलने के एक साल से भी अधिक समय बाद, 17 सितंबर 1948 को हैदराबाद निजाम के शासन से आजाद हुआ।

अंग्रेजों के खिलाफ रामजी गोंड के संघर्ष समेत स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास संघर्ष की कहानियों से भरा पड़ा है; कोमाराम भीम की लड़ाई; 1857 में तुर्रेबाज खान की बहादुरी की कहानी, जो हैदराबाद शहर के कोटी में ब्रिटिश रेजिडेंट कमिश्नर के घर पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराना चाहते थे।

भारत की आजादी के बाद यह संघर्ष मुखर हो गया। वंदे मातरम् गाते हुए लोगों की अपने आप बढ़ती भागीदारी और संस्थान के भारतीय संघ में विलय की मांग के साथ, यह संघर्ष एक विशाल जन आंदोलन में तब्दील हो गया।

हैदराबाद की मुक्ति भारत के प्रथम गृह मंत्री श्री सरदार वल्लभभाई पटेल के ऑपरेशन पोलो के तहत त्वरित और समय पर की गई कार्रवाई के कारण संभव हुई थी।

निजाम के शासन में हैदराबाद राज्य में आज का पूरा तेलंगाना, महाराष्ट्र में मराठवाड़ा क्षेत्र जिसमें औरंगाबाद, बीड, हिंगोली, जालना, लातूर, नांदेड़, उस्मानाबाद, परभणी के साथ आज के कर्नाटक के कलबुर्गी, बेल्लारी, रायचूर, यादगिर, कोप्पल, विजयनगर और बीदर जिले शामिल थे।

महाराष्ट्र और कर्नाटक की राज्य सरकारें आधिकारिक तौर पर 17 सितंबर को मुक्ति दिवस के रूप में मनाती हैं।

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