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भर्ती घोटाले में घिरे उतराखण्ड अधीस्थ सेवा चयन आयोग के   सभी जिम्मेदार अधिकारियों से इस्तीफा लेकर उनकी सम्पति की कराई जाय जांच

दिशाहीन,पदलोेलुपु प्यादे नहीं अपितु परमार व योगी जैसे समर्पित व दिशावान नेतृत्व ही उबार सकता है उतराखण्ड को
दिशाहीन पदलोेलुपु प्यादों के कारण भ्रष्टाचारियों के चुंगल में फंसा है देवभूमि उतराखण्ड

देवसिंह रावत

आज उतराखण्ड अधीस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष ए राजू ने सेवा आयोग के द्वारा आयोजित परीक्षा में परीक्षा पत्र के उजागर होने वाले प्रकरण में नैतिकता के अधार पर इस्तीफा देने से प्रदेश में रोजगार पाने की आश लगाये हुए लाखों युवाओं व ाम जनता के मन में एक ही प्रश्न रह रह कर उठ रहा है कि उतराखण्ड को इन भ्रष्टाचारियों की चुंगल से कौन बचायेगा?

उतराखण्ड में भाजपा ने सत्तासीन होते ही दावे किया  कि डबल इंजन की सरकार प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त करके विकास की गंगा बहायेगी। लोगों को विश्वास भी था मोदी जी पर। परन्तु जैसे जैसे समय बिता प्रदेश सरकार ढपोर शंख ही साबित हुई। 2016 में जिस नौकरशाह एक राजू को प्रदेश सरकार ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की बागडोर सौंपी। वह भी 6 साल बाद चयन आयोग को भ्रष्टाचार रहित बनाने में खुद को असफल पाते हैं। इसी नैतिकता के नाम पर राजू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनसे पहले अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्ध्यक्ष डा आर बीएस रावत ने भी बहुत ही नाटकीय ढंग से अपने पद से इस्तीफा दिया था। उनके कार्यकाल में भी आयोग विवादों में घिरा रहा। तत्कालीन हरीश रावत सरकार द्वारा नियुक्त किये गये डा आर बी एस रावत ने गलत ढंग से उनकी सरकार के अपदस्थ किये जाने पर सेवा आयोग की परीक्षा में हुए विवाद का टिकरा तत्कालीन हरीश रावत सरकार के सर पर फोड कर अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का ऐनाल किया। परन्तु जैसे सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से विधानसभा में विश्वासमत जीतने में सफल रही हरीश रावत सरकार के पुन्न सत्तारूढ होने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत का स्वागत करने में वे आगे ही नजर आये। यही नहीं बाद में हुई भाजपा कि एक मुख्यमंत्री के सिपहसालार बन गए।

यह दो अध्यक्षों के कार्यकाल की गाथा है।
हालांकि एस राजू के कार्यकाल में 88 चयन की परीक्षायें कराई गयी। इसमें गत वर्ष दिसम्बर 2021 में आयोजित की गयी स्नातक स्तर व वन विभाग की परीक्षायें विवादों में घिर गयी। वन विभाग के विवाद को तो किसी तरह रफ्फा दफा करने में सरकार व आयोग सफल रहा। परन्तु ताजा प्रकरण स्नातक स्तरीय परीक्षा के तहत करीब ग्राम विकास अधिकारी सहित अन्य पदों के लिए 854 पदोें में से 500 से अधिक पदों को मोल भाव कर पास किया गया। इसका विवाद इतना गहराया कि खुद मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करके मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल बनाया गया। विशेष जांच दल ने इस परीक्षा के पत्र को परीक्षा से पहले उजागर करने वाले कर्मचारी जिसकी जिसकी जिम्मेदारी ही पेपर छपने के बाद सील करने की थी को गिरफ्तार किया। उससे जांच के बाद यह तथ्य खबरों में सामने आ रहे हैं कि उसने अपने साथियों के सहयोग से टेलीग्राम एप के माध्यम से 36 लाख रूपये में बेच दिया। इस प्रकरण में जांच दल को बडे स्तर पर कार्य करना पड रहा है। इसमें बडे सुराग हाथ लग गये है। परन्तु आशंका प्रकट की जा रही है कि वन विभाग की नियुक्तियों में उठे विवाद की तरह इसके असली अपराधी शायद ही शिकंजे में आये या तंत्र उसे पकड पाये। क्योंकि सरकार को चाहिए कि आयोग के अध्यक्ष के इस्तीफ के साथ तत्काल प्रभाव से आयोग के सचिव सहित तमाम सदस्य व जिम्मेदार अधिकारियों से भी इस्तीफा लेकर उनकी सम्पति की जांच करनी चाहिए। जब तक गुनाहगारों को कडी सजा देने में सरकार सफल नहीं होगी। प्रदेश की भर्ती परीक्षाओं से इस प्रकार के प्रकरणों से नहीं बनाया जा सकेगा। इसका खमियाजा प्रदेश के लाखों रोजगार के लिए इन भर्ती परीक्षाओं में हर साल बैठने वाले युवाओं पर पडेगा। प्रतिभावान बच्चे इस प्रकार के भ्रष्टाचारियों के कहर के कारण अपनी आशाओं पर बज्रपात होते देखने के लिए विवश हैं। क्योंकि प्रदेश की सरकार चाहे डब्बल इंजन की रही हो या कांग्रेस की सभी सरकारें भ्रष्टाचारियों पर अंकुश लगाने में असफल रही। इससे प्रदेश भ्रष्ट्राचारियों, अपराधियों व दलालों का अडा बन गया।  अब तक की सभी सरकारें अपनी पूर्ववर्ती सरकारों के भ्रष्ट्राचार पर जनता के समक्ष गुर्राती रहती परन्तु दण्डित करके लिए ईमानदारी से अंकुश तक नहीं लगाती। यही नहीं बेशर्मी से भ्रष्टाचारियों को अपना संरक्षण तक देने की धृृष्ठता करते है। इसी कारण प्रदेश में भ्रष्टाचार एक प्रकार से शिष्ठाचार सा बन गया हे। पर सच्चाई जग जाहिर है कि प्रदेश सरकार में अब तक 22 सालों की सरकारें प्रायः या तो दिशाहीन रहे या पदलोलुपु प्यादे रहे। उनकी प्राथमिता उतराखण्ड की जनांकांक्षाओं को साकार करने के बजाय अपनी पदलोलुपता व अपने दल आकाओं को रिझाने तक सीमित रही। अधिकांश मुख्यमंत्री जानकार, समर्पित व ईमानदार नौकरशाह व सहयोगियों के बजाय कुख्यात भ्रष्ट नौकरशाहों व प्यादों का जमवाडा अपने आसपास रखते । वे प्रदेश को ईमानदारी से विकासोनुमुख नींव रखने के बजाय भ्रष्टाचारियों के रहमोकरम पर छोड कर पथभ्रष्ट कर गये।
उतर प्रदेश की जनता का सौभाग्य रहा कि वहां योगी जैसे योग्य दिशावान समर्पित नेतृत्व मिले जिन्होने भ्रटाचार,अराजकता व लूट खसोट की दल दल में आकंठ घिरे उतर प्रदेश को अपने कठोर सुशासन से उबार कर आज उत्तम विकासोनुमुख प्रदेश बना दिया। वहां अब समय पर रोजगार की परीक्षाओं का सफल आयोजन किया जा रहा है। संगठित अपराधी गिरोहों का सफाया किया जा चूका है। प्रदेश में असामाजिक, देश विरोधी व विकास विरोधी तत्वों को कठोर अंकुश लगने के कारण प्रदेश की दिशा व दशा ही बदल गयी।

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