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चंपावत से मुख्यमंत्री धामी की जीत व कांग्रेस की हार पक्की पर आशंकित भाजपा नेतृत्व ने प्रचार में उतारे योगी जैसे महाबली

चंपावत विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की जीती सी जंग पर क्यों विश्वास नहीं है भाजपा आलाकमान को?

चुनावी समर से पहले ही हार सी मान चूकी मृतप्रायः कांग्रेस पर आशंकित भाजपा ने प्रचार में उतारे योगी जैसे महाबली

प्यारा उत्तराखंड डॉट कॉम

चंपावत विधानसभा के 96016 मतदाता सहित उत्तराखंड के आम जनमानस यह भली-भांति जानता है कि 31 मई 2022 को होने वाली चंपावत विधानसभा के उपचुनाव में उत्तराखंड के सत्तारूढ़ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की एक तरफा व भारी बहुमत से जीत हो रही है। इस उप चुनाव की मतगणना के परिणाम 3 जून को जग जाहिर हो जाएगा।परंतु इस जमीनी हकीकत को दिल्ली में आसीन भाजपा के आला नेतृत्व चंपावत विधानसभा उपचुनाव में धामी की एकतरफा सी जीत पर लगता है इस बार भी आश्वस्त नहीं है।
चंपावत विधानसभा उपचुनाव में धामी की जीत से अधिक भाजपा नेतृत्व को भाजपा की प्रतिष्ठा की चिंता है। भाजपा नेतृत्व धामी की हर हाल जीत जाता है इसीलिए भाजपा नेतृत्व ने चंपावत विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की प्रमुख शीर्ष प्रचारक महाबली योगी आदित्यनाथ को इस उपचुनाव की जंग में प्रचार के लिए उतारा है। लोग प्रश्न कर रहे हैं कि जब यहां एकतरफा जीत हो रही है तो भाजपा नेतृत्व योगी जी जैसे दिक्कत महाबली को इस छोटे से चुनाव में प्रचार के लिए क्यों उतार रहे हैं। हालांकि योगी जी के अलावा 1 दर्जन से अधिक मुख्य प्रचारकों को भाजपा ने इस चुनावी जंग में झोंका है। परंतु चंपावत विधानसभा उपचुनाव में हो रही एक तरफा जीत में किसी भी प्रचारक को उतारने की भाजपा को जरूरत नहीं है। क्योंकि इस समय चंपावत की जनता इस बात को बखूबी से जानती है कि वे सामान्य विधायक को ही नहीं अपितु मुख्यमंत्री को ही सुन रहे हैं। भाजपा की मजबूत स्थिति को देखते हुए कांग्रेस ने यहां से मजबूत प्रत्याशी को चुनावी जंग में उतारने के बजाए महिला नेत्री निर्मला गहतोड़ी को चुनावी दंगल में उतार कर रस्म अदायगी का ही परिचय दिया है। इस पर टिप्पणी करते हुए प्रदेश कांग्रेस के पूर्व नेता प्रतिपक्ष व पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने दो टूक शब्दों में कहा कि कांग्रेस को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ यदि कड़ी टक्कर देने के लिए कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत या प्रदीप टम्टा को चुनावी जंग में उतारना चाहिए था।
वैसे भी कांग्रेस ने इस विधानसभा उपचुनाव में जो स्टार प्रचारकों की सूची जारी की उसमें राहुल, प्रियंका व हरीश रावत के अलावा प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष, प्रदीप टम्टा व हरक सिंह रावत तो ठीक हैं। परंतु कांग्रेसी दरबार की तथाकथित नेता वेणुगोपाल, सुरजेवाला व देवेंद्र यादव जैसे दरवारी नेताओं की उत्तराखंड में क्या जरूरत है। कमजोर कॉन्ग्रेस अपने प्रत्याशी की जीत के लिए घर-घर प्रचार करेगी या इन हवाई नेताओं की खातिरदारी में जुटेगी। वैसे भी उत्तराखंड के आम कांग्रेसी जनमानस उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में पराजय के लिए ऐसे ही दरवारियों को ही जिम्मेदार मानता है। उल्लेखनीय है कि आलाकमान के दरवारियों के कारण विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित हार से उतराखंड में कांग्रेस बेहद कमजोर हो गयी है।इसी हताशा में डूबी कांग्रेस से जोत सिह बिष्ट जैसे समर्पित व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कांग्रेस को छोड़ रहे हैं।

हालांकि भाजपा आला नेतृत्व की आशंका हवाई नहीं है। इस आशंका का मूल आधार है कि भाजपा का आला नेतृत्व को इस बात से आशंकित है कि जिस प्रकार उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में मुख्यमंत्री रहते हुए पुष्कर सिंह धामी ने भारी भरकम मोदी लहर के बावजूद अपनी परंपरागत विधानसभा सीट खटीमा से अप्रत्याशित रूप से कांग्रेस के प्रत्याशी भुवन चंद कापडी से 6579 मतों से पराजित हुए ।इसी जख्म से भाजपा नेतृत्व मर्माहित रहा व उन्होंने अपनी जिद के कारण ही जनता द्वारा नक्कारे गये पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बना दिया। किसी के कारण संवैधानिक बाध्यता के तहत मुख्यमंत्री के पद पर आसीन पुष्कर सिंह धामी को 6 माह के अंदर विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होना जरूरी है इसी के तहत चंपावत विधानसभा से विजयी भाजपा विधायक कैलाश चंद गैहतोड़ी ने यह विधानसभा सीट पुष्कर सिंह धामी के लिए इस्तीफा देकर रिक्त की ।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में चंपावत विधानसभा सीट से विजयी रहे भाजपा के विधायक कैलाश चंद गेहतोड़ी ने कांग्रेसी प्रत्याशी हेमेश खर्कवाल को 5 304 मतों से पराजित किया था। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के राजनीतिक शिष्य ही इस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व विधानसभा में करेंगे। उल्लेखनीय है कि वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व कैलाश चंद गैहतोड़ी दोनों ही राजनीति जगत में भगत सिंह कोश्यारी के शिष्य के रूप में विख्यात हैं।

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