उत्तराखंड देश

मातृभूमि से बिछड़ने के गम में दिल्ली जाने वाले दिन ही अपनी मातृभूमि की गोद में सदा के लिये सो गए 91 वर्षीय मानसिंह कड़ाकोटी

 

 

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी लक्ष्मण कडाकोटी को पितृ शोक

देव सिंह रावत

जैसे ही 91 वर्षीय स्वस्थ स्वर्गीय मानसिंह कड़ाकोटी
तोल्यो,तल्ला सल्ट अल्मोड़ा उत्तराखंड का स्वर्गवास 12 जून को हुआ। उनके गांव के लोगों परिजनों इष्ट मित्रों आसपास क्षेत्र के लोगों को इस दुखद घटना पर विश्वास नहीं हुआ।
विश्वास भी कैसे होता है, अभी 7 जून को ही अपनी धर्म पत्नी, दोनों बेटों सहित परिवार के साथ अपने घर गांव ससुराल होते हुए गांव देवता पूजन के लिए पहुंचे थे। गांव में पूरी श्रद्धा विश्वास व हर्ष उल्लास के साथ एकता पूजन का कार्यक्रम संपन्न किया था। उसके बाद जब दिल्ली के करावल नगर क्षेत्र में रहने वाले उनके दोनों बेटों ने सपरिवार वापिस दिल्ली चलने की तैयारी की तो अपनी मातृभूमि से गहरा लगाव रखने वाले मानसिंह वयोवृद्ध मानसिंह कडाकोटी को अपने घर पर फिर ताला लगने व जन्मभूमि से बिछोह का दुख अंदर से सताने लगा। उन्हें इसका इतना गहरा दुख हुआ कि उन्हें लगा शायद ही वह वापस अंतिम समय अपनी जन्मभूमि के दर्शन कर पाएंगे। अधिकांश बुजुर्ग उत्तराखंडियों की तरह उनकी यही अभिलाषा थी कि वह अपनी जन्मभूमि में जीवन जियें। हालांकि कुछ सालों से वे अपने बच्चों के साथ दिल्ली में ही रह रहे थे परंतु मन से सदा गांव से ही जुड़ा रहता। हालांकि गांव में उनके खेत खलियान व घर आदि का उनके चाचा व उनका परिवार देखरेख करता था।
उनके बड़े बेटे और राज्य आंदोलन के हमारे साथी लक्ष्मण कडाकोटी ने इस दुखद समाचार को दूरभाष से मुझे बताया कि इसी जून महीने की 7 तारीख को हम पिताजी सहित सपरिवार अपने ननिहाल होते हुए अपने घर पहुंचे । उसके बाद गांव में देवता पूजन भी किया।पिताजी बहुत स्वस्थ व प्रसन्न चित थे। गांव से 12 तारीख को हमने दिल्ली के लिए जाना था। दिल्ली जाने की सारी तैयारियां परिवार कर चुका था। परंतु दिल्ली जाने वाली दिन यानी 12 जून को दिन में ही 11:30 बजे पिता जी का आकस्मिक स्वर्गवास हो गया। इस त्रासदी श्री हमारा परिवार ही नहीं अपितु पूरा क्षेत्र स्तब्ध रह गया।
परिवार की मुखिया मानसिंह कड़ाकोटी के आकस्मिक निधन के बाद शोकाकुल परिवार नई दिल्ली जाने का कार्यक्रम स्थगित कर उनकी अंतिम इच्छा का सम्मान करते उनके पैतृक श्मशान घाट में ही उनका अंतिम संस्कार किया। इसी माह 23 जून को उनकी तेरहवीं यानी पीपल पानी की क्रिया करने के बाद ही शोकाकुल परिवार दिल्ली को रवाना होगा।
शोकाकुल दिवंगत मानसिंह के परिवार में उनकी धर्मपत्नी श्री मति गोपुली देवी, सुपुत्र लक्ष्मण कडाकोटी व गोपाल कडाकोटी सहित दोनो पुत्र बधुएँ पोते पोतियां सभी परिजन हैं।
मैं अपनी जन्मभूमि के प्रति अथाह लगाव रखने वाले स्वर्गीय मानसिंह कड़ाकोटी पावन स्मृति को शत शत नमन करते हुए भगवान से प्रार्थना करता हूं कि उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दे। इस अवसर पर अपने राज्य गठन आंदोलन की साथी लक्ष्मण कडाकोटी सहित उनके परिवार को अपनी संवेदना प्रकट करते हुए प्रभु से इस असीम दुख को सहने की शक्ति सामर्थ्य प्रदान करने की कामना करता हूं।

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