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प्रधानमंत्री जानसन का इस्तीफ़ा देना बिट्रेन के लिए हो सकता है वरदान, टल गया रूसी हमले का खतरा

ब्रिटेन की लोकशाही में नेताओं की नैतिकता देख स्तब्ध है भारतीय राजनेता व जनमानस

 

प्रधानमंत्री का चयन बिट्रेन में भारत से अधिक लोकतांत्रिक ढंग से

 

देवसिंह रावत

 

आज 7 जुलाई 2022 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अपने कंजरवेटिव दल में भारी विरोध व इस्तीफों की झड़ी के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। भले ही इस्तीफा देते हुए बोरिस जॉनसन अपने उम्मीदों के कार्य न किए जाने पर निराशा जताई। इससे ब्रिटेन में भले ही अनिश्चितता का वातावरण पैदा हो गया है परंतु इन सबसे हटकर ब्रिटेन के लिए प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का इस्तीफा किसी राहत से कम नहीं है। खासकर जिस प्रकार से रूस यूक्रेन युद्ध में नाटो की तरफ से ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन निरंतर रूस के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई आ कर रहे थे ।उससे यह साफ दृष्टिगोचर हो रहा था कि इस युद्ध को के भड़कने के बाद यूक्रेन की साथ ब्रिटेन भी उसके निशाने पर आ गया था अमेरिका को सबक सिखाने से पहले रूस दूसरे महायुद्ध तक विश्व की महाशक्ति समझी जाने वाली बिट्रेन को तमा करने के लिए मन बना चुका है इसकी सीधी चेतावनी रूस के युद्ध कमांडरों व रूसी नेतृत्व ने प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से ब्रिटेन को दे दी। रूस की चेतावनी थी वही प्रक्षेपात्र से पूरे बिटकॉइन को जल समाधि दे सकता है इसे पूरे ब्रिटेन का ही अस्तित्व समाप्त हो जाएगा इस आशंका से पूरा बिट्रेन ही नहीं नाटो शाहिद विश्वजीत चिंतित था। अब उसको आशा है कि नया नेतृत्व ब्रिटेन के हितों की रक्षा करने की प्राथमिकता देते हुए जॉनसन की तरह रूस का अंध विरोध नहीं करेगा। एक प्रकार से जॉनसन का इस्तीफा ब्रिटेन के लिए वरदान साबित हो गया।
वहीं दूसरी तरफ भारतीय राजनीति में सामान्य सा समझे जाने वाले जिस प्रकार के प्रकरण में घिरने के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन को अपने ही दल के नेताओं के भारी विरोध के बाद प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पडा, उसे देख कर भारत के राजनेताओं के साथ आम जागरूक जनता भी स्तब्ध है। भारत में ऐसे प्रकरणों पर न सत्तारूढ़ दल या विपक्षी दल में अपने आला नेतृत्व के खिलाफ आवाज उठाने की कल्पना भी आज के जमाने में न किसी दल में अविश्वसनीय व असंभव सी बात लगती है। भले ही विपक्षी दल ऐसे प्रकरणों को रस्मी विरोध कर खुद ही विरोध की धार कुछ समय बाद कूंद कर देते है। परन्तु यह सब ब्रिटेन में सामने घटित होता देख कर अचंभित हैं।
भारतीय राजनीति में जिस प्रकरण पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जाॅनसन को इस्तीफा देने के लिए उनके दल के 40 से अधिक मंत्री, सांसदों ने इस्तीफा दे कर एक प्रकार का विद्रोह किया। ऐसे मामले भारत की राजनीति में कोई दल कान तक नहीं देते हैं, राजनैतिक दल तो रहे दूर समाचार जगत व आम प्रबुद्ध जनता भी इसे कान नहीं देते।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन को दो मामलों में घिरने के बाद इस्तीफा देने के लिए उनके ही दल कंजर्वेटिव पार्टी ने मजबूर किया। सबसे गंभीर प्रकरण रहा कि इसी साल फरवरी माह में प्रधानमंत्री जाॅनसन ने क्रिस पिंचर को कंजरर्वेटिव पार्टी का डिप्टी चीफ व्हिप नियुक्त किया। इस व्यक्ति को ब्रिटेन के प्रमुख समाचार पत्र ‘द सन’ ने 30 जून को एक लेख में आरोप लगाया कि इस व्यक्ति ने लंदन के एक क्लब में दो युवकों को आपत्तिजनक तरीके से छुआ। इसके साथ अखबार ने यह भी आरोप लगाया कि इस व्यक्ति पर पहले भी योनाचार के आरोप लगे। इस खबर के प्रकाशित होने के बाद पिंचर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। परन्तु जानसन की पार्टी के सांसद इस बात से नाखुश थे कि जॉनसन को पिंचर पर लगे आरोपों की जानकारी होने के बाद इसे इस पद पर नियुक्ति नहीं करना चाहिए। हालांकि उस व्यक्ति पर आरोप साबित नहीं हुये थे। आरोप लगने मात्र से न उस व्यक्ति ने आरोप सिद्ध न होने के कवच का ढाल बनाया व नहीं जानसन ने ऐसा कुतर्क दिया। जो भारत आदि देशों के राजनेता बडे बेशर्मी से देते रहते। हालांकि जानसन ने इस नियुक्ति के लिए देश से माफी भी मांग ली थी।
इसके अलावा जानसन पर दूसरा आरोप यह है कि जब ब्रिटेन सहित पूरी दुनिया कोरोना महामारी का दंश झेल रही थी। उस समय कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए ब्रिटेन में सम्पूर्ण बंद किया गया था। परन्तु इसी बंद के दौरान 19 जून, 2020 को जॉनसन की पत्नी ने अपने पति यानी जानसन के 56 वें जन्म दिन की पार्टी का आयोजन डाउनिंग स्ट्रीट में 30 लोगों के साथ किया था. जबकि उन दिनों दो से अधिक लोगों के शामिल होने की अनुमति नहीं थी। इसका खुलाशा होने पर उनके विरोधी दल के साथ उनकी पार्टी ने भी पार्टीगेट प्रकरण बता कर बोरिस का विरोध किया।

अब ब्रिटेन के नये प्रधानमंत्री चुनने के लिए शानदार लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस्तीफा दे दिया है. उनके इस्तीफा देने के बाद अब सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी नया नेता चुनेगी, वही अगला प्रधानमंत्री होगा।
हालांकि, जब तक नया प्रधानमंत्री नहीं चुन लिया जाता है तब तक जॉनसन ही कार्यकारी प्रधानमंत्री रहेंगे।
भले ही भारत की तरह ब्रिटेन में प्रधानमंत्री चुनने के लिए सत्तारूढ़ यानी बहुमत वाला दल अपना प्रधानमंत्री का प्रत्याशी का चयन करता है। भारत में भले ही ऐसा कहा जाता है कि बहुमत दल के निर्वाचित सांसद अपना नए नेता का चयन करते हैं वही नेता प्रधानमंत्री पद पर आसीन होता है। परंतु हकीकत में है भारत में पार्टी का आला नेतृत्व सारा फैसला करता है व सत्तारूढ़ दल के सांसद केवल अपनी सहमति ही प्रदान करते हैं। परंतु ब्रिटेन में यह प्रक्रिया भारत से कहीं अधिक लोकतांत्रिक होती है।

ब्रिटेन में भी पार्टी जिसे चुनती है, वो प्रधानमंत्री बनता है ।लेकिन ब्रिटेन में चुनाव की प्रक्रिया अधिक लोकतांत्रिक है।
बिट्रेन में प्रधानमंत्री के दावेदार लिए बहुमत वाला सत्तारूढ़ दल के एक, दो या दो से अधिक उम्मीदवार प्रधानमंत्री की दावेदारी करते हैं ।प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी करने के लिए कम से कम दो सत्तारूढ़ दल के सांसदों से नामित होना जरूरी है । उम्मीदवार एक, दो या उससे भी ज्यादा हो सकते हैं।

– इसके बाद सत्तारूढ़ दाल के सांसद गुप्त मतदान के द्वारा अपने पसंद के प्रधानमंत्री पद के दावेदार को अपना मत देंगे ।जिस उम्मीदवार को सबसे कम वोट मिलेंगे, वह इस प्रक्रिया से बाहर हो जाएगा। यह मतदान तब तक चलेगा जब तक दो प्रत्याशी इस प्रक्रिया में नहीं रह जाते। जब दो ही प्रत्याशी इस प्रक्रिया में रहेंगे तो उसके बाद हुए मतदान में जिसे अधिक मत मिलेगा वही प्रधानमंत्री बनेगा। प्राय ऐसा मतदान मंगलवार व बृहस्पतिवार को ही किया जाता था। परंतु परस्थितियों को देखकर इसे जल्दी भी कराया जा सकता है।
सूत्रों के अनुसार 21 जुलाई से ब्रिटेन की संसद में गर्मियों की छुट्टियां शुरू होगी इसलिए यह प्रक्रिया 21 जुलाई से पहले भी संपन्न हो सकती है।
हालांकि बोरिस जॉनसन के इस्तीफे के बाद अक्टूबर में कंजरवेटिव पार्टी की कॉन्फ्रेंस होगी, जिसमें नया प्रधानमंत्री चुना जाएगा। यानी, अक्टूबर तक जॉनसन प्रधानमंत्री पद पर बने रहने की भी संभावनाएं जताई जा रही है। परंतु यूक्रेन व ताइवान संकटों को देखते हुए नए नेतृत्व का चयन शीघ्र हो सकता है।
यह नया नेतृत्व अपने विवेक से मध्यावधि चुनाव में जाने का निर्णय ले सकता है।
वर्तमान कार्यकारी प्रधानमंत्री जॉनसन पर यह संकट तब उमड़ा जब उनके वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने 5 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे के कुछ देर बाद ही स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद ने भी इस्तीफा दे कर प्रधानमंत्री जॉनसन की सत्ता की चूलें ही हिला दी। जॉनसन के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वालों में मंत्री साइमन हार्ट व ब्रैंडन लुईस सहित 50 से अधिक मंत्री व सांसद हो गये। इन्हीं के दबाव में मजबूरन प्रधानमंत्री जॉनसन को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। अब नए प्रधानमंत्री को लेकर कायश लगाया जा रहा है कि 5 जुलाई को सबसे पहले इस्तीफा देने वाले ऋषि सुनक, पूर्व रक्षा मंत्री सहित अनेक दावेदारों के नाम चर्चाओं में है

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